ढ़लती दोपहर को अपने कमरे की खिड़की के पास बैठे हुए श्रेया बाहर बरसती बारिश की बूंदो को अपलक निहार रही थी । पास रखे उसके मोबाइल पर जगजीत और चित्रा सिंह की आवाजें गूंज रही थी । ‘ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो । भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी । मगर मुझको लौटा दो । बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी ।’
Full Novel
प्रतिशोध - 1
आशीष दलाल (१) ढ़लती दोपहर को अपने कमरे की खिड़की के पास बैठे हुए श्रेया बाहर बरसती बारिश की को अपलक निहार रही थी । पास रखे उसके मोबाइल पर जगजीत और चित्रा सिंह की आवाजें गूंज रही थी । ‘ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो । भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी । मगर मुझको लौटा दो । बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी ।’ असंख्य बूंदों का धरती पर गिरते ही अपना स्वरूप मिटा कर पानी की पतली सी धारा में एकाकार होते हुए देखना श्रेया को बचपन ...Read More
प्रतिशोध - 2
(२) नैतिक का सवाल सुनकर श्रेया चुप थी । फिर खुद ही बोलने लगी, ‘तुम्हें यह तो पता ही कि रोहन के पापा मेरे पापा के बहुत करीबी दोस्त रहे है । मेरी और रोहन की शादी होने का एक कारण उनकी दोस्ती भी रही है ।’ नैतिक को श्रेया की बात का विश्वास नहीं हुआ और वह हंसते हुए बोला, ‘तुम ये फिल्मी बातें बनाकर मुझे सुनाओगी और मैं मान जाऊंगा ? रहने दो श्रेया.... तुम्हें पता है न मुझे झूठ पसंद नहीं ।’ ‘मेरी बात का यकीन करो नैतिक । तुम्हें सबकुछ पता होगा लेकिन एक बात ...Read More
प्रतिशोध - 3
(३) अंधेरें में दोनों कुछ देर तक आपस में लिपटकर एक दूसरे की देह की गर्माहट को अनुभव करते । तभी लाईट आ गई और पूरा कमरा फिर से रोशनी से भर गया । नैतिक की पकड़ अचानक ही श्रेया पर ढ़ीली पड़ गई । ‘आय एम सॉरी ! मैं बहक गया था ।’ कहते हुए नैतिक श्रेया से दूर हट गया । श्रेया अनिमेष दृष्टि से नैतिक को निहार रही थी । क्षणभर के लिये आया नैतिक का आवेग अब थम चुका था । बारिश अब रुक रूककर धीमे धीमे बरस रही थी । अचानक ही आगे बढ़कर ...Read More
प्रतिशोध - 4
(४) रात को वन्दना ने याद कर नैतिक की पसन्द की चीजें खाने में बनाई थी । श्रेया ने दिनों से खाली पड़े फ्लावर पॉट में रजनीगंधा के फूलों के बीच दो लाल गुलाब की कलियां सजाकर डाइनिंग टेबल के बीच रख दी थी । फ्लावर डेकोरेशन श्रेया का शौक था लेकिन जिन्दगी की आपाधापी में कब उसका यह शौक पीछे छूट गया वह खुद ही नहीं जान पाई थी । आज वह बहुत खुश लग रही थी । लाईट ग्रीन कलर के सलवार पर काले रंग की चुनरी उसके ऊपर खूब फब रही थी । अपने चौड़े माथे ...Read More
प्रतिशोध - 5
(५) चार महीनों बाद दीवाली के बाद एक सादे समारोह के रूप में करीबी रिश्तेदारों की हाजरी में नैतिक श्रेया की शादी सम्पन्न हो गई । श्रेया को इस बार अपनी मम्मी का घर छोड़कर अपने अरमानों के घर में गृह प्रवेश करते वक्त न रुलाई फूटी और न कुछ पीछे छूट जाने का अहसास हुआ । उसके लिए नैतिक के घर आना उतना ही आसान था जितना की किसी का एक ही मोहल्ले में एक घर खाली कर दूसरे घर जाना । ‘नैतिक, दस दिन हो गए पर तुमने अभी तक नहीं बताया कि हम अपना हनीमून कहां ...Read More
प्रतिशोध - 6
(६) समय अपनी गति से गुजरता गया । श्रेया ने नैतिक की सलाह पर अपने को व्यस्त रखने के नौकरी ज्वाइन कर ली थी । अब तक श्रेया और नैतिक की जिन्दगी में छोटी मोटी तकरार को छोड़कर सबकुछ अपनी गति से अच्छा ही चल रहा था । आगे का समय भी बिना परेशानी के सम्हल जाता लेकिन कुछ दिनों से अपने मंथली पीरियड्स को लेकर परेशान श्रेया ने जब घर पर ही उस रात प्रेगनेंसी टेस्ट किया तो नैतिक की जिन्दगी में जैसे एक भूचाल सा आ गया । ‘नैतिक ! आय टोल्ड यू टू टेक प्रीकॉशन । ...Read More
प्रतिशोध - 7
(७) बारिश सुबह से ही बादलों के संग अठखेलियां करती हुई कभी बड़ी ही तेजी से बरस रही थी कभी अचानक ही बड़े प्यार से पेड़ों की पत्तियों को नहलाती हुई मिट्टी के संग मिलकर एक होकर नये जीवन की संभावना को जन्म दे रही थी । अपने कमरे की खिड़की के पास बैठकर पिछली बातों को याद करते हुए अचानक ही श्रेया की आंखों से आंसू की दो बूंदें फिसलकर उसके गाल पर आकर ठहर गई । पिछले आठ महीनों में बहुत कुछ बदल गया था । नैतिक शहर छोड़कर राधिका के संग अपने मामा के गांव चला ...Read More
प्रतिशोध - 8
(८) दो सप्ताह के भीतर ही श्रेया और नैतिक के डायवोर्स पर कोर्ट की मोहर लग गई । कोर्ट बाहर निकलते हुए नैतिक के चेहरे पर श्रेया को देखकर एक फीकी सी हंसी छा गई । कोर्ट की सीढ़ियां उतरकर अपने से दूर जाते हुए नैतिक को देखकर श्रेया को वह दिन याद आ गया जब वह अपने घर का सामन ट्रक में रखवा कर खाली मकान को ताला लगाकर सभी से विदा ले रहा था । राधिका गांव जाने के बाद फिर वापस आई ही नहीं । नैतिक मकान बिक जाने के बाद आखरी बार आकर वापस लौटते ...Read More
प्रतिशोध - 9
(९) माफी चाहता हूं श्रेया । आज बेवजह मेरी वजह से तुम सारा दिन परेशान रही । एक्चुली मैं व्हाइट शर्ट और ब्लू जींस पहनकर घर से निकला था लेकिन बीच रास्ते में एक कार वाले ने कीचड़ उड़ाकर मेरा शर्ट गन्दा कर दिया और मुझे वापस घर जाकर कपड़े बदलने पड़े । डोन्ट वरी ! मैं खुद कल तुम्हारी डेस्क पर आकर तुमसें मिलता हूं । ‘यू ब्लडीफुल ।’ पत्र पढ़कर श्रेया गुस्से से तमतमा उठी । सारा दिन करण सर और परेश पर शंका करते हुए परेशान होते हुए वह ठीक से काम में अपना मन न ...Read More
प्रतिशोध - 10 - अंतिम भाग
(१०) रात को काफी देर तक लेपटॉप पर काम करते हुए नैतिक जाग रहा था । उसके कमरे की चालू देख राधिका उसके कमरे में दाखिल हुई । उसकी नजर लेपटॉप की स्क्रीन पर पड़ी । नैतिक ने कुछ छिपाने का यत्न किया तो राधिका ने उसका हाथ पकड़ लिया । ‘पिछले कई दिनों से देख रही हूं । तू अब भी फेसबुक और इन्स्टाग्राम पर उसकी पोस्ट क्यों पढ़ता है ? तू आखिर चाहता क्या है जिन्दगी में ?’ ‘जानना चाह रहा था कि वह खुश है भी या नहीं ।’ नैतिक ने जवाब दिया । ‘अब वह ...Read More