दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके चिंतन झरोखों के सामने प्रस्तुत कर, अपने आप को धन्य मानने का अभिलाषी बनना चाहता है। सादर ।। वेदराम प्रजापति
Full Novel
मेरा भारत लौटा दो - 1
मेरा भारत लौटा दो 1 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके चिंतन ...Read More
मेरा भारत लौटा दो - 2
मेरा भारत लौटा दो 2 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके चिंतन झरोखों के सामने प्रस्तुत कर, अपने आप को धन्य मानने का ...Read More
मेरा भारत लौटा दो - 3
मेरा भारत लौटा दो 3 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके चिंतन झरोखों के सामने प्रस्तुत कर, अपने आप को धन्य मानने ...Read More
मेरा भारत लौटा दो - 4
मेरा भारत लौटा दो 4 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके चिंतन झरोखों ...Read More
मेरा भारत लौटा दो - 5
मेरा भारत लौटा दो 5 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके चिंतन ...Read More
मेरा भारत लौटा दो - 6
मेरा भारत लौटा दो 6 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके ...Read More
मेरा भारत लौटा दो - 7
मेरा भारत लौटा दो 7 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके चिंतन झरोखों के सामने प्रस्तुत कर, अपने आप को धन्य मानने का ...Read More
मेरा भारत लौटा दो - 8
मेरा भारत लौटा दो 8 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके ...Read More
मेरा भारत लौटा दो - 9
मेरा भारत लौटा दो 9 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके चिंतन ...Read More
मेरा भारत लौटा दो - 10
मेरा भारत लौटा दो 10 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके चिंतन झरोखों के सामने प्रस्तुत कर, अपने आप को धन्य मानने का ...Read More
मेरा भारत लौटा दो - 11 - अंतिम भाग
मेरा भारत लौटा दो 11 काव्य संकलन वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण पूज्य पितृवरों के श्री चरणों में सादर दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद करते हुए इस काव्य संकलन – ‘’मेरा भारत लौटा दो’’ के पन्नों को, आपके चिंतन झरोखों के सामने प्रस्तुत कर, अपने आप को धन्य मानने का ...Read More