हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ

(82)
  • 138.7k
  • 17
  • 52.6k

भारतीय समाज में मान्यता है कि स्त्री की डोली पिता के घर से उठती है तो फिर पति के घर से उसकी अर्थी ही निकलनी चाहिए।ससुराल में चाहें जैसी भी असहय स्थितियां हो,चाहे उसकी हत्या का षड्यंत्र ही रचा जा रहा हो या उसे आत्महत्या के लिए विवश ही क्यों न किया जा रहा हो या हर पल उसके आत्मसम्मान को कुचला ही क्यों न जा रहा हो,उसे हर हाल में वहीं रहना चाहिए ।जो स्त्री ऐसा नहीं करती उसके प्रति समाज का नजरिया अच्छा नहीं होता।उसको सारी उम्र इस गुस्ताखी की सजा भुगतनी पड़ती है।विषम परिस्थितियों में पति का घर छोड़कर भागी हुई एक ऐसी ही स्त्री की मार्मिक व्यथा -कथा आपके लिए ।

New Episodes : : Every Tuesday & Thursday

1

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग एक)

भारतीय समाज में मान्यता है कि स्त्री की डोली पिता के घर से उठती है तो फिर पति के से उसकी अर्थी ही निकलनी चाहिए।ससुराल में चाहें जैसी भी असहय स्थितियां हो,चाहे उसकी हत्या का षड्यंत्र ही रचा जा रहा हो या उसे आत्महत्या के लिए विवश ही क्यों न किया जा रहा हो या हर पल उसके आत्मसम्मान को कुचला ही क्यों न जा रहा हो,उसे हर हाल में वहीं रहना चाहिए ।जो स्त्री ऐसा नहीं करती उसके प्रति समाज का नजरिया अच्छा नहीं होता।उसको सारी उम्र इस गुस्ताखी की सजा भुगतनी पड़ती है।विषम परिस्थितियों में पति का ...Read More

2

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग दो)

पति के घर से भागते समय मैंने यह नहीं सोचा था कि मैं एक बड़े संघर्ष -क्षेत्र में कूद हूँ।जहां अंततः अकेलापन ही मेरा साथी होगा,जहां अपयश के सिवा कुछ हाथ न आएगा।जहां किसी भी नजर में मेरे लिए सम्मान और प्यार नहीं होगा।सारे अपने पराए हो जाएंगे और पराए मुझे नोंच खाने की जुगत नें रहेंगे और ऐसा न कर पाने पर मुझ पर लांछन लगायेंगे।शराफत का नकाब पहने लोग अपने घर की स्त्रियों को मुझसे दूर रखेंगे और अकेले में मिलने की मिन्नतें करेंगे।मेरे बारे में हजारों कहानियां गढ़ी जाएंगी।मेरे बारे में झूठी -सच्ची लाखों किंवदन्तियाँ होंगी। ...Read More

3

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग तीन)

आकाश गिद्धों से भरा हुआ था,यही समय था कि एक नन्हीं चिड़ियाँ पिंजरा तोड़कर उड़ी थी।उसे नहीं पता था आसमान इतना असुरक्षित होगा।उसने तो सपनें में आसमान की नीलिमा देखी थी।ढेर सारे पक्षियों की चहचहाहटें सुनी थीं।शीतल ,मंद पवन की शरारतें देखीं थी।स्वच्छ जल से भरा सरोवर देखा था और फर- फरकर करती हुई अपनी उड़ान देखी थी पर यथार्थ कितना भयावह था!कहां -कहां बचेगी और किस -किससे !वे आसमान से धरती तक फैले हुए हैं ।कोई पंजा मारता है कोई चोंच ।बचते- बचाते भी उसकी देह पर कुछ निशान बन ही जाते हैं ।कैसे प्राण बचाए ?कैसे क्षितिज ...Read More

4

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग चार)

माँ परेशान थी कि ऐसी कमजोर हालत में मै बच्चे को जन्म कैसे दूँगी,डॉक्टर भी चिंतित थे।स्थिति यह थी या तो माँ बचेगी या फिर बच्चा।मैंने कह दिया कि मुझे बच्चा चाहिए।मेरी देह में एक नन्हा अस्तित्व पल रहा है,यह अहसास मुझमें नवजीवन का संचार कर रहा था।पति से दुखी होकर मेरे मन में बार -बार आत्मघात के विचार आते थे,जीना निस्सार लगता था।अब मुझे लगने लगा कि नहीं, मेरा जीवन भी सार्थक है।मै सृजन कर सकती हूँ।जो जीवन दे सकता है उसे मौत क्या डराएगी?मै बहुत खुश थी ।मुझे पता था कि मुझे सिंगल मदर बनकर बच्चे को ...Read More

5

हाँ,मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग पांच)

मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि दो बच्चों के साथ कहाँ जाऊँ ?क्या करूं!तभी ईश्वर की कृपा कानपुर का एक लड़का मेरे कस्बे के स्टेट बैंक में नियुक्त हुआ।जाति से हरिजन होने के कारण उसे कहीं मकान नहीं मिल रहा था।उस समय जाति -पाति के बंधन और भी ज्यादा सख्त थे।मैंने माँ से कहा कि नीचे का कमरा दे देते हैं।पैसे की किल्लत भी है और कमरा खाली ही रहता है।जाति कोई उड़कर थोड़े सट जाएगा। कमरे के एक कोने ही बनाने- खाने को भी वह तैयार था।दिक्कत टॉयलेट की थी।मेरे घर में सदस्य संख्या अधिक थी।उसने ...Read More

6

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग छह)

(भाग छह) मेरी पढ़ाई छुड़ाने के लिए पतिदेव ने सारे जतन कर डाले। पड़ोसियों, रिश्तेदारों सबसे दबाव डलवाया। मेरे आना- जाना बंद कर दिया1 । कुछ दूरी पर किराए का कमरा ले लिया। उसी में मीट की दावत देते। मेरे चटोरे भाई- बहन जाकर खा आते पर माँ और मैं कभी नहीं गए। बच्चों से मिलने घर के बाहर आते तो मैं उन्हें नहीं रोकती। वे घर के बाहर ही उन्हें लेकर बैठते या आस -आस घुमाते, बतियाते, फिर चले जाते। मैं बच्चों के मन में उनके पिता के लिए कोई गलत भावना नहीं भरना चाहती थी। उनके बीच ...Read More

7

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग--सात)

(भाग--सात) माँ ने तत्काल बिहार जाना मुनासिब नहीं समझा। आखिर बच्चे अपने पिता के घर गए हैं । वहाँ ताई- ताया हैं, दादी है। एक पूरा समाज है उनको किसी प्रकार का कष्ट नहीं होगा। एक हफ्ते बाद जाकर मिलने से बात बनेगी। तत्काल जाने पर वे लोग सतर्क हो जाएंगे। उस एक सप्ताह मैं हर पल मरती रही।उस समय यू पी से बिहार जाना आसान भी नहीं था । दोनों के बीच में एक बड़ी नदी थी, जिसे नाव से पार करना होता था, फिर बस का सफ़र। माँ अकेली ही यात्रा की कठिनाइयों से जूझती बच्चों तक ...Read More

8

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग आठ)

(भाग आठ) संघर्ष ही जीवन है-यह मानते हुए मैं आगे बढ़ती गई। छोटे-बड़े स्कूलों में नौकरी की, ट्यूशनें की। छोड़कर शहर गयी। किराए के मकानों में रही। बहुत कुछ झेला, गिरी- उठी हारी- जीती पर आखिरकार पी एच डी कर ही लिया। यह अलग बात है कि शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते लेक्चरर न बन सकी। एक मिशनरी कॉलेज में नौकरी मिली और उसी में नौकरी करते ही रिटायरमेंट की उम्र तक पहुंच गई । इस बीच जो -जो सहा, वह अलग से लिखूंगी। अभी सिर्फ अपने बच्चों की बात करूंगी।बीस वर्ष गुजर गए थे । बच्चों ...Read More

9

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग नौ)

(भाग नौ) बेटे के आने के बाद जैसे गड़े मुर्दे फिर से जिंदा होकर सताने लगे थे। कितनी मुश्किल खुद को संभाला था, जिंदगी में आगे बढ़ी थी। अब जैसे फिर उसी मोड़ पर आ खड़ी हुई थी, जहां से कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था।बेटा उसके बाद भी कई बार आया और हर बार दुःखी करके गया। मैं ममता में उसके साथ कठोर नहीं हो पा रही थी और वह उसका बेजा फायदा उठा रहा था।मेरी लाख मिन्नतों के बाद भी उसने छोटे बेटे की तस्वीर नहीं दिखाई।मेरी छोटी बहन ने कोशिश करके छोटे बेटे से संपर्क किया ...Read More

10

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग दस)

(भाग दस) मैंने अपने पति के आकर्षक व्यक्तित्व में छिपे कुरूप आदमी को देखा था, इसीलिए मेरा मन उससे हो गया था। मैं देह की कुरूपता को बर्दास्त कर सकती थी पर मन की कुरूपता मुझे असह्य थी |मैं उसे देवता समझती थी पर एक दिन अचानक ही उसका मुखौटा उतर गया। मैं विश्वास ही नहीं कर सकी थी कि यह वही आदमी है, जिसे मैं प्यार करती थी |मेरा पति इतना दंभी और घिनौना कैसे हो सकता है ?मैं फूट-फूट कर रोई, कई दिन तक रोती ही रही |वह मेरे रोने का कारण नहीं समझ पाया |उसे ...Read More

11

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग ग्यारह)

(भाग ग्यारह) छोटा बेटा मेरे व्हाट्सऐप और फेसबुक से जुड़ा है पर तीज- त्योहार पर भी मेरा अभिवादन नहीं मैं पचासों मैसेज करती रहूँ कोई जवाब नहीं देता।ऊपर से दोनों बेटे कहते हैं कि मैं ही उनसे मतलब नहीं रखती। मदर्स डे पर दोनों अपनी सौतेली माँ के साथ फोटो पोस्ट करते हैं या उसके लिए कुछ विशेष लिखते हैं ।उस स्त्री का भाग्य देखिए कि उसके अपने दो बेटे तो उस पर जान देते ही हैं, मेरे बेटे भी उसी के पक्ष में खड़े रहते हैं । कानूनी दृष्टि से वह एक नाजायज़ पत्नी है, फिर भी सारा ...Read More

12

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग बारह)

(भाग बारह) यह तो तय है कि बेटों से मुझे न तो अपनापन मिलेगा न सम्मान। वे मुझे देखकर भी कुढेंगे और मुझे भी कुढाते रहेंगे। वे न अतीत से मुक्त हो पाएंगे न मुझे मुक्त होने देंगे, तो मैंने फैसला कर लिया कि मैं उनसे आरे सम्बन्ध तोड़ लूंगी। उनकी खुशी के लिए उनके बेहतर जीवन के लिए। उनके अनुसार मैंने उनका बचपन में साथ नहीं दिया तो वे मुझे बुढापे में सहारा नहीं देंगे। जाओ मेरे बेटों, मैंने तुम्हें आज़ाद किया। अपना दूध भी बख़्श दिया। तुम लोगों से कभी कोई सहारा नहीं माँगूँगी। मैं तो यही ...Read More

13

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग तेरह)

(भाग तेरह) छोटा बेटा आयुष न तो खुद फोन करता है, न मेरे किसी मैसेज का जवाब देता है। बेटा आदेश कहता है कि वह आपसे बात नहीं करना चाहता। पता नहीं आपके उसके बीच क्या बात है!वह दूसरी तरह का लड़का है। वह आपकी गलती को माफ नहीं कर पाया है। उसकी इन बातों से मन दुखता है। आखिर एक दिन मैंने बड़े बेटे को झल्ला कर बोल ही दिया कि क्या मैंने उसका खेत काटा है? जबसे रिटायर हुई हूँ । आदेश कभी -कभी घर आने लगा है। कहता है -आकर मेरे घर रहिए। पर वह मुँह ...Read More

14

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग चौदह)

(भाग चौदह) कभी -कभी बहुत गुस्सा आता है अपने छोटे बेटे आयुष पर। वह मुझसे इतना अकड़ा हुआ क्यों है?इतने घमंड, उपहास, उपेक्षा से बात करता है कि लगता है दुनिया की सबसे बुरी औरत मैं ही हूँ। मानती हूँ मेरे प्रति ये सारे भाव उसके पिता की देन है। उसने उसके मन में मेरे लिए इतनी नफरत भर दी है कि वह उस नफ़रत के धुंध में सच नहीं देख पा रहा। हाँ, ये सच है कि पांच साल की उम्र में वह मुझसे अलगाया गया था और तब से उसने सिर्फ पिता को जाना। उसकी ही बातें ...Read More

15

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग पन्द्रह)

(भाग पन्द्रह) आँख के ऑपरेशन के लिए चेन्नई जाना चाहती थी। दो साल पहले एक आँख का ऑपरेशन कराया उस पर भी झिल्ली आ गयी है । दूसरी आंख का भी ऑपरेशन जरूरी है। मोतियाबिंद ने आँखों की रोशनी को धुंधला कर दिया है। पहले ऑपरेशन के समय बड़े बेटे ने देखभाल का आश्वासन दिया था, पर ऑपरेशन के ठीक पहले कन्नी काट गया। साफ कह दिया कि मुझे आपकी चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं । उसने सोचा कि कुछ खर्च न करना पड़ जाए, जबकि मैंने पैसों की व्यवस्था कर ली थी, बस कुछ दिन देखभाल की ...Read More

16

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग सोलह)

दूसरी आँख का आपरेशन हो गया |आसान नहीं था,पर हो गया |न बेटों ने मदद की न भाई -बहनों और न ही किसी रिश्तेदार ने |जिस स्कूल को अपना पूरा जीवन दे दिया |उसने भी समय से पूर्व रिटायर करके पीछा छुड़ा लिया |शायद सबको लगता है कि मैं पूरे जीवन अकेली रहकर नौकरी की है तो मेरे पास कुबेर का खजाना तो अवश्य ही होगा |ऐसा न भी लगता हो तो भी मेरी मदद के लिए कोई आगे क्यों आए ?मैं किसी से कोई अपेक्षा करने वाली होती भी कौन हूँ ?आखिर मैंने भी तो किसी के लिए ...Read More

17

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग सत्रह)

आपरेशन के बाद एक सप्ताह मैं बहन के घर रही |इस बीच बहन के पति और बच्चों ने मुझसे मतलब नहीं रखा |बहन की बेटी घर रहकर ही आई ए एस की तैयारी कर रही है और बेटा कालेज में है |मैं किसी काम से उन्हें बुलाती तो वे अनसुना कर देते थे |बहन का पति तो मुझसे बोला तक नहीं |दरअसल इसमें उनका कोई दोष नहीं था |बहन पति और बच्चों के सामने ही सबकी अच्छाई –बुराई का बखान करती रही है |इसी कारण उनके मन में सबके प्रति वही भाव है ,जो बहन के मन में है|ये ...Read More

18

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग अट्ठारह)

वक्त बीत रहा है।रिटायर हुए दो साल होने को हैं।नौकरी और जिंदगी दोनों से भागम-भाग खत्म हो चुका है। के स्रोत बंद हो चुके हैं पर जरूरी खर्चे ज्यों के त्यों है।रिश्तेदार,भाई -बहन पहले से ज्यादा दूरी बना चुके हैं।छोटा बेटा आयुष तो अब कभी बात ही नहीं करता।यहां तक कि तीज- त्योहारों की बधाई देने पर जवाब भी नहीं देता।मैंने भी अब अपनी तरफ से पहल करना बंद कर दिया है।बड़े बेटे ने मेरी आँख के ऑपरेशन के बाद व्हाट्सऐप किया था कि उसकी अपने पिता से अनबन हो गई है।वे उसके सौतेले भाई की शादी के लिए ...Read More

19

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग उन्नीस)

रिसोर्ट में बड़ी भीड़ थी।बेटे ने कहा था कि वह जाते समय मुझे ले लेगा पर वह नहीं आया रिसार्ट मेरे घर की रूट पर ही था।अब देर शाम को अंधेरे में मेरा अकेले रिसोर्ट जाना सम्भव नहीं था।अभी आँखों के लिए मुझे सावधानी बरतनी पड़ रही थी।पड़ोसिनों ने मुझसे कहा कि बेटे ने बुलाया है तो मुझे जाना चाहिए।आखिरकार मैंने बेटे को फोन किया तो उसने बताया कि वह पत्नी सहित रिसोर्ट जल्दी आ गया। तैयारी करनी थी और गेस्ट भी आने लगे थे ।आप ऑटो करके आ जाइये।आपके घर से सीधी रूट पर ही है।जीचाहा कि साफ ...Read More

20

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग बीस)

बेटे की सास ने रिसोर्ट में ही बताया कि वे एक महीने से बेटी के पास ही थीं और साथ ही रिसोर्ट आई हैं ।तो...इसलिए बेटे ने मुझे साथ नहीं लिया था।वह मुझसे ससुराल की बातें छिपाता है,पर मेरी एक -एक बात उसकी सास को पता थी।उन्होंने मुझे उलाहना दिया कि 'आप बच्चों से कोई मतलब नहीं रखतीं।उनके सुख -दुःख में काम नहीं आतीं,ये ठीक बात नहीं ।आखिरकार वही काम आएंगे। आपके भाई -बहन नहीं ।माता- पिता होते तो और बात थी।मायके वाले साथ नहीं देते।' मुझे हँसी के साथ गुस्सा भी आ रहा था कि ये सब बातें ...Read More

21

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग इक्कीस)

पिता से अनबन की बात बेटा कई बार कर चुका है।उसे लगता है कि इस बात से मैं खुश और कोई ऐसा कदम उठा लूंगी जिससे उसको लाभ होगा।शायद पिता से मिलकर वह इस तरह की साज़िशें रचता है। शुरू से ही वह मेरी हर बात पिता तक पहुँचाता रहा है।यहां तक कि व्हाट्सऐप पर उससे जो भी बातचीत होती है,उसे भी भेज देता है।इसका पता तब चलता है,जब उसका पिता मेरी लाइनों को कोड कर मुझसे गाली -गलौज करता है।मुझे कोसता है।एक बार नहीं कई बार वह ऐसा कर चुका है।मेरे पूछने पर बेटा साफ मुकर जाता है। ...Read More

22

हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग बाईस)

जिंदगी मानो ठहर गई।अब न नौकरी पर जाने की जल्दी है, न सुबह चार बजे से ही उठकर घर काम निपटाने की चिंता। न किसी के आने की खुशी ,न जाने का ग़म। अब उन पड़ोसिनों से मेल -जोल बढ़ गया है,जिन्हें पहले अपनी व्यस्त दिनचर्या के नाते समय नहीं दे पाती थी।पास-पड़ोस के बच्चों को पढ़ाती हूँ।उनके साथ खेलती हूँ।आराम से घर का काम निबटाती हूँ।जो जी चाहता है बनाती- खाती हूँ।कभी -कभार फ़िल्म देख आती हूँ।रोज कुछ न कुछ लिखती हूँ।कभी -कभी तबियत ठीक नहीं लगती,तो लगता है कि काश ! मेरा भी कोई अपना होता,पर जब ...Read More