आवन्तिका की कहानी हमारी जु़बा़नी

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आवन्तिका और वेदान्त राठौड़ की शादी बहुत ही अलग ढंग से हुई थी। यह आवन्तिका की दूसरी शादी थी। वेदान्त एक सरकारी अफसर था और बहुत ही ईमानदार और सुलझे हुए व्यक्तित्व का इंसान था साथ ही साथ वह जयपूर के राठौड़ परिवार का बडा़ बेटा भी। आवन्तिका का तलाक होने के बाद उसके परिवार (ससूराल वालों) ने उसे दूसरे गांव दिया ताकि उसकी मनोस्थिति कुछ बेहतर हो सकें। आवन्तिका के ससूराल वाले उसे अपनी बेटी की तरह मनाते थे, और वह उसके दर्द को समझते

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आवन्तिका की कहानी हमारी जु़बा़नी - 1

आवन्तिका और वेदान्त राठौड़ की शादी बहुत ही अलग ढंग से हुई थी। यह आवन्तिका की दूसरी शादी थी। एक सरकारी अफसर था और बहुत ही ईमानदार और सुलझे हुए व्यक्तित्व का इंसान था साथ ही साथ वह जयपूर के राठौड़ परिवार का बडा़ बेटा भी। आवन्तिका का तलाक होने के बाद उसके परिवार (ससूराल वालों) ने उसे दूसरे गांव दिया ताकि उसकी मनोस्थिति कुछ बेहतर हो सकें। आवन्तिका के ससूराल वाले उसे अपनी बेटी की तरह मनाते थे, और वह उसके दर्द को समझते ...Read More

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आवन्तिका की कहानी हमारी जु़बा़नी - 2

आवन्तिका अब अपनी जि़न्दगी में वो सब कर सकती थी जो उसकी शुरू से इच्छाएं थी। उसने अपने दर्द अपने अन्दर छिपाए अपने सपनों को पूरा करने की शुरूआत की। आवन्तिका ने अलवर आकर शुरू से राजस्थानी रजवाड़ी कपड़ों के डिज़ाइन और गहनों के डिज़ाइन बनाने शुरू किए ! मानो उसे अब ज़िंदगी सही तरह जीने का एक मोक मिला था जिसे वह किसी भी क़ीमत पर छोड़ना नहीं चाहती थी और उसने मन लग के डिज़ाइन बनाना शुरू किए । कुछ दिनो बाद दीप्ति (उसकी सहेली ) भी अलवर आ गई !वह पहुँच कर कुछ दिनो बाद वह आवन्तिका से मिली । आवन्तिका से मिलकर दीप्ति और वो एक-दूसरे के गले मिलते है ,और वह दोनों एक-दूसरे से मिलकर बहुत ख़ुश थे ।एक-दूसरे से बात करते हुए दीप्ति को आवन्तिका के अतीत के बारे में पता चलता है । दीप्ति उसे हौसला देती है और सब भूल कर अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने को कहती हैं बातों ही बातों आवन्तिका दीप्ति से पूछती है की वो क्या करती हैं। दीप्ति मुस्कुराते हुए कहती हैं की "क्या करोगी जान कर तुम तुम्हारे बुलाने पर तुम्हारे सामने तो हूँ"। आवन्तिका उसे कहती हैं "तु बताती हैं या में अपने तरीक़े से बुलवाऊँ" टॉ दीप्ति कहती है 'एक कंपनी चलाती हुँ जहाँ हम लोगों से कपड़ों के डिज़ाइन ख़रीद कर उन्हें बना के बेचते हैं' और अगर साफ़ शब्दों में कहु तो कम्पनी की मल्क़िन हूँ! दीप्ति कुछ देर चुप रह कर आवन्तिका से पूछती हैं की तुम क्या करने का सोच रही हो! तो वह उसे कुछ ना बोल के अपने कपड़ों और गहनों के डिज़ाइन दिखाती हैं जिसे देख कर दीप्ति बहुत ख़ुश और हैरान होती हैं की कितने सुंदर डिज़ाइन हैं , दीप्ति फिर पूछती वह आगे क्या सोचती हैं इन डिज़ाइनस के बारे में क्या करना हैं उन्हें सिर्फ़ काग़ज़ पर ही छोड़ना है की कुछ करना है।तो आवन्तिका कहती है कि मुझे नहीं पता अभी कुछ सोचा नहीं तु बता क्या कर सकते है ।दीप्ति कुछ देर बाद कहती है तु अपनी कम्पनी क्यों शुरू नहीं करती। लोग तुझे जानते है और जब तुम अपना काम करोगी तो लोगों को तुम पर भरोसा होगा और अगर तुम कुछ बेचोगी तो लोग ख़रीदेंगे। दीप्ति यह बोलकर शांत हो जाती है और आवन्तिका की ओर देखने लगती है । आवन्तिका कहती की वह कुछ दिनो मैं सोच कर बताएगी इसके बाद दोनो दोस्त घूमने बाहर जाते है ओर ख़ूब मस्ती करते है। रात को आवन्तिका दीप्ति की कही हुईं बात के बारे में अपने पिता भूपेन्द्र(ससुर) से बात करती है दीप्ति की कहीं बातों का ज़िक्र करती की उसे एक कम्पनी खोलनी है तो आवन्तिका के पिता उसे कहते है की यह बहुत अच्छी बात है पर वह उन्हें कहती है कि वो इस बारे में वह और किसी को नया बताए ! आवन्तिका उनसे बात करके बहुत ख़ुश होती है। अगली सुबह होने का इंतज़ार करतीं है , अगले दिन दीप्ति कमरें में आती है और कहती है कीं मेरे साथ चलो आवन्तिका सवाल करते हुए कहती है कि जाना कहा है । दीप्ति कहती है कि अरे चलो तो तुम्हें मज़ा आएगा ! इतना कहकर वह उसे अपने साथ बाइक रेसिंग फ़िल्ड में ले जाती है। आवन्तिका वह पहुँच कर कहती है क्या करेंगे हम यहाँ तो वह कहती ह की तुम अपनी दोस्त का मनोबल बढ़ाने यह बात सुन कर आवन्तिका हैरान हो जाती है कि दीप्ति एक बाइक राइडर है ...................। ...Read More