रसोई से सुबह सुबह आती कचोरी और हलवे के घी की खुशबू किसी खास अवसर के होने की गवाही दे रही थी. चटोरों के शहर इंदौर के वैशाली नगर का ये घर जिसके बाहर नेमप्लेट पर ऊपर बड़े बड़े अक्षर में “द ईगल “ लिखा था , आज किसी मेहमान के आने के इंतज़ार में था . इंदौर शहर में देखा जाए तो सुबह सुबह कढाई चढना कोई बड़ी बात नहीं क्यूंकि इन्दोरी सुबह” सेव जीरवन वाले पोहा , और गरम उतरती जलेबी के बिना हो जाए ये कम ही होता है ,ये शहर ही ऐसा है भिया इस अकेले
Full Novel
जासूसी का मज़ा भाग -1
रसोई से सुबह सुबह आती कचोरी और हलवे के घी की खुशबू किसी खास अवसर के होने की गवाही रही थी. चटोरों के शहर इंदौर के वैशाली नगर का ये घर जिसके बाहर नेमप्लेट पर ऊपर बड़े बड़े अक्षर में “द ईगल “ लिखा था , आज किसी मेहमान के आने के इंतज़ार में था . इंदौर शहर में देखा जाए तो सुबह सुबह कढाई चढना कोई बड़ी बात नहीं क्यूंकि इन्दोरी सुबह” सेव जीरवन वाले पोहा , और गरम उतरती जलेबी के बिना हो जाए ये कम ही होता है ,ये शहर ही ऐसा है भिया इस अकेले ...Read More
जासूसी का मज़ा भाग 2
पार्ट - २ अब तक आपने पढ़ा की “द इगल “ मटर कचोरी और हलवे की खुशबु से महक है और चौधरी दंपत्ति की ज़िन्दगी में ठहराव सा आ गया आगे पढ़िए क्या हुआ श्रीमती चौधरी सुबह से लगी हुई थी पकवान बनाने में आखिर चौधरी साहब के बचपन के दोस्त आनंद जो आ रहे थे , ये दोस्त जब भी आते, खाते तो कम, पर तारीफों के पुल बाँध जाते “ भाभी जी आपके हाथ की मटर कचोरियों का क्या कहना मुह में लिया नहीं की घुली समझो आह ,आह वाह ! और हलवा, मिठाई में तो आपका ...Read More
जासूसी का मज़ा भाग 3
बैठक में से चौधरी जी की आवाज़ आई "सुनती हो ज़रा बाहर का चक्कर लगाकर आते है" ये कहकर चौधरी जी और आनंद घर के बाहर गए तो फटाफट किचन का काम निपटाकर चौधराइन जी हॉल में चली आई। चैन की सांस लेकर बैठी ही थी कि क्या देखती है जहाँ चौधरी जी बैठे थे ठीक वही ,सोफे के पास जमीन पर विसिटिंग कार्ड रखा है ,उन्होंने कार्ड हाथ में लिया और पढने लगी “ दयाल डिटेक्टिव एजेंसी , सभी प्रकार के जासूसी काम किए जाते हैं ,पति/पत्नी की जासूसी ,बेकग्राउंड चेक ,corporate डिटेक्टिव ..और भी कुछ कुछ लिखा ...Read More
जासूसी का मज़ा भाग 4
चौधरी जी थोड़ी देर बाद घर वापस आए तो क्या देखते है चौधराइन सर पर चुन्नी बांधे एक हाथ पर टिकाए सोफे पर पड़ी है उनने मजाकिया लहजे में पूछा “क्या हुआ ऐसे क्यों झाँसी की रानी बनी सोई हो युद्ध लड़ने जाना है के लड़ के आ गई ? चौधराइन ने अनमनेपन से कहा “माथा दुःख रा था तो सो गई थी अब उसपर भी पाबन्दी लगाओगे ?” चौधरी जी को इस बेमौसम हमले का कारण तो खास समझ आया नि तो बोले चाय बना दूं पिओगी ? चौधराइन सोफे से उठती हुई कहने लगी “आप तो रहने ...Read More
जासूसी का मज़ा भाग 5
चौधरी कार्ड का फोटो खीचकर बाद में अच्छे से देखने का मन बनाए बैठे थे और मान बैठे थे सीमा जी ने कुछ देखा नहीं पर जैसे की गणित के सवालो में माना की राम ५ किलोमीटर चला कह देने से राम सच में ५ किलोमीटर नहीं चलता ठीक यहाँ भी सीमा जी ने कुछ नहीं देखा मान लेने से ये सच नहीं हो जाता ...वैसे भी लुगाइयों की नज़र से कुछ छुपा है क्या भला? सीमा जी ने किचेन से आते आते चौधरी जी को कार्ड को फोटू खीचते देख लिया बस फिर क्या था उनका शक यकीन ...Read More
जासूसी का मज़ा भाग 6 (अंतिम)
रात भर करवटें बदलने और खुद से ही माथापच्ची करने बाद जब सीमा जी उठी तो उनकी आँखे गुलाब सी लाल हो रही थी और चौधरी जी का शरीर उकडू लेटे लेटे ऐसा हो गया था जैसे मालपुए में से निचोड़कर सारा रस निकाल लिया गया हो और सारा माल गया ,बस पुआ पुआ बाकि रहा हो. अब रात तो रात है आंखे गुलाब जामुन सी सुजा लो या शरीर अकड़ा लो ,वो आपके लिए रुकती नहीं कट ही जाती है।सुबह हुई तो पति पत्नी दोनों ने मन ही मन फैसला किया की सच्चाई का पता लगाया जाएगा,चौधरी जी अपने ...Read More