नासाज़

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अध्याय एकपेपरमेंट की मीठी जन्नतदुनिया एक पागल कुत्ते की तरह आपको काट खाएगी और आप बस उसका निवाला बन जाना, मुझे अब किसी की प्रतिक्रिया से कोई भी फ़र्क़ नहीं पड़ता था, बिल्कुल भी नहीं, मुझे अपने खिलाफ उठ रहे आवाजों के उठते शोर को दबाना आता है, मैं जानता हु कि अगर एक सुलगते सूखे पत्ते पर कही कोई चिंगारी लग जाये तो एक सुखा पत्ता पूरे जंगल को ख़ाक कर सकता है, और यह गलती मैं मेरे दिमाग के जंगल में लगने नहीं देना चाहता किसी भी तरीके से नहीं, मेरे अंदर भी मेरे गहरे ज़ख्म उसी सूखे

New Episodes : : Every Saturday

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नासाज़ - 1

दुनिया एक पिपरमिंट सी लगती है जुबान से मिलते ही चिंगम सी चिपकती हुई जुर्म और जुनून के बादशाह की कहानी उसके अजीब ढ़ंग से उसी के नजरिए से...... आइए सुने ..... ...Read More

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नासाज़ - 2

आज मैंने दो दो खून किए थे, लेकिन यह महज एक इत्तेफाक था या कुछ और, आज मेरी महबूबा और बाबिल दोनों ने मुझे एक बहुत बड़ा धोखा दिया, एक प्यार था तो दूसरा वफादार, कभी कभी जुर्म की दुनिया का बेरहम बादशाह होना भी बहुत पेचीदा हो जाता है ~~ पाफ्लोज ...Read More

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नासाज़ - 3

, यह एक पेचीदा लेन थी, जिसके नुकीले पत्तों वाली हेजेज इंग्लिश मौली से बने हुए थे, जिसके चेरी फल लेन से दूर उस विशाल हवेली के दाहिने कोने की तरफ चल रहे थे, यह हवेली किसकी थी?? जानने के लिए पढ़े , नासाज़ तीन - बिना नेमप्लेट वाला दरवाजा ...Read More

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नासाज़ - 4

अध्याय चार मुर्दों का टीला (पापलोज की ज़ुबानी) सुन सान रात के तलहटी में मै अपने महंगे वाइन के गर्दन वाले बोतल के साथ निकल पड़ा था, मेरे ठिकाने से बहुत दूर, यह सफर अंधेरे भरी थी, पर भी मेरे लिए यह जन्नत थी, अमावस की यह बिना चांद वाली रात मुझमें बिच्छू सा जहर घोल देती है, यह मेरे लिए शबाब और शराब दोनों से ज्यादा नशीली थी, अंधेरी रात की मौजूदगी से मेरे कदम धीरे धीरे इस वीरान बंजर इलाके में बढ़ रहे थे, बहुत ही धीरे कछुए के चाल लिए, मौसम में कुछ हल्की नमी थी, ...Read More

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नासाज़ - 5

अध्याय तीनबग्गे की दौड़पापलॉस की जुबानीमैं कब कब्र में ही सो गया और मेरी आंख लग गई पता ही चला , पर अब एक चमकीली सुबह की चिलचिलाती धूप मेरे शरीर में पड़ी, जिससे मेरा शरीर जल उठा, मेरे महंगे कत्थे रंग के अर्मनी सूट में सिलवटें पड़ गई थी , मेरा पूरा शरीर एक अजीब से दर्द से बाहर निकलने कि जद्दोजहद कर रहा था, मेरा पीठ और मेरा पिछ्वाड़ा बहुत जोरों से दर्द कर रहा था, और मेरा सर इस आती हुई धूप की रौशनी में चकराने लगा, तभी मेरे कानो में फोन की घंटी बजी, यह ...Read More

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नासाज़ - 6

अध्याय छहग्रीन कॉन्क्लेव लड़की की जुबानीमेरे अन्दर डर का एक अजीब सा माहौल था, एक कोतूहल था, और मेरे कपकपा रहे थे, ना जाने मेरे भाग्य में क्या लिखा हुआ था, मै अपनी सुंदरी को चला रही थी, हा मेरी स्कूटर जिसका हिंदी नाम सुंदरी था और अंग्रेज़ी में मै इसे डीवा बुलाया करती थी, यह स्कूटर मेरी मा की थी, अब वो इस दुनिया में नहीं रही, मेरी मा और मेरी नानी , इन दोनों के ही साथ मै रहा करती थी , जब मै बेहद छोटी थी पर नानी को जब मेरी मा के नाजायज औलाद के बारे ...Read More

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नासाज़ - 7

अध्याय 7 मौत का फरिश्तामेलिस्सा की जुबानीआज पूरा दो दिन बीत चुका है, मै अभी भी उस साइको की बंदूक की नोक पर उसके साथ जबरदस्ती अपनी जिंदगी एक पिज़्ज़ा शॉप में काट रही हूं, इस गैंगस्टर ने इस पिज़्ज़ा शॉप के मालिक को इतना धमकाया है कि जब इसके नाम का पोस्टर पूरे स्ट्रिट्स और अलग अलग न्यूज चैनलों में लगातार फ़्लैश हो रहा है, तो वो सहमा हुआ पिज़्ज़ा शॉप का मालिक हमे अपनी चौवालिस वोल्ट की बत्तीसी दिखाता हुआ, लगातार दो दिन से जंबो साइज पिज़्ज़ा के बॉक्सेस दे जाता है, मुझे लगता है अगर यह न्यू ...Read More

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नासाज़ - 8 - तमंचे पे डिस्को

शायद मेरी जिंदगी अब रुक सी गई है, इसमें अब वह खामोशी भी मर चुकी है, जो भले ही बेरंग जिंदगी में कोई खुशी तो न लाती थी , पर वह जरूर मेरे जिंदगी की ताल्लुकात अजनबियों को करवा जाती थी, मैंने जिंदगी में बहुत से धोखे खाए है, कई बार सड़कों पर भी दिन गुजारे है, भूखे पेट कई बार सोकर, आंखों के खारेपन की मिठास को चख कर मैंने अपनी भूख शांत की है, जब मैं अपनी टॉयलेट क्लीनर की बैच नहीं बेच पाती थी, मुझे किसी की हमदर्दी की जरूरत नहीं थी, मैंने कई बार कोशिश ...Read More