रात का समय था। यही कोई ग्यारह बज रहे होंगे। अब आन्या को सोने जाना था। उसने अपने कमरे की तरफ कदम बढ़ाए ही थे कि अचानक उसे एक आहट सुनाई दी। अंधेरा था, कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा, फिरभी, पलटकर उसने बत्ती जलाई। आसपास कोई नहीं था। सोचा कोई बिल्ली होगी पर ये क्या! अचानक उसे पायल की छनछन सुनाई दी, और फिर उसने बिना देर किए आवाज की ओर गई। सामने सासु मां खड़ी थी। आन्या ने सोचा कि वो बेकार ही परेशान हो रही थी। उसने मम्मीजी से पूछा, कुछ चाहिए क्या मम्मीजी? सासु मां ने
Full Novel
आन्या का ससुराल - 1
रात का समय था। यही कोई ग्यारह बज रहे होंगे। अब आन्या को सोने जाना था। उसने अपने कमरे तरफ कदम बढ़ाए ही थे कि अचानक उसे एक आहट सुनाई दी। अंधेरा था, कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा, फिरभी, पलटकर उसने बत्ती जलाई। आसपास कोई नहीं था। सोचा कोई बिल्ली होगी पर ये क्या! अचानक उसे पायल की छनछन सुनाई दी, और फिर उसने बिना देर किए आवाज की ओर गई। सामने सासु मां खड़ी थी। आन्या ने सोचा कि वो बेकार ही परेशान हो रही थी। उसने मम्मीजी से पूछा, कुछ चाहिए क्या मम्मीजी? सासु मां ने ...Read More
आन्या का ससुराल - 2
सुबह के नौ बज रहे थे। हररोज की तरह आज भी सुमित तैयार होकर काम पर चला गया। ट्रांसपोर्ट था उसका, भाई के साथ। तीन भाई थे जिनमें सुमित सबसे बड़ा था और उसकी एक छोटी बहन भी थी तृषा। उसके पिता नहीं थे। दोपहर हो गई थी। सुमित और मांजी के जाने के बाद आन्या नहाने चली गई। फिर तैयार होकर खाना बनाने लगी। आन्या के लिए साड़ी पहनना शुरूआत में मुश्किल हुआ करता था, काम भी चुपचाप करती रहती। न किसी से हंसना होता, न बोलना। उसे एनर्जी वैसी मिलती नहीं जिससे काम जल्दी हो सके। झाड़ू, ...Read More
आन्या का ससुराल - 3
सर पर आंचल लेना आन्या को बिल्कुल पसंद नहीं था। एक तो सारी संभालनी ही मुश्किल थी उसके लिए, से घर के कामों की जिम्मेदारी। अब आंचल संभाले या काम। मगर मम्मीजी का कहना था कि कम से कम छत पर या बालकनी में जाओ तो आंचल जरूर रखा करो सर पर। जब कोई गेस्ट आए या तुम बाहर निकलो तब भी खयाल रखना पल्लू का। आन्या बाहर तो कहीं जाती नहीं। सुमित अपने काम में व्यस्त रहता और उसे कोई शौक भी नहीं था पत्नी के साथ घुमने फिरने का। कभी फुर्सत होती भी तो वो सिर्फ सोता रहता ...Read More
आन्या का ससुराल - 4
आन्या मांजी के साथ बेटी लेकर हॉस्पिटल से घर आई। उसे और उसकी बच्ची को नहलाकर उनके रहने के अलग कमरे में व्यवस्था कराया गया। डिलीवरी का पहला दिन था मगर मांजी के चेहरे पर आन्या के प्रति कोई बेचारगी (ममता) नहीं थी। आन्या को त़ो कुछ छूना नहीं था, मम्मीजी ही पूरे घर के काम संभालतीं जब तक आन्या अलग थलग थी। उन दिनों में भी मम्मीजी ने उसे ताने देना नहीं छोड़ा था। सुबह आठ बजे मांजी गुस्से से आकर बोलीं, "नाश्ता करोगी"? आन्या ने पूछा, "कितने बजे हैं"? मांजी ने बौखलाकर कहा, उससे तुमको क्या मतलब ...Read More