गत वर्ष कोरोना कहर बनकर बरपा था।इसलिए नववर्ष यानी 2021 के आगमन पर सरकार के साथ हमने भी मान लिया था कि हमने जंग जीत ली है।कोरोना को हरा दिया है।देश से दूर भगा दिया है।लेकिन यह मुंगेरी के हसीन सपने ही निकले।होली से पहले ही उसने रंग दिखाना शुरू कर दिया।और होली के बाद तो उसने ऐसी रफ्तार पकड़ी की सरकार की सांस भी फूलने लगी। गत वर्ष होली मेंरे जीवन मे हाहा कार लेकर आयी थी। अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से गत वर्ष होली 9 march को थी।इस साल 28 march को ।गत वर्ष उस होली को
Full Novel
कोरोना से सामना - 1
गत वर्ष कोरोना कहर बनकर बरपा था।इसलिए नववर्ष यानी 2021 के आगमन पर सरकार के साथ हमने भी लिया था कि हमने जंग जीत ली है।कोरोना को हरा दिया है।देश से दूर भगा दिया है।लेकिन यह मुंगेरी के हसीन सपने ही निकले।होली से पहले ही उसने रंग दिखाना शुरू कर दिया।और होली के बाद तो उसने ऐसी रफ्तार पकड़ी की सरकार की सांस भी फूलने लगी। गत वर्ष होली मेंरे जीवन मे हाहा कार लेकर आयी थी। अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से गत वर्ष होली 9 march को थी।इस साल 28 march को ।गत वर्ष उस होली को ...Read More
कोरोना से सामना - 2
"मैं इनसे डिस्चार्ज करने के लिए बोल देता हूँ।"9 मार्च 2020 को होली थी।रंगों का त्यौहार लेकिन हमारे रंग बिखरे हुए थे।उस दिन बेटे की तबियत बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी थी।घर मैने बोल दिया था।मैं बेटे की हालत देखकर बहुत घबराया हुआ था।तब मैंने अपने मित्र कालीचरण को मथुरा फोन किया सारी बात बताकर बोला," जयपुर चलना है।तुम आ जाओ।बस से।"और चौबेजी मथुरा से आ गए थे।मुझे उम्मीद थी।2या3 घण्टे में डिस्चार्ज कि प्रकिर्या पूरी हो जाएगी।और हम दिन में ही जयपुर के लिए निकल जाएंगे।मेरे लाख प्रयास करने के बाद भी डिस्चार्ज कागज बनाने में बहुत टाइम लगा ...Read More
कोरोना से सामना - 3
और बेटे का इलाज शुरू हो गया था।जैसा मैंने इसी पोस्ट में पूर्व में भी लिखा है।मेरे उपन्यास "वो दिन और लोकडौन" के अंदर पूरा विवरण आएगा।यहां इस लेख का विषय अलग है।इसलिए मूल बात पर आता हूँ।बेटा, पुत्रवधू और दोनों पोते जयपुर में थे।उसे पूरा एक साल हो चूका था।उसकी किडनी आदि जांचे करानी थी।इसलिए मैं और पत्नी जयपुर गए थे।वहां से 2 अप्रैल को लौटे थे।पत्नी के सर्दी जुकाम खांसी हो गई थी।मुझे भी हरारत सी महसूस हो रही थी।मैं केमिस्ट से दवा ले आया। जब। कई दिन दवा लेने पर तबियत ठीक नही हुई तब पत्नी ...Read More
कोरोना से सामना - 4
मैने विवेक को फोन लगाया।मेरी बात सुनकर वह बोला"अस्पताल आ जाओ।डॉक्टर चुग से मिल लो।वह दवा लिख देंगे।"मैने अपने वाले से दस बजे रेलवे अस्पताल चलने के लिए बोल दिया।हम दस बजे तक तैयार हो गए।पता किया।ऑटो वाला सुबह का ही कंही चला गया था।अभी तक लौटा नही था।पत्नी से में बोला,"सड़क तक चलो।ऑटो कर लेंगे"।"मैं नही चल पाऊंगी।तुम ऑटो करके यहां ले आओ।"मैं सड़क तक गया।कुछ देर के प्रयास के बाद एक ऑटो मिल गया था।हम रेलवे अस्पताल पहुंचे थे।रेलवे अस्पताल की व्यस्था पहले भी अच्छी नही थी।कोरोना के बाद तोमैं पत्नी से बोला,"तुम लाइन में लगो।मैं डायरी ...Read More
कोरोना से सामना (अंतिम भाग)
जैसे वह सरकार का नौकर नही है।रेलवे अस्पताल में डॉक्टर आपका बुखार,बी पी या अन्य चेक नही करेगा।आप कहोगे चेक करने के लिए आपको भेज देगा।क्यो सरकार इन पर लाखों करोड़ खर्च करती है।किसके लिए?मरीजो के लिए।जब डॉक्टर मरीज को देखते ही नही है।फिर इस व्यवस्था का क्या फायदा।हम जांच कराने के लिए स्टेशन आ गए थे।विवेक,हरगोविंद के साथ आ गया था।सर्विस में था।तब इंस्पेक्शन के लिए अधिकारियों के साथ आना लगा रहता था।वैसे भी किसी ने किसी काम से आता रहता था।तब पोस्ट पर था और पोस्ट की अलग अहमियत होती है।पत्नी का RTPCR कराया।पत्नी बोली,"तुम भी करा ...Read More
कोरोना से सामना (अंतिम भाग)
और अंत मे मैं अस्पताल जाने को राजी हो गया"कैसे आना है"आपको लेने एम्बुलेंस जाएगी।आपको ठीक होते ही घर दिया जाएगा।आपको छोड़ने भी एम्बुलेंस जाएगी।।आप बताये कब भेज दू एम्बुलेंस?"2 बजे,"मैं बोला,"और क्या लाना है मुझे?""कुछ ज्यादा नही।बेग में एक जोड़ी कपड़े रख ले।कुछ ड्राई फ्रूट्स।खाना हमारे यहां मिलेगा।आप चाहे तो घर से भी मंगा सकते है।"और हमने तैयारी शुरू कर दी।बेग में कपड़े।ड्राई फ्रूट्स।बिस्किट पानी की बोतल ।बेटी का फोन आया।मम्मी दो चद्दर जरूर रख देना।पत्नी दो दे रही थी।लेकिन मेने एक ही चद्दर बेग में रखी।दो बजे गए लेकिन एम्बुलेंस नही आई। और फिर तीन बजे एक ...Read More