अम्मा की नजरें सामने आती स्कूटी की तरफ़ ही टिकी हुई थी.. कौन है? कौन नहीं ये जानने के लिए अम्मा बेख़ौफ़ होकर सड़क पर स्कूटी के सामने ही आ रही थी.. पी..ईईईप....पीईईईईईईईप........ मैं जोर जोर से हॉर्न दे रही थी.. "अम्मा सामने से हट जाओ"..हॉर्न नहीं सुनाई दे रहा है तो कम से कम दिख तो रहा होगा.. मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा.. हैं...ऐं..ऐं... कु छे तू..(आंखे पैनी करके, हाथों को माथे पर भींचते हुए अम्मा औऱ भी स्कूटी के नज़दीक आने लगी)! "अरे! अम्मा सामने से तो हट जाओ"..!!! अम्मा अनसुनी करते हुए स्कूटी के सामने आने
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ज़िन्दगी सतरंग.. - 1
अम्मा की नजरें सामने आती स्कूटी की तरफ़ ही टिकी हुई थी.. कौन है? कौन नहीं ये जानने के अम्मा बेख़ौफ़ होकर सड़क पर स्कूटी के सामने ही आ रही थी.. पी..ईईईप....पीईईईईईईईप........ मैं जोर जोर से हॉर्न दे रही थी.. "अम्मा सामने से हट जाओ"..हॉर्न नहीं सुनाई दे रहा है तो कम से कम दिख तो रहा होगा.. मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा.. हैं...ऐं..ऐं... कु छे तू..(आंखे पैनी करके, हाथों को माथे पर भींचते हुए अम्मा औऱ भी स्कूटी के नज़दीक आने लगी)! "अरे! अम्मा सामने से तो हट जाओ"..!!! अम्मा अनसुनी करते हुए स्कूटी के सामने आने ...Read More
ज़िन्दगी सतरंग.. - 2
लोग कोरोना से कम पुलिस के डर से घरों में बैठे थे..इसलिए मौका देखकर बाहर घूम रहे थे और ही पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनाई पड़ता, तो दौड़ कर घरों में दुबक जाते..शाम के 6:30 बजे होंगे थोड़ा अंधेरा सा होने लगा था..कुछ घुम्मककड लोग सड़क पर घूम रहे थे। इधर सड़क से पुलिस की गाड़ी गुज़री। आज पुलिस भी चकमा देकर आयी थी । सायरन की कोई आवाज नहीं हुई ना ही भोपूं पर lockdown के नियम समझाने वाली रिकॉर्ड आवाज , लोगो को आभास भी नही हुआ, इधर एक दो के चलती गाड़ी से डंडे बरसे ...Read More
ज़िन्दगी सतरंग.. - 3
इंसान के अंदर अगर ज़िन्दगी जीने इच्छा हो तो चाहे कितनी भी मुश्किलें हो, कोई न कोई बहाने निकल आते है जीने के.. भले ही सब रास्ते बंद हो गए हों दिल अपने आप ही कई रास्ते ढूंढ लेता है.. भले ही गेट पर ताला लग गया हो पर अम्माजी ने दूसरी तरकीब सूझ ली थी.. अब वो छत पर बैठी रहती. सामने गांव की हर चहलकदमी पर पैनी नजर और गांव की ख़ुफ़िया खबरें रास्ते मे आने-जाने वालों से पूछ लेती.. अब वो सबसे बुजुर्ग उन्हें कौन मना कर पाए किसी बात के लिए..औऱ कोई कुछ ना भी ...Read More
ज़िन्दगी सतरंग.. - 4
अम्मा जी और फ़ौजी अंकल अब बूढ़े हो चुके थे..ईर्ष्या,काम, क्रोध, लोभ, मोह.. इन सबसे कोसो दूर..हां क्रोध और अभी बाकी था और बाकी था ढेर सारा बचपना भी...बच्चे जैसे दिमाग से नही सोचते मन के निश्छल होते है..उन्हें ना सम्मान की चिंता ना अपमान का डर..बस चाहिए तो ढेर सारा प्यार...ऐसे ही अम्माजी और फौजी अंकल भी किसी साथ, किसी बहाने की तलाश थी.. देवर-भाभी-ये ऐसा खट्टा मीठा रिश्ता है जो मन से मानो तो इनसे बेहतर दोस्त और कौन हो सकता है?...और दोस्तों के साथ ज़िन्दगी तो बेहतरीन ही होती है..अब छत पर हर रोज़ हंसी ठहाका, ...Read More