"मम्मी मम्मी!" पवित्रा ने घर में घुसते हुए उत्साह से आवाज़ लगायी। किन्तु उसे घर का वातावरण कुछ बोझिल सा महसूस हुआ। मुकेश हमेशा की तरह टी.वी. पर घटिया और साजिशों से भरे पारिवारिक सीरियल देखने में व्यस्त था। पवित्रा इन सब का असर अपने घर पर भी देख रही थी लेकिन अब वह इन्हें नज़रअंदाज़ करने लगी थी। अपना बैग एक तरफ रखते हुए वह सीधे कमरे की तरफ गयी।
Full Novel
अनमोल सौगात - 1
भाग १ "मम्मी मम्मी!" पवित्रा ने घर में घुसते हुए उत्साह से आवाज़ लगायी। किन्तु उसे घर का वातावरण बोझिल सा महसूस हुआ। मुकेश हमेशा की तरह टी.वी. पर घटिया और साजिशों से भरे पारिवारिक सीरियल देखने में व्यस्त था। पवित्रा इन सब का असर अपने घर पर भी देख रही थी लेकिन अब वह इन्हें नज़रअंदाज़ करने लगी थी। अपना बैग एक तरफ रखते हुए वह सीधे कमरे की तरफ गयी। नीता अपने कमरे में ही थी। रो रोकर उसकी आँखें सूज गई थी। पवित्रा समझ गई कि ये पैसों को लेकर हुई लड़ाई का असर है। अपने ...Read More
अनमोल सौगात - 2
भाग २ २० वर्षीय नीता बी.ए. फाइनल ईयर में पढ़ रही थी। अपने कॉलेज की टॉपर और अन्य गतिविधियों भी हरफनमौला थी। खेल कूद का भी उसे बहुत शौक था। बैडमिंटन उसका पसंदीदा खेल था। बी.ए. की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह आगे और भी पढ़ना चाहती थी। नीता के पिता शशिभूषण पांडे वैसे तो मूल रूप से उत्तरप्रदेश के जौनपुर शहर के निवासी थे किन्तु सरकारी नौकरी में होने के कारण कई सालों से विभिन्न प्रदेशों में उनका तबादला होते रहता था। इस समय वे मध्य प्रदेश के जबलपुर में बिजली विभाग में उच्च पद पर कार्यरत ...Read More
अनमोल सौगात - 3
भाग ३ रवि के पिता बृजभूषण मैनी का तबादला कुछ दिनों पहले ही जबलपुर में हुआ था। वे उसी में जूनियर पद पर थे जहाँ नीता के पिता कार्यरत थे। रवि की माँ कल्पना एक गृहणी, बहुत बातूनी और रूढ़िवादी महिला थी। इकलौते पुत्र रवि से बहुत लगाव और अपेक्षाएं थी। रवि ने इसी वर्ष M.Com. पास किया था और जबलपुर में ही एक प्राइवेट फर्म में काम शुरू किया था। उस दिन नीता को पहली बार देखने के बाद से वह उसी के विचारों में खोया रहता था। उसके बारे में जानने की उत्सुकता भी बहुत थी किन्तु ...Read More
अनमोल सौगात - 4
भाग ४ नीता मंदिर के पिछवाड़े पहुँची। चूँकि दोपहर का समय था इसलिए मंदिर में सन्नाटा था। "ट्रॉफी जीतने बहुत बहुत बधाई" रवि के शब्दों में खुशी थी क्योंकि उसके सामने नीता खड़ी थी, जो कि किसी मीठे सपने के सच होने जैसा था। "Thank you!! अब बताओ मुझे यहाँ क्यों बुलाया?" नीता ने धीमे स्वर में पूछा। "तुम्हें नहीं पता?" रवि ने मुस्कुराते हुए सवाल का जवाब देने के बजाय नीता से ही सवाल किया। नीता ने सर हिलाते हुए ना में जवाब दिया और दूसरी तरफ देखने लगी। "नीता, आज मैं तुम्हें अपने दिल की बात बताना ...Read More
अनमोल सौगात - 5
भाग ५ जैसे ही नीता ने घर में प्रवेश किया तो देखा कि शशिकांतजी बैचेनी से टहल रहे थे उर्मिला भी चिंतित नजर आ रही थी। नीता से शशिकांतजी ने पूछा, "क्यों? कॉलेज का प्रोग्राम कैसा रहा?" नीता उनके भावों को समझ नहीं पायी और बड़ी सहजता से जवाब दिया, "बहुत अच्छा था पापा। बस थोड़ी थकान हो गयी। मैं कमरे में जाकर आराम कर लेती हूँ।" वह अपने कमरे की तरफ जाने लगी। शशिकांतजी ने पीछे से व्यंगात्मक लहजे में कहा, "हाँ, कॉलेज बंक करके पिक्चर देखना और रेस्टॉरेंट में खाना पीना अच्छा ही होता है और ...Read More
अनमोल सौगात - 6
भाग ६ रवि कॉलेज के बाहर नीता का इंतज़ार कर रहा था। दोपहर के १२ बजे तक नीता नहीं रवि की बैचेनी बढ़ने लगी थी। उसने पास के P.C.O. से नीता के घर पर फोन लगाया किन्तु हर बार उर्मिला ने ही फोन उठाया और रवि को बिना कुछ बोले ही बार बार फोन काटना पड़ा। नीता समझ गयी थी कि रवि ही फोन कर रहा है किन्तु वह मजबूर थी। अब रवि का धैर्य भी जवाब देने लगा था। रवि ने कॉलेज से नवीन के घर का रुख किया इस आशा से कि शायद संध्या से कुछ जानकारी ...Read More
अनमोल सौगात - 7
भाग ७ नीता को जौनपुर पहुँचे एक हफ्ता बीत चुका था। नीता बहुत उदास थी। दिन रात रोती रहती शशिकांतजी ने अपने माता पिता को सब बात बताकर हिदायत दी थी कि वे लैंडलाइन फ़ोन पर ताला लगा दे। अपने ट्रांसफर के लिए भी वे प्रयासरत थे। आज किस्मत नीता के साथ थी। उर्मिला और नीता के दादा दादी मंदिर गए हुए थे। वह हॉल में अकेले बैठे हुए रवि के बारे में सोच रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। नीता ने फ़ोन उठाया और बेमन से हैलो बोला। "हैलो नीता! मैं रवि।" रवि की आवाज़ सुनकर नीता ...Read More
अनमोल सौगात - 8
भाग ८ ६ माह बाद --- लाल साड़ी, माथे पर लाल बिंदी, माँग में सिन्दूर और कलाई भर चूड़ियाँ हुए नीता किचन में नाश्ता बना रही थी। "अभी तक नाश्ता बना नहीं क्या? कितनी देर हो रही है? मुकेश ने झल्लाते हुए बाहर से आवाज़ दी। नीता झटपट प्लेट में पोहा और चाय का कप ट्रे में रखकर टेबल पर देने आयी। "समय का थोड़ा ध्यान रखा करो।" मुकेश ने मुँह बिगाड़ते हुए कहा। नीता ने बहस करना उचित नहीं समझा और लंच तैयार करने फिर से किचन में चली गयी। नीता और मुकेश का चट मंगनी पट ब्याह ...Read More
अनमोल सौगात - 9
भाग ९ हॉटेल के रास्ते में दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी थी। कभी घंटों घंटों बात करने को आज शब्दों को खोजना पड़ रहा था। रवि बहुत कुछ कहना और पूछना चाहता था लेकिन वो कुछ बोल नहीं पा रहा था। बस कभी कभी रास्ते में पड़ने वाली कुछ प्रसिद्ध जगहों के बारे में बताते जा रहा था। नीता चुपचाप खिड़की से बाहर की और देखकर सर हिला रही थी। तभी एक जगह अचानक उसने कार रोकी। "क्या हुआ?" नीता ने पूछा। "ये यहाँ का प्रसिद्ध आइसक्रीम पार्लर है। १० मिनट ही लगेंगे। प्लीज आओ।" रवि के ...Read More
अनमोल सौगात - 10 - अंतिम भाग
भाग १० वर्तमान --- टी टी टी टी टी टी अलार्म के बजने से नीता विचारों की से जाग गयी। वह रात भर नहीं सो पायी थी क्योंकि उस एक रात में वह अब तक की पिछली पूरी ज़िन्दगी यादों के माध्यम से जी गयी थी। उसने पानी पीते हुए पवित्रा और अनिमेष के बारे में सोचना शुरू किया। यद्यपि यह इतना आसान नहीं था फिर भी उसने निश्चय कर लिया कि वह सबको इस विवाह के लिए मना लेगी। नाश्ता करके पवित्रा और पुलक दोनों अपने अपने काम पर निकल गए। मुकेश चाय पीते हुए अखबार पढ़ रहा ...Read More