अब्बा आपको यह काम अपने ऊपर नहीं लेना था । " " क्या करूं बेटा पेट का सवाल है और तो और ऊपर से यह काम जमींदार साहब ने दिया है । अगर मना कर दूँ तो जीना हराम हो जाएगा । " अमावस्या की रात है । चारों तरफ देखने से ऐसा लग रहा है कि मानो किसी ने आसमान पर कालिख मल दिया है । जमीन पर कहीं भी एक बूंद रोशनी नहीं है । हालांकि एक लालटेन टिम टिम करते हुए रोशनी फैलाने की व्यर्थ कोशिश कर रहा है लेकिन इस गहरे अंधकार के सामने वह कुछ नहीं । जमील मांझी और उसका लड़का नाव लेकर आगे बढ़ चले हैं । नाव के एक तरफ जलता लालटेन ही इस अंधेरे में रोशनी का एकमात्र स्रोत है ।
Full Novel
जीवित मुर्दा व बेताल - 1
अब्बा आपको यह काम अपने ऊपर नहीं लेना था । क्या करूं बेटा पेट का है और तो और ऊपर से यह काम जमींदार साहब ने दिया है । अगर मना कर दूँ तो जीना हराम हो जाएगा । अमावस्या की रात है । चारों तरफ देखने से ऐसा लग रहा है कि मानो किसी ने आसमान पर कालिख मल दिया है । जमीन पर कहीं भी एक बूंद रोशनी नहीं है । हालांकि एक लालटेन टिम टिम करते हुए रोशनी फैलाने की व्यर्थ कोशिश कर रहा है लेकिन इस गहरे अंधकार के सामने वह कुछ ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 2
इसी वक्त नाव घर के अंदर से एक हंसी की आवाज सुनाई देने लगा । बहुत तेज नहीं कोई हंस रहा है । इस अंधेरी रात को नदी के ऊपर तैरते नाव में दो मनुष्य और एक लाश लेकिन अचानक नाव पर बने घर में कौन है जो हंस रहा है ?... मांझी और उसके लड़के का एक ही हाल है । हंसी सुनकर दोनों मानो पत्थर से हो गए हैं । धीरे-धीरे जमील मांझी लालटेन को उठाकर नाव घर की तरफ गया और अल्लाह को याद करते हुए कांपते हाथों से पर्दे को उठाया । उसने अंदर जो ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 3
उस दिन कुछ ज्यादा ही अंधेरा हो गया था । गांव के रास्ते शाम होते ही सुनसान हो जाते तथा जिस कच्चे मिट्टी के रास्ते से गोपाल जा रहा है उसके आसपास थोड़ा झाड़ी व जंगल जैसा है । खेत पार करके थोड़ा आगे जाने पर एक जलाशय है उसी के थोड़ा आगे से घना बांस झाड़ी शुरू होता है । बांस झाड़ी को पार करते ही कुछ दूरी पर गोपाल के पिता का दुकान दिखाई देता है । गोपाल खेत के रास्ते को पार करके जलाशय के पास वाले रास्ते से जा रहा था उसी वक्त उसके नाक में ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 4
आज आसमान में काले बादल हैं । घर लौटने के बाद गोपाल खाना लेकर दुकान की तरफ चल पड़ा एक हाथ में लालटेन और एक हाथ में खाने का झोला लेकर गोपाल दुकान की तरफ चलता जा रहा है । चलते हुए उसने एक बार आसमान की तरफ देखा वहां पर अंधेरा ही अंधेरा है । आज उसे जल्दी से लौटना होगा वरना अगर बारिश आ गई तो सब गुड गोबर हो जाएगा । आज वह अपने नाक - कान को खोलकर सतर्क होकर चल रहा है । दुर्गंध के बारे में अपने बड़े भाइयों से पूछना वह भूल ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 5
महोबा गांव का परिवेश इस वक्त बहुत कौतूहल भरा है । गांव की सभी खबरें जमींदार रामनाथ तक पहुंचने वो बहुत ही आश्चर्य होते हैं । उनको आश्चर्य होना भी चाहिए क्योंकि भोला पागल का मृत शरीर लगभग एक दिन उनके पास ही था । इसके बाद जब उन्होंने लाश को जमील माझी के नाव में डाला था तब तक उसमें सड़न भी आने लगी थी । वही भोला पागल फिर लौट आया है क्या यह भी संभव है ? रामनाथ समझ गए कि कुछ भयानक व बुरा उनके साथ होने वाला है । उधर दिनेश गांव के लोगों को अनपढ़ ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 6
शारदा एक - एक कर उस रात के भयानक दृश्यों को देखती रही । एक धुएँ का गोला शारदा चारों तरफ फैला है उसी में जमील मांझी के अंतिम समय के दृश्य चल रहे हैं । आखिर यह शारदा कौन है और उसे इतनी सारी शक्ति कैसे मिली ? अब थोड़ा शारदा के बारे में जान लेते हैं ।... मुखिया जगन्नाथ सिन्हा , लक्ष्मीपुर गांव के दक्षिण तरफ पुराने बड़े जमींदार घर में अब वो अकेले ही रहते हैं । दादा व पिता के बाद यह तीसरी जमींदार पीढ़ी है । वंश परंपरा में उन्हें यह जमींदारी का ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 7
मुखिया जगन्नाथ सिन्हा के अद्भुत मृत्यु की खबर शारदा ने ही जाकर पुलिस थाने में बताया था। रोते हुए पूरी घटना पुलिस को बताई थी। उसके बात और चेहरा को देखकर पुलिस को उस पर जरा भी शक नहीं हुआ। इसके अलावा अगर शारदा पुलिस थाने में ना आकर कहीं भाग जाती तब पुलिस उसके बारे में कुछ सोच सकते थे कि जमींदार घर के मूल्यवान वस्तुओं को चुराने के लिए शारदा ने मुखिया साहब का खून कर भाग गई । पुलिस ने मुखिया साहब के संग्रहालय में छानबीन की लेकिन वहां से यह पता चला कि शारदा ने ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 8
घर पहुंचकर उस छोटे लोहे के डिब्बे को खोलते ही शारदा ने देखा उसमें एक कागज रखा हुआ है मोड़कर लाल धागे द्वारा बांधा गया था । देख कर ही जाना जा सकता है कि इसमें कुछ विशेष है । पुराने समय में पोथी या लिपि लिखने के लिए जिस तरह की कागज का प्रयोग किया जाता था यह ठीक उसी प्रकार का कागज है । उस कागज को देखकर ही समझा जा सकता था कि वह बहुत ही प्राचीन है । शारदा ने सावधानी से लाल धागे को खोल कर कागज को अपने सामने फैलाकर देखा लेकिन वह ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 9
मुकेश धीरे - धीरे मंदिर के पास पहुंचा । वहां पास ही बरगद के पेड़ पर उसने कुछ ऐसा कि उसको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था । चांद की रोशनी पत्तों के भीतर से हल्की - हल्की नीचे की तरफ आई है उसी हल्की रोशनी में पेड़ के नीचे का अंधेरा थोड़ा कम हो गया है । बरगद के पेड़ से उस वक्त मुकेश की दूरी लगभग 10 गज होगा इसीलिए पूरी तरह साफ न दिखने पर उनसे कुछ तो देखा । उसने ठीक से देखा , एक ऊँचे डाली पर कुछ झूल रहा था । ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 10
अगले दिन सुबह गांव के लोगों ने आकर देखा कि बरगद के पेड़ पर दो लाश आमने सामने झूल है । एक मुकेश का और दूसरा रतन । संजय के मृत्यु का आतंक खत्म होने से पहले ही दो और मृत्यु से गांव वालों में आतंक और बढ़ गया । मुकेश और रतन के घरवाले , उसके दोस्त और दिनेश सभी जानते हैं कि आत्महत्या करने की कोई कारण ही नहीं था लेकिन उन्होंने फिर भी ऐसे फांसी क्यों लगाया इस प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं है । देखने में यह आत्महत्या जरूर लग रहा था लेकिन ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 11
अपने वंश की रक्षा के लिए जमींदार साहब इतना तुक्ष्य कार्य कर सकते हैं गांव वालों ने कभी सोचा नहीं था। रात को जमील माझी की पत्नी को जमींदार साहब ने बुलवाया । माझी की पत्नी ने जमींदार साहब के कमरे में आकर प्रश्न किया, " मालिक आप मुझे कहां भेज रहे हैं ? " जमींदार साहब जानते थे कि माझी की पत्नी यह प्रश्न अवश्य पूछेगी इसीलिए उन्होंने उत्तर पहले से ही सोच कर रखा था । " आज हमारे मंदिर के पास वाले बरगद के नीचे एक साधिका आई है । उनके साथ मैंने बात किया । ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 12
शारदा जानती है कि इस बार भी वह अपने कार्य में सफल होगी परंतु नियति ने कुछ और ही था । शारदा का यह सब क्रियाकलाप छुपकर एक दूसरा व्यक्ति देख रहा था । छुपकर शारदा पर नजर रखने वाले गांव के वृद्ध पंडित शिवचरण जी हैं । गांव में आने के बाद से ही उन्होंने शारदा पर नजर रखा है मानो शारदा के हाव - भाव देखकर उन्होंने पहले ही किसी अशुभ का संकेत लगा लिया था । सभी गांव वालों के जाने के बाद भी पंडित जी मंदिर के अंदर चुपचाप बैठ कर सब कुछ देख रहे ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - 13
शारदा अपने पिशाच तंत्र के द्वारा हाकिनी को माझी पत्नी के अंदर आह्वान करने में सफल रही । अब को आह्वान करना है। दो भयानक शक्तियों को वह मंत्र शक्ति द्वारा एक साथ लाना चाहती है । यह क्रिया कितना भयानक है इस बारे में शारदा को पता है । अगर इस क्रिया में वह असफल रही तो उसके जान पर खतरा तो है ही तथा साथ ही साथ गांव वालों पर भी एक भयानक संकट उतर आएगा । लेकिन वह गांव के साधारण मनुष्यों की परवाह नहीं करती , इसके अलावा शारदा ने यह सोचकर भी रखा है ...Read More
जीवित मुर्दा व बेताल - अंतिम भाग
उधर गोपाल सुबह होते ही घर से चल पड़ा । आज उसके ऊपर एक विशेष कार्यभार है । भोर उसने आज फिर सपना देखा था उसी सपने में उसे इस विशेष कार्य का आदेश मिला है । आज उसके सपने में स्वयं देवी काली ने उसे दर्शन दिया है । वह उम्र में छोटा हो सकता है लेकिन डरपोक नहीं है । गोपाल ने घरवालों को कुछ भी ना बताकर सीधा नदी की ओर चल पड़ा । शारदा परम आनंद से दोनों हाथों को फैला पूरब में उगते सूर्य की ओर देखकर चिल्लाते हुए बोलने लगी , " ...Read More