इन्तजार एक हद तक (महामारी)

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ये कहानी सत्य घटनाओं पर आधारित है आशा करतीं हुं।आप सभी को अच्छा लगेगा। हकीम पुर गांव अब पुरी तरह से कोलेरा महामारी की चपेट में आ गया था अब जो भी वहां से निकल गया तो उसकी जान बच गई थी पर जो गरीब,लाचार, अस्मर्थ लोग तो वहीं बिना इलाज के चलते मौत के घाट उतार गए। अस्पताल में भी अब जगह नही बची थी शायद ही अब कोई बच पाता। किसी मां को अपने बेटे की चिंता ,तो किसी बहन को उसकी भाई की चिंता, किसी पत्नी को उसकी पती की चिंता ।

Full Novel

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इन्तजार एक हद तक - 1 - (महामारी)

ये कहानी सत्य घटनाओं पर आधारित है आशा करतीं हुं।आप सभी को अच्छा लगेगा।हकीम पुर गांव अब पुरी तरह कोलेरा महामारी की चपेट में आ गया था अब जो भी वहां से निकल गया तो उसकी जान बच गई थी पर जो गरीब,लाचार, अस्मर्थ लोग तो वहीं बिना इलाज के चलते मौत के घाट उतार गए।अस्पताल में भी अब जगह नही बची थी शायद ही अब कोई बच पाता। किसी मां को अपने बेटे की चिंता ,तो किसी बहन को उसकी भाई की चिंता, किसी पत्नी को उसकी पती की चिंता ।इन सब में एक मां की चिंता ऐसी ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 2 - (महामारी)

रमेश ने मन में सोचा सब कुछ ठीक हो वहां।उर्मी कैसी होगी? क्यों मैं नहीं सोच पाया कुछ एक में मैंने तो जाने की कोशिश नहीं की।फिर प्लेटफार्म पर गाड़ी आकर रुकी और रमेश जाकर बैठ गया और फिर सोचने लगा रात तक पहुंच कर मां के हाथों का खिचड़ी खाऊंगा।फिर इसी तरह गाड़ी रात के ग्यारह बजे तक हकीम पुर स्टेशन पर पहुंच गई।रमेश अपना सामान लेकर उतरने लगा तो एक सज्जन बोले अरे भाई यहां कहा उतर रहे हो? यहां तो कुछ नहीं बचा है।रमेश बोला अरे यहां पर मेरा घर परिवार है।सज्जन बोले पर यहां मत ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 3 - (महामारी)

पुरे घर में रमेश ने सबको ढुंढ लिया पर कोई ना मिला।फिर वो रोने लगा कि सब के सब गए? मैं क्यों नहीं देख पा रहा हूं।रमेश अपने कमरे में पहुंच गया जहां पर उसने देखा कि एक दिवाल पर पुरे परिवार की फोटो लगी थी उसे उठा लिया और बैग में रख कर बाहर की तरफ निकल गया।देखा कि बाहर दूर दूर तक कोई भी नहीं था वो दौड़ने लगा जितना भी शरीर में दम था वो दौड़ता गया और उसे अम्मा की कहीं हुई बात याद आ रही थी।किसी भी तरह वो स्टेशन तक पहुंचना चाहता था।हांफते ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 4 - (महामारी)

रत्ना बोली चाचू आप ने बहुत ही देर कर दी।रवि बोला हां चाचा जी पापा, मम्मी सब चले गए नहीं बचा। फिर चन्दु ने कहा ,हां भईया मैंने आपके घर का नमक खाया था। मांजी ने मेरे साथ इन बच्चों को भेज दिया था कह कर रोने लगा।रमेश ने कहा हां मुझे अब पता चला तो मैं यहां आ गया अब तुम सब चलो अपना सामान पैक कर लो।रत्ना के मामा बोले। हकीम पुर की दशा मेरे आंखों देखा हाल है मैंने सबको कहा था कि यहां से चले पर आपकी अम्मा को आपका इन्तजार था। रमेश ने कहा हां ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 5 - (महामारी)

इसी तरह एक साल बीत गए रत्ना और रवि अपने चाचा के साथ बहुत ही राजी खुशी रहने लगे।हर की छुट्टियों में रमेश बच्चों को और चन्द्रू काका को लेकर घुमाने निकल जाते थे कभी दिल्ली तो कभी आगरा के ताजमहल।इसी तरह जिंदगी चलने लगा था रमेश हमेशा अम्मा को याद किया करता था उसे हमेशा ये दुःख सताता रहता कि काश वो सभी की रक्षा कर पाता। तो आज पुरा परिवार मेरे साथ होता।।हकीम पुर गांव अब धीरे -धीरे बसने लगा था जो लोग शहर चले गए थे वो अब अपने घर वापस आ रहें थे।रमेश ने मन ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 6 - (महामारी)

इसी तरह हकीम पुर गांव अब पुरी तरह से बदल चुका था।रमेश हर रविवार को हकीम पुर गांव में था और वहां अपने अस्पताल का कामकाज का सारा देखरेख करके फिर लौट आते थे।रमेश जब भी उस अस्पताल को देखते थे उसे अम्मा और बाबूजी की बातें याद आती जैसे अम्मा बोल रही है कि रमेश बेटा आज आलु के परांठे के संग मीठी गुड़ वाली आम की चटनी।।अम्मा अब ना मिलेगा तेरे हाथों का स्वाद, अब ना मिलेगा तेरे बातों का रस, अब ना मिलेगा तेरे इंतज़ार का फल।।रमेश ने अपनी आंखें पोछते हुए बस में बैठ गए।जो ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 7 - (महामारी)

हकीम पुर गांव की वो दास्तां को हुए दो साल हो गए पर मानो कल की बात हो।।अगले दिन रमेश आफिस के लिए तैयार हो गए और बच्चे भी तैयार हो कर लंच बॉक्स लेकर चले गए।रमेश बोला चन्दू बच्चों को नाश्ता ठीक से करा दिया ना।चंदू बोला हां बेटा, तुम ठीक से खा लो।रमेश भी आफिस के लिए निकल गए।फिर चन्दू रोजमर्रा के काम करने के बाद सब्जी मंडी चला गया।रमेश आफिस में अपने सपने वाली बात अपने दोस्तों को बताया।सभी ने कहा कि रमेश तुम ज्यादा सोचो मत ये शायद तुम्हारा वहम है। क्योंकि काफी साल बीत गए। ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 8 - (महामारी)

रमेश बहुत घबराया हुआ था।सुबह होते ही जल्दी से तैयार हो कर रत्ना और रवि को भी तैयार होने कहा।फिर नाश्ता करके सभी निकले और फिर चन्दू एक आटो रिक्शा लेकर आ गया और फिर सभी बैठ कर स्टेशन चले गए।रमेश ने पहले से ही रिजर्वेशन करवा लिया था।स्टेशन पहुंच कर प्लेटफार्म पर गाड़ी का प्रतिक्षा करने लगें।रत्ना बोली चाचू मुझे एक कामिक्स चाहिए पिंकी का।रमेश बोला अच्छा चलो। तुम लोग यहां पर रूको।फिर रमेश और रत्ना बुक स्टॉल पर जाकर एक कामिक्स खरीद लिया । और फिर रत्ना कामिक्स को बैग में रख दिया। फिर कुछ देर बाद हकीम ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 9 - (महामारी)

रमेश के हाथ कांप रहे थे और उसने वो चिट्ठी खोली।लिखावट तो किसी और की थी। उर्मी की नहीं थाबेटा रमेश...तू तो नही आया अब हमलोग तेरा आसरा भी नहीं देख सकते हैं।तुमको एक खुशखबरी देना था पर इस महामारी के कारण पहले नहीं दे पाई।उर्मी बहु की आजकल बहुत तबीयत खराब सा रहता है क्योंकि तू अब पापा बनने वाला है उर्मी बहु का सातवां महीना चल रहा है पर उसकी तबीयत ठीक ना है। बच्चे की तबीयत भी ठीक ना है।क्या कहुं बेटा मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है।हकीम पुर गांव के बाद हुकुलगंज में एक ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 10 - (महामारी)

रमेश बोला देखो हमें बहुत ही जरूरी है वो आशा से मिलना।अमित बोला अरे मामाजी आप।मामा जी बोले अच्छा बार मुझे डिन से मिलना है।फिर कुछ देर बाद डिन के आफिस में ये लोग पहुंचे गए।मामा जी ने कहा नरेंद्र सिंह जी मैं एक काम से आया था।नरेंद्र सिंह ने कहा हां बोलिए।फिर रमेश ने सारी बात बताई।Iiनरेंद्र सिंह ने बताया कि वो आशा तो बहुत पहले ही छोड़ दिया था।पर ठीक है मैं उर्मी ला का पता करवाता हूं इसके लिए तीन दिन का समय चाहिए।आप लोगों को एक बार फिर आना होगा।फिर सभी वहां से निकल गए।रमेश ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 11 - (महामारी)

बिमला बोली अरे सहाब बहुत पुराना काम है पन्द्रह साल हो गए।रमेश अच्छा अब ये बताओ कि वो बच्ची थी?बिमला ने कहा अरे अनाथ है बिचारी। ये लोग लाये थे अपना बच्चा बना कर पर उसको ही नौकरानी बना दिया।उमेश बेटा को औलाद ना हुआ तो इसको लेकर आए, पहले सब अच्छा था पर जब बहु रानी मां बनने वाली थी तो इसको नौकरानी बना दिया।बिचारी नन्ही सी जान घर का सारा काम करवाते हैं इससे।रमेश ने कहा ओह नो।मामा जी ने कहा अच्छा क्या बता सकती हो कि बच्ची को कब और कहां से लाये थे?बिमला ने कहा ...Read More

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इन्तजार एक हद तक - 12 - (महामारी)

फिर खाना खा कर कागज़ की प्लेट फेंकने गया अमित, फिर हाथ धोकर आ गए तो रमेश अपना हाथ गया ‌।फिर बोटल से पानी पीने लगे और उसके बाद दोनों ही अपनी सीट पर सो गए। रमेश तो परी के पास ही सो गया।शाम को चाय चाय की आवाज से तीनों ही उठ गए।रमेश ने कहा यार आज बड़े दिनों के बाद अच्छी नींद आ गई। चलो चाय पीते है।अमित ने चाय वाले को आवाज लगाई और फिर एक चाय वाला आया और बोला अदरक वाली चाय है सहाब।रमेश ने कहा हां भाई चाय पीला दो जल्दी से।फिर दोनों ...Read More

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इन्तजार एक हद तक (महामारी) - 13 (महामारी)

रमेश ने कहा अच्छा बाबू लाल तुम जाओगे तो?बाबूलाल ने कहा हां सहाब ।।फिर आफिस के बाद रमेश घर आए और देखा कि सभी बच्चे एक साथ पढ़ाई कर रहे थे। ये देख रमेश बहुत खुश हो कर बोलें अरे वाह बच्चों क्या बात है।रवि बोला हां चाचू चाची ने हमेशा हमें ये भी सिखाया गांव में भी हमलोग दो घंटा पढ़ने बैठ जाते थे। उर्मी चाची हमें पढ़ाई-लिखाई करवाती थी। रमेश की आंखें भर आईं ये सब सुन कर। फिर वो अन्दर कमरे में जाकर तैयार हो कर बैठक में बैठ गए। चन्दू ने आकर चाय और नाश्ता ...Read More

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इन्तजार एक हद तक (महामारी) - 14

फिर बाबा जी ने कहा कि ये जल उस जगह पर ले जाओ जहां पर ये महामारी हुआ था सभी जगह छिड़काव कर देना पर इसी बच्ची से करवाना। मुक्ति मिलेगी और ये इस बच्ची के हाथों।।रमेश ने कहा ठीक है बाबा। बाबा बोले अभी बाहर बैठो। फिर सभी बाहर आकर एक जगह बैठ गए। अमित रमेश को बोला देखो किस्मत का फैसला जो अब भाभी जी से मिलायेगा। रमेश ने कहा मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है कैसे हम उर्मी को खोजेंगे। अमित ने कहा जैसे परी को ढूंढने निकले थे अब भाभी को भी ढुंढना ...Read More

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इन्तजार एक हद तक (महामारी) -15

फिर सभी रात तक घर पहुंच गए और सभी इतने थके हुए थे फिर सभी दुध और बिस्कुट का सभी सो गए।दूसरे दिन सुबह सभी जल्दी जल्दी उठकर तैयार हो गए। बच्चे अपने स्कूल को निकल गए। रमेश आज बहुत ही शुकून हो कर चाय की चुस्की ले कर बोला पता है कल अम्मा जी का सपना नहीं आया लगता है कि उनको शान्ति मिल गई होगी।चन्दू ने कहा हां पर जब तक उर्मी बहु इस घर में वापस नहीं आ जाती तब तक कुछ भी नहीं हो सकता है। रमेश ने कहा हां हमें अब जोधपुर जाना होगा। ...Read More

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इन्तजार एक हद तक (महामारी) - 16

अगले दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गया रमेश और बोला कि सब का बैग पैक कर देना चन्दू हां बच्चों के गर्म कपड़े भी रख लेना । चन्दू ने कहा हां ठीक है। फिर रमेश आफिस को निकल गए और वहां पहुंच कर अपना सारा काम अपडेट करने लगे। अमित ने कहा भाई मैं भी अपना बैग लेकर आया हूं। रमेश ने कहा हां ठीक है तुम्हारा ही सहारा है दोस्त। अमित ने कहा हां भाई मैं किसी काम आ सकु इससे अच्छा और क्या।फिर शाम को दोनों दोस्त निकल गए और जाने से पहले रमेश ने बड़े ...Read More

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इन्तजार एक हद तक (महामारी) - 17

काफी मुश्किल के बाद शायद यही एक घर बचा है यार। अमित ने कहा। रमेश ने कहा हां मुझे है अम्मा जी पर। यहा तो शादी का माहौल लग रहा है। ये अमित ने कहा। रमेश ने कहा हां यही कोठी है। फिर दोनों उतर कर घर के अंदर जाने लगें तो चौकीदार ने कहा अरे भाई किस से मिलना है।?रमेश ने कहा उर्मीला से। चौकीदार ने कहा अच्छा पर आज तो उनका शादी है। रमेश ने कहा नहीं नहीं ये नहीं हो सकता मुझे जाने दो अन्दर।फिर दोनों अन्दर पहुंच गए। गाना बजाना हो रहा था। रमेश ने कहा ...Read More

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इन्तजार एक हद तक (महामारी) - 18

फिर बच्चे इधर उधर बैठे थे उर्मी ने देखते ही कहा चलो सब पढ़ने बैठ जाओ। पढ़ाई बहुत जरूरी रवि ने कहा हां चाची जरूर।आप पहले भी हमें ऐसा कहती थी। फिर सभी बच्चे पढ़ने बैठ गए। रमेश ने चुपके से देखा कि उर्मी बड़े ध्यान से बच्चों को पढ़ा रहीं थीं।फिर सभी खाना खाने बैठ गए। उर्मी ने गर्म गर्म आलू के परांठे बनाने लगीं। चन्दू भी बहुत ही खुश हो गया और सबको परोसने लगा। सभी खाना खा कर सो गए। रमेश भी सो गया। दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गए। सभी बच्चे बहुत खुश ...Read More