पश्चाताप.

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"पश्चाताप " यह रचना मैने प्रतिलिपि पर वेवसीरीज के तौर पर लिखी थी जिसे अब बिना परिवर्तित करे मै उपन्यास की रूप मातृभारती पर देने जा रही हूँ | प्रतिलिपि पर मैने इसे दस भागो मे प्रस्तुत किया था जो कि, पूर्णिमा का शशिकान्त के घर छोड़ने तक ही है | आगे का भाग मै मातृभारती पर देने जा रही हूँ | मुझे पूर्ण विश्वास है कि इच्छा की तरह ही आपलोग पूर्णिमा को भी उतना ही प्रेम व सम्मान देंगे | धन्यवाद ?रूचि दीक्षित अरे सुन रही है! ले जा इसे ! बिल्कुल भी ध्यान नही रखती बेटे का "|

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पश्चाताप भाग -1

"पश्चाताप " यह रचना मैने प्रतिलिपि पर वेवसीरीज के तौर पर लिखी थी जिसे अब बिना परिवर्तित करे उपन्यास के रूप मे मातृभारती पर देने जा रही हूँ | प्रतिलिपि पर मैने इसे दस भागो मे प्रस्तुत किया था जो कि, पूर्णिमा का शशिकान्त के घर छोड़ने तक ही है | आगे का भाग मै मातृभारती पर देने जा रही हूँ | मुझे पूर्ण विश्वास है कि इच्छा की तरह ही आपलोग पूर्णिमा को भी उतना ही प्रेम व सम्मान देंगे | धन्यवाद रूचि दीक्षित "अरे सुन रही है! ले जा इसे ! बिल्कुल भी ध्यान नही रखती बेटे का "| ...Read More

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पश्चाताप भाग -2

अब तक की कहानी मे पूर्णिमा किसी बात को लेकर बहुत दुखी है | उसी दुःख का अनुभव करती वह अपनी बीती हुई ज़िन्दगी को याद कर रही है | पूर्णिमा अपने भाई बहन मे सबसे बड़ी है |बचपन मे ही उसकी माँ की मृत्यु हो जाने के कारण उसके छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी उसके ऊपर आ जाती है | पूर्णिमा के जवान होने पर उसके पिता को उसके विवाह की चिन्ता सताने लगी | उसी की उम्र की और लड़कियों का विवाह होते देख वे और भी ज्यादा दुःखी हो गये थे | किन्तु उनकी आर्थिक स्थिति ...Read More

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पश्चाताप भाग -3

पश्चाताप के दूसरे भाग मे अब तक आपने पढ़ा पूर्णिमा का पति उससे अपने सुधरने की बात कर शाम को घर जल्दी आने की बात करता है किन्तु कई दिन बीतने पर भी वह घर नही आता है | पूर्णिमा दुःखी होकर ईश्वर के सम्मुख रोने लगती है कि तभी , पड़ोस से एक महिला आती है | जिसके पति की कुछ दिन पहले ही उस शहर मे पोस्टिंग हुई है | वे दोनो अच्छी सहेली बन जाती हैं | एक दिन पूर्णिमा ने अपनी सारी कहानी, उसी सहेली प्रतिमा से बता दी | उसकी आर्थिक स्थिति को भाँप ...Read More

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पश्चाताप भाग -4

पूर्णिमा का काम दिनोदिन बढ़ता जा रहा था| लोग उसके काम मे सफाई और बारीकी के मुरीद हो चुके |यहाँ तक की काम अधिक होने पर उसके मना करने पर लोग अनुरोधपूर्ण मुँह माँगे दाम देने तक को तैयार हो जाते | प्रतिमा भी पूर्णिमा के काम हाथ बटा देती थी | बहुत अधिक काम मिलने पर हाथों से पूरा करना अब मुश्किल हुआ जा रहा था परिणामत: उसे मना करना पड़ता | पूर्णिमा ने प्रतिमा से मशीन लेने की इच्छा जाहिर की, अब तक अपने काम से पूर्णिमा ने इतने पैसे जोड़ लिए थे कि मशीन आ गई ...Read More

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पश्चाताप भाग -5

सुबह प्रतिमा से मिलने न जा पाने के कारण, पूर्णिमा रात भर उसी के बारे मे सोचती रही | क्या हुआ होगा ! क्यो नही आ रही! कही बिमार तो नही हो गई न! मै कल जरूर जाकर पता करूँगी ! चाहे कुछ भी हो जाये ! | यही सोचते हुए पूर्णिमा को कब नींद आ गई पता ही न चला, पति से पूर्णिमा के संवाद बन्द होने के बावजूद भी वह उसकी नजदीकी का कभी विरोध न करती , किन्तु आज प्रतिमा की चिन्ता पति की इच्छा का भी उलंघन कर गई| सुबह उठते ही जैसे ...Read More

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पश्चाताप भाग -6

पूर्णिमा को आशीर्वाद देते हुए वे दम्पति वहाँ से चले गये |बेटी के भविष्य की चिन्ता पूर्णिमा को पहले ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित कर रहा था | बेटी की चिन्ता मे उसे अपना भी ध्यान न रहा | एक दिन उसे पता चलता है कि वह दुबारा माँ बनने वाली है, यह सुनकर उसपर पहाड़ टूट पड़ा हो मानो, अपनी परिस्थिति और बेटी के भविष्य को देखते हुए वह गर्भपात का फैसला कर लेती है | यहाँ भी उसका दुर्भाग्य बाजी मार ले जाता है | डॉक्टर यह कहते हुए मना कर देती है कि समय अधिक ...Read More

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पश्चाताप भाग -7

पश्चाताप भाग -7 नामकरण संस्कार के पश्चात अब पूरा घर शादी की तैयारियों मे लग गया | पैसो के - देनी,व्यवहार से लेकर शादी की सारी व्यवस्था तक जिम्मेदारी पूर्णिमा और भाई मुकुल पर ही थी | खैर, मीनू को घर बार अच्छा मिल गया था , लेन - देन की भी कोई बात न थी | घर वाले भी सज्जन स्वभाव के थे | लड़का मीनू के कालेज मे साथ पढ़ता था | वहीं दोनो की दोस्ती हुई थी ,जो बाद मे प्यार मे बदल गई | लड़के को लोअर पी सी एस के एग्जाम मे छठी रैंक प्राप्त ...Read More

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पश्चाताप भाग -8

पश्चाताप -8 अब हर रविवार शशिकान्त का सारा समय पूर्णिमा के पिता के पास ही बीतता | एक बात ही बातों मे वह पूर्णिमा के पिता से पूँछ बैठता है ,अंकल एक बात पूँछू ! | हाँ हाँ! दो पूँछो ! उत्हासपूर्वक | आपने पूर्णिमा के बारे मे आगे क्या सोचा है ! | आगे क्या सोचना बेटा ! भाग्य मे जो लिखा है वह तो भुगतना ही पड़ेगा ! | भाग्य! आपको पता है , भाग्य क्या होता है ? सामने एक स्लेट पड़ी थी, जिसपर अभी थोड़ी देर पहले ही पूर्णिमा अपनी बेटी को पढ़ा रही थी ...Read More

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पश्चाताप भाग -9

पश्चाताप भाग -9शशिकान्त फोन उठाकर हाँ माँ! कैसी हो? मै ठीक हूँ! तू कैसा है रे! चुपचाप शादी ली ! मुझे बताया ही क्यों था? जब मेरी आवश्यकता ही नही थी तुझे! | शशिकान्त "नही अम्मा ऐसा नही है |" हाँ तेरे बाबा होते तब तू ऐसे ही करता? माँ गलती हो गई ! सबकुछ इतनी जल्दीबाजी मे हुआ समझ नही पा रहा था कैसे ?और क्या करूँ ? शशिकान्त की माँ जल्दबाजी! काहे कि जल्दबाजी रे! अपनी माँ को ही भूल गया ! माफ कर दो न अम्मा! | माफी के अलावा और कर भी क्या सकती हूँ मै! ...Read More

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पश्चाताप भाग -10

पश्चाताप भाग -10 लगभग साल बीतने को आया पूर्णिमा गाँव मे ही अपने बच्चो के वियोग की पीड़ा को हुए ,शशिकान्त से जब भी फोन पर बात होती ,पूर्णिमा बच्चो के पास जाने की जिद करने लगती , शशिकान्त कोई न कोई बहाना लेकर टाल देता | दिन ब दिन पूर्णिमा की सेहत गिरती जा रही थी रात दिन उसे अपने बच्चों की ही चिन्ता लगी रहती | पूर्णिमा के बेटे की हँसी भी उसकी पीड़ा को कम न कर पाती, वह शशिकान्त के बेटे को हंसते -खेलते देखती तो ,दोनो बच्चों के ख्याल से उसका हृदय पीड़ा से ...Read More

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पश्चाताप. - 11

लगभग दो घण्टे के पश्चात शशिकान्त की माँ की आँखें बाबू के रोने के साथ ही खुल जाती हैं बाबू जब बहुत कोशिशों के बाद भी चुप न हुआ तो वह पूर्णिमा को देने का विचार कर जैसे ही पूर्णिमा के कमरे की तरफ बढ़ती है कि , अचानक ठिठक कर, अरे नही! ऐसे कैसे दे दूँ ! बिना उसका निर्णय जाने | तभी बाबू के रोने की आवाज तेज हो जाती है | बाबू की चित्कारे शशिकान्त की माँ के हृदय को द्रवित कर देती है,और वह अपने ही अन्तरमन मे चल रहे अन्तरद्वन्द से हार मान लेती ...Read More

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पश्चाताप. - 12

ग्यारहवें भाग मे आपने पढ़ा शशीकान्त का पूर्णिमा के बच्चों के प्रति बदलाव उनके भविष्य को लेकर उसे से पीड़ित कर रहा था | एक माँ होते हुए भी वह शशिकान्त के बच्चे पर पूर्ण मातृत्व प्रेम नही लुटा पा रही थी | जैसे ही वह उसे गोद मे लेकर दुलार करती कि तभी उसके दोनो बच्चों का चेहरा सामने आ जाता और उसका हृदय द्रवित हो जाता,उस पर बाबू के आने के बाद शशिकान्त के बदले व्यवहार जहाँ वह पूर्णिमा के बच्चों को एक पूर्ण पिता का प्रेम और सुरक्षा मे कोई कसर न छोड़ता वहीं, गाँव आने ...Read More

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पश्चाताप. - 13

निशा का बर्ताव पूर्णिमा के प्रति दिन प्रतिदिन अपमानजनक हो रहा था कि , एक दिन चिल्लाते हुए " राम! तंग आ चुकी हूँ मै इन लोगों से जीना हराम कर रखा है आज को फैसला होकर रहेगा इस घर मे मै रहुँगी या ये |" कहते हुए पूर्णिमा के बेटे को दो थप्पड़ जड़ दिये | चिल्लाने और बेटे के रोने की आवाज सुनकर पूर्णिमा किचन से निशा के कमरे की तरफ भागती है | पूर्णिमा बेटे को चुप कराती हुई "क्या हुआ निशा? " निशा क्या करेंगी जानकर? वो देखिये इतना महँगा लिपस्टिक सेट शादी मे बाहर ...Read More

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पश्चाताप. - 14

दो दिन मे ही प्रतिमा को मुकुल की पत्नि निशा का व्यवहार समझ मे आ गया , पूर्णिमा बच्चों के प्रति उसका व्यवहार उसे तनिक भी अच्छा न लगता कभी कभी तो गुस्से मे कुछ कह देने को आतुर होती कि पूर्णिमा उसे रोक लेती | आखिर एक दिन प्रतिमा पूर्णिमा से " तू कब तक यह सब बर्दाश्त करती रहेगी , " तुझे बर्दाश्त करना है तो कर पर मै अपने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार नही देख सकती पूर्णी |" तो क्या करु पुरु तू ही बता ? तू पहले जो करती थी वही काम फिर से शुरू ...Read More

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पश्चाताप. - 15

आज पूर्णिमा के लिए बेहद ही खुशी का दिन था उसके गुजरे हुए दिनो मे यह पहला ऐसा दिन जिसने पूर्णिमा को अपने निर्णय के प्रति संतुष्टि के भाव दिये | पूर्णिमा के बेटे विधु ने जहाँ इंजीनियरिंग कालेज मे टाप किया वही बेटी आभा को भी अपनी ही कंपनी मे एक बड़ा कान्ट्रैक्ट मिला | आभा ने एक बड़े संस्थान से एडवांस डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग एण्ड मैनेजमेन्ट का कोर्स कर पूर्णिमा द्वारा शुरू किये गये काम को और भी बेहतर तरीके से करते हुए एक बड़ी कम्पनी मे परिवर्तित कर उसे ऊँचाई प्रदान की | पूर्णिमा कम्पनी ...Read More