संभोग मानव जीवन की एक अमिट कड़ी है। दुनियाँ में जहाँ ऐसा बहुत कुछ है जो एक व्यक्ति को दूसरे से अलग करता है, कहीं जाति के नाम पर कहीं धर्म के नाम पर तो कहीं रंगभेद के नाम पर। इन सब में सिर्फ एक ही चीज ऐसी है जो सबको आपस में जोड़ती है और वो चीज है संभोग। अब आपको लगेगा कि ये क्या बात हुई प्रेम भी तो ऐसा ही कुछ करता है। पर प्रेम और संभोग अलग कहाँ हैं, जहाँ प्रेम की शुरुआत आँखों से होती है, जब प्रेमी अपनी प्रेमिका को देख कर उसकी ओर
New Episodes : : Every Saturday
एक वरदान - संभोग - 1
संभोग मानव जीवन की एक अमिट कड़ी है। दुनियाँ में जहाँ ऐसा बहुत कुछ है जो एक व्यक्ति को से अलग करता है, कहीं जाति के नाम पर कहीं धर्म के नाम पर तो कहीं रंगभेद के नाम पर। इन सब में सिर्फ एक ही चीज ऐसी है जो सबको आपस में जोड़ती है और वो चीज है संभोग। अब आपको लगेगा कि ये क्या बात हुई प्रेम भी तो ऐसा ही कुछ करता है। पर प्रेम और संभोग अलग कहाँ हैं, जहाँ प्रेम की शुरुआत आँखों से होती है, जब प्रेमी अपनी प्रेमिका को देख कर उसकी ओर ...Read More
एक वरदान - संभोग - 2
संभोग मानवीय जीवन की सिर्फ एक आवश्यकता ही नहीं हैं बल्कि एक वास्तविक सत्य भी है। संभोग मानव जीवन लिए एक वरदान के रूप में है जिसका अभिप्राय केवल शारीरिक संतुष्टि न होकर मानसिक एवं आत्मिक मुक्ति भी है। संभोग एक ऐसी रचना है कि जिसका भोग हर प्राणी मात्र करना चाहता है पर जब बात संभोग को पारिवारिक एवं सामाजिक नजरिये से अपनाने की होती है तो सभी की सोच अलग हो जाती हैं, मानो उन्हें संभोग से कोई लेना देना ही न हो।इस संसार में हर जीवित व्यक्ति की मूलभूत अवश्यताओं की बात करें तो हवा, पानी, ...Read More
एक वरदान - संभोग - 3
एक वरदान संभोग – 03 दैवीय संभोग : दैवीय संभोग में मनुष्य भगवान से संपर्क करने, किसी विशेष सिद्धि कामना के लिए एवं कई और दैवीय अनुष्ठानों के लिए संभोग करता है। जहाँ एक तरफ सामाजिक संभोग मनुष्य की काम वासना की पूर्ति और वंश को आगे बढ़ाने का साधन है वहीं दैवीय संभोग मनुष्य को विरक्ति के भाव में रहते हुए ईश्वर के साथ संपर्क बनाने का साधन है। प्राचीन काल में संभोग को बहुत ही सम्मान की नज़र से देखा जाता था, कई धार्मिक ग्रंथों एवं मान्यताओं के अनुसार संभोग उस समय ईश्वरीय उपासना का एक प्रमुख ...Read More
एक वरदान - संभोग - 04
एक वरदान – संभोग 04 संभोग एक आनंद दायक क्रिया है संपूर्ण संसार का सार या कहें की मानव का सबसे बड़ा पुरस्कार अगर कुछ है तो वो संभोग है, एक स्त्री और पुरुष जब परस्पर आलिंगन में होते हैं तब उन्हें संसार की किसी और चीज की जरूरत नहीं होती, उन्हें न तो धन चाहिए होता है और न ही सत्ता, उन्हें तो सिर्फ एकांत और प्रेमी की जरूरत होती है, जो लगातार प्रेम के सरोवर में उनके साथ गोते लगाता रहे, जो उनके मन के साथ-साथ ही उनके शरीर और शरीर के हर एक अंग को समान ...Read More
एक वरदान - संभोग 05
एक वरदान - "संभोग" 05 हमने हमेशा से ही सुना है की मानव पांच तत्वों से मिलकर हुआ है आकाश, पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु, ये पांच तत्व मनुष्य की मृत्यु तक उसके साथ रहते हैं और उसके बाद फिर से अपनी प्राकृतिक अवस्था में चले जाते हैं। संसार की उत्पत्ति का मूल अणु और परमाणु को माना गया है, एक इसी तरह का अणु स्त्री के अंडकोश में भी होता है जो हर महीने बनता है और फिर धीरे-धीरे तीन से पांच दिनों में टूट कर ख़त्म हो जाता है। अगर समय रहते स्त्री के अणु(अंडे) से पुरुष ...Read More