जून की चिलचिलाती गर्मी में पैसिफिक मॉल के बाहर खड़ी सुमेधा मन ही मन सोच रही थी कि काश उसने ड्राइव करना सीख लिया होता तो आज उसे भरी दोपहरी में बाहर खड़े होकर यूं ओला कैब का इंतज़ार नहीं करना पड़ता। पौं पौं... गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ लगातार सुमेधा के कानों से टकरा रही थी मगर सुमेधा थी कि टस से मस होने को भी तैयार नहीं थी। ओ मैडम!एक्सक्यूज मी,सुनाई नहीं देता क्या? गाड़ी सुमेधा के सामने से गुजरती हुई थोड़ी दूर पर जाकर रुक जाती है और उसमें से एक युवक उतरकर सुमेधा की ओर बढ़ता है।
Full Novel
दूसरी औरत... - 1
जून की चिलचिलाती गर्मी में पैसिफिक मॉल के बाहर खड़ी सुमेधा मन ही मन सोच रही थी कि उसने ड्राइव करना सीख लिया होता तो आज उसे भरी दोपहरी में बाहर खड़े होकर यूं ओला कैब का इंतज़ार नहीं करना पड़ता। पौं पौं... गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ लगातार सुमेधा के कानों से टकरा रही थी मगर सुमेधा थी कि टस से मस होने को भी तैयार नहीं थी। ओ मैडम!एक्सक्यूज मी,सुनाई नहीं देता क्या? गाड़ी सुमेधा के सामने से गुजरती हुई थोड़ी दूर पर जाकर रुक जाती है और उसमें से एक युवक उतरकर सुमेधा की ओर बढ़ता ...Read More
दूसरी औरत.. - 2
सुमेधा और संजय की उस आधी अधूरी मुलाकात को हुए आज पूरे पन्द्रह दिन बीत चुके थे। इस बीच दोनों में से किसी एक नें भी एक दूसरे से बात करने का कोई भी प्रयास नहीं किया जबकि उस दिन वो दोनों ही एक दूसरे से उनके मोबाईल नम्बर्स ले चुके थे। इस वक्त घड़ी पूरे दस बजा रही थी।सुमेधा का पति सुकेत बस अभी अभी ऑफिस के लिए निकला ही था जबकि उसका तीन साल का बेटा मयंक सुबह नौ बजे ही अपने प्लेस्कूल जा चुका था जिसे खुद सुमेधा भागते दौड़ते हुए छोड़कर आयी थी।अब पीछे कुछ ...Read More
दूसरी औरत.. - 3
सुमेधा का दिल जोर जोर से धड़क रहा था। "इतनी घबराहट तो मुझे कभी बोर्ड के एग्ज़ाम्स में भी हुई और न हीं कभी मेरे किसी रिजल्ट के इंतज़ार में मगर आज मेरी जो हालत है न , उफ़्फ़ !!", अपने आप में ही बड़बड़ाती हुई सुमेधा नें अपने घर के पास के ही एक कॉफी कैफे में प्रवेश किया ! सुमेधा जाकर चुपचाप एक कोने की टेबल पर बैठ गयी,जहाँ पहले से ही आकर बैठा हुआ संजय उसका इंतज़ार कर रहा था और इससे पहले कि वो सुमेधा से कुछ कह पाता,सुमेधा ने बोलना शुरू कर दिया !! ...Read More
दूसरी औरत.. - 4
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न बेहद खूबसूरत नगमा है ये! मैं इसे जब भी सुनती हूँ तो न जाने क्यों दिल भर आता है। तुम्हें मैं एक बात बताऊँ? हाँ बताओ न!! रहने दो,तुम हंस पड़ोगी। प्लीज़ संजय बताओ न...प्ललललललीज़..... तुम्हें पता है तुमसे अलग होने के बाद मैं जब भी कभी ये सोचता था कि अगर तुमसे कभी मेरी फिर से मुलाकात हुई और तुम कभी किस्मत से अगर मेरी गाड़ी में बैठी तो मैं कौन सा गाना बजाऊँगा??? तब न मुझे हर बार ...Read More
दूसरी औरत.. - 5
हैलो! संजय,कब आ रहे हो यार??आय मिस यू सो सो सो मच! आय नो डियर बट...मजबूर हूँ यार! हाँ समझती हूँ। तुम्हें मेरी याद नहीं आती क्या? क्या लगता है आपको? मैंने पूछा है,तुम जवाब दो! सुबह शाम,उठते बैठते...हर वक्त,हर वक्त तुम मेरे साथ रहती हो जान और...ओफ्फो!! क्या हुआ? कुछ नहीं,तुम बात करो न! अरे मगर हुआ क्या? तुमनें ओफ्फो क्यों बोला? अरे यार कुछ नहीं वो कॉल वेटिंग आ रही थी!! किसकी कॉल है? बात कर लो न! अरे वो... घर से है! वाइफ़ का है न तो कर लो पहले उससे...कहते हुए सुमेधा ने कॉल डिसकनेक्ट ...Read More
दूसरी औरत.. - 6
मिले हो तुम हमको बड़े नसीबों से,चुराया है मैंने किस्मत की लकीरों से... हैलो! हाय,कैसी हो? ठीक हूँ! कॉलर बड़ी अच्छी लगाई है! तुम्हें अच्छी लगी? हाँ! "तेरी मोहब्बत से साँसें मिली हैं,सदा रहना दिल के करीब होके",संजय ने गुनगुनाते हुए जवाब दिया! संजय,उस दिन मेरी बात अधूरी रह गई थी। याररर,सुमि प्लीज़! अब तुम फिर से मत शुरू हो जाना और फिर ऐसा तो नहीं है न कि हम पहली बार इस टॉपिक पर बात कर रहे हैं। अरे! इससे पहले भी कई बार हमनें इस विषय पर बात की है मगर पता नहीं क्यों थोड़े-थोड़े दिनों में ...Read More
दूसरी औरत.. - (अंतिम भाग)
"आजकल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे,बोलो देखा है कभी तुमनें मुझे उड़ते हुए!", गुनगुनाती हुई सुमेधा अचानक से हो गई क्योंकि उसके पति सुकेत नें अभी-अभी ऑफिस से आकर घर में प्रवेश किया था और पिछले कुछ दिनों से उन दोनों के बीच बातचीत भी बंद थी जबसे सुकेत उस रात मयंक को बुखार में तपता हुआ छोड़कर अपनी किसी ऑफिशियल पार्टी में चला गया था और लौटा भी रात के तीन बजे और वो भी नशे में धुत्त होकर!!इन दोनों पति-पत्नी के बीच चल रहे इस शीत युद्ध के बावजूद सुमेधा,सुकेत के प्रति अपना पूरा फर्ज निभा ...Read More