शुरू में तो विश्वास ही नहीं हुआ और बेहद आश्चर्यचकित थी मैं, फिर एक अनकही नफ़रत से मेरा सर्वांग झुलस उठा। क्षोभ हुआ कि ऐसे कायर और निर्दयी पुरुष की आज तक, मैं इतनी इज्जत कैसे करती रही हूँ? तो क्या आदमी को पहचानने कि मुझमें कोई क्षमता ही नहीं है? बस ऊपरी कलेवर देखकर प्रभावित हो जाती हूँ?
Full Novel
संघर्ष - 1
संघर्ष पार्ट 1 शुरू में तो विश्वास ही नहीं हुआ और बेहद आश्चर्यचकित थी मैं, फिर एक अनकही नफ़रत मेरा सर्वांग झुलस उठा। क्षोभ हुआ कि ऐसे कायर और निर्दयी पुरुष की आज तक, मैं इतनी इज्जत कैसे करती रही हूँ? तो क्या आदमी को पहचानने कि मुझमें कोई क्षमता ही नहीं है? बस ऊपरी कलेवर देखकर प्रभावित हो जाती हूँ? अभी तक तो मैं स्वयं को भाग्यशाली मानती रही थी पर अपने ससुराल वालों का यह स्वरूप आज पहली बार मेरे समक्ष आया ...Read More
संघर्ष - 2
संघर्ष (पार्ट - 2) किसी विधवा, गरीब माँ की इकलौती बेटी थीं ज्योति दी, जिनको रोहित जैसा वर मिलने अपने भाग्य पर यकीन ही नहीं हुआ था। भरपूर प्यार और दुलार भी मिला था उन्हें अपने ससुराल में और बदले में उन्होंने अपनी सारी निष्ठा और संपूर्ण शक्ति से घर के सभी लोगों की सेवा भी की थी। दो-ढाई साल तो किसी मधुर सपने की तरह ही बीत गए थे। फिर ज्योति दी की गोद अभी तक न भर पाने की बात घर में बार-बार उठने लगी| रोहित स्वयं ज्योति दी को लेकर अलग-अलग डॉक्टरों के यहाँ चक्कर काटने ...Read More
संघर्ष - 3
संघर्ष - पार्ट 3 सचमुच, सबके सामने मानों बम ही फूट गया था... मेरी ऐसी हिमाकत के में तो कोई सोंच भी नहीं सकता था! कुछ देर तक तो किसी की कुछ समझ में ही नहीं आया फिर मोहित के उस तमाचे का निशान मेरे गाल पर छप कर रह गया कि मैं अपने आँसुओं को रोक न सकी। दुःख हो रहा था कि इतना प्यार करने वाले पति को आज मैंने ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है कि उनको मुझपर हाथ तक उठाने पर मजबूर होना पड़ा है। फिर भी बिफरते हुए मैंने अपना तैयार किया हुआ ...Read More