रघुवन में ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर मधुमक्खी के छत्ते लगे हुए थे मधुमक्खियों का दल दिन भर फूलों से रस चूसता और अपने छत्ते में जाके शहद बनाता जब शहद से छत्ता भर जाता तो वो उसको अपने दोस्त भोलू भालू को खिलाती थीं कोई और रघुवन का जानवर अगर शहद लेने जाता तो वो उसे भिन भिन कर के अपना गुस्सा दिखाती और फिर भी नहीं मानता तो उसे काट भी लेतीं यही क्रम हमेशा चलते रहता रघुपुर गांव के रहने वाले लोग अक्सर लकड़ियां बटोरने के लिए रघुवन में आ जाते थे। ऐसे ही एक
रघुवन की कहानियां - शहद के चोर
रघुवन में ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर मधुमक्खी के छत्ते लगे हुए थे मधुमक्खियों का दल दिन भर से रस चूसता और अपने छत्ते में जाके शहद बनाता जब शहद से छत्ता भर जाता तो वो उसको अपने दोस्त भोलू भालू को खिलाती थीं कोई और रघुवन का जानवर अगर शहद लेने जाता तो वो उसे भिन भिन कर के अपना गुस्सा दिखाती और फिर भी नहीं मानता तो उसे काट भी लेतीं यही क्रम हमेशा चलते रहता रघुपुर गांव के रहने वाले लोग अक्सर लकड़ियां बटोरने के लिए रघुवन में आ जाते थे। ऐसे ही एक ...Read More
रघुवन की कहानियां - सतरंगी दवाई
रघुवन में गुड्डू गैंड़ाहाथी की पहचान भोजन के दुश्मन के नाम से होती थी वो जिधर भी भी खाने योग्य देखता तो उसे ख़त्म कर देता जो भी गुड्डू खाता देखता उसको यही लगता की मेरे लिए खाना बचेगा या नहीं? पर गुड्डू मस्त रहता और मजे से खाता उसको कभी भी किसी ने खाने के कारण परेशानी में नहीं देखा था।एक दिन जिफी जिराफ मजे से घास चार रहा था तभी उधर गुड्डू पहुंचा जिफी भी काया में गुड्डू से कुछ कम नहीं था। लंबा चौड़ा शरीर था उसका। भोजन उसे भी पसंद था।गुड्डू बोला आज ...Read More
रघुवन की कहानियां - राम दरबार
रघुवन में आज सुबह से ही प्रसन्नता का वातावरण था। सभी लोग आँखों में प्रसन्नता लिए किसी की प्रतीक्षा रहे थे। झुण्ड के झुण्ड रघुवन के बरगदी हनुमान मंदिर की और बढ़े जा रहे थे। बाबा वानर सुबह से ही मंदिर में जाके बैठे हुए थे। कम आयु के प्राणी यह जानने को उत्सुक थे कि आज होने क्या जा रहा है? अपनी छोटी सी आयु में ऐसा उत्सव उन्होंने कभी नहीं देखा था। साहस जुटा कर, टप्पू बंदर ने बाबा वानर से पूछने का निर्णय लिया। टप्पू बाबा वानर के पास जाके बोला “बाबा, आज कौन सा त्यौहार ...Read More
रघुवन की कहानियां - भालू का अपहरण
रघुवन का भोलू भालू शिकारियों के जाल में फंस चुका था जैसे ही शिकारियों के लगाए हुए जाल उसने पैर रखा एक शिकारी ने अपनी बन्दुक से रंग बिरंगा छोटा सा तीर उसके सीने में दाग दिया। थोड़ी देर के बाद भोलू बेहोश हो गया। शिकारियों ने उसको जाल में कस कर बाँध दिया था। आधा दर्ज़न शिकारी थे और सबके सब बंदूकों से लैस थे। किसी भी जानवर की हिम्मत नहीं हो रही थी कि भोलू की कुछ मदद कर सके। भोलू अब शायद चिड़ियाघर जायेगा या फिर सर्कस जाएगा।शिकारियों की पिंजरे वाली गाडी रघुवन के कच्चे और ...Read More
रघुवन की कहानियां - आसमान से गिरे
रघुवन में पक्षियों के झुण्ड आसमान में कलरव करते हुए उड़ान भरते रहते थे एक दूसरे को देखऐसे जैसे कि कोई प्रतियोगिता चल रही हो अलग अलग प्रजाति के पक्षी एक दूसरे को देख कर ऊँची ऊँची उड़ाने भरते रहते थे चमेली चील और गुड्डी गिद्ध का यद्यपि कोई अपना झुण्ड तो नहीं था लेकिन दोनों की उड़ान बाकि सब से बहुत ऊँची थी दोनों जब आसमान में उड़तीं तो सारे पक्षियों से अधिक ऊंचाई पर पहुंचतीं ऐसे ही एक दिन आसमान में उड़ते उड़ते दोनों में एक प्रतियोगिता शुरू हो गई कि कौन कितना ऊपर पहुँच सकता है दोनों ...Read More
चंदा मामा दूर के
रघुवन में एक दोपहर ढल रही थी। रघुवन वासी अपने संध्या कर्म में लगे हुए थे। परछाइयां अब लम्बी लगी थीं। हमेशा की ही भांति सुखमय वातावरण था। पर सबसे ऊँचे बरगद के बृक्ष नीचे भीड़ जमा होने लगी थी। बहुत से जानवर उधर घेरा बना के खड़े थे। पक्षी भी शोर मचाते हुए मंडरा रहे थे। प्रतीत होता है कि कुछ गड़बड़ चल रही है। मिंकू बन्दर वृक्ष के सबसे ऊपर की डाल पर चढ़ा हुआ है और नीचे नहीं आ रहा है। मिंकू सबसे बोल रहा है " आज वो दिन आ गया है जब हम ...Read More
चमकती तितली
रघुवन में एक चांदी जैसी चमकती तितली थी। उसका नाम था चंदा। वो फुलवारी में जाके रोज फूलों से पीती और यहाँ वहां उड़ती रहती थी। सभी उसे देख के खुश होते थे और उसे पसंद भी करते थे। एक दिन सुबह से दोपहर हो गई पर चंदा किसी को दिखाई नहीं दी। वो फूलों का रस पीने भी नहीं आई। सब उसकी राह देख रहे थे। फूल भी उसकी चिंता कर रहे थे। सुबह से दोपहर तक चंदा की प्रतीक्षा करते करते वो उदास हो कर मुरझा गए थे। तभी उधर एक मधुमक्खी आई। उसका नाम मधु था। ...Read More
डायनासौर का बच्चा
रघुवन में एक दुपहर बहुत शांति थी। रेंचो खरगोश भोजन के बाद झाड़ियों में दुबक कर झपकी मार था | तभी अचानक उसे किसी के जोर जोर से रोने की आवाज़ आई | आवाज़ सुनकर रेंचो जागा | आवाज़ बहुत जोर से आ रही थी| रेंचो ने ऐसी आवाज़ पहले कभी भी नहीं सुनी थी | यहाँ वहाँ वो आवाज़ करने वाले जानवर को ढूंढ़ने लगा| वो आवाज़ की दिशा में आगे चलने लगा। थोड़ा आगे जाकर उसने जो देखा उस पर तो स्वयं उसे भी विश्वास नहीं हुआ| एक डायनासौर का बच्चा उसके सामने बैठा हुआ था। वो ...Read More
एक शिकार दो शिकारी
रघुवन में आम के फलों का मौसम था| हर आम के पेड़ पर रस भरे आम लदे हुए थे| लाली लोमड़ी कुछ खाने की तलाश में इधर उधर घूम रही थी| वो आमों के देख कर ललचा रही थी | परन्तु ऊँचे ऊँचे पेड़ों पे चढ़ कर आम तोड़कर खाना उसके बस का नहीं था| वो निराशा में चली जा रही थी| तभी उसे छोटा सा टिंकू बंदर दिखाई दिया | वो इस समय अकेला एक पेड़ पे लटका आम खा रहा था| उसे देख कर लाली ने मन ही मन कहा “अरे वाह इधर तो भोजन और भोजन ...Read More
भालू का अपहरण
रघुवन का भोलू भालू शिकारियों के जाल में फंस चुका था| जैसे ही शिकारियों के लगाए हुए जाल पर पैर रखा एक शिकारी ने अपनी बन्दुक से रंग बिरंगा छोटा सा तीर उसके सीने में दाग दिया। थोड़ी देर के बाद भोलू बेहोश हो गया। शिकारियों ने उसको जाल में कस कर बाँध दिया था। आधा दर्ज़न शिकारी थे और सबके सब बंदूकों से लैस थे। किसी भी जानवर की हिम्मत नहीं हो रही थी कि भोलू की कुछ मदद कर सके। भोलू अब शायद चिड़ियाघर जायेगा या फिर सर्कस जाएगा। शिकारियों की पिंजरे वाली गाडी रघुवन के कच्चे ...Read More
भगवान की लाठी
“भगवान की लाठी “रघुवन में कीटु लकड़बग्घा की धृष्टता प्रतिदिन बढ़ती जा रहीं थीं। धृष्टता क्या, सच कहें तो बढ़ते जा रहे थे। दूसरों को हानि पहुंचा कर स्वयं आनंदित होना उसका प्रतिदिन का काम था। परिचित और अपरिचित वो किसी को भी नहीं छोड़ता था। उसके कर्म स ...Read More
मोर पंख
रघुवन के मेरु मोर को जबसे पता चला है कि वो भारत देश का राष्ट्रीय पक्षी है तब से स्वभाव की अकड़न कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी।हर कोई उसके बदले हुए स्वभाव के कारण परेशान था। मेरु को अब हर जगह विशेष सम्मान मिलने की आशा रहती थी। वो जिधर भी जाता अन्य जीवों की परवाह किए बिना अपने काम करता और इससे उन्हें परेशानी होती। एक बार उसने बबली गिलहरी को नदी किनारे धक्का देकर गिरा दिया। बबली ने विरोध जताते हुए बोला "मेरु, तुम्हे मेरे हटने तक की प्रतीक्षा करनी चाहिए थी। मुझे धक्का क्यों मारा?"मेरु ...Read More
मित्रता का कर्त्तव्य
रघुवन के दो बंदर, सोनू और मोनू बहुत अच्छे मित्र थे | दोनों हमेशा साथ साथ रहते थे| उनका पीना, घूमना फिरना, सोना जागना सब साथ में ही होता था| सोनू बहुत शांत और संयमित व्यवहार का था| उसके विपरीत, मोनू बहुत तेज और नटखट स्वभाव का था| मोनू शरारतें करता और सोनू मित्र होने के नाते उसका साथ देता| शरारतें करने का सोनू का स्वभाव तो नहीं था, पर अपने मित्र मोनू से वो अलग नहीं रहना चाहता था| इसी कारण कभी कभी वो मोनू के साथ विपत्ती में भी फंस जाता था|एक दिन मोनू पास के खेत ...Read More
मीठे अंगूर - खट्टे अंगूर
रघुवन की छोटी पहाड़ी पर जो फूलों की बगिया है, उस पर पेड़ोंपर अंगूर के रसीले गुच्छे लगे हुए खाने के लालच में उधर कई जानवरों का आना जाना लगा रहता था। नीलगाओं का झुण्ड भी आया हुआ था। ज़ेब्रा का झुण्ड भी उधर ही मौजूद था। नीलम नीलगाय ने पेड़ पर एक पका हुआ बड़ा सा अंगूर का गुच्छा देखा, जोकि उसकी पहुँच में था। वही अंगूर का गुच्छा जेबा ज़ेब्रा ने भी देखा। दोनों ही उसे खाने के लिए बढ़े और दोनों साथ में ही उस गुच्छे के पास पहुंचे। दोनों एक दूसरे को देख कर रुक ...Read More
नमक का क़र्ज़
रघुवन में नदी किनारे दो पदयात्री,अपना भोजन करने के लिए बैठे थे| उनके पास भोजन से भरा हुआ एक था| जैसे ही उनमें से एक ने वो डिब्बा खोला, भोजन की सुगंध आसपास फ़ैल गई| अवश्य ही भोजन बहुत स्वादिष्ट रहा होगा भोजन की सुगंध डग्गु बंदर तक भी पहुंची जो की पास में ही एक पेड़ पर था| डग्गु का मन भी वो भोजन पाने के लिए ललचा गया| उसने उन लोगों को देखा वो बिना किसी डर के बैठे थे और भोजन करते हुए बातें कर रहे थे| डग्गु ने मौका देखा, छलांग लगाई और सीधा भोजन ...Read More
शाकाहारी शेर
रघुवन के शेर, शेरसिंह का आजकल हाल बहुत बुरा था| एक तो बढ़ती आयु के कारण पहले जैसी चुस्ती नहीं रही, दूसरे एक दिन शिकार करते हुए उसके पैर में चोट लग गई थी तो बिल्कुल ही लाचार हो गया| अब उसके सामने प्रतिदिन के भोजन की बहुत ही बड़ी समस्या थी| कुछ दिन किसी तरह यहाँ वहां से आधा पेट भर के काम चलाया| पर धीरे धीरे उसकी हिम्मत टूटने लगी।परन्तु ज्यादा दिन कैसे इस तरह व्यतीत होंगे, यह एक बड़ा प्रश्न था| समस्या का हल निकालने के लिए उसने अपनी पुरानी विश्वास पात्र लाली लोमड़ी को बुलावा ...Read More
ज़ेब्रा क्रासिंग
"रघुवन में दोपहर का समय था| झबरु ज़ेब्रा झाडिओं के बीच मजे से हरी हरी घास चर रहा था टोनू तोता उसकी पीठ पे बैठा, अपनी चोंच से उसकी पीठ खुजा रहा था | दोनों अपनी मस्ती में मस्त थे | तभी थोड़ा दूर से झबरु को किसी ओर ज़ेब्रा के रोने की आवाज़ आई | टोनू ने भी आवाज़ सुनी और बोला "झबरु क्या हुआ रो क्यों रहा है?" झबरु बोला "अरे यह मैं नहीं हूँ आवाज़ कहीं दूर से आ रही है| "टोनू ने बोला "चलो फिर चल कर देखते हैं|"दोनों आवाज की दिशा में चल दिए | आवाज ...Read More
प्रकृति की संतान
कूकी कोयल सारे रघुवन में बड़ी चिंता में यहाँ वहां घूम रही थी | कभी इस पेड़ तो कभी पेड़ पे उड़ती बैठती थी | फिर एक घने पीपल पे जाके बैठ गई | उधर एक सूंदर और मजबूत घोंसला था | उस घोंसले में पहले से ही दो अंडे थे | कुकी घोंसले के पास गई और एक अंडा नीचे गिरा दिया | फिर उसने उसी घोंसले में अपना एक अंडा दिया | फिर उस अंडे को बड़े प्रेम से देखने के बाद वो उड़ गई | यह सब घटनाक्रम बबली गिलहरी देख रही थी | किन्तु वो अचम्भे ...Read More
छिपी हुई मदद
रघुवन में एक दिन सुबह होते ही एक आदमी और एक छोटी बच्चे प्रवेश करे | दोनों इधर उधर खोज रहे थे | दोनों कुछ परेशान लग रहे थे | रघुवन में किसी बाहरी का प्रवेश ज्यादा देर तक छिपता नहीं | कुछ ही देर में टोनू तोता, मंगलू बंदर और लल्लू लंगूर उनके इरादे जानने के लिए लग गए | तीनों छिप कर उनकी जासूसी करने लगे | वे दोनों पिता पुत्री थे| तीनो जासूस उनकी बातें सुनने लगे | पुत्री का नाम था सिम्मी और वो अपने पापा से सवाल जवाब कर रही थी | सिम्मी ने पूछा " ...Read More