"माँ! आप कितना लड़ती है पापा से|.....लगभग हर रोज ही किसी न किसी बात पर आप दोनों की झड़प होती है|...हमेशा लड़ाई आप ही क्यों शुरू करती हैं? बताइये न....पापा भी इंसान है। पापा को एक बार उल्टा बोलना शुरू करती हैं....तो चुप ही नही होती। बस लगातार गुस्सा होती जाती है। उनको बोलने ही नहीं देती|"... सृष्टि सालों साल से माँ-पापा की झगड़ते देख रही थी| आज न जाने कैसे सृष्टि ख़ुद को बोलने से रोक नहीं पाई| बेटी की बात को सुनकर विनीता और भी उख़ड़ गई… "मैं बोलती जाती हूँ....बस यही समझ आता है तुम्हें|....अभी बहुत छोटी हो तुम। ऐसा भी नहीं होता….सिर्फ़ बेटी होने से तुमको सब समझ आ जाएगा| तुम्हारे पापा और मेरे बीच में मत बोला करो। अभी ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं हुआ है....और बातें ऐसे करती हो मानो बहुत बड़ी और समझदार हो गई हो। बस इतना ध्यान रखो जो दिख़ता हैं...जरूरी नहीं वही सही हो|.."
Full Novel
भेद - 1
प्रगति गुप्ता ------ 1. "माँ! आप कितना लड़ती है पापा से|.....लगभग हर रोज ही किसी न किसी बात पर दोनों की झड़प होती है|...हमेशा लड़ाई आप ही क्यों शुरू करती हैं? बताइये न....पापा भी इंसान है। पापा को एक बार उल्टा बोलना शुरू करती हैं....तो चुप ही नही होती। बस लगातार गुस्सा होती जाती है। उनको बोलने ही नहीं देती|"... सृष्टि सालों साल से माँ-पापा की झगड़ते देख रही थी| आज न जाने कैसे सृष्टि ख़ुद को बोलने से रोक नहीं पाई| बेटी की बात को सुनकर विनीता और भी उख़ड़ गई… "मैं बोलती जाती हूँ....बस यही समझ आता ...Read More
भेद - 2
2. एक रात जब सृष्टि नींद न आने की वज़ह से दादी के बगल में लेटी हुई करवटें ले थी| तो दादी का उस पर लाड़ उमड़ पड़ा और उन्होंने पूछा... "सृष्टि! क्या हुआ बेटा?..नींद नही आ रही। सब ठीक तो है| गरम दूध लेकर आऊँ तेरे लिए....दूध पीकर जल्द नींद आ जाएगी|” “दादी! मैं दूध पी चुकी हूँ| माँ ने बनाकर दिया था|”...सृष्टि ने ज़वाब दिया| “आज तेरे कॉलेज में सब ठीक तो था न| तेरे इम्तहान कब से हैं? ख़ूब मन लगा कर पढ़ना.... ख़ूब मेहनत करना| तू कहती है न...‘दादी मैं बहुत बड़ी वकील बनना चाहती ...Read More
भेद - 3
3. “जब शादी होकर आई तो मेरा अधिकतर समय जेठुतियों के काम करने और उनको लाड़-प्यार करने में गुजरता महेंद्र भी मेरी शादी के आठ साल बाद हुआ| तब उनकी बड़ी बेटी पंद्रह साल की थी| सारे रिश्तेदार बोलते भी थे। जेठानी के बच्चों को खूब लाड़-प्यार कर....तब तेरी गोद हरी होगी। तेरी बड़ी दादी को मैं जीजी पुकारती थी।..... जीजी तो बेटियां जनने के कारण हमेशा ही शोक में रहती थी। उनको तेरे बड़े दादा का कड़वा बोलना बहुत चोट पहुँचाता था| कभी-कभी तो कई-कई दिन तक कमरे से बाहर ही नही निकलती थी| मैं उनका खाना ले ...Read More
भेद - 4
4. दादी के मुंह से मम्मी की तारीफ़ सुनकर सृष्टि को कुछ और नया सोचने को मिला। दादी कभी की बुराई नही करती थी। दरअसल उनकी आदतों में किसी की बुराई करना नही था। अभी तक दादी ने अपने अतीत से जुड़ा जो भी बताया....सृष्टि को लगा कि दादी ने परिवार के हर सदस्य के लिए बहुत दिल से किया। तभी उसने दादी से कहा... "आप घर के बारे में बता रही थी दादी। आगे बताओ न क्या हुआ।" "हाँ तेरे बड़े दादाजी के बारे में बता रही थी। वह अधिकतर नीम के पेड़ की छांव तले एक कोने ...Read More
भेद - 5
5. शायद यही वज़ह थी जब दादाजी ने दूसरी स्त्री के साथ नाता जोड़ा, तो उनको यह बात बहुत गई| कोई भी औरत ख़ुद के जीते-जी यह बर्दाश्त नहीं कर सकती| उन्होंने हर तरह से बड़े दादा जी के साथ निभाने की कोशिश की| पर दादाजी की दिनों-दिन बढ़ती मनमानियां उनको आहत करने लगी थी|.... जब तेरे बड़े दादा ने घर छोड़कर जाने का फ़ैसला लिया, तब बड़ी दादी ने ख़ुद को ख़त्म करने का कुछ जल्दीबाज़ी में ही फ़ैसला कर लिया| उस फ़ैसले को लेते समय वह नहीं सोच पाई कि उनके पीछे से उनकी बेटियों का क्या ...Read More
भेद - 6
6. तेरे दादा जी ज़िद थी कि सभी बच्चों को ख़ूब पढ़ाकर समर्थ बनाना है| उन्होंने घर में पढ़ाई लिए बहुत अनुशासन रखा| तभी सब बच्चे पढ़-लिख गए। कोर्ट-कचहरी में इतना कुछ देखने के बाद, उनको हमेशा ही लड़कियों का पढ़ना भी बहुत जरूरी लगता था| पर तेरे बड़े दादाजी ने कभी यह जानने की कोशिश नहीं की कि उनकी बेटियां क्या कर रही हैं। कौन-कौन सी कक्षा में आ गई हैं। उनको अपने मन का पहनने-ओढ़ने को मिल रहा है या नहीं| उन्होंने कभी नहीं पूछा|...उनको अपनी बेटियों पर कभी प्यार उमड़ा हो, मुझे ध्यान नहीं आता|.... जो ...Read More
भेद - 7
7. खाना खा पीकर दादी-पोती अपने-अपने बिस्तर में घुसी ही थी कि दादी ने अपनी बात शुरू की.... "जब ब्याह कर आई थी तब तेरे दादाजी के परिवार की बहुत शान-शौकत थी। तेरे बड़े दादाजी और दादाजी में दो साल का ही अंतर था| तेरे पड़ दादा-दादी बहुत जल्दी गुज़र गए थे| बड़े दादा की लापरवाहियों से तेरे पड़ दादाजी बहुत अच्छे से वाकिफ़ थे| वह कहते थे...‘पूत के पाँव पालने में नज़र आ जाते हैं|’ शायद यही वजह थी कि वह उनको कोई रुपयों-पैसों से जुड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपते थे| उनके हिसाब-किताब में भी खोट था| पर तेरे ...Read More
भेद - 8
8. समय के साथ कुछ और दिन यूं ही गुज़र गए| सृष्टि ने दादी के साथ हुए वार्तालाप को तक ही रहने दिया| अपनी माँ के पूछने पर उसने कहा कि- “माँ! दादी आपको बहुत प्यार करती हैं | उन्होंने आपके लिए कभी भी कोई ऐसी बात नहीं की| जिससे आपको चोट पहुंचे| आज मुझे उनके साथ सोते हुए बरसों हो गए हैं| वह हमेशा आपकी बहुत तारीफ़ करती हैं| आपके किए गए त्याग को बहुत मान देती हैं| पर मुझे आपके किए हुए उस त्याग को जानना है माँ| मैं आपकी बेटी हूँ |” तब विनीता ने अपनी ...Read More
भेद - 9
9. सृष्टि के ग्रेजुएशन फाइनल ईयर के इम्तिहान होने के बाद जैसे ही रिजल्ट आया सभी ने घर पर मिठाइयां बांटी क्योंकि उसने पूरी यूनिवर्सिटी में टॉप किया था| साथ ही उसको दिल्ली के ही एक बड़े लॉ कॉलेज में एडमिशन मिल गया था। एडमिशन के बाद नया सेशन शुरू होने में अभी समय था| कुछ छुट्टियां अभी बाक़ी थी| जिनमें वह अपने परिवार के साथ कुछ समय गुजारना चाहती थी| एक रोज जब उसने अपनी दादी और माँ को एक दूसरे के साथ कुछ बातें करते हुए देखा तो वह भी उनके बीच में जाकर बैठ गई| उसको ...Read More
भेद - 10 - अंतिम भाग
10. “सृष्टि! उस समय आज के जैसे मोबाईल नहीं हुआ करते थे| घरों में एक लेंड-लाइन फ़ोन होता था| वालों की उपस्थिति में सगाई के बाद हमारी बहुत गिनती की बातें होती थी| बातचीत में तेरे पापा बहुत अच्छे थे| माँ-बाऊजी के अच्छे संस्कार उनमें कूट-कूटकर भरे थे|....उनसे बात करके मुझे हमेशा अच्छा लगा|... ख़ैर ख़ूब धूमधाम से हमारी शादी हुई| कहीं भी कोई कमी-पेशी नहीं थी| जिस रोज़ हमारी विवाह की पहली रात थी....मैं भी और लड़कियों की तरह बहुत ख़ुश थी| उस रात ही मुझे पहली बार कुछ गलत होने का आभास हुआ क्योंकि जैसे ही तुम्हारे ...Read More