अर्थ पथ प्रस्तावना हमें परमात्मा ने एक निश्चित समय सीमा प्रदान कर अनंत शुभ कर्मो को करने के लिए धरती पर भेजा है। यह हम पर निर्भर करता है कि सीमित समय में अपनी बुद्धि, धैर्य, विवेक आदि का समुचित प्रयोग कर कैसे हम सफलता की ओर अग्रसर हो सकते है। मानव समाज में धन का महत्वपूर्ण स्थान है। समाज को समृद्धशाली एवं मजबूत बनाने के लिए वाणिज्य का महत्वपूर्ण योगदान है, ’वाणिज्य वस्ते लक्ष्मी।’ एक कुशल कुम्हार जिस तरह मिट्टी से सुंदर बर्तन या मूर्तियाँ बनाता है, उसी तरह एक कुशल व्यापारी या उद्योगपति, उद्योग के माध्यम से
Full Novel
अर्थ पथ - 1
अर्थ पथ प्रस्तावना हमें परमात्मा ने एक निश्चित समय सीमा प्रदान कर अनंत शुभ कर्मो को करने के लिए धरती पर भेजा है। यह हम पर निर्भर करता है कि सीमित समय में अपनी बुद्धि, धैर्य, विवेक आदि का समुचित प्रयोग कर कैसे हम सफलता की ओर अग्रसर हो सकते है। मानव समाज में धन का महत्वपूर्ण स्थान है। समाज को समृद्धशाली एवं मजबूत बनाने के लिए वाणिज्य का महत्वपूर्ण योगदान है, ’वाणिज्य वस्ते लक्ष्मी।’ एक कुशल कुम्हार जिस तरह मिट्टी से सुंदर बर्तन या मूर्तियाँ बनाता है, उसी तरह एक कुशल व्यापारी या उद्योगपति, उद्योग के माध्यम से ...Read More
अर्थ पथ - 2 - आशाओं से आच्छादित मानव जीवन
आशाओं से आच्छादित मानव जीवन ईश्वर की महिमा अपरम्पार हैं। उनकी कृपा से ही जीवन में सफलता लक्ष्य की प्राप्ति होती है। यह संसार गति, चिन्तन एवं चेतना पर निर्भर है। जब तक गति और चेतना है तब तक जीवन है। गति में विराम ही मृत्यु है। सभ्यता, संस्कृति, संस्कार ही हमारे जीवन का आधार होते हैं और हमारे जीवन को सार्थकता प्रदान करते हैं। जीवन में शिक्षा से ज्ञान प्राप्त होता है परंतु सभ्यता और संस्कृति से संस्कार आते है। हमारा वास्तविकता से सामना होने पर क्षण भर में हमारी मनोदशा बदल जाती है। उसमें आकाश पाताल ...Read More
अर्थ पथ - 3 - ज्योतिष, कुंडली, ग्रहों और कर्मों का प्रभाव
ज्योतिष, कुंडली, ग्रहों और कर्मों का प्रभाव हमारा जीवन हमारे कर्म के साथ ही हमारी कुण्डली, भाग्य रेखाओं, नक्षत्रों और गृह-दशाओं पर भी निर्भर करता है, कि हम जीवन में कितनी उन्नति कर पाते हैं। ये हमारी प्रकृति और हमारी प्रवृत्तियों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं। इस संबंध में प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य, भुवन विजय पंचांग के संपादक इंजीनियरिंग स्नातक पंडित रोहित दुबे के अनुसार- ‘ग्रहाधीनं जगत्सर्वं ग्रहाधीना नरावरा, कालज्ञानं ग्रहाधीनं ग्रहा कार्य फल प्रदाः।’’ अर्थात यह समस्त संसार ग्रहों के आधीन है और मानव भी ग्रहों के आधीन है। कर्म का फल, पुरूषार्थ का फल, व्यापार ...Read More
अर्थ पथ - 4 - वाणी की मधुरता
वाणी की मधुरता हमें हमारा चिन्तन, मनन और उन पर मन्थन सही मार्गदर्शन दे तभी हमें सफलता होती है। हम दिशा से भटकते हैं इस कारण असफल होते हैं। ऐसी स्थिति में हम भाग्य और समय को दोष देने लगते हैं। हमें सफलता के लिये धैर्य रखते हुए समय पर विश्वास रखना चाहिए। यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि नैतिकता, आस्था और विश्वास जीवन के आधार स्तम्भ हैं। इनके अभाव में जीवन उस वृक्ष के समान होता है जिसके पत्ते झड चुके होते हैं और अब उसमें न तो शीतलता देने वाली छाया होती है और न ही ...Read More
अर्थ पथ - 5 - व्यवसाय और हमारी भावनायें
व्यवसाय और हमारी भावनायें हम जब उद्योग, व्यवसाय या नौकरी में किसी एक का चयन करते है तो हमें बहुत सावधानीपूर्वक निर्णय लेना चाहिए क्योंकि हम अपने भविष्य का निर्धारण कर रहे होते है। आज इन तीनो क्षेत्रों में अनेक अवसर उपलब्ध है। हमें इनमें से चयन करना होगा कि हम किस उद्योग, कैसे व्यापार और किस प्रकार की नौकरी में जाना चाहते है। जीवन में सफलता के लिए कोई आवश्यक नही है कि आपके पास पूंजी का बहुत बडा भंडार हो। ऐसे अनेक उदाहरण है जिनमें थोडे से संसाधन जुटा कर ही कडी मेहनत और परिश्रम के बल ...Read More
अर्थ पथ - 6 - ईमानदारी और नैतिकता
ईमानदारी और नैतिकता उद्योग एक कर्मभूमि है जिसमें आघात, प्रतिघात करने एवं सहने का ज्ञान होना चाहिए। किताबों में पढने से प्राप्त नही होता हैं। यह जीवन में घटित होने वाली घटनाओं एवं अनुभवों से प्राप्त होता है। धनोपार्जन जीवन का महत्वपूर्ण पक्ष है। इसकी प्राप्ति, उपयोग तथा व्यय इन तीनों में समन्वय आवश्यक है। धन एक ऐसी मृगतृष्णा है जिसका अंत कभी नही हेाता है। इसकी वृद्धि के साथ साथ हमारी भौतिक आवश्यकताएँ भी बढती जाती है। जीवन में सफलता के चार सिद्धांत होते है हमारा जीवन मंथन इसी में समाहित है एवं यही सफलता की सीढी ...Read More
अर्थ पथ - 7 - सफलता की पृष्ठभूमि
सफलता की पृष्ठभूमि उद्योग, व्यापार एवं नौकरी में यह अंतर होता है कि उद्योग और व्यापार के माध्यम असीमित धन कमा सकते है परंतु नौकरियों में एक सीमा तक ही धनोपार्जन हो सकता है। उद्योग और व्यापार में जो सफल होते है वे देश के लिए नौकरियों के अवसर प्रदान करके आर्थिक विकास में सहभागी बनते है। वर्तमान में शासकीय व्यवस्थाओं के कारण उद्योग एवं व्यापार को चलाना एक चुनौतीपूर्ण काम है। आप इसमें सफल या असफल कुछ भी हो सकते हैं। अपनी संचित पूंजी से उतना ही धन उद्योग या व्यापार में लगाइये जो असफल होने पर डूब ...Read More
अर्थ पथ - 8 - गणितीय ज्ञान
गणितीय ज्ञान किसी भी व्यापार में कर्ज और पूंजी में समन्वय होना चाहिए चाहे वह कर्ज आपने बैंक या निजी संस्थानों से ही क्यों ना लिया हो। हमें पूंजीगत निवेश को कार्यकारी पूंजी से हमेशा अलग रखना चाहिए ताकि व्यापार को अर्थाभाव का सामना नही करना पडे। अधिकांश व्यापारियेां की असफलता का यही एक प्रमुख कारण रहता है। किसी भी उद्योग या व्यापार में संचालन गणित का खेल है और यदि आप इसमें पारंगत है तभी उद्योग या व्यापार को सफलता पूर्वक चला सकेंगे। एक समय था जब बैंक और वित्तीय संस्थाएँ आपकी साख पर रूपया कर्ज के रूप ...Read More
अर्थ पथ - 9 - चयन
चयन किसी भी नये उद्योग की स्थापना की जानकारी संबंधित अधिकारियों तक ही सीमित रहनी चाहिए। कभी अधिकारी अपने आप को महत्वपूर्ण, बुद्धिमान और चतुर बताने के लिए दूसरों से बातचीत में कारखाने की योजनाओं के विषय में भी चर्चा करने लग जाते हैं जिससे गोपनीयता भंग होकर प्रतिस्पर्धी उसका लाभ उठा सकते हैं। इसलिये कहा जाता है कि कम बोलना और मौन रहना बुद्धिमानों का गुण है। किसी भी उद्योग, व्यापार, नौकरी में समय की प्रतिबद्धता, कार्य के प्रति समर्पण, नैतिकता, ईमानदारी आदि आधारस्तंभ होते हैं। सही समय पर सही निर्णय लेना ही प्रगति के पथ पर ...Read More
अर्थ पथ - 10 - उद्यमिता और मातृ शक्ति
उद्यमिता और मातृ शक्ति आज उद्योग जगत में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। उनमे एवं आत्मनिर्भरता के कारण वे अब अबला नही सबला के रूप जानी जाती है। अनेक महिलाओं ने उद्योग एवं नौकरी के क्षेत्र में अपने कीर्तिमान स्थापित किये है। वर्तमान प्रस्पिर्धा के युग में शासकीय नीतियों के कारण उद्योग एवं व्यापार को चलाना एक चुनौती है। हम इसमें सफल या असफल कुछ भी हो सकते है। हमें अपनी जमा पूंजी से उतना ही धन किसी भी उद्योग या व्यापार में लगाना चाहिए ताकि असफल होने पर यदि धन डूब भी जाए तो ...Read More
अर्थ पथ - 11 - धन ....
धन ........... जब हमारा समय अच्छा चल रहा हो। हमारे पास धन की प्रचुरता हो तो हमें से अधिक धन को ऐसी शासकीय योजनाओं अथवा बैंकों में लगा देना चाहिए जिनमें हमारा धन भी सुरक्षित रहे और समय आने पर हम उसका सरलता से उपयोग कर सकें। उद्योग के घाटे में आने की स्थिति में यह धन हमारे घाटे को भी पूरा कर सके और हमारी आर्थिक स्थिति पर भी आंच न आये। जीवन में किसी भी क्षेत्र में हम कोई कार्य करते हैं तो केवल सफलता के विषय में ही चिन्तन करते हैं। हमें उसमें संभावित असफलताओं ...Read More
अर्थ पथ - 12 - उद्योग प्रबंधन: एक चुनौती
उद्योग प्रबंधन: एक चुनौती हमारा प्रबंधन ऐसा होना चाहिए कि यदि हम कारखाने से दूर भी रहते तो उसका उत्पादन प्रभावित नहीं होना चाहिए और कारखाना सुचारू रुप से चलते रहना चाहिए। हमें हमेशा यह प्रयास करते रहना चाहिए कि हम निरन्तर अधिकारियों के संपर्क में रहें और हमें वहां की गतिविधियों की जानकारी मिलती रहे। हमें अपने उद्योग में ऐसी व्यवस्था भी रखनी चाहिए जिसके माध्यम से हमें बाजार की गतिविधियों की जानकारी निरन्तर प्राप्त होती रहे। हमारे प्रतिस्पर्धी किस मूल्य पर अपना माल बेच रहे हैं, उनकी गुणवत्ता कैसी है और उनकी भविष्य की क्या योजनाएं ...Read More
अर्थ पथ - 13 - प्रतिस्पर्धा: प्रगति का प्रतीक
प्रतिस्पर्धा: प्रगति का प्रतीक मेरे एक उद्योगपति मित्र हैं। वे दो भाई हैं। उनमें से एक भाई अनेक उद्योग होने के कारण उसके पास धन की प्रचुरता थी। उसने अपने दूसरे भाई के कारखाने को बर्बाद करने के लिये अपनी उत्पादन लागत से भी कम दामों में माल बेचना प्रारम्भ कर दिया। इससे उसके भाई के कारखाने का माल बिकना बन्द हो गया। दो तीन साल में ही उसका भाई कारखाने की हानि को बर्दास्त नहीं कर पाया और उसे परेशान होकर अपना उद्योग बन्द कर देना पड़ा। इससे दूसरे भाई का उस क्षेत्र पर एकाधिकार हो गया। ...Read More
अर्थ पथ - 14 - सजगता
सजगता हम प्रायः अच्छा मुनाफा होने पर कारखाने की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में लगा देते हैं और मन्दी आने पर जब माल नहीं बिकता और कार्यरत पूंजी की आवश्यकता होती है तब धन की कमी के कारण हम परेशानी में फंस जाते हैं। यह ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा विपरीत समय आने पर बैंक भी मदद करने से अपना हाथ खींच लेता है। इसी प्रकार जब कोई व्यापार अच्छा चलने लगता है तो व्यक्ति अर्जित पूंजी को अपने अधिक लाभ के लिए व्यापार के विस्तारीकरण में खर्च कर देता है और भविष्य में किसी विपरीत परिस्थिति आने ...Read More
अर्थ पथ - 15 - पलायन: चिंतन, मनन, मंथन
पलायन: चिंतन, मनन, मंथन एक समय था जब मजदूरों व अधिकारियों का वेतन बहुत ही कम था। अब समय के साथ-साथ परिस्थितियां बदलती जा रही हैं। जिससे श्रमिकों को अपने श्रम की कीमत एवं अधिकारियों को अपने अधिकार एवं कर्तव्य की उपयोगिता समझ में आती जा रही है। अब श्रमिकों का आर्थिक शोषण समाप्त हो चुका है। उन्हें उचित मजदूरी प्राप्त हो रही है। वहीं अधिकारी वर्ग भी अपनी कार्यकुशलता के अनुसार वेतन प्राप्त करने लगे हैं। इस प्रकार अधिकारों के विषय में सभी जाग्रत हो गए हैं और धीरे-धीरे कर्तव्य के प्रति भी वे सजग हो जाएंगे। अब ...Read More
अर्थ पथ - 16 - अनुभव
अनुभव किसी भी संस्थान में नौकरी करते हुए गोपनीयता रखते हुए संस्थान की महत्वपूर्ण जानकारियाँ कभी भी को नही बताना चाहिए। यदि हमारे काम करने की पद्धति की आलोचना होती हो तो उससे बचने की कोई कोशिश मत कीजिए और मन में चिंतन करे कि आपका निर्णय सही है या नही। यदि आपकी आत्मा उसे सही मानती हो तो आप आलोचनाओं की परवाह मत कीजिए और अपने गंतव्य पथ पर निर्भय होकर आगे बढे। एक कहावत है कि गलती उसे से होती है जो काम करता है। आपके काम करने का तरीका ऐसा होना चाहिए कि वह दूसरों ...Read More
अर्थ पथ - 17 - राष्ट्र प्रथम
राष्ट्र प्रथम हमें अज्ञानी नही होना चाहिए परंतु अपने ज्ञान की निपुणता का प्रदर्शन कहाँ और किन परिस्थितियों में करना है, इसके लिए हमें सदैव सर्तक रहना चाहिए। हमें जीवन में अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए कभी कभी समय एवं परिस्थितियों के अनुसार समझौता भी करना पडता हैं। इसको लेकर कभी भी मन में हीन भावना नही आनी चाहिए। हमारी राह में कितनी भी बाधाएँ आ जाए परंतु यदि हम संकल्पित है तो हमारा संकल्प अवश्य पूर्ण होकर हमें सफलता प्राप्त होगी। हमें किसी भी काम का चयन करके एकाग्रतापूर्वक उसे पूर्ण करने का प्रयास करना ...Read More
अर्थ पथ - 18 - प्रतिष्ठा: महत्वपूर्ण उपलब्धि
प्रतिष्ठा: महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रतिष्ठा जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि होती है यह एक ऐसा वृक्ष है जिसको बडा होने में बहुत समय लगता है और यदि इस पर आघात न हो तो यह पीढी दर पीढी हमारी अमूल्य धरोहर बन जाता है। हमें प्रतिष्ठित होने के लिये जीवन में बहुत परिश्रम करते हुए अपनी संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों को आत्मसात् करना होता है। आपका कोई आलोचक आपकी आलोचना करे तो भी आपको उसके प्रति विनम्रता का भाव रखते हुए मर्यादित व्यवहार करना चाहिए। किसी भी सामाजिक विकास और जनहित के कार्यो में मुक्त हस्त से दान देना चाहिए। आज ...Read More
अर्थ पथ - 19 - आध्यात्म से व्यक्तित्व का विकास
आध्यात्म से व्यक्तित्व का विकास आप नौकरी में मालिक को अपनी सेवाओं से इतना प्रभावित करें कि मालिक अपने कार्यों को सफलता पूर्वक निपटाने के लिए आप पर निर्भर हो जाए तब आप ऐसी परिस्थितियों में मजबूत होकर उभरेंगे। अब यदि आपके पास किसी दूसरे संस्थान का इससे भी अच्छे वेतन पर नौकरी पाने का आश्वासन मिलता है तो आप उनसे नियुक्ति पत्र ले ले अब आपके दो रास्ते रहते है। पहला कि आप नये संस्थान में नौकरी शुरू लें या दूसरा कि वर्तमान मालिक को ही नियुक्ति पत्र दिखाकर विनम्रतापूर्वक उनसे आग्रह करें कि आपको इस संस्थान ...Read More