विवेक तुमने बहुत सहन किया बस!

(103)
  • 198.1k
  • 8
  • 71.9k

यह एक जुर्म और हत्या की जासूसी उपन्यास है एक के बाद एक हत्या पुलिस रिटायर्ड बड़े अधिकारी की हत्या, बड़े राजनीतिक की हत्या, और इन हत्याओं में तरीके एक ही। पोस्टमार्टम में पता चला दिल की जगह पत्थर रखा हुआ है। ऐसा क्यों? किसने किया? कैसे हुआ? इसका रहस्य जानना चाहते हैं तो आप पढ़िए विवेक बहुत सहन किया बस!

Full Novel

1

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 1

मूल लेखक राजेश कुमार इस उपन्यास के मूल तमिल लेखक राजेश कुमार है। आपने 50 वर्षों में डेढ़ हजार लिखे और 2000 कहानियां लिखी। आपकी उपन्यास और कहानियों के पाठकों की संख्या बहुत ज्यादा है। अभी आपका नाम गिनीज बुक के लिए गया हुआ है। चाहे आपके उपन्यासों हो या कहानियां दोनों ही एक बार शुरू कर दो खत्म किए बिना रखने की इच्छा नहीं होती उसमें एक उत्सुकता बनी रहती है कि आगे क्या होगा | तमिलनाडु में इनकी कहानियों और उपन्यासों की बहुत ज्यादा मांग है | इसीलिए मैंने भी इनकी कहानियों का और उपन्यास का अनुवाद ...Read More

2

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 2

अध्याय 2 चेन्नई। स्वर्णम मेडिकल सेंटर। न्यूरो वार्ड। डॉ. अमरदीप अपने सामने बैठे हुए उस 30 साल के युवा बात कर रहे थे। "आपका नाम बताइए !" "पोरको" "तुम्हारा नाम कुछ अलग है। यह क्या पोरको ?" "मेरे पिताजी एक अध्यापक थे। इसीलिए एक ऐसे नाम रखा। 'को' शब्द का अर्थ राजा हैं... डॉक्टर !" "आप क्या काम करते हैं ?" "इफ्लोरा सॉफ्टवेयर नामक एक आई.टी. कंपनी में काम करता हूं डॉक्टर!" "ठीक है ! आप की क्या समस्या है?" "डॉक्टर ! थोड़े दिनों से मैं नॉर्मल नहीं हूं। सुबह आँख खुलते ही सिर के पीछे की तरफ दर्द ...Read More

3

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 3

अध्याय 3 रूपला बिल्कुल ऊंची चोटी पर चढ़कर खड़ी हुई तो नीचे उतर न पाने की वजह से तड़पने अपनी होंठों को बाहर निकाल कर बोली। "वि....वि... विष्णु...! तुम यहां कैसे?" "क्यों मैडम... मुझे मुन्नार आना नहीं चाहिए ?" "तुमने तो नहीं आऊंगा बोला था...?" "आप के साथ नहीं आऊंगा बोला था।" रूपला विवेक को देखकर बोली "क्यों जी... यह कैसी बात कर रहा है?" विवेक हंसा। "क्यों जी हंस रहे हो ? इसके आने के बारे में आप को पहले से ही मालूम है लगता है?" रूपला घूर कर देखीं। "इसका मतलब... यह आपका जौली ट्रिप नहीं है। ...Read More

4

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 4

अध्याय 4 डॉ. अमरदीप ने पोरको को आश्चर्य से देखा ‌। "क्या आत्मा ?" अमरदीप के होंठो पर एक आई। "कौन सी आत्मा.... भाप…... वाली आत्मा...?" "मनुष्य की आत्मा डॉक्टर ! मेरा फ्रेंड एक.... कुप्पुस्वामी। आत्माओं से बात करता है। उसने ही मुझे एक आत्मा से बात करवाई। मैंने उस आत्मा से बहुत सारे प्रश्न पूंछे । उसने सब का जवाब दिया...." "आत्माएं होती है आप विश्वास करते हैं ?" "विश्वास करता हूं डॉक्टर !" "ऐसा है तो..... उस आत्मा से कहकर आपके सर दर्द को कारण को बता कर परमानेंट ट्रीटमेंट ले लेना चाहिए था ना?" "डॉक्टर! आपके ...Read More

5

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 5

अध्याय 5 विवेक के पूरे चेहरे पर सदमे की रेखाएं फैल गई। "आप क्या बोल रहे हैं ? ए.बी.सी.डी. मर्डर? कैसे सर?" दूसरी तरफ से सी.पी.जी. शर्मन बोल रहे थे। "मर्डर के बारे में पूरा विवरण मुझे पता नहीं। मुन्नार में हनी ट्री नामक एक स्थान है। उस जगह के पास में पहाड़ के ढलान पर चाय के बगीचे के अंदर एक बॉडी मिली है। बाड़ी अभी तक स्पॉट पर ही है ऐसा समाचार...." "मैं अभी वहाँ पर जाऊं क्या सर ?" "जाइए..... ए.बी.सी.डी. मर्डर क्यों हुआ इस कोण में यदि आप इन्वेस्टिगेट करें तो ही बहुत से विषय ...Read More

6

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 6

अध्याय 6 घबराते हुए डॉक्टर अमरदीप ने पोरको के पास जाकर उसके पल्स की जांच करने लगे। नाड़ी की स्वाभाविक नहीं थी। वह पाताल पर जा रही थी। उन्हें समझ में आ रहा था। पास में जो इंटरकॉम रिसीवर था उसे उठाया। स्टाफ नर्स को बुलाया। "पुष्पम.. ‌!" "डॉक्टर..." "तुरंत दो अर्दली को लेकर स्ट्रेचर के साथ आ जाओ। कंसल्टेशन के लिए आया हुआ एक पेशेंट अचानक बेहोश होकर गिर गया। उसके मुंह से खून आ रहा है। उनका पल्स रेट नॉरमल नहीं है। उन्हें तुरंत आईसीयू यूनिट में ले जाना पड़ेगा...." "अभी आ रही हूं डॉक्टर !" सिर्फ ...Read More

7

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 7

अध्याय 7 विवेक और विष्णु मुन्नार में उस छोटे राजकीय हॉस्पिटल के सामने पेड़ के नीचे कार पार्क कर अंदर बैठे हुए थे। बड़े-बड़े देवदार के पेड़.... चारों तरफ खंबे जैसे दिखने वाले बर्फ और कोहरे से आच्छादित थे । ठंडी हवा मिलकर सुई जैसे चुभ रही थी। "बॉस...." "हां...." "वन विभाग के लिखे हुए बोर्ड को देखा ?" - विष्णु ने जहां बताया अपनी निगाहों को विवेक वहां ले गया। "एक बोर्ड दिखाई दिया। उसमें लिखा हुआ पढ़ने वालों के आंखों में लग रहा था। "पेड़ों से प्रेम कीजिए। परंतु पेड़ के नीचे प्रेम मत करिए।” "यह फॉरेस्ट ...Read More

8

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 8

अध्याय 8 डॉ. अमरदीप, अपने सामने आंखों में आंसू लिए खड़े बुजुर्ग और उसकी पत्नी, उनके साथ उनकी तीन युवा बेटियां एक क्षण उनके ऊपर नजर डाली | "आप ही पोरको के पिता है क्या ?" "हां डॉक्टर !" "आपका नाम क्या है ?" "तिरुचिरंमंपलम। दो साल पहले ही मैं तमिल के अध्यापक से रिटायर हुआ हूं। हमारे परिवार के लिए पोरको सब कुछ है ! उसको कुछ हो गया तो...…हम में से कोई भी जिंदा नहीं बचेगा।" आपका बेटा कई दिनों से सर दर्द से परेशान था । वह आपको पता है?" "नहीं मालूम डॉक्टर !" डॉक्टर की ...Read More

9

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 9

अध्याय 9 विवेक, विष्णु और इंस्पेक्टर पंगजाटशन तीनों उस छोटे हॉस्पिटल के अंदर घुसे । आउट पेशेंट, इन पेशेंट को पारकर हॉस्पिटल के पीछे मर्चुरी के कमरे में पहुंचे। कमरे के अंदर ए.सी. की ठंडी हवा भरी हुई थी.... एक टिन के मेज पर रिटायर्ड डी.जी.पी. बालचंद्रन की बाड़ी... सीधी पड़ी थी। शरीर के छाती की तरफ और सिर के तरफ का भाग खुला हुआ था। हवा में फॉर्मलीन की गंध आ रही थी। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सुकुमारन पास में आए। "मिस्टर विवेक ! बालाचंद्रन की हत्या बड़ी कठोरता से हुई है। उनका हृदय जहां पर था वहां ...Read More

10

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 10

अध्याय 10 तिरुचिरंमंपलम घबराकर डॉक्टर के हाथ को पकड़ लिया। "डा.... डॉक्टर ! आप क्या कह रहे हैं ? बेटे पोरको क्या हुआ है?" डॉ अमरदीप, अपने हाथ में जो स्कैन रिपोर्ट थी उसको दोबारा फ्रीक से देख कर बोले। "आपके बेटे पोरको के सिर की कोई समस्या नहीं है। उनको बार-बार सिर दर्द होने का कारण पेट की एक समस्या है....." पोरको की मां वडीवु रोते हुए चिल्लाकर पूछी "उ...उ... उसके पेट की क्या समस्या है डॉक्टर ?" "अम्मा....! ऐसी एक समस्या.... लाखों में एक को ही होती है। यह आपके बेटे को हुई है। यह एक वायरस ...Read More

11

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 11

अध्याय 11 सिम्हा इतनी भी सुंदर नहीं थी। कोई भी आदमी के दोबारा देखने लायक भी नहीं थी। साड़ी माथे पर एक स्टिकर की बिंदी लगाए हुए थी रोने के कारण आंखें सूजी हुई थी। विवेक और विष्णु उसके सामने जाकर बैठे। विवेक कुछ क्षण मौन रहने के बाद बोलना शुरू किया। "सॉरी.... मिस सिम्हा ! आप अभी जिस मन: स्थिति में हैं उसमें मुझे आपसे पूछना नहीं चाहिए। फिर भी दूसरा रास्ता नहीं है। यू हैव टू आंसर माई क्वेश्चनस!" वह अपने हाथ में जो रुमाल था उसे मुंह में रखकर रोने को दबाकर बोली। "मुझे पहले अप्पा ...Read More

12

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 12

अध्याय 12 डॉ. अमरदीप के हाथ में जो 'मेडिकल बुलेटिन' था पढ़कर खत्म करते ही स्टाफ नर्स पुष्पम अंदर उन्होंने गर्दन उठा कर उसे देखा। पुष्पम बोली "डॉक्टर शिवपुण्यम आ रहे हैं। आपने फोन किया था क्या...." "हां! उन्हीं के लिए वेट कर रहा हूँ ।" अमरदीप के बोलते समय ही डॉक्टर शिवपुण्यम दरवाजे को खोलते हुए अंदर आए। उनका थोड़ा भारी शरीर। सिर गंजा। "गुड इवनिंग अमरदीप..." "गुड इवनिंग.... शिवपुण्यम ! थैंक्स फॉर यूअर कमिंग..." पुष्पम बाहर चली गई....शिवपुण्यम सामने की कुर्सी पर आराम से बैठ गए। "कहिए.... क्यों अचानक फोन किया ?" "आपसे एक छोटा कंसल्टेशन..." शिवपुण्यम ...Read More

13

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 13

अध्याय 13 सिल्वरलैन स्टेट बंगला एक छोटे समुद्र जैसा फैला हुआ था। ए.बी.सी.डी. के कार्यक्रम खत्म करके दूसरे दिन सिम्हा ने ऊपर अपने पिताजी के कमरे को दिखाया। "यह उनका कमरा है...." विवेक और विष्णु कमरे के अंदर गए। दो कांच की अलमारी भरकर किताबें थी। विवेक एक अलमारी को खोल कर पुस्तकों को निकाल कर देखने लगा। 'लॉ एंड ऑर्डर ऑफ यू. एस. ए.' 'एप्पलोंट इंटरपोल' 'ए पुलिसमैन प्लस 365 10 टेन्स' 'चैक एंड मीट' 'टेल ऑफ ए टेरेरिस्ट' 'आई-यू-ही' विवेक के पीठ के पीछे से सिम्हा बोली "यह सब मेरे अप्पा की लिखी हुई किताबें हैं। आखिर ...Read More

14

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 14

अध्याय 14 डॉ. अमरदीप फ़िक्र में डूबे हुए.... अपने सामने खड़े पोरको की तीनों बहनों पर एक सामान्य निगाह कर बात करना शुरू किया। "यह देखिए ! तुम्हारे भाई पोरको की तबीयत के बारे में मैं तुम्हारे अप्पा-अम्मा से विस्तार में बात नहीं कर सकता | इसी कारण तुम तीनों को मैंने यहां बुलाया। तुम पढ़ी-लिखी लड़कियां हो। इसलिए मैं जो कह रहा हूं उसको सुनकर आप निराश मत होइएगा । "तुम्हारे बड़े भाई को कुछ घंटे में... ओपन स्टमक सर्जरी करके खून में मिले उस स्क्रॉल साइप्रो वायरस को लोकेट करके निकालने वाला हूं। इस ऑपरेशन के संबंध ...Read More

15

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 15

अध्याय 15 विष्णु और रूपला को मुन्नार में ही छोड़कर... सिर्फ विवेक अकेला मदुरई जा पहुंचा.... राजकीय चिकित्सालय मर्चरी असिस्टेंट कमिश्नर अरगरपेरुमालै से मिले। हॉस्पिटल के अंदर और बाहर स्वयं सेवकों की भीड़ थी | हाथ मिलाने के बाद बोले "यह घटना कब घटी ?" "कल रात को मदुरई वेंदन अपने दल के किसी के यहां शादी के रिसेप्शन में जाकर.... तिरुमंगलम के रास्ते से घर लौट रहे थे। कार को वे स्वयं ड्राइव कर रहे थे। रात तक वे घर नहीं पहुंचे तो सुबह तक आ ही जाएंगे ऐसा उनकी पत्नी ने सोचा। पर फिर भी नहीं आने ...Read More

16

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 16

अध्याय 16 डॉ. अमरदीप ऑपरेशन के कमरे से एक दीर्घ श्वास छोड़ कर थके हुए बाहर आए। पोरको के तिरुचिरंमंपलम, अपनी पत्नी और तीनों लड़कियों के साथ डॉक्टर की तरफ तेजी से आए। "डा... डॉक्टर...!" अमरदीप उनके चेहरों को न देख पाने से सिर झुका लिया। "डॉक्टर ! क्यों बोले बिना खड़े हो? पोरको का ऑपरेशन सही ढंग से हो गया...? उसकी जान को अब कोई खतरा तो नहीं है ना?" अमरदीप अपने चश्मे को उतारा। उनकी आंखों में आंसू चमकने लगे। "सॉरी....! वह स्क्रोल साइप्रो, मुझ से जीत गया....पोरको को मैं बचा नहीं पाया...." वह पूरा परिवार स्तंभित ...Read More

17

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 17

अध्याय 17 विवेक जयहिंदपुरम एरिया में मदुरई वेंदन के बंगले में उनके कमरे में थे। उनके के पास में कुमारन थे। सेंथिल बोल रहे थे। "सर! अप्पा के कमरे में धार्मिक पुस्तकें ही होंगी। उनको आडंबर बिल्कुल पसंद नहीं। इस कमरे में उन्होंने ए.सी. भी नहीं लगवाया। "वह सब ठीक है सेंथिल....? आपकी अम्मा ने ऐसा क्यों बोला ? उनकी हत्या का कौन जिम्मेदार है मालूम नहीं। परंतु उनकी ऐसी हत्या जरूरी थी बोलने का क्या कारण था?" "सर....! अप्पा शुरू के दिनों में इस जयहिंदपुरम एरिया के एक राउडी थे। अधिक ब्याज पर रुपया उधार देते थे। वापस ...Read More

18

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 18

अध्याय 18 टीवी में समाचार आ रहे थे। 'डॉक्टर का ऑपरेशन असफल होने से.... पूरे परिवार ने सायनाइड खाकर कर लिया। स्क्रॉल साइप्रो नामक बीमारी के जहरीले वायरस से प्रभावित पोरको नामक युवा का डॉक्टर अमरदीप ने ओपन स्टमक ऑपरेशन किया। उस ऑपरेशन की सफलता सिर्फ 10% ही होती है डॉक्टर के बोलने के बाद भी वह कुटुम्ब ऑपरेशन के लिए राजी हो गया । "पोरको के अप्पा तिरुचिरंमंपलम, उनकी पत्नी, और तीन लड़कियां भगवान के ऊपर भरोसा कर ऑपरेशन जरूर सफल होगा ऐसे एक विश्वास से बाहर खड़ी हुई थी। परंतु ऑपरेशन के असफल होते ही... उस सदमे ...Read More

19

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 19

अध्याय 19 विवेक की नजरें कमरे के अंदर सीधी देखते देख सेंथिल परेशान होकर पूछा। "क्या सर?" "यह आपके कुमारन का कमरा है ?" "हां..." "देखें ?" "दे... देखिए सर....!" विवेक अंदर घुसा। सीधे कांच के अलमारी के पास जाकर..... उसके स्लाइडिंग डोर को हटाकर एक फीट ऊंची, लंबी गत्ते के डिब्बे को निकाला। गत्ते के डिब्बे के साइड में अंग्रेजी में एल.एस.डी. लिखा हुआ लाल रंग का साफ दिखाई दे रहा था। उसके नीचे छोटे अक्षरों में अंग्रेजी में वह पता लिखा था। 'वाइटल पावर फार्मास्युटिकल्स 579, हाई पार्क सर्किल सिंगापुर।' विवेक उस गत्ते के डिब्बे के ऊपर ...Read More

20

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 20

अध्याय 20 डॉ. अमरदीप के सामने बैठी.... अधेड़ उम्र की महिला एक तेज़ आवाज में बोल रही थी। रात बज रहे थे। "वेरी सॉरी टू से दिस... आपके पति का यह बहुत रिस्की ऑपरेशन है। ऑपरेशन का सक्सेस रेट 30% ही है। ऐसे सक्सेस रेट कम वाले ऑपरेशन करना मैंने छ: महीने से बंद कर दिया...." "वह मुझे मालूम है डॉ....! छ: महीने पहले आपका जो ऑपरेशन असफल हुआ... उस पेशेंट की पूरी फैमिली आपके सामने ही आत्महत्या कर के मर गई जिसको मैंने अखबार में पढ़ा और टीवी में भी देखा था। ऐसे ही मानसिकता सबकी होती हैं ...Read More

21

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 21

अध्याय 21 मदुरई पुलिस कमिश्नर का ऑफिस। रात के 9:15 बजे। विवेक और असिस्टेंट कमिश्नर अरगरपेरूमाल दोनों, कमिश्नर शिवमणि सामने बैठे हुए थे। कमिश्नर पूछ रहे थे। "मदुरई वेंदन के घर में क्या असमंजस हैं मिस्टर विवेक?" "एक घंटे पहले तक असमंजस था सर.... अब नहीं है। मदुरई वेंदन का दूसरा बेटा कुमारन का रहस्यात्मक ढंग से लीवर का ट्रांसप्लांट ऑपरेशन हुआ है। उस ऑपरेशन को करने वाले प्रसिद्ध डॉक्टर अमरदीप हैं। मदुरई वेंदन और डॉ अमरदीप दोनों की अच्छी जान पहचान है। "उस जान पहचान के कारण छ: महीने पहले डॉ. अमरदीप ने छुपकर उनका लिवर ट्रांसप्लांट किया ...Read More

22

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 22

अध्याय 22 टेलीफोन पर किसी से बात कर रही स्टाफ नर्स पुष्पम "एक्सक्यूज मी!" एक पुरुष के आवाज अपने आते हुए सुनकर घूमी। "यस..." "आई एम विष्णु.... पुलिस डिपार्टमेंट!" - कहते हुए विष्णु पास में आया। "डॉ अमरदीप को देखना है। यह छोटा कंसल्टेशन है। तुरंत देखना है।" "सॉरी ! वे अभी 5 मिनट पहले ही मिनिस्टर के घर के लिए रवाना हुए हैं।" "मिनिस्टर के घर.... क्यों?" "मिनिस्टर की हेल्थ ठीक नहीं है। चेकअप करने के लिए मिनिस्टर के पी.ए. ने फोन करके बुलाया। डॉक्टर के घर के रास्ते में ही मिनिस्टर का घर है।" "डॉक्टर हॉस्पिटल दोबारा ...Read More

23

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 23

अध्याय 23 मदुरई। विवेक सेलफोन पर चिल्लाया। "विष्णु! तुम क्या बोल रहे हो?" "हमने जो सोचा था..... वह हो बॉस! डॉक्टर अमरदीप को किडनैप कर लिया गया। कल सुबह वह जिंदा नहीं रहेंगे।" "आखिर में तुमने उसे छोड़ दिया?" "मैं 5 मिनट लेट...." "अब क्या करें?" "आप तुरंत मदुरई से फ्लाइट पकड़कर चेन्नई आ जाइए। सुबह होने तक डॉ अमरदीप को छुड़ाना है......" "होगा क्या?" "इस विष्णु से नहीं होने वाला कोई काम इस दुनिया में नहीं है बॉस! मुझसे वह नहीं होगा..... तो इस दुनिया में किसी से नहीं होगा बॉस! आप तुरंत निकल कर आ जाइए। आपकी ...Read More

24

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 24

अध्याय 24 मेटरनिटी वार्ड के पास विवेक और विष्णु के जाते समय.... ट्रॉली को दखेलते हुए एक नर्स दिखाई "स्टाफ नर्स पुष्पम कहां है?" "रेस्ट रूम में सो रही हैं सर! अभी देख कर आ रही हूं...." - कहकर नर्स चली गई.... विष्णु गुस्से में आया। "देखा बॉस? सब काम कर करा कर.... बिल्ली जैसे सो रही है...!" "कल से उसको नींद बंद । रेस्ट रूम कहां है देखो....!" "देख लिया बस। वह वहां....!" बरामदे के कोने के रेस्ट रूम के पास गए। दरवाजा उड़का हुआ था।... उसे धीरे से धक्का दिया। अंदर - मेज पर सिर रखकर हाथ ...Read More

25

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 25 - अंतिम भाग

अध्याय 25 कार आधी रात को चेन्नई के सुनसान सड़कों पर दौड़ रही थी। "कहां जा रहे हैं बॉस?" अमरदीप को, मनुष्य संस्था के दूसरे चार लोगों को तुम्हें नहीं देखना क्या? "कैसे बॉस?" विष्णु की आंखों में आश्चर्य ही आश्चर्य! "ऐसे बोले तो...?" एक छोटा काम किया। तुम्हें मदुरई से चेन्नई जाने को बोलने के बाद.... चेन्नई सी.पी.सी. जीटी को फोन करके स्क्वार्ट हेड क्वार्टर अरविंद से डॉ अमरदीप को उनके निगरानी में रखने को बोला। वे जहां भी जाएं वहां फॉलो करने के लिए बोला। वे पूरी तैयारी करके हॉस्पिटल के चारों ओर किसी को भी संदेह ...Read More