शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर

(650)
  • 409k
  • 93
  • 184.2k

जासूसी उपन्यास शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर @ कुमार रहमान कॉपी राइट एक्ट के तहत जासूसी उपन्यास ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर’ के सभी सार्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं। किसी भी तरह के उपयोग से पूर्व लेखक से लिखित अनुमति लेना जरूरी है। डिस्क्लेमरः उपन्यास ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर’ के सभी पात्र, घटनाएं और स्थान झूठे हैं। और यह झूठ बोलने के लिए मैं शर्मिंदा नहीं हूं। बिल्ली की चोरी कम से कम सार्जेंट सलीम ने ऐसी खूबसूरत लड़की अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी थी। सबसे सुंदर उस लड़की की आंखें थीं। ऐसा लगता था कि

Full Novel

1

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 1

जासूसी उपन्यास शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर @ कुमार रहमान कॉपी राइट एक्ट के तहत जासूसी उपन्यास ‘शोलागढ़ @ 34 के सभी सार्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं। किसी भी तरह के उपयोग से पूर्व लेखक से लिखित अनुमति लेना जरूरी है। डिस्क्लेमरः उपन्यास ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर’ के सभी पात्र, घटनाएं और स्थान झूठे हैं। और यह झूठ बोलने के लिए मैं शर्मिंदा नहीं हूं। बिल्ली की चोरी कम से कम सार्जेंट सलीम ने ऐसी खूबसूरत लड़की अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी थी। सबसे सुंदर उस लड़की की आंखें थीं। ऐसा लगता था कि ...Read More

2

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 2

मारपीट मोबाइल के वाल पेपर पर एक लड़की की फोटो थी। यह वही लड़की थी, जिसे सार्जेंट सलीम ने दिन पहले होटल सिनेरियो में देखा था। सार्जेंट सलीम के जेहन में कल का पूरा दृश्य एक झटके से आकर गुजर गया। वह अचानक पानी के अंदर क्यों चली गई? क्या उसने खुदकुशी कर ली? या फिर कोई साजिश है? यह सवाल सलीम के दिमाग में गूंज रहे थे। उसकी तंद्रा उस वक्त टूटी जब उसके कानों में सोहराब की आवाज गई। वह चौंक कर सोहराब की तरफ देखने लगा। सोहराब कह रहा था, “इस मोबाइल को लैब में भेज ...Read More

3

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 3

हीरोइन इंस्पेक्टर सोहराब को घूरते देखकर सलीम दूसरी तरफ देखने लगा। सोहराब, कैप्टन किशन के सामने दूसरे सोफे पर गया। सार्जेंट सलीम भी सोहराब की बगल में आकर बैठ गया। “जी बताइए, कैसे आना हुआ।” सोहराब ने नर्म लहजे में पूछा। “सोहराब साहब, शेयाली मेरी भतीजी थी। मैं एफआईआर लिखाने कोतवाली गया था। वहां से पता चला कि इस केस को आप देख रहे हैं। इसलिए इधर चला आया।” कैप्टन किशन ने गमगीन लहजे में कहा। “जी हां, यह केस खुफिया महकमे को ट्रांसफर हो गया है।” “यह तो अच्छी बात है कि अब केस जल्दी साल्व हो जाएगा।” ...Read More

4

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 4

पेंटर लूसी सार्जेंट सलीम की पीठ से अपना जिस्म प्यार से रगड़ रही थी। लूसी को देख कर सलीम आंखें फटी की फटी रह गईं। लूसी उसकी पर्सियन बिल्ली थी। एक दिन सड़क के किनारे से सलीम की कार से लूसी चोरी हो गई थी। उसके लिए वह काफी परेशान भी रहा था। मौजूदा सूरते हाल भी उसके लिए कम परेशानी की वजह नहीं थी। लूसी उसे शेयाली के घर में मिली थी। इसका भला क्या मतलब हो सकता है? क्या लूसी को शेयाली या उसके ब्वाय फ्रैंड ने चोरी किया था? या फिर....? वह इसके आगे नहीं ...Read More

5

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 5

तकरार सार्जेंट सलीम खामोशी से जाकर टेबल के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया। उसके ठीक बगल की टेबल विक्रम के खान बैठा हुआ था। उसे वहां बैठा देख कर ही सार्जेंट सलीम ने मेकअप से अपना गेटअप बदला था। विक्रम के सामने की सीट पर एक खूबसूरत लड़की बैठी हुई थी। उसने मस्टर्ड कलर का टूल गाउन पहन रखा था। इसके साथ लड़की ने रेड मूंगे की ज्वैलरी की मैचिंग की थी। उसके बाल काले घने और काफी लंबे थे। बालों को उसने खोल रखा था। लड़की की आंखें गहरे काले रंग की थीं। आंखों में उसने ...Read More

6

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 6

बिल्ली का क़त्ल इंस्पेक्टर सोहराब सिसली रोड पर पहाड़ों के बीच बनी कुदरती झील की तरफ जाने के लिए था। वह पिछले कुछ दिनों से वहां जा रहा था। सुबह पांच बजे वह झील पर पहुंच जाता था। वहां एक घंटा योगा करने के बाद लौट आता था। गर्मियों में वैसे भी सुबह जल्दी हो जाती है। वह सार्जेंट सलीम को भी ले जाना चाहता था, लेकिन वह किसी भी सूरत में इतनी सुबह जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। आज सोहराब का बिल्ली ने रास्ता रोक लिया था। गुलमोहर विला के गेट के बाहर सामने ही पेड़ की डाली ...Read More

7

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 7

कैफे श्रेया, सार्जेंट सलीम की सोच से कहीं ज्यादा एडवांस निकली थी। सुबह नाश्ते के बाद इंस्पेक्टर सोहराब ने श्रेया का नंबर दिया था। सार्जेंट सलीम ने वहीं बैठे-बैठे उसका नंबर मिला दिया। अपना परिचय देने के बाद उसने श्रेया को शेक्सपियर कैफे पर मिलने के लिए बुलाया था। वह तुरंत ही राजी हो गई। सार्जेंट सलीम ने उसके सामने दो शर्तें रखी थीं। पहली कि वह इस मुलाकात के बारे में किसी को बताएगी नहीं और दूसरी शर्त यह थी कि वह अकेली आएगी। शेक्सपियर कैफे में सलीम ठीक 11 बजे पहुंच गया था। यह कैफे अपने ...Read More

8

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 8

न्यूड पेंटिंग शाम के पांच बजे थे। धूप की तपिश थोड़ा कम हो गई थी। 7, डार्क स्ट्रीट स्थित गुलमोहर विला के बड़े से दरनुमा गेट से डायमंड ब्लैक कलर की घोस्ट बाहर निकल रही थी। उसे इंस्पेक्टर कुमार सोहराब ड्राइव कर रहा था। आज तीसरे दिन भी एक कार उसके इंतजार में खड़ी थी। सोहराब की कार के आगे बढ़ते ही पीछे वाली कार भी स्टार्ट हो गई। कुछ देर बाद उसने एक मुनासिब दूरी बनाकर घोस्ट का पीछा शुरू कर दिया। घोस्ट का पीछा करने वाली आज एक नई कार थी। सोहराब को कुछ देर बाद ...Read More

9

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 9

लापता सार्जेंट सलीम को गायब हुए 24 घंटे से ज्यादा हो गए थे। पहले दिन जब वह शाम तक लौटा तो सोहराब ने कई बार उसका फोन मिलाया था। हर बार एक ही जवाब मिलता रहा, ‘नॉट रीचेबल’। सोहराब ने सोचा कि वह तफरीह करने कहीं दूर निकल गया है। उसे ज्यादा फिक्र नहीं हुई। सार्जेंट सलीम जब रात में भी नहीं लौटा और न ही उसका कोई मैसेज ही आया तो इंस्पेक्टर सोहराब को फिक्र होने लगी। उसने श्रेया का मोबाइल नंबर भी मिलाया। उसका नंबर भी बंद था। सोहराब को मालूम था कि सलीम उस से ही ...Read More

10

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 10

झील के किनारे सार्जेंट सलीम फटी-फटी आंखों से शेयाली को देखे जा रहा था। “तुम जिंदा हो!” सार्जेंट सलीम मुंह से बेसाख्ता निकला। “मैं क्यों मरने लगी भला!” शेयाली पलकें झपका-झपका कर उसे देखे जा रही थी। “तुम यहां कैसे पहुंचीं?” सलीम ने पूछा। “उसने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। वह कह रहा था मेरी-तुम्हारी शादी होनी है।” शेयाली ने मुस्कुराते हुए कहा। “लेकिन अभी तक तो मेरे अब्बा की भी शादी नहीं हुई।” सार्जेंट सलीम ने घबराए हुए से अंदाज में कहा। “यह अब्बा क्या होता है।” “अम्मी के शौहर को उनके बच्चे अब्बा क ...Read More

11

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 11

साजिश हाल में चारों तरफ अंधेरा था। हर तरफ से सिर्फ चीख पुकार की आवाज सुनाई दे रही थी। भागते वक्त कुर्सियों से टकरा रहे थे। एक दूसरे पर भी गिर रहे थे। अजब सा हंगामा बरपा था। “न इनवर्टर काम कर रहा है और न ही जनरेटर ही आन हुआ है अब तक। इलेक्ट्रीशियन कहां मर गया।” क्लब के मैनेजर की गुस्से भरी आवाज अंधेरे में गूंजी। इस हंगामे के बीच विक्रम के खान शांत खड़ा था। ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई मूर्ति हो। उस की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि क्या करे। ...Read More

12

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 12

कागज का टुकड़ा इंस्पेक्टर सोहराब की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। सार्जेंट मुजतबा सलीम को गायब हुए दो दिन चुके थे। उसका कहीं कुछ पता नहीं चल रहा था। सलीम और श्रेया दोनों के ही मोबाइल सर्विलांस पर लगे हुए थे। उनके गायब होने के बाद से मोबाइल दोबारा ऑन नहीं हुए थे। मोबाइल की आखिरी लोकेशन भी हीरा नदी के पास की ही मिली थी। नदी में काफी दूर तक पुलिस की पांच टीमें सलीम और श्रेया को तलाशने गईं थीं। इसके बावजूद दोनों का कहीं कोई सुराग नहीं मिला था। दोनों को तलाशने की कोशिशें अब भी ...Read More

13

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 13

रास्ता सार्जेंट सलीम इस जोर से यूरेका-यूरेका चिल्लाया था कि उसकी आवाज पूरी गुफा में कई बार गूंज-गूंज कर देती रही। यूरेका शब्द का मतलब होता है, ‘मैंने पा लिया’। इस शब्द के पीछे एक कहानी है। भौतिकशास्त्री आर्कमडीज एक राजा के यहां दरबारी थे। एक बार राजा ने सोने का एक ताज बनवाया। राजा को शक था कि सुनार ने मुकुट में मिलावट की है। मुकुट बहुत सुंदर बना था, इसलिए राजा उसे गलाए बिना ही जानना चाहता था कि उसमें कितनी फीसदी मिलावट है। उसने आर्कमडीज से पता करने को कहा। आर्कमडीज परेशान थे कि कैसे पता ...Read More

14

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 14

आसमान से गिरे सार्जेंट सलीम अपनी समझदारी की वजह से गुफा से बाहर आ गया था। उसने पहले उस से छेद से श्रेया को बाहर निकाला था और फिर खुद भी ऊपर पहुंच गया था। अब उसके सामने एक नई मुसीबत थी। वह एक दूसरी गुफा में पहुंच गया था। यानी आसमान से गिरे खजूर पर अटके। वह थक कर पथरीली जमीन पर लेट गया था। उसका इरादा सुस्ताने का था। काफी मेहनत की थी, उसने यहां तक पहुंचने के लिए। कुछ देर बाद उसे फिर से बाहर निकलने की कोशिश करनी थी। चारों तरफ गहरा अंधेरा था। हाथ ...Read More

15

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 15

फर्जी कत्ल सोहराब के सवाल पर विक्रम खान सोच में डूब गया। जैसे विक्रम किसी और दुनिया में गुम गया हो। सोहराब उसके चेहरे के उतार-चढ़ाव को बहुत ध्यान से देख रहा था। जब विक्रम ने जवाब नहीं दिया तो सोहराब ने फिर से सवाल दोहरा दिया, “मैंने पूछा था कि कौन है जो आपको डराना चाहता है?” सोहराब की आवाज सुनकर विक्रम चौंक पड़ा। वह कुछ घबराया हुआ सा दिख रहा था। उसने खुद पर काबू पाते हुए कहा, “यह मैं नहीं जानता कि वह कौन है!” विक्रम को ऐसा लगा जैसे उसकी आवाज कहीं बहुत दूर से ...Read More

16

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 16

शोलागढ़ इंस्पेक्टर सोहराब ने मेकअप रूम में ही कॉफी पी और फिर एक किताब पढ़ने लगा। यह किताब स्पेन प्रसिद्ध चित्रकार पाब्लो पिकासो की प्रेमिका रही सिलवेट डेविड के बारे में थी। यह वही किताब थी, जिसे कुछ दिन पहले उसने शेयाली के प्रेमी पेंटर विक्रम खान के हाथों में देखा था। सोहराब तकरीबन चार घंटे उस किताब को पढ़ता रहा। उसके बाद वह आराम कुर्सी पर ही सो गया। दो घंटे की नींद के बाद वह उठा और वहां से सीधे अपने बेडरूम में आया और फिर वाशरूम में नहाने के लिए चला गया। शावर लेने के बाद ...Read More

17

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 17

हंगामा उसे घूरता देख कर विक्रम खान की खोपड़ी उलट गई। उसने एक भरपूर पंच उसके मुंह पर मारा। इतना नपा-तुला था कि वह आदमी किसी कटे हुए पेड़ की तरह जमीन पर धाराशाई हो गया। लपक कर विक्रम ने मेज की ड्रार से रिवाल्वर निकाल लिया। उसने सुबह गोली वाली घटना के बाद ही उसे बेडरूम से लाकर यहां रख लिया था। उसके बाद वह बहुत जोर से चिंघाड़ा, “गार्ड! यह आदमी अंदर कैसे आया?” उसकी आवाज सुनकर दोनों गार्ड भागते हुए अंदर आ गए। वह काफी डरे हुए थे। उनकी निगाह कभी जमीन पर पड़े आदमी पर ...Read More

18

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 18

सफर इंस्पेक्टर सोहराब की टैक्सी शोलागढ़ की तरफ भागी चली जा रही थी। ड्राइवर काफी होशियार था। वह एक रफ्तार से टैक्सी चला रहा था। इंस्पेक्टर सोहराब पिछली सीट पर खामोशी से बैठा हुआ था। सफर लंबा था और उबाऊ भी, लेकिन वह इंस्पेक्टर सोहराब था। उसे ऐसे उबाऊ सफर भी बुरे नहीं लगते थे। ऐसा खाली वक्त जब करने को कुछ न हो तो उसका दिमाग तेज रफ्तार से दौड़ने लगता था। इस वक्त भी वह केस की कड़ियां मिलाने की कोशिश कर रहा था। सब कुछ एक फिल्म की तरह उसके जेहन के पर्दे पर चल रहा ...Read More

19

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 19

लिफ्ट यह आवाज कैप्टन किशन की थी। कार की पिछली सीट से कैप्टन किशन ने उतरते हुए पूछा, “यहां कर रहे हो इतनी रात को, और यह जंगलियों का सा लिबास क्यों पहन रखा है?” “मैं शिकार खेलने गया था। वहां जंगलियों ने मुझे अपना राजा बना लिया। आने ही नहीं दे रहे थे। बड़ी मुश्किल से भाग कर आया हूं।” सार्जेंट सलीम ने पूरी गंभीरता से जवाब दिया। अचानक कैप्टन किशन की नजर श्रेया पर पड़ गई। उसने धीरे से कहा, “ओह तो आप भी हैं!” उसने यह बात इतने धीरे से कही थी कि सार्जेंट सलीम सुन ...Read More

20

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 20

बुरा नाम इंस्पेक्टर सोहराब के सामने शैलेष जी अलंकार खड़ा पलकें झपका रहा था। यह ‘शोलागढ़ @ 34 फिल्म का राइटर और डायरेक्टर था। उसे वहां पाकर इंस्पेक्टर सोहराब आश्चर्य में डूब गया। आखिर वह इतनी रात गए यहां क्या कर रहा है! सोहराब ने हड़बड़ाहट का मुजाहरा करते हुए मुंह में लगी बीड़ी फेंक दी और दोनों हाथ जोड़ दिए, “साहेब नमस्कार!” सोहराब ने आवाज को बदलते हुए कहा। “कौन हो तुम?” शैलेष ने अपनी पतली आवाज को भारी बनाते हुए पूछा। “साहेब हम जरूरतमंद हैं... हमें मोहन बाबू ने आपके पास भेजा है... रुकिए आपको उनकी चिट्ठी ...Read More

21

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 21

एक और हमला श्रेया को कांधे पर लाद रखे बदमाश की कमर पर इस जोर की लात पड़ी थी वह जमीन पर आ रहा। इसके साथ ही दूसरी लात और दोनों हाथ बाकी तीन बचे बदमाशों के काम आए थे। इस अचानक हमले से उनमें भगदड़ मच गई। लात खाने वाला भी जमीन से उठ कर तेजी से भागा। सोहराब ने कुछ दूर तक उनका पीछा किया, लेकिन चारों अंधेरे का फायदा उठाकर वहां से फरार हो गए। लौट कर मजदूर बने सोहराब ने श्रेया के मुंह पर से टेप हटा दिया। उसने उसके दोनों हाथ भी खोल दिए। ...Read More

22

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 22

शूटिंग कैंसिल सुबह छह बजे कैप्टन किशन ने रिसेप्शन पर हार्ड काफी का आर्डर दिया और फिर फ्रेश के लिए वाशरूम में चला गया। जब वह निकला तो टेबल पर गर्म काफी उसका इंतजार कर रही थी। उसने कपड़े पहने और फिर हार्ड काफी का मजा लेने लगा। काफी खत्म करते ही वह होटल से निकल पड़ा। उसकी कार का रुख कोठी की तरफ था। उसके साथ उसका सेक्रेटरी भी था। वह होटल में उसके बगल के कमरे में ठहरा हुआ था। कुछ देर बाद उनकी कार कोठी के कंपाउंड में दाखिल हो गई। कोठी में अभी भी ...Read More

23

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 23

स्टूडियो उसी रात। काले रंग की दो बड़ी कारें डे स्ट्रीट रोड पर सन्नाटे को चीरती हुई तेजी से बढ़ रहीं थीं। टायरों की चरचराहट रात के सन्नाटे में अजीब सी लग रही थीं। ऐसा लग रहा था कई सारे चमगादड़ चिचिया रहे हों। इस रोड पर गाड़ियों का आना-जाना आम सी बात थी। रात का आखिरी पहर था। दोनों ही कार में ड्राइवर को मिलाकर तीन-तीन आदमी मौजूद थे। दोनों ही कारों की रफ्तार बहुत ज्यादा नहीं थी। कुछ दूर जाने के बाद एक बड़ी सी इमारत के सामने दोनों ही कारें रुक गईं। कार रुकते देख कर ...Read More

24

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 24

फकीर ट्रेन स्टेशन पर कुछ देर में पहुंचने वाली थी। इंस्पेक्टर सोहराब ने सार्जेंट सलीम को जगा दिया और जेब में दो हजार रुपये रखते हुए कहा, “तुम श्रेया को लेकर गुलमोहर विला पहुंचो। मैं कुछ देर में आता हूं।” “क्या श्रेया को भी गुलमोहर विला ले जाना है?” सलीम ने आश्चर्य से पूछा। “फिलहाल यही कीजिए।” सोहराब ने संक्षिप्त सा जवाब दिया। सोहराब के इस फैसले से सलीम की बांछें खिल गईं थीं। अब जरा घूमने-फिरने में मजा आएगा। डांस के लिए एक बढ़िया पार्टनर भी मिल गया है। उसने मन ही मन सोचा। तभी सोहराब की आवाज ...Read More

25

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 25

फिल्म हीरों का व्यापारी बना इंस्पेक्टर सोहराब इस वक्त कैप्टन किशन के सामने बैठा हुआ था। यह जगह कैप्टन का ऑफिस थी। किसी के दफ्तर को देखकर उसके बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है। कैप्टन किशन के मिजाज के मुताबिक ही उसका ऑफिस काफी बड़ा और सलीके से सजाया गया था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों पर रेशमी पर्दे झूल रहे थे। उन पर्दों पर उड़ती चिड़ियों की तस्वीरें थीं। बैकग्राउंड में जंगल का मंजर था। कैप्टन किशन के ठीक पीछे की पूरी दीवार पर एक बड़ा सा कांच लगा हुआ था। कांच के पीछे जंगल का दृश्य था। लाल ...Read More

26

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 26

झूठ इंस्पेक्टर सोहराब को छोड़कर जब कैप्टन किशन वापस पहुंचा तो वहां शैलेष जी अलंकार खड़ा हुआ पलकें झपका था। वह ऑफिस के दूसरे रास्ते से अंदर आया था। शैलेष काफी थका नजर आ रहा था। उसे देखते ही कैप्टन किशन ने पूछा, “लौट आए?” “जी सर! तीन घंटे पहले लौटा। जरा घर चला गया था।” उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए कैप्टन किशन ने कहा, “तुम किसी को भी असिस्टेंट बना लेते हो!” उसके लहजे में नाराजगी थी। “मैं समझा नहीं सर!” शैलेष जी अलंकार ने घबराए हुए अंदाज में कहा। “तुम किसी आदमी को कोठी पर लेकर ...Read More

27

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 27

बॉडी डबल हाशना को जैसे सुबह होने का ही इंतजार था। वह सुबह छह बजे ही सोहराब की कोठी पहुंच गई। सोहराब लॉन में बैठा अखबार पढ़ रहा था। हाशना बिना बताए ही चली आई थी। अलबत्ता बाहर गार्ड ने सोहराब से जरूर बात की थी। सोहराब ने बड़ी खुशदिली से उसका इस्तकबाल किया। रस्मी बातचीत के बाद उसने हाशना से पूछा, “जी बताइए... कैसे तकलीफ की?” “बाबा आप से मिलना चाहते हैं। मैं कई बार आपकी कोठी के चक्कर काट चुकी हूं, लेकिन आप कहीं बाहर गए हुए थे। अगर आप इजाजत दें तो मैं आज शाम को ...Read More

28

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 28

जुर्म और मुजरिम मिनी की छत ढकी हुई थी। कार कुछ आगे जाने के बाद दाहिने तरफ मुड़ गई। दूर जाने पर सोहराब ने कार का बैक मिरर दुरुस्त किया और पीछे का जायजा लेने लगा। वह चेक करना चाहता था कि उसका पीछा तो नहीं किया जा रहा है। कुछ दूर जाने के बाद उसने फिर से पीछे की तरफ देखा था। वह मुतमइन हो गया था कि पीछा नहीं किया जा रहा है। उसकी कार का रुख होटल सिनेरियो की तरफ था। सुबह के सवा आठ बजे थे। होटलों में सुबह बड़ी मनहूस रहती है। ज्यादातर लोग ...Read More

29

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 29

बाल की खाल इंस्पेक्टर कुमार सोहराब और सार्जेंट सलीम लॉन में आकर बैठ गए। सोहराब के चेहरे पर गहरी थी। उसने सिगार का एक गहरा कश लेते हुए कहा, “मैं विक्रम के खान को कभी नहीं भूल पाऊंगा। वह दुनिया का जाना-माना पेंटर था, लेकिन वक्त ने उसे बद से बदतर हालात में पहुंचा दिया था।” “उसकी मौत कैसे हुई है? किस नतीजे पर पहुंचे आप?” “नतीजे इतनी जल्दी नहीं निकाले जा सकते हैं, लेकिन हालात से लग रहा है कि उसने खुदकुशी की है।” “ऐसा किस बिना पर कह रहे हैं आप?” “इसलिए कि कमरे में संघर्ष के ...Read More

30

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 30

डायरी बख्तावर खान की हवेली शहर के पास के एक कस्बे संदलगढ़ में थी। संदलगढ़ का पुराना नाम चंदनगढ़ अंग्रेजों ने जिस तरह से तमाम जगहों के नाम अपने विशेष उच्चारण की वजह से बदल दिए थे, वैसे ही इस जगह को भी उन्होंने चंदनगढ़ से सैंडलगढ़ कर दिया। बाद में लोगों ने अपने उच्चारण के मुताबिक उसे संदलगढ़ कर दिया। इस इलाके में कदम रखने पर ऐसा लगता था, जैसे स्वर्ग में आ गए हों। बड़ा शांत इलाका था। 25 किलोमीटर के इलाके में चंदन के जंगल फैले हुए थे। जंगल के पश्चिम की तरफ एक कुदरती झील ...Read More

31

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 31

पेंटिंग सार्जेंट सलीम को खुफिया विभाग के हेडक्वार्टर छोड़ने के बाद इंस्पेक्टर मनीष सीधे कोतवाली पहुंचा था। वहां कुछ बैठने के बाद वह दो सिपाहियों के साथ विक्रम के खान के स्टूडियो की तरफ निकल गया। वह एक बार पहले भी वहां जांच करने के सिलसिले में जा चुका था। तब विक्रम के खान ने उसे बुलाया था। आज वह स्टूडियो को सील करने के लिए जा रहा था। वहां पहुंचने पर उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। स्टूडिया का ताला टूटा हुआ था। अलबत्ता दरवाजा बंद था। मनीष ने दरवाजा खोला और सीधे अंदर पहुंच गया। पिछली बार ...Read More

32

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 32

रक्सीना और शेक्सपियर सलीम ने टैक्सी ड्राइवर को शेक्सपियर कैफे पर रुकने के लिए कहा। टैक्सी रुकते ही उसका करने वाली कार तेजी से आगे निकल गई। सलीम पीछा किए जाने से पूरी तरह से बेखबर था। दरअसल एडवोकेट संदर्भ सिंह ने उससे जिस लहजे में बात की थी, उससे उसका मन उखड़ा हुआ था। दूसरे वह थक कर चूर हो रहा था। उसनै टैक्सी का किराया अदा किया और कैफे में दाखिल हो गया। हाल में नाटककार शेक्सपियर की बड़ी सी मूर्ति लगी हुई थी। सलीम ने थोड़ा सा झुक कर बड़े अदब से मूर्ति को विश किया। ...Read More

33

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 33

डीएनए रिपोर्ट सार्जेंट सलीम शेक्सपियर कैफे से सीधे गुलमोहर विला पहुंचा था। उसने इंस्पेक्टर मनीष को वहीं बुलाया था। सलीम के पहुंचने के कुछ देर बाद ही मनीष भी पहुंच गया। सलीम लॉन में ही बैठा उसका इंतजार कर रहा था। मनीष ने जीप लॉन से कुछ पहले ही रोक दी थी। उसके साथ एक कांस्टेबल हाथ में पेंटिंग लिए नीचे उतर आया। उनके पहुंचे पर सलीम ने कहा, “आइए अंदर ही चलते हैं। यहां कुछ देर बाद अंधेरा हो जाएगा।” तीनों वहां से ड्राइंग रूम पहुंच गए। सलीम ने मनीष और कांस्टेबल को सोफे पर बैठाने के बाद ...Read More

34

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - अंतिम भाग

 खुदकुशी “वक्त बर्बाद मत करो। इसे ठिकाने लगाओ और बाहर जाकर शूटिंग कंपलीट करो।” आने वाले ने तेज में कहा। “कैप्टन किशन!” उसकी आवाज सुनकर इंस्पेक्टर सोहराब बुदबुदाया। “लेकिन यह पिस्तौल तो फिल्मी है।” शैलेष जी अलंकार ने विदूषकों की तरह हंसते हुए कहा। “बेवकूफ... बाहर जाओ और इसकी लाश उठाने के लिए आदमी भेजो।” कैप्टन किशन ने चिंघाड़ते हुए कहा। कैप्टन किशन चंद कदम चलते हुए अंदर आ गया। अब वह सोहराब और सलीम को साफ नजर आ रहा था। “सॉरी बेबी! मैं तुम्हारी हीरोइन बनने की आखिरी इच्छा पूरी नहीं कर सका।” उसने अपनी कोट की ...Read More