भूतिया जंगल

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कहानी में बताए गए पात्र व स्थान काल्पनिक भी हो सकते हैं । लेखक ने इसका प्रयोग केवल कहानी के डर को बढ़ावा देने के लिए किया है । इस काल्पनिक कहानी को केवल कहानी के दृष्टि से पढ़े सच्चाई से इसका कोई मत नही । ◆◆◆ सिगरेट के राख को फेंक उसको फिर से होंठ के कोने पर रखें जयदीप सिंह , लखनऊ थाने के इंस्पेक्टर जयदीप सिंह, इलाके के क्रिमिनलों के लिए साक्षात यमराज हैं वह, नेता भी उनसे बचकर ही रहते हैं I बहुत से समाज विरोधी उनके सामने झुकने को मजबूर हुए हैं I

Full Novel

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भूतिया जंगल - 1

★[ नोट → कहानी में बताए गए पात्र व स्थान काल्पनिक भी हो सकते हैं । लेखक ने इसका केवल कहानी के डर को बढ़ावा देने के लिए किया है । इस काल्पनिक कहानी को केवल कहानी के दृष्टि से पढ़े सच्चाई से इसका कोई मत नही । ] ★ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ सिगरेट के राख को फेंक उसको फिर से होंठ के कोने पर रखें जयदीप सिंह , लखनऊ थाने के इंस्पेक्टर जयदीप सिंह, इलाके के क्रिमिनलों के लिए साक्षात यमराज हैं वह, नेता भी उनसे बचकर ही रहते हैं I बहुत से समाज विरोधी उनके सामने झुकने को मजबूर ...Read More

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भूतिया जंगल - 2

अब तक आपने पढ़ा आशीष अपने साथ उस जंगल में हुए घटना के बारे में बता रहा है ..... आगे... आशीष ने एक गिलास पानी पिया और फिर से बोलना शुरू किया - " दिन था बुधवार , बलरामपुर स्टेशन उतर कर वहां से गाड़ी पकड़ हम पहुंचे विवेक के चाचा के घर , पहले से ही खाने पीने का इंतजाम था इसीलिए दोपहर तक भोजन करके हम लोग निकल पड़े I विवेक में अपने चाचा - चाची से बताया कि हम लोग आसपास घूमने जा रहे हैं पर हम लोगों को जाना था बैरिया के जंगल में ...Read More

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भूतिया जंगल - 3

इस समय सुबह के लगभग 10 बजे हैं I लखनऊ हॉस्पिटल के बेड नंबर 103 के पास वार्ड बाहर खड़े होकर इंतजार कर रहे हैं इंस्पेक्टर जयदीप, राजेंद्र और श्याम I श्याम के चेहरे की रेखा असंतोषजनक है उसे यह बात बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा कि राजेंद्र आज भी पुलिस को साथ लेकर आ गया I उसके मन में एक गुस्सा उभरा है राजेंद्र के प्रति , इसीबीच जयदीप डॉक्टर के साथ बात करने के लिए आगे बढ़ गए और श्याम जो अवसर चाहता था मिल गया I राजेंद्र के पास आया वह और बोला - " तुम ...Read More

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भूतिया जंगल - 4

अगले दिन सुबह 10:00 बजे के आसपास सुदर्शन यादव दो कांस्टेबल के साथ उपस्थित हुए I तब तक इंस्पेक्टर तैयार हो गए थे I दोनों कांस्टेबल के चेहरे को देखकर जयदीप समझ गए कि इनमें से किसी का भी मन उस जंगल में जाने का नहीं है शायद जोर-जबर्दस्ती से यादव जी ने उनको राजी किया है I जयदीप को देखते ही यादव ने एक सलामी देकर मुस्कुरा कर बोले - " नमस्कार सर , आपने जैसा कहा था हम आ गए अब जितनी जल्दी हो उस जंगल से सर्च करके चले आते तो अच्छा होता I " जयदीप ...Read More

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भूतिया जंगल - अंतिम

अब आगे... आशीष को सांस लेने में बहुत ज्यादा कठिनाई हो रहा है ऐसा ही उस दिन भी था I उस दिन की तरह आज भी उसे लग रहा है कोहरे के बीच से कुछ भयानक सा निकल उसे जकड़ना चाहता है I इंस्पेक्टर जयदीप कहां चले गए यह समझ नहीं आ रहा उसे I जंगल में फिर से आकर बहुत बड़ी गलती कर दी है उन सभी ने , उसी दिन की तरह इस घने कोहरे में न जाने कहां सभी गायब हो रहे हैं I इस घने कोहरे के पीछे मानो कोई शैतान खड़ा है लेकिन यह ...Read More