सब्जीपुर के युवराज ‘ आलू चंद ‘ की विवाह योग्य उम्र होते ही राज्य के सभी मंत्री , दरबारी उनके लिए सुयोग्य नायिका की खोज में लग गए ।सब्जी पुर की कई यौवनाएँ मन ही मन आलूचन्द के सपने देखती थीं । लेकिन अपनी छोटी सी हैसियत देखकर उन्हें अपना मन मसोस कर रह जाना पड़ता था । दरबारी पंडित लौकी चंद ने अपने दूर के रिश्तेदार की बेटी कद्दू से आलूचन्द के रिश्ते की बात चलाई । दोनों पक्षों की आपसी सहमति में यह तय हुआ कि एक नजर भावी वर व वधू एक दूसरे को देख परख लें
कहानी सब्जीपुर की
सब्जीपुर के युवराज ‘ आलू चंद ‘ की विवाह योग्य उम्र होते ही राज्य के सभी मंत्री , दरबारी लिए सुयोग्य नायिका की खोज में लग गए ।सब्जी पुर की कई यौवनाएँ मन ही मन आलूचन्द के सपने देखती थीं । लेकिन अपनी छोटी सी हैसियत देखकर उन्हें अपना मन मसोस कर रह जाना पड़ता था । दरबारी पंडित लौकी चंद ने अपने दूर के रिश्तेदार की बेटी कद्दू से आलूचन्द के रिश्ते की बात चलाई । दोनों पक्षों की आपसी सहमति में यह तय हुआ कि एक नजर भावी वर व वधू एक दूसरे को देख परख लें ...Read More
कहानी सब्जीपुर की ( भाग -2 )
साथियों नमस्कार ! इससे पूर्व की कड़ी में आप सभी ने पढ़ा कि किस तरह आलूचन्द और कद्दू कुमारी सगाई के मौके पर अचानक भिंडी कुमारी की वजह से अच्छा खासा बवाल हो गया और उनकी सगाई का मामला खटाई में पड़ गया। इस सारे फसाद की जड़ पंडित लौकिचन्द को ही माना गया और भिंडी कुमारी तो विवाद के केंद्र में थी ही। कहते हैं तब से ही सब्जीपुर में सत्ता के दो केंद्र बन गए । एक खेमा जो आलूचन्द का समर्थक था जिसमें परवल लाल, मटरू चंद, गोभीदेवी, बैंगनलाल, टमाटर लाल सहित कई लोकप्रिय सब्जियाँ शामिल हैं ...Read More