जंग-ए-जीवन भाग-1पैरो में काले रंग के मजबूत जूते पहने हुए, काला रंग का कुर्ता और पायजामा भी काला।सिर पर पगड़ी भी काले रंग की पहनी हुई एक डाकूरानी अपने कक्ष से बाहर आई।अपने दोनों हाथ फैलाये सिर आकाश की और ऊंचा लिए अपने मन ही मन बोली ... कुदरत तु सबसे बड़ा जादूगर है।ये हवा, ये वादिया, ये पानी ये पेड़ पौधे न जाने... बुरे के बुरे इंसान को भी अच्छा बना देती है एक ३५ साल का पुरुष अपने कक्ष से बाहर आया।डाकूरानी (१७ साल की है डाकुरानी)के सिर पे हाथ रखकर बोले :क्या सोच रही है मेरी राजकुमारी?(वो आने वाला पुरुष भी
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जंग-ए-जिंदगी भाग-१
जंग-ए-जीवन भाग-1पैरो में काले रंग के मजबूत जूते पहने हुए, काला रंग का कुर्ता और पायजामा भी काला।सिर पर भी काले रंग की पहनी हुई एक डाकूरानी अपने कक्ष से बाहर आई।अपने दोनों हाथ फैलाये सिर आकाश की और ऊंचा लिए अपने मन ही मन बोली ... कुदरत तु सबसे बड़ा जादूगर है।ये हवा, ये वादिया, ये पानी ये पेड़ पौधे न जाने... बुरे के बुरे इंसान को भी अच्छा बना देती है एक ३५ साल का पुरुष अपने कक्ष से बाहर आया।डाकूरानी (१७ साल की है डाकुरानी)के सिर पे हाथ रखकर बोले :क्या सोच रही है मेरी राजकुमारी?(वो आने वाला पुरुष भी ...Read More
जंग ए जिंदगी - 2
जंग ए जिंदगी-2 एक गुप्तचर आया ओर बोला; डाकुरानी को बोलो अर्जेंट गुप्तचर आया है। इस समय मे लोग बोलने की ओर सिखने का शोख भी रखने लगे है।डाकुरानी ने इस गुप्तचरा का नाम ही अर्जेंट रख दिया। डाकुरानीने अपने डाकु के परिवार मे बहोत सी भाषा के विदो को रखा है।कोइ अपनी मर्झी से आया तो कोइ जबरन लाया गया। डाकुरानी को अलग-अलग भाषा बोलना लिखना ओर जानने का बहोत ही शोख रखती है। वो 15 की आयु मे भी बहोत अच्छी संस्कृत लिख सक्ती है,बोल सक्ती है।अपनी मातृभाषा "गुजराती" पर उसकी पकड लाजवाब है।हिंदी भी बहोत अच्छी ...Read More
जंग-ए-जिंदगी - 3
जंग-ए-जिंदगी -3 तैयार होकर,डोली मे बैठकर दोनो बहेने चली ‘’गुरुआश्रम’’.... महाराजा सुर्यप्रताप की पत्नी का नाम सुर्यावती। राजा चंद्रप्रताप पत्नी का नाम है चंद्रावती। सुर्यावती ओर चंद्रावती दोनो सगी बहेने है। सुर्यावती ओर सुर्यप्रताप का बेटा सहदेव है। चंद्रावती ओर चंद्रप्रताप का बेटा चैतन्य है। सुर्यावती को महारानी कहा जाता है। चंद्रावती को रानी कहा जाता है। दोनो बहेने ‘’गुरुआश्रम’’ पहोची। गुरु समाधि मे लीन है ओर बोले मुजे पता था, महारानी मुजसे मीले बिना रेह नही सकती।वो जरुर आयेगी,वो जरुर आयेगी। ‘’गुरुमाता’’ बोली ‘आर्य’’ आप जो भी केहते है सच हो ही जाता है,उसमे चोकानेवाली कोई बात नही ...Read More
जंग-ए-जिंदगी - 4
जंग-ए-जिंदगी-4 अब भी बापु सब कुछ ख्वाब मे देख रहे है।किस तरह से एक राजकुमारी डाकुरानी बन गई। राजकुमारी मंत्री "जगजीतसिंह" का सहारा लिया। एक "सभा" चुपके से बुलाई। सभा मे तकरीबन "200 सो लोग" है। उसने कहा...."मंत्री जगजीतसिंह" मे आपसे पूछती हु क्या आप मेरा साथ देंगे? भले ही आप बड़े बापू के वफादार रहे हैं, फिर भी। जगजीतसिंह को तब याद आया..... महाराजा सुर्यप्रतापसिंह ओर उसकी बाते..... जगजीत; महाराजा,अब हमे ईतनी हमदर्दी दिखाने की कोई आवश्यकता नही ।हर बार वो लोग हमे बहोत बडा नुकसान पहोचाते है।हर बार वो युध्ध के नियमो का उलंघन करते है। ओर ...Read More
जंग-ए-जिंदगी - 5
जंग-ए-जिंदगी-5 राजमहल में चहल पहल होने लगी राजकुमारी दिशा राजमहल से भाग गई। उसने अपना एक परिवार बनाया।अपना नाम रख लिया है। उसके साथ मंत्री जगजीत सिंह है। उसके साथ 200सो लोग हैं। भानुपुर के घने जंगल मे है।वहीं अपना डाकू साम्राज्य चलनेवाली है। महाराजा के एक दूसरे मंत्री ने ये सब कुछ बताया जो विश्वासु है।वो भी महाराजा के साथ रहने वालों में से हैं। लोगो में हो रही बातचीत को दरबारियों के सामने दरबार मे मंत्री सुमेरु ने बताया तुरंत ही प्रजा को महाराजा ने बुलाया और कहा..... सभी दरबारी प्रजा को इकठ्ठा करने में लग गये।कुछ ...Read More
जंग-ए-जिंदगी - 6
जंग-ए-जिंदगी-6जिस महाराजा का पुत्र महाराजा बनने वाला है वो राजकुमार।उसकी मासा को जननी कहा जाता है जननी की सास राजमाता कहा जाता है यानी महाराजा की मासा को राजमाता कहा जाता है महाराजा की मासा जननी को राजमहल में बहुत सारे हक़ मिलते हैं और राजमाता को जननी से कम हक मिलते हैं सभी रानियां चाहती है उसका बेटा महाराजा बने और राज महल में उसे बहुत सारे हक़ मिले लेकिन सबको यह बड़प्पन प्राप्त नहीं होता है जो भाग्यशाली नसीबदार और ईश्वर ने लिखा होता है वही जननी बनती है और राज महल में बहुत से हक प्राप्त ...Read More
जंग-ए-जिंदगी - 7
जंग-ए-जिंदगी 7 राजकुमारी दिशा को डाकू रानी बनी 6 माह हो गई इस छह माह में भानु पुर के पर डाकुओं ने कोई हमला नहीं किया क्योंकि डाकू का सरदार वीरप्पन एक बड़ी बीमारी में फस गया "भानपुर" के साम्राज्य से नजदीक "पलट साम्राज्य" वहां अब डाकुओं का साम्राज्य है डाकू ने अपना साम्राज्य बना लिया अपना साम्राज्य बनाने से डाकू के पास 'पलट साम्राज्य'" की प्रजा और सैनिक आ गए। लेकिन पहले डाकू की सरदार वीरप्पन हार जाता क्योंकि कभी-कभी उसकी सेना लड़ाई में कम पड़ जाती मगर "पलट साम्राज्य "हाथ आने से वीरप्पन का यह प्रश्न हल ...Read More
जंग-ए-जिंदगी - 8
जंग ए जिंदगी 8 "सरदार वीरप्पन" डाकू रानी की प्रतिज्ञा से बहुत ही गुस्से हो गया।नाराज हो गया। इसलिए साम्राज्य" पर उसने अपना कहर दुगना कर दिया। ताकि कोई प्रजा सरदार वीरप्पन के सामने अपना सर उचाना करें। लेकिन सरदार वीरप्पन के एक आदमी वह सरदार वीरप्पन का "दाया हाथ" है वह 35 साल का परमचंद्र यह सब देख नहीं सका उसने सोचा सरदार वीरप्पन कभी ऐसे आदमी नहीं थे तो फिर ऐसा क्यों? उसने क्यों स्त्री या बच्चे और वृद्ध लोगों पर अपना कहर बरसाना शुरू किया? हमने पहले से ही तय किया हम चाहे जिंदगी भर लोगों ...Read More
जंग ए जिंदगी - 9
जंग ए जिंदगी 9 वीर चंद्र और परम चंद्र डाकू रानी के अड्डे के सामने उल्टे बेहोश पड़े हैं रानी के अड्डे से जगजीतजी बाहर आये उसके साथ कुछ सैनिक भी है उसने देखा कि सामने 2 लोग है उसने अपने सैनिकों को सावधान किया और कहा जाओ देखो वह कौन है जिंदा है या मुर्दा फिर 2 सैनिक ने और दोनों को पलट कर देखा सैनिक बोला जगजीत सिंह जी यह तो मूर्छित अवस्था में है जगजीत सिंह दोनों को पहचान गया उसने अपने सैनिकों को सावधान किया और दूसरे सैनिकों को भी भेजा और कहा दोनों को ...Read More
जंग-ए-जिंदगी - 10
जंग ए जिंदगी 10 डाकू रानी वीर के साथ चल रही वह बोली वीर हम चाहते हैं आप की हमे जांबाज सिपाही बनाएं तभी वीर बोला ठीक है आपकी जैसी इच्छा अगर आप चाहती हैं कि हम आपकी मदद करे तो अवश्य करेगे तब डाकू रानी बोली ठीक है तो तुम कल पलट साम्राज्य की ओर हमें ले चलो वीर बोला ठीक है हम आपको कल पलट साम्राज्य की सेर करवाएंगे और आपको दिखाएंगे कि स्त्रियों का कितना बुरा हाल है डाकू रानी बोली ठीक है फिर डाकू रानी ने कहा वीर अब तो तुम जा सकते हो डाकू ...Read More
जंग ए ज़िंदगी - 11
जंग ए ज़िंदगी 11 वीर डाकू रानी को होश में लाने का प्रयत्न करने लगा डाकू रानी को बहुत फिर पानी लेकर आया और मुंह पर छिड़का उससे भी डाकू रानी होश में नहीं आई फिर उसने एक पेड़ की पतीली अपने हाथों से घसीटकरडाकू रानी के मुंह पर रखी फिर भी कुछ नहीं हुआ फिर उसने पानी लिया पेड़ की पत्ती ली चट्टान पर मिश्रण किया और फिर डाकू रानी के हाथ और पैर में लगाने लगा फिर भी कुछ असर नहीं हुआ दूसरी ओर नरोत्तम के साथी के साथी को पता चल गया वह परिवेश बदलकर आने ...Read More
जंग-ए-जिंदगी - 12
जंग ए जिंदगी 12 वीर डाकू रानी का डाकू सिहासन तैयार करवाने के लिए कुछ सिपाहियों को सूचना देने कुछ सिपाहियों को सामान लेने के लिए लगा दिया तो कुछ सिपाहियों ने एक अच्छी सी जगह सब कुछ ठीक करने के लिए कह दिया तभी वीर को एक विचार आया वह तुरंत ही डाकू रानी के पास पहुंचा तभी डाकू रानी राज महल के बारे में सोच रही है उसे लगता है कि अब वह अकेली रह गई है उसे अच्छा नहीं लग रहा है जैसे एक एक दिन एक 1 बरस के जैसे बिक रहा है उसे लगा ...Read More