अपने-अपने कारागृह

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अपने-अपने कारागृह' मेम साहब फोन ...।' फोन अटेंडेन्ट ने उसे फोन देते हुए कहा।'दीदी कैसी है आप? आपका मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था इसलिए लैंडलाइन पर फोन किया । बताइए आप कब तक लखनऊ पहुंच रही हैं ?''हम ठीक हैं शायद बैटरी डिस्चार्ज हो गई होगी । हम परसों दोपहर तक इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट से पहुँचेंगे ।'' ओ. के दीदी । मैं और शैलेश आपको और जीजाजी को लेने समय से पहुंच जाएंगे ।'' व्यर्थ तकलीफ होगी । हम स्वयं पहुंच जाएंगे ।'' दीदी, इसमें तकलीफ कैसी ? फाइनली आप आ रही हैं , सोचकर हमें बेहद खुशी

Full Novel

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अपने-अपने कारागृह

अपने-अपने कारागृह' मेम साहब फोन ...।' फोन अटेंडेन्ट ने उसे फोन देते हुए कहा।'दीदी कैसी है आप? आपका मोबाइल ऑफ आ रहा था इसलिए लैंडलाइन पर फोन किया । बताइए आप कब तक लखनऊ पहुंच रही हैं ?''हम ठीक हैं शायद बैटरी डिस्चार्ज हो गई होगी । हम परसों दोपहर तक इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट से पहुँचेंगे ।'' ओ. के दीदी । मैं और शैलेश आपको और जीजाजी को लेने समय से पहुंच जाएंगे ।'' व्यर्थ तकलीफ होगी । हम स्वयं पहुंच जाएंगे ।'' दीदी, इसमें तकलीफ कैसी ? फाइनली आप आ रही हैं , सोचकर हमें बेहद खुशी ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 2

अपने-अपने कारागृह- 1अजय को बिहार कैडर मिला था । उसकी पहली पोस्टिंग समस्तीपुर में हुई थी । समस्तीपुर पोस्टिंग कारण वह ससुराल में कुछ ही दिन रह पाई थी । उसकी सास क्षमा ने उसे ढेरों हिदायतें देते हुए उसे अजय के साथ भेज दिया था । हर मां की तरह मम्मी जी भी उसकी गृहस्थी बसाने उसके साथ जाना चाहती थी पर अजय के पापा अनूप ने उन्हें यह कहकर जाने से रोक दिया कि उषा समझदार है वह सब संभाल लेगी । दरअसल वह नहीं चाहते थे कि नव युगल के बीच में कोई और आये । ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 3

अपने-अपने कारागृह-2अजय का देवघर स्थानांतरण हुआ तो अजय ने अपने मां -पापा को बाबा बैजनाथ के दर्शन के लिए लिया । बुलाया तो अजय ने उसके मम्मी- डैडी को भी था पर वह अपनी व्यावसायिक व्यस्तता के कारण नहीं आ पाए थे । बाबा बैजनाथ धाम की बड़ी मान्यता है । बैजनाथ धाम द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है । सावन के महीने में देश और प्रदेश के हर कोने से लगभग पाँच मिलियन लोग केसरिया कपड़े धारण कर, आस्था का जल अर्पित कर, बाबा बैजनाथ के दर्शन कर स्वयं को भाग्यशाली समझते हैं । कहते हैं अगर कोई व्यक्ति यहां ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 4

अपने अपने कारागृह - 3 अजय का हजारीबाग स्थानांतरण हो गया था । नक्सली एरिया था पर जब काम है तो कहीं भी स्थानांतरण हो जाना ही पड़ता है । वैसे भी वह सदा सुरक्षाकर्मियों के साथ ही चलते हैं । पदम और रिया की दीपावली की छुट्टियां होने वाली थीं वे आने वाले थे । अजय ने मम्मी -पापा से आग्रह किया था अगर वह भी आ जाए तो इस बार पूरा परिवार मिलकर दीपावली साथ मनाएं । वे मान गए ।इस बार अजय उन्हें रजरप्पा के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां छिन्नमस्तिके के मंदिर के साथ प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गया ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 5

अपने-अपने कारागृह-4 अपने बच्चों को सफलता की ऊंचाइयां छूते देखकर न केवल उसे वरन अब अजय को भी उसके पर गर्व का अहसास होने लगा था । वह भी महसूस करने लगे थे कि कभी-कभी बच्चों की भलाई के लिए कड़े फैसले लेने पड़ते हैं । यह फैसला भी उनमें से ही एक था । आज रिया और पदम अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पाए तो उसके निर्णय के कारण ही वरना बार-बार स्थानांतरण जहां उनकी शिक्षा को बाधित करता वहीं उनके व्यक्तित्व के विकास में भी बाधा उत्पन्न करता ।शांति ने भी बी.एड. कर लिया था । जैसे ही शांति ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 6

अपने-अपने कारागृह -5 इसी बीच अजय का प्रिंसिपल सेक्रेटरी पद पर रांची स्थानांतरण हो गया । ' किंग ऑफ किंगडम' वाला दर्जा उनसे छिन गया था । अब उषा भी दूसरी लाइफ में है स्वयं को समायोजित करने का प्रयास करने लगी । अपनी रचनात्मकता तथा कार्यशैली से उसने 'महिला क्लब ' में अपना दबदबा बना लिया था तथा सभी एक्टिविटीज में खुलकर भाग लेने लगी थी । वैसे भी जगह-जगह खोलें प्रौढ़ शिक्षा केंद्रों के कारण उसकी ख्याति पहले ही' महिला क्लब ' की अध्यक्षा प्रभा मेनन तक पहुंच चुकी थी । वह उससे इतना प्रभावित थीं कि उससे सलाह ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 7

अपने-अपने कारागृह-6 इसी बीच पदम और डेनियल को कन्या रूपी रत्न प्राप्त हुआ । उषा और अजय बेहद थे । वह इस खुशी में सम्मिलित होने पदम के पास जाना चाहते थे पर अजय को छुट्टी नहीं मिल पाई । वे मन मसोस कर रह गए थे । सुकून था तो सिर्फ इतना कि डेनियल और बच्ची सकुशल तथा इस समय डेनियल के मम्मी- पापा उसके पास पहुँच गए थे । समय खिसक रहा था । उम्र के साथ उषा के कार्य करने की क्षमता घटी नहीं, बढ़ी ही थी । अब वह और अधिक तन्मयता से अपने सामाजिक कार्यों को ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 8

अपने-अपने कारागृह-7एक दिन मम्मी जी नन्ही परी को तेल लगा रही थीं कि देवयानी आंटी का फोन आया । उन्होंने मम्मी जी से बात करने की इच्छा जाहिर की । उषा ने फोन मम्मी जी को दे दिया । मम्मी जी ने उनका उत्तर सुनते ही कहा,' बधाई देवयानी जी, मिठाई से काम नहीं चलेगा , पार्टी देनी होगी ।'फोन रख कर मम्मी जी ने बताया कि शुचिता भल्ला दादी बन गई हैं । उनके पुत्र प्रियांश की पत्नी रत्ना को पोता हुआ है । मम्मी जी और वह बधाई देने पहले अस्पताल गए फिर देवयानी आंटी से मिलने घर ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 9

अपने - अपने कारागृह -8 ऐसी ही न जाने कितनी बातें हैं जो उषा के जेहन में उमड़ कर उसे परेशान कर रही थीं । उन्होंने अपना घर लखनऊ में बनवाया था पर अपने स्वभाव के कारण वह आस-पास वालों से कोई संबंध नहीं रख पाई थी । जब वह घर जाती, कोई उनसे मिलने आता भी तो अपनी प्रशंसा के इतने पुल बांधने लगती है कि लोग किनारा करने लगते । आज उसे महसूस हो रहा था कि इंसान चाहे शौहरत की कितनी भी बुलंदियों को क्यों न छू ले पर उसके पैर सदा जमीन पर ही रहनी चाहिए ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 10

अपने-अपने कारागृह -9 दूसरे दिन की उनकी लखनऊ की फ्लाइट थी । एयरपोर्ट पर फूल मालाएं लिए पूरा ऑफिस ही उपस्थित था । अजय के प्रति सब का आदर देखकर उषा मन ही मन गदगद थी । वहीं शुचिता, रीना, सीमा ,ममता उसे फूल मालाएं पहनाते हुए उससे भूल न जाने तथा कभी-कभी आने का आग्रह कर रही थीं । वह जानती थी यह सब फॉर्मेलिटी है वरना कब कौन दोबारा आ पाता है !! पता नहीं अब किसी से मिलना हो पाएगा या नहीं ...बार-बार रुपाली की बातें मन को मथ रहीं थीं । उषा को दुख तो उसे इस ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 11

अपने-अपने कारागृह-10 थोड़ी ही देर में ही अपनी जगह पर आकर विमान रुक गया ,.। विमान का गेट ही यात्री एक-एक करके उतरने लगे । गेट पर परिचारिका हाथ जोड़कर अभिवादन करते हुए सभी यात्रियों को विदा कर रही थी । एयरपोर्ट छोटा था अतः हम पैदल ही बाहर आए । बाहर आकर सामान ले ही रहे थे कि एक आदमी ने पूछा, ' मेम क्या आपने भानुप्रिया को देखा ?''कौन भानुप्रिया ?'' मेम आप भानुप्रिया को नहीं जानतीं ? वह बहुत अच्छी फिल्म एक्ट्रेस है । वह यहाँ फिल्म की शूटिंग करने आ रही है ।'तब याद आया जब ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 12

अपने-अपने कारागृह-11 हम सामान लेकर अभी बाहर निकले ही थे कि शैलेश और नंदिता 'वेलकम दीदी एवं जीजा 'का फ्लैग लेकर खड़े नजर आए । उन्हें देखते ही शैलेश और नंदिता ने एक साथ कहा, ' वेलकम दीदी एवं जीजा जी ।' इसके साथ ही उन्होंने उनके हाथ से सामान वाली ट्रॉली ले ली तथा गाड़ी की तरफ बढ़ने लगे । घर पर मम्मा डैडी उनका इंतजार कर रहे थे । गाड़ी की आवाज सुनते ही मम्मा गेट पर आ गईं । वह बहुत दुबली लग रही थीं । उषा अंदर प्रवेश करने जा ही रही थी कि मम्मी ने उसे ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 13

अपने-अपने कारागृह-12 दूसरे दिन उषा अपनी ननद अंजना के घर उससे मिलने गई । घंटी बजाने जा ही थी कि अंदर से तेज तेज आवाजें सुनकर घंटी दबाने के लिए बढ़े हाथ पीछे हट गए ।' चाय बना कर देने में जरा सी देर हो गई तो आप इतना हंगामा कर रही हैं । आपकी वजह से ही मैं अपने मित्र की जन्मदिन की पार्टी से जल्दी आई हूँ ।'' जल्दी आ गई तो कौन सा एहसान कर दिया !! मैं अब कुछ नहीं कर पाती हूँ तो तुम्हारे लिए बोझ बन गई हूँ । क्या क्या नहीं किया मैंने ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 14

अपने-अपने कारागृह-13 सुबह नाश्ता करके उषा उठी ही थी कि पदम का फोन आ गया । वह दिन के पश्चात हफ्ते भर के लिए आ रहा था । साथ में रिया भी आ रही थी । सुनकर उषा की प्रसन्नता का पारावार न रहा । 15 दिन में ही घर सेट करना था पर जब एक टारगेट निश्चित कर ले तो सोचा हुआ काम पूरा ना हो पाए, ऐसा हो ही नहीं सकता । अनिला का कनछेदन नहीं हुआ है, क्यों न इस बार उसके कान छिदा दें । साथ में एक छोटी सी पार्टी का भी आयोजन कर लें । ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 15

अपने-अपने कारागृह-15 16 मार्च को सुबह 10:00 बजे पदम और डेनियल आ गए । शाम 6:00 बजे रिया पल्लव अपनी पुत्री परी के साथ आने वाले थे । अजय के पार्क में घुमाने तथा पास के शॉपिंग सेंटर में ले जाने के बाद भी अनिला सुबह से ही ' मैं बोर हो रही हूँ ।' की रट लगाए हुई थी पर जैसे ही परी आई वह खुश हो गई ।' मां देखो मेरी छोटी बहन कितनी प्यारी है ।' अनिला ने डेनियल से कहा । विदेश में रहने के बावजूद अनिला को अंग्रेजी के साथ साफ हिंदी बोलते देखकर उषा को ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 16

अपने-अपने कारागृह -16 22 तारीख को अनिला का कनछेदन करना निश्चित हुआ । सुबह 10:00 बजे अस्पताल में के लिए अपॉइंटमेंट ले लिया था । अजय नहीं चाहते थे कि किसी सुनार से अनिला के कान छिदाये जाएं । गन शॉट से एक मिनट भी नहीं लगा कान छेदने में । डॉक्टर के द्वारा दर्द निवारक दवा लगाने के कारण दर्द भी नहीं हुआ । दिन में पूजा का आयोजन किया गया था तथा रात्रि में डिनर का । डिनर में सभी आमंत्रित लोगों ने आकर अनिला को आशीर्वाद दिया तथा उनका मान बढ़ाया । नए लोगों से परिचय के साथ ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 17

अपने-अपने कारागृह-17 दूसरे दिन उषा दिनेश जी और कमला जी के बारे में पता लगाने के लिए वृद्धाश्रम । मैनेजर को अपना परिचय देते हुए दिनेशजी और कमलाजी के बारे में पूछा तो मैनेजर रंजना ने कहा, ' हाँ, वे दोनों हफ्ते भर पूर्व ही आए हैं । आज से पूर्व ऐसा कपल मैंने नहीं देखा । बेटा, बहू कई बार उनसे घर चलने की मिन्नतें कर चुके हैं पर ये लोग जाना ही नहीं चाहते हैं । दिनेश जी अवश्य थोड़े उदास रहते हैं पर कमलाजी बेहद प्रसन्न हैं । अब आप उनके बारे में पूछने आई हैं ।'मैनेजर ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 18

अपने अपने कारागृह -18 उषा परंपरा से लौटी तो मन बेहद उदास था । अजय किसी काम से बाहर हुए थे अतः उसने उमा के घर जाने का निश्चय किया । वह उमा के घर गई । दरवाजा खुला देखकर उसने पहले बाहर से आवाज लगाई । कोई उत्तर न प्राप्त कर उसने अंदर प्रवेश किया । उमा को सोफे पर आंख बंद किए बैठे पाया । सदा प्रसन्न रहने वाली उमा का यह रूप देख कर उषा को आश्चर्य हुआ । उसने आगे बढ़ कर उन्हें आवाज लगाई । इस बार चौंककर उमा ने आँखें खोली । उनकी आंखों ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 19

अपने-अपने कारागृह-19उषा ने महीने में एक बार ' परंपरा' जाने का नियम बना लिया था । वह वहां जाकर के दुख दर्द बांटती, कभी उनके लिए अपने हाथों का बने लड्डू या गुलाब जामुन भी ले जाया करती । उसको अपने बीच पाकर ' परंपरा ' में उपस्थित सभी लोगों के चेहरे पर खुशी छा जाती थी । उस दिन उषा बूँदी के लड्डू लेकर गई थी । कृष्णा के चेहरे पर हमेशा मायूसी छाई रहती थी । उस दिन उसके हाथों में बूंदी के लड्डू देखकर उसकी आँखों से आँसू बहने लगे । कारण पूछने पर उसने कहा,' मेरे ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 20

अपने-अपने कारागृह -20 लंदन जाने की लगभग सारी तैयारियां हो गईं थीं । सामान की पेकिंग के अनिला के लिए बेसन के लड्डू, पदम के लिए काजू कतली तथा डेनियल के लिए गुंझिया इत्यादि । जाने से एक दिन पूर्व उषा अपने मम्मी -पापा से मिलने गई । उस दिन मम्मा की तबीयत कुछ खराब थी । सुबह से उन्होंने कुछ नहीं खाया था । नंदिता ने बताया कि मां को सुबह से ही पतले दस्त हो रहे हैं । दवा दी है पर कोई फायदा नहीं हो रहा है अगर कल तक फायदा नहीं हुआ तो डॉक्टर को दिखाएंगे । ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 21

अपने-अपने कारागृह-21 अपने खालीपन को भरने के लिए अजय ने एक एन.जी.ओ. ज्वाइन कर लिया। एन.जी.ओ. के सदस्य एक को गोद लेकर वहां स्वच्छता अभियान के साथ स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति भी गांव के लोगों में जागरूकता पैदा करने का प्रयास कर रहे थे । लोगों की अज्ञानता तथा असहयोग के कारण कार्य दुरुह अवश्य था पर मन में चाह हो,दुरूह को सरल बना देने की कामना हो, वहां सफलता अवश्य मिलती है । अपने प्रयास को सफलता प्रदान करने के लिए अजय और उनकी टीम के सदस्य सुबह ही निकल जाते थे तथा शाम तक ही घर लौटते ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 22

अपने-अपने कारागृह-22 ' उषा क्या तुम्हें पता है कि फरहान साहब के माँ गिर गई हैं जिसके कारण कूल्हे की हड्डी टूट गई है ।'दूसरे दिन उमा ने सुबह की सैर पर जाते हुए उषा से कहा ।' लगातार दो बुरी खबर... पर कैसे ?' उषा ने पूछा ।' वह नहाने के लिए बाथरूम गई थीं , वहीं उनका पैर फिसल गया और वह गिर गईं ।' उमा ने कहा ।' ओह ! इस तरह की अधिकतर घटनाएं बाथरूम में ही होती हैं । मेरा तो सदा यही प्रयास रहता है कि बाथरूम सूखा रखो ।' उषा ने कहा ।' ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 23

अपने-अपने कारागृह-23 एक दिन उषा सुबह की गुनगुनी धूप में मटर छील रही थी कि सेल फोन टन उठाना शुचिता का फोन था । एक वही है जिसके साथ सेवानिवृत्त के 2 वर्ष पश्चात भी संपर्क बना हुआ है । उषा ने फोन उठाया । उसके हैलो कहते ही शुचिता ने कहा, ' दीदी, कहते हैं माता पिता परिवार को जोड़कर रखते हैं पर क्या वह परिवार में टूट का कारण भी बन सकते हैं ? '' टूट का कारण ?' उषा ने आश्चर्य से पूछा था ।' हां दीदी, एक समय था इनके पांचों भाई बहनों में अपार प्रेम ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 24

अपने-अपने कारागृह-24 उषा ' परंपरा ' पहुँची ही थी कि एक कमरे से कराहने की आवाज सुनकर वह कमरे की ओर गई । परंपरा के सभी लोग रीता जी के चारों ओर घेरा बनाकर खड़े थे । वह कराह रही थीं जबकि रंजना फोन पर किसी से बात कर रही थी । उषा ने सीमा से कारण पूछा तो उसने कहा, ' रीता जी तीन दिन से बुखार से तड़प रही हैं किंतु वह अस्पताल नहीं जाना चाहतीं ।'' पर क्यों ?' उषा ने पूछा ।'वह कह रही हैं, मुझे मर जाने दो । मैं जीना नहीं चाहती ।' सीमा ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 25

अपने-अपने कारागृह -25सुबह उसने अजय का मनपसंद दलिया और आलू पोहा के साथ थोड़ी पनीर भुजिया भी बना ली क्या हो गया है आज आपको यह स्पेशल ट्रीटमेंट !!' अजय ने कहा ।' स्पेशल तो आप मेरे लिए सदा से ही हो पर अपने-अपने दायरे में व्यस्त हम बस अपने लिए समय ही नहीं निकाल पाए ।'' शायद तुम ठीक कह रही हो । हमने पाया तो बहुत पर शायद जिंदगी नहीं जी पाए । आज भी भाग ही रहे हैं ।'' शायद आपकी बात ठीक है पर इस भागमभाग के बीच सुकून मिले थोड़े से ही पल जीवन ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 26

अपने-अपने कारागृह-26 अजय तो पहले भी अपने ऑफिशियल टूर के कारण विदेश यात्रा कर चुके थे यह उषा की पहली विदेश यात्रा थी । दिल्ली एयरपोर्ट पर जब उषा लंदन जाने वाले एयर इंडिया के विमान में बैठी तो उसने पाया कि घरेलू उड़ानों में उपयोग किये जाने वाले विमानों की तुलना में यह विमान काफी बड़ा है । इस विमान में बीच में चार तथा दोनों किनारे तीन-तीन सीट हैं । आने जाने के लिए दो रास्ते हैं । इसमें बिजनिस क्लास भी है । बिजनिस क्लास में यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं तथा खाना-पीना इकोनॉमी क्लास वालों ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 27

अपने-अपने कारागृह-27 खुशनुमा यादें लिए उषा और अजय भारत अपने देश लौट आए थे । नंदिता ने मां की गोल्डन जुबली एनिवर्सरी पर ताज होटल में ग्रांड पार्टी का अरेंजमेंट कर रखा था । उषा ने 'परंपरा ' के सभीलोगों को बुलाने का आग्रह किया तो शैलेश, नंदिता के साथ मम्मा डैडी ने भी सहमति दे दी थी ।मां-पापा की विवाह की वर्षगांठ वाले दिन दोपहर में पूजा थी । पूजा में सिर्फ घर के लोग ही सम्मिलित हुए । शाम को होटल में रिसेप्शन का आयोजन था । डैडी अपने गोल्डन ब्राउन सूट तथा मम्मा गोल्डन बॉर्डर की मेरून ...Read More

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अपने-अपने कारागृह - 28 - अंतिम भाग

अपने-अपने कारागृह-28 अगले हफ्ते हमें बेंगलुरु जाना था । जाने का पहला कारण प्रिया का बार-बार देना था कि आप मुझसे अधिक भैया को चाहते हो तभी उनके पास लंदन चले गए पर बेंगलुरु नहीं आ पाए । दूसरा अगले महीने की 20 तारीख को परी के पांचवे जन्मदिन के साथ प्रिया के नए घर का गृह प्रवेश का भी आयोजन है । इससे अच्छा अवसर उसे खुश करने का और हो ही नहीं सकता था ।वैसे भी भारतीय परंपरा के अनुसार गृह प्रवेश के अवसर पर मायके से शगुन लेकर किसी को जाना ही चाहिए । पदम आ नहीं ...Read More