राज को हर पल जेनी की याद सताती है और तब राज को पश्चाताप होता अपने आप पर की उस दिन उसने जेनी को कॉल क्यों नही किया जब वादा किया था तो करना चाहिए था । न जाने क्या हुआ किस हाल में है कहीं उसका मोबाइल फिर से तो नही खराब हो गया अगर ऐसा है तो किसी दोस्त के मोबाइल या पब्लिक टेलीफोन बूथ से तो बात कर ही सकती थी । क्या जेनी उससे अब तक नाराज है कहीं ऐसा तो नही जेनी किसी मुसीबत में हो और अपनी तकलीफ राज से बता कर उसे दुखी नही करना चाहती इसी तरह के सवाल राज को बेचैन किये रहते हैं । फिर भी राज को जेनी के वादे पर यकीन है । जब भी वह उस दिन को याद करता है जब जेनी और राज ने एक दूसरे से वादा किया था कि वे जीवन मे कम से कम एक बार जरूर मिलेंगे । तब उम्मीद की एक नई किरण दिखती है कि एक न एक दिन उनकी मोहब्बत अपने अंजाम तक जरूर पहुंचेगी । यह कैसा रिस्ता है राज और जेनी के बीच प्यार है या सिर्फ वासना , यदि वासना थी तो राज और जेनी को बहुत सारे मौके मिलें तब क्यों नही कोई कदम बढ़ाया प्यार है तो कैसा जो फासले बढ़ने पर बढ़ रहा है प्यार अपने अंजाम तक तो बहुत पहले ही पहुंच चुका होता । राज याद करता है उस दिन को जब....…
पहला एस. एम .एस.
राज को हर पल जेनी की याद सताती है और तब राज को पश्चाताप होता अपने आप पर की दिन उसने जेनी को कॉल क्यों नही किया जब वादा किया था तो करना चाहिए था । न जाने क्या हुआ किस हाल में है कहीं उसका मोबाइल फिर से तो नही खराब हो गया अगर ऐसा है तो किसी दोस्त के मोबाइल या पब्लिक टेलीफोन बूथ से तो बात कर ही सकती थी । क्या जेनी उससे अब तक नाराज है कहीं ऐसा तो नही जेनी किसी मुसीबत में हो और अपनी तकलीफ राज से बता कर उसे दुखी नही करना चाहती इसी तरह के सवाल राज को बेचैन किये रहते हैं । फिर भी राज को जेनी के वादे पर यकीन है । जब भी वह उस दिन को याद करता है जब जेनी और राज ने एक दूसरे से वादा किया था कि वे जीवन मे कम से कम एक बार जरूर मिलेंगे । तब उम्मीद की एक नई किरण दिखती है कि एक न एक दिन उनकी मोहब्बत अपने अंजाम तक जरूर पहुंचेगी । यह कैसा रिस्ता है राज और जेनी के बीच प्यार है या सिर्फ वासना , यदि वासना थी तो राज और जेनी को बहुत सारे मौके मिलें तब क्यों नही कोई कदम बढ़ाया प्यार है तो कैसा जो फासले बढ़ने पर बढ़ रहा है प्यार अपने अंजाम तक तो बहुत पहले ही पहुंच चुका होता । राज याद करता है उस दिन को जब....… ...Read More
पहला एस एम एस
तब जेनी फूटकर रोने लगी , और रोते हुए राज से लिपट गई , राज का कंधा अपने मोहब्बत आंसुओं से भिगोते हुए कहने लगी , मैंने प्यार किया है तुम्हे ! तुम भूल सकते हो लेकिन मैं नही भूल सकती क्या तुम्हें मेरी बिल्कुल भी याद नही आई मैंने तो तुमसे पता पूछा था , लेकिन तुमने तो पता बताना भी जरूरी नही समझा । क्या वे वादे जो हमने एक दूसरे से किये थे ! सब झूठे थे उसकी आंखें जैसे दरिया हो गईं थीं , जिनमें से जल की धारा लगातार बहे जा रही थी । ऐसा लग रहा था कि ए आँशू विरह की अग्नि को शांत करने का भरकस प्रय ...Read More
पहला एस एम एस - 3
पहला एस एम एस -3 राज का ख़्वाब तो टूट जाता है । परन्तु यह ख़्वाब दूसरे ख़्वाबों सा था । अक्सर ख़्वाब नींद खत्म होते ही भुला दिए जाते । इस ख़्वाब ने तो यादों को और ताजा कर दिया । अब तो राज को एक पल भी चैन नही था । वह जेनी की तलाश करे तो कैसे ? राज के पास जो कुछ रास्ते थे भी उन रास्तों पर चलकर जेनी तक पहुंचना शोलों पर चलने के जैसा था । शोले भी ऐसे वैसे नही की पैर जलेंगे जरा सी चूक हुई तो पूरा जीवन कलह ...Read More
पहला एस एम एस - 4
भाग-4धीर ने राज को सही नम्बर नही बताया । न जाने किस लिए ? राज सोंचने लगा कहीं वह और जेनी के सम्बंध में कुछ शक तो नही करता । इसीलिए सही नम्बर नही बताया । धीर ने भले ही राज को गलत नम्बर दिया परन्तु उसने बातों बातों में बताया था कि जेनी कहीं जॉब कर रही है । पता तो नही बताया लेकिन कार्यस्थल का नाम बताया था । एक समस्या थी कि हो सकता है यह जानकारी भी गलत हो । दूसरी समस्या यह कि दर्पण ने बताया उस नाम की शॉप और शिक्षण संस्थान दोनो ...Read More
पहला एस एम एस - 5
भाग-5राज उस शॉप में गया । शॉप में प्रवेश करते ही रिसेप्शन और अपना बैग जमा करने के लिए था । राज ने अपना बैग जमा किया और खरीदारी के लिए अंदर शॉप में गया । खरीदारी तो मात्र बहाना थी । स्टाफ से पूछने से पहले राज ने सर्च करना बेहतर समझा । राज ने सोंचा यदि वह यहाँ काम करती होगी तो अगर रिसेप्शन पर नही दिखी तो शायद सेल्स गर्ल्स का काम करती हो । शॉपिंग करते वक़्त पूरी शॉप में कहीं न कहीं तो दिख ही जाएगी । राज सोंच ही रह था कि कहाँ ...Read More
पहला एस एम एस - 6
भाग-6कुछ देर बाद जेनी ने एक पर्ची पर मोबाइल नम्बर लिखकर दिया । आज राज कोई गलती नही करना था इसलिए कहा जेनी कहीं तुम भी तो धीर की तरह गलत नम्बर नही दे रही हो । जेनी -क्या अब इतना भी भरोसा नही रहा ?राज-भरोसा तो खुद पर से भी ज्यादा है । अगर भरोसा न होता तो यह सोंचकर तुम्हे भूल जाता कि इतना समय बीतने के बाद शायद तुमने मुझे भुला दिया होगा । लेकिन मुझे यकीन था कि तुम अपना वादा नही तोड़ सकती हमारे बीच दूरियों का जिम्मेदार सिर्फ मैं था इसलिए तुम्हे ढूंढकर मिलने ...Read More
पहला एस एम एस - 7
कुछ दिनों बाद कुछ ऐसा हुआ जिसने राज को सोंचने पर मजबूर कर दिया । सुबह 5 बजे का था अचानक राज की आंख खुल गई । वह परेशान था उसके चेहरे पर एक अनजान सा खौफ नजर आ रहा था । उसने ख़्वाब में कुछ ऐसा देखा जो उसे सोंचने पर मजबूर कर रहा था । राज का मन यह मानने को तैयार नही था क्योंकि यह सब महज एक ख़्वाब ही तो था । राज की परेशानी यह थी कि कहीं न कहीं राज का विश्वास कमजोर होने लगा था । दूरियों और सामाजिक बन्धनों में वह ...Read More