उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा भूमिकाप्रेम मानवीय भावनाओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्रेम एक भावना है। अतः किसी वस्तु की भांति इसे परिभाषित कर पाना कठिन है। इसे तो केवल ह्रदय से अनुभव किया जा सकता है। क्योंकी प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव अलग होता है। अतः प्रेम की अनुभूति भी सबके लिए अलग अलग होती है। कोई जड़

Full Novel

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - भूमिका

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा भूमिकाप्रेम मानवीय भावनाओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्रेम एक भावना है। अतः किसी वस्तु की भांति इसे परिभाषित कर पाना कठिन है। इसे तो केवल ह्रदय से अनुभव किया जा सकता है। क्योंकी प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव अलग होता है। अतः प्रेम की अनुभूति भी सबके लिए अलग अलग होती है। कोई जड़ ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 1

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 1देवराज इंद अपनी परम प्रिय अप्सरा उर्वशी के साथ चौसर खेल रहे थे। जानबूझ कर वह उर्वशी से हार रहे थे। हर बार जब भी उर्वशी जीतती थी तो अपने बड़े बड़े काले नयनों में विजय का गर्व भर कर देवराज इंद्र की तरफ देखती थी। उसका उन्हें इस तरह देखना देवराज को मोहित किए दे रहा था। वैसे तो ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 2

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 2.संध्या का समय था। महाराज पुरुरवा अपनी रानी औशीनरी के साथ राज उद्यान में टहल रहे थे। दोनों ही मौन अपने विचारों में लीन थे। महाराज पुरुरवा का मन एक अजीब से प्रश्न में उलझा हुआ था। उन्होंने रानी औशीनरी से वह प्रश्न किया,"रानी क्या आप बता सकती हैं कि प्रेम क्या है।"पुरुरवा का यह विचित्र प्रश्न सुनकर रानी कुछ ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 3

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 3उर्वशी और उसकी सखियां वन में स्थित सरोवर में जलक्रीड़ा कर रही थीं। सरोवर और उसके आसपास का स्थान बहुत मनोरम था। किंतु अप्सराओं के सौंदर्य ने उसे कई गुना बढ़ा दिया था। वर्चा सरोवर के तट पर बैठी उर्वशी के दो मेष शावकों की देखभाल कर रही थी। ये मेष शावक उर्वशी को बहुत प्रिय थे।जलक्रीड़ा करते हुए ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 4

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 4उर्वशी और पुरुरवा को साथ में समय व्यतीत करते हुए एक सप्ताह से भी अधिक समय बीत गया था। किंतु दोनों को ऐसा लगता था कि जैसे वो अभी कुछ क्षणों पहले ही मिले हैं। जितना वह दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताते थे उतना ही अधिक दोनों की साथ रहने की इच्छा बलवती होती जा रही थी।महाराज ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 5

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 5महाराज पुरुरवा अपने कक्ष में उर्वशी के विचारों में खोए हुए थे। रानी औशीनरी उनके निकट जाकर बैठ गईं। उन्होंने महाराज पुरुरवा से पूँछा,"महाराज जब से आप मृगया से लौटे हैं आप का चित्त अशांत रहता है। मुख्यमंत्री भी कह रहे थे कि राजसभा में आप पूर्ण ध्यान नहीं दे पाते हैं। आपकी इस व्यथा का कारण क्या है। ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 6

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 6 उर्वशी देवराज इंद्र के दरबार में नृत्य कर रही थी। परंतु देवराज को यह अनुभव हो रहा था कि जैसे आज उसके नृत्य में वह उत्साह वह स्फूर्ति नहीं है। उन्हें लगा जैसे कि वह दरबार में उपस्थित नृत्य तो कर रही है किंतु उसका मन ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 7

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 7पिछले करीब एक वर्ष से अभिक अवकाश पर था। इस अवधि में मदिरा और गणिका केवल यही दो वस्तुएं उसके जीवन का केंद्र थीं। इसके अतिरिक्त पहलवानों को मल्ल के लिए चुनौती देना उसका प्रमुख कार्य था। पहलवानों को मल्ल में हरा कर वह दांव में लगाई गई राशि जीत लेता था। इस समय यही उसके धनार्जन का मुख्य ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 8

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 8दस्युओं की गुफा से निकल कर अभिक जंगल में नंदन की प्रतीक्षा करने लगा। अपना पारितोषक लेकर नंदन खुशी खुशी लौट रहा था। अचानक ही पेड़ पर चढ़ा अभिक उसके सामने कूद गया। इस तरह अभिक को सामने देख कर नंदन डर गया। अभिक ने उसे पकड़ कर अपनी कृपाण उसकी गर्दन पर रख दी।भय से कांपते हुए नंदन ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 9

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 9भरत मुनि अपने शिष्यों पल्लव और गल्व के साथ एक नाटक के विषय में चर्चा कर रहे थे। वह चाहते थे कि नाटक का मंचन देवराज इंद्र की सभा में किया जाए। पल्लव ने उत्साहित होकर कहा,"गुरुदेव इंद्र देव की सभा में नाटक का मंचन बहुत ही उत्तम विचार है।"नाटक एक प्रेम कथा थी। राजकुमारी पद्मावती वन में भ्रमण करते ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 10

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 10भरत मुनि के नाटक के मंचन की तैयारी चल रही थी। नाटक के एक दृश्य का अभ्यास हो रहा था। दृश्य के अनुसार उर्वशी जो पद्मावती का पात्र निभा रही थी अपनी सखी अनुराधा को अपने प्रेम के विषय में बता रही थी। अनुराधा :- सखी जब से तुम वन में विहार करके लौटी हो तब से ही तुम्हारा चित्त ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 11

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 11उर्वशी और पुरुरवा गंधमादन पर्वत पर बने महल में निवास करने चले गए। वहाँ उनके प्रेम में व्यवधान डालने वाला कोई नहीं था। रात्रि दिवस दोनों एक दूसरे के प्रेम सरोवर में गोते लगाते रहते थे। चंद्रमा की सुखद शीतल चांदनी में गलबहियां डाले आपस में बात करते थे।एक दिन उर्वशी ने पुरुरवा से कहा,"महाराज मैंने सुना है कि ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 12

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 12महाराज पुरुरवा को उनके कर्तव्यों का बोध कराने के लिए रानी औशीनरी ने मानवक को बुलाया। उन्होंने मानवक को आदेश दिया कि महाराज पुरुरवा के पास जाकर उन्हें समझाए।मानवक महाराज पुरुरवा के समक्ष हाथ जोड़ कर खड़ा था। महाराज पुरुरवा ने पूँछा,"तुम्हारे यहाँ आने का प्रायोजन क्या है ? पता है ना कि हम कुछ समय आनंद विहार के ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 13

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 13मानवक ने महाराज पुरुरवा का संदेश रानी औशीनरी को सुना दिया। रानी औशीनरी को अंदेशा था कि महाराज अभी भी उर्वशी के रूप के जाल में उलझे हुए हैं। अतः वह अभी गंधमदान पर्वत से नहीं लौटेंगे। उन्होंने कहला दिया कि महारानी स्वयं राज्य संचालन की ज़िम्मेदारी संभाल लें। अब तो तय था कि महाराज पुरुरवा का जल्दी वापस लौटने का ...Read More

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उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम कथा - 14 - (अंतिम)

उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 14 (अंतिम)महाराज पुरुरवा दीवानों की तरह पेड़ पौधों पत्थरों वन प्राणियों से पूँछ रहे थे कि क्या उन्होंने उर्वशी को किसी दैत्य के चंगुल में फंसे हुए देखा है। परंतु कोई उत्तर ना पाकर और अधिक परेशान हो रहे थे। भटकते हुए वह कुमार वन में पहुँच गए। वहाँ पहुँच कर उन्हें विचार आया कि यह क्षेत्र स्त्रियों के लिए ...Read More