रात के ग्यारह बजे के बाद

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राकेश और गौरव गहन सदमे की स्थिति में थे उन्हें विश्वास नही हो रहा था कि उनका मित्र आनंद अब इस दुनिया में नही हैं। राकेश ने गौरव से कहा कि मानव जीवन बहुमूल्य होता है क्योंकि यही हमारी सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों को बनाता है। हमारा जीवन और मृत्यु प्रभु के हाथों में है हम किसी पटकथा के नाटक के पात्र के रूप में आते हैं अपना पात्र निभाकर एक दिन अनंत में विलीन हो जाते है इसी में सुख दुख निहित है। मेरा मन मान नही रहा है कि हमारा मित्र आनंद हमसे बिछुड़ गया है। मैं मानता

Full Novel

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रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग १

राकेश और गौरव गहन सदमे की स्थिति में थे उन्हें विश्वास नही हो रहा था कि उनका मित्र आनंद इस दुनिया में नही हैं। राकेश ने गौरव से कहा कि मानव जीवन बहुमूल्य होता है क्योंकि यही हमारी सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों को बनाता है। हमारा जीवन और मृत्यु प्रभु के हाथों में है हम किसी पटकथा के नाटक के पात्र के रूप में आते हैं अपना पात्र निभाकर एक दिन अनंत में विलीन हो जाते है इसी में सुख दुख निहित है। मेरा मन मान नही रहा है कि हमारा मित्र आनंद हमसे बिछुड़ गया है। मैं मानता ...Read More

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रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग २

खूबसूरत जगह है। आप जब भी पचमढी आए मेरे घर जरूर आइयेगा। यह सुनकर राकेश कहता है कि नेक में देर क्यों की जाए। अगले सप्ताह ही तीन चार दिन मेरे आफिस की छुट्टी रहेगी, क्यों ना उस समय पचमढी घूमने चला जाए। यह सुनकर आनंद और मानसी भी अपनी सहमति प्रदान कर देते हैं। अगले सप्ताह पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राकेश और आनंद गौरव को साथ लेकर पचमढी जाने के लिये प्रस्थान करते है और रास्ते में मानसी के घर रूकते हैं। वहाँ पर उसकी माँ, बहन पल्लवी से मुलाकात होती है। पल्लवी बहुत सुंदर और ...Read More

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रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग ३

हुये थे एवं कमरे में रखा हुआ सारा सामान सुव्यवस्थित था इससे प्रतीत हो रहा था कि कमरे में प्रकार की कोई झडप भी नही हुयी। टेबल पर दो कप चाय रखी हुयी थी जिसमें चाय वैसी की वैसी ही रखी हुयी थी जैसे किसी ने पी नही हो। पुलिस ने नौकरों से पूछताछ के दौरान यह जानना चाहा कि चाय कौन लेकर आया था। यह जानकर सब हैरान रह गये कि सभी नौकरों ने कहा कि वे चाय लेकर नही आये। अब चाय किसके लिये आयी थी और कौन व्यक्ति ऊपर पहुँचा इसकी जानकारी भी किसी नौकर को ...Read More

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रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग ४

मुझसे भी कोई मतलब नही था आनंद ने उसको इतना धनवान बना दिया था कि उसे अपने आप पर आ गया था। उसका आनंद के व्यापारिक मामलों में कुछ भी लेना देना नही था और ना ही आनंद उसकी दखलंदाजी पसंद करता था। आनंद से उसने क्या क्या प्राप्त किया यह बता पाना तो मुश्किल है परंतु उसे क्या नही मिला बैंक में फिक्स डिपाजिट, सोने और हीरे के आभूषण, निवास के लिये एक बढिया फ्लैट, कार एवं नौकर चाकर आदि सभी कुछ उसे प्राप्त थे। उसकी अपेक्षाएँ बढती ही जा रही थी अब वह आनंद के ना रहने ...Read More

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रात ११ बजे के बाद - भाग ५

कुछ भी ना बताने का कारण जानना चाहता था और वह इन परिस्थितियों में अपने मित्र आनंद की जाँच को छोडते हुये उसके अमेरिका जाने के प्रयास के विषय में उलाहना देते हुये कहता है कि तुम कैसे मित्र हो जिस आनंद ने तुम्हें इतना मान सम्मान दिया अपनी हर निजी बातों को तुम्हें बताया तुम्हारे ऊपर घूमने फिरने में लाखों रूपये खर्च किये उसकी मृत्यु सामान्य है या कोई साजिश यह जाने बिना तुम्हारा मन में बाहर जाने का विचार कैसे आया? तुम सच सच बताओं कि तुम्हें और क्या जानकारी है अन्यथा हमें तुम्हें पुलिस हिरासत में ...Read More

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रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग ६

अब उनकी अस्थियों संगम में विर्सजित करके तुम अपना फर्ज पूरा करो ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके। अपना सारा भेद खुल जाने के बाद अपना अपराध स्वीकार कर लेता है एवं विस्तारपूर्वक पुलिस को सबकुछ बताता है। वह कहता है कि आनंद एक उद्योगपति व संपन्न व्यक्ति है। उन्होने पाँच वर्ष पूर्व एक बंगला मसूरी में खरीदा था। जिसमें वे साल के तीन चार माह रहते थे। मसूरी क्लब में उनकी मुलाकात शमशेर सिंह नामक एक नामी गिरामी व्यक्ति से हुई थी जिनके सेब के बगीचे थे वे आपस में एक दूसरे के करीबी मित्र बन गये ...Read More

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रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग ७

उसने फायर किया मैं सावधान था और तुरंत दौडकर जीने को ओर भागा मैं तेजी से कूदता हुआ जीना कर रहा था तभी दूसरी गोली मेरे पास से निकल गयी मैं लान से होता हुआ घर के पिछवाडे की दीवार से दूसरी तरफ कूद गया मैं वहाँ यह देखकर अचंभित हो गया कि वहाँ पर दो गाडियों में छः सात लोग बैठे हुये थे और वे मेरा ही इंतजार कर रहे थे उनमें से एक ने कहा अरे इसे तो बेहोशी की हालत में बाहर लाया जाना था परंतु यह तो होशोहवास में हैं इतना कहकर उन लोगों ने ...Read More