चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर यात्रा वृत्तांत आंनदपुर प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे 1 दशहरे की छुटिटयों मे बच्चे एकदम फुरसत में थे, और कई दिनों से मुझसे कह रहे थे कि मैं एक जीप किराये पर लेकर उन सबको चन्ंदेरी, झांसी, ओरछा, दतिया,ग्वालियर और शिवपुरी की यात्रा करा दूं। मैं लगातार इन्कार कर रहा था, क्योंकि छोटे छोटे बच्चों के साथ यात्रा करने में बहुत सारी परेशानियां आती हैं, यह बात में भलीभांति जानता
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चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर -1
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर यात्रा वृत्तांत आंनदपुर प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे 1 दशहरे की छुटिटयों मे बच्चे एकदम फुरसत में थे, और कई दिनों से मुझसे कह रहे थे कि मैं एक जीप किराये पर लेकर उन सबको चन्ंदेरी, झांसी, ओरछा, दतिया,ग्वालियर और शिवपुरी की यात्रा करा दूं। मैं लगातार इन्कार कर रहा था, क्योंकि छोटे छोटे बच्चों के साथ यात्रा करने में बहुत सारी परेशानियां आती हैं, यह बात में भलीभांति जानता ...Read More
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 2
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 2 यात्रा वृत्तांत कौशक महल प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे कुछ आगे जाकर चौराहा मिला और वहॉं लगे साईन बोर्ड को पढकर सब बच्चे खूब हॅंसे बोर्ड पर एक दिशा में जाने वाले रास्त का नाम लिखा था- ढाकोनी। मैंने बच्चो को समझाया ढाकोनी तो बिगड़ा हुआ नाम है इस जगह का सही नाम है ढाकवनी, यानि छेवला ,पलाश के पेड़ों का वन । यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि पुराने समय में यहॉं ढाक का खूब बड़ा जंगल था। पर ...Read More
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 3
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 3 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 3 यात्रा वृत्तांत बादल दरवाजा चन्देरी प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे चन्देरी का पुराना मोटर स्टैण्ड शहर के बाहर ही किले की पुरानी चहार दिवारी यानि कोट के पास था। लेकिन यहां सब कुछ खुले आसमान के तले था , यात्रियों को सिर छिपाने के लिऐ छाया नही थी। मैंने जीप रूकवाकर एक यात्री से पूछा तो उसने बताया कि नया मोटर स्टैण्ड तो चंदेरी शहर के उस पार पिछोर रोड पर बनाया गया है , पर आप-पास के गांवो ...Read More
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 4
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 4 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 4 यात्रा वृत्तांत चन्देरी बत्तीसी बावड़ी प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे अब हमारी यात्रा बत्तीसी बावड़ी की तरफ हो रही थी, मैंने बच्चों को बताया कि मैंने कहीं पढ़ रखा था कि बत्तीसी बावड़ी का निर्माण ग्यासुददीन खिलजी ने सन 1485 ईसवी में करवाया था। इस बावड़ी के किनारे पत्थर पर खुदवाकर एक शिलालेख भी लगवाया गया था-कहा जाता है कि इसका पानी मिश्री, शक्कर यानि चीनी और शकरकंदी से मीठा है ं। बत्तीसी बावड़ी में अंदर जाने के लिए एक ...Read More
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 5
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 5 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 5 यात्रा वृत्तांत चन्देरी परेश्वरन तालाब प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे बत्तीसी बावड़ी को देखने के बाद बच्चे परेश्वरन तालाब देखने का लोभ छोड़ नही पाये। दूर से ही सफेद रंग से पुते मंदिरों और घाट के पास के खुले बरामदों की वजह से यह तालाब सबको खूब अच्छा लग रहा था। पास जाकर हमने देखा कि परमेश्वरन तालाब एक ऐसा कुण्ड या तालाब है जो किसी नदी की बजह से बनी हुई झील या ...Read More
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 6
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 6 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 6 यात्रा वृत्तांत चन्देरी नवखंडा महल प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे जागेश्वरी देवी का मंदिंर आधी पहाड़ी पर चढ़ जाने के बाद बीच में बना है। यह मंदिर एक गुफा में बना है लेकिन यह गुफा भी खूब लम्बी-चौड़ी है। जाने किस सदी में पहाड़ के सख्त पत्थर को काटकर खूब बड़ी गुफा निकाल ली गई है , जिसमें एक बड़ा बरामदा तथा एक मंदिर निकाला गया है। सैकड़ों ...Read More
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 7
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 7 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 7 यात्रा वृत्तांत चन्देरी, कटी घाटी प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे मैंने बच्चों को बताया कि तारीख 28 जनवरी 1528 केा बाबर ने राजा सांगा का दोस्त होने के कारण चंदेरी के राजा मेदिनीराय पर हमला कर दिया था। लेकिन बाबर बड़ा परेशान हो गया था। चंदेरी की जीतना आसान न था। चन्देरी के चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़ थे केवल दो रास्ते ऐसे थे जिनसे होकर चन्देरी में प्रवेश किया जा सकता था, वहां मेदिनी राय की बहादुर सेना की टुकड़ियां बैठी ...Read More
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 8
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 8 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki 8 यात्रा वृत्तांत चन्देरी, - राजघाट बांध प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे दोपहर तीन बजे हम लोग कटी घाटी देखने के लिए निकले। चंदेरी के किले के ठीक सामनें लगभग एक किलोमीटर दूर एक पहाडी को बीच से काटकर रास्ता बनाया गया है, इस पहाडी दर्रे कोही कटी घाटी कहते है। जिस पहाडी को काटा गया है वह पहाडी 250 फुट उंची है और यह काटा गया रास्ता 190 फुट लंबा है। रास्ते की चौड़ाई 39 फुट है ...Read More
चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर - 9
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 9 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 9 यात्रा वृत्तांत लेखक राजनारायण बोहरे ललितपुर से झांसी की तरफ बढ़े तो पाया कि अब खूब चौड़ी और चिकनी रोड थी। जीप बडी आसानी से तेज गति से भाग रही थी। मेरी नजर जीप की रफृतार वाले मीटर पर पडी , ज्यांेही सुई 60 से उपर होती में ड्रायवर बूटाराम को टोंक देता और गाडी की रफ्तार घट जाती । नौ बजने में दस मिनिट शेष थे , तब हम झांसी पहॅुच गये थे । जेल रोड चौराहे पर ही एक होटेल देखकर मैंने ...Read More
चन्देरी, झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 10
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 10 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair10 हमारी जीप ने पुराने ओरछा शहर के बड़े से दरावाजे में प्रवेश कर लिया था और अब चारों ओर का नजारा बड़ा मनोरम दिख रहा था। दूर दूर तक फैले खेत और यहॉं वहॉ झांकते पुरानी हवेलियों, चौकियों और मंदिरों के ...Read More
चंदेरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 11
चंदेरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 11 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 11 यात्रा वृत्तांत चतुर्भज मंदिर प्रसंग राम राजा मंदिर के बाहर आने पर हमने देखा कि बायीं ओर के टीले पर ऊंचे ऊंचंे शिखरों वाला पुराने समय का बना हुआ एक विशाल मंदिर दिख रहा था। पूॅंछने पर पता चला कि यह चतुभर््ुाज मंदिर है। मंदिर के सामने बनी चौड़ी सीढ़ियां चढके हम मंदिर के सामने बने खुले चबूतरे तक तक पॅहुचें तो मंदिर की ऊंचाई और कलाकारी से बनाई गई गुम्बदों व झरोखों, खिड़कियों को देखके मुग्ध होगये। हमने देखा कि मंदिर की छतंे तीस फिट ...Read More
चंदेरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 12
चंदेरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 12 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 12 यात्रा वृत्तांत सावन भादों और हरदौल बैठका प्रसंग जब हम रामराजा मंदिर के सामने से होते हुए हरदौल बैठका की तरफ जा रहे थे तो हमने देखा कि सामने की तरर्फ इंट चूना से बनी लगभग साठ फिट ऊॅंची दो मीनारें एकदम पास पास खड़ी दिख रही थी। पास में जाकर हमने देखा कि वहां पुरातत्व विभाग का एक परिचय बोर्ड लगा था। जिस पर लिखा था- सावन भादों। ...Read More
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 13
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 13 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 13 चौराहे पर जाकर हमने एक रेस्टोेरेंट में दाल रोटी चावल का भोजन किया । अब हम रामराजा मंदिर के ठीक सामने वाली रोड़ पर चल रहे थे। हमने देखा कि चारांे और से नदी ने उस पहाड़ी को घेर रखा था, जिस पर सारे के सारे महल बने हुए थे।नदी के उपर बने पुल से होकर ही महलांे की तरफ जाया जा सकता था। पुल पार करते ही सामने किले का विशाल परकोटा था। परकोटे की दीवार सात फिट चौड़ी और बीस फिट उंची थी। परकोटे के ...Read More
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 14
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 14 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 14 राज महल मे हम लोग बारह निकले तो नीचे जहॉंगीर महल में घुस गये। यह महल बराबर लंबाई चौड़ाई में है। इसकी दो मंजिलें दिख रही थी,महल के चारो कोनों में कमरे है और बीच में आंगन के बीचोबीच एक हवादार कमरा भी है। जिसके उपर शानदार गुंबद हे। चार कोने पर बने कमरों के उपर भी गुम्बदें बनी है। सभी गुंबदे एक ही आकार की थी। महल के पीछे के कमरों मे से एक में पानी की नाली बनी हुई थी। गाइड ने बताया कि यह रानियों ...Read More
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 15
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 15 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 15 दो फंर्लाग चलने के बाद सामने ही हमको बेतवा नदी का पुल दिखाई दिया। लगभग तीन सौ फुट लंबे पुल के नीचे छल छल करती बेतवा नदी भूरे रंग की चट्टानों से खेलती , रूकती,ठोक्कर मारती हुई बह रही थी। नदी के उस पार पंक्तिबंद्व ढंग से कुलमिलाकर चौदह समाधिंया बनी हुई थी, जिनमे उॅंचे उंचे शिखर दूर से बडे़ अच्छे लग रहे थे। समाधियों को गांव की भाशा छतरी कहा जाता है। छतरियों वाला घाट कंचन घाट के नाम से जाना जाता है। राजा मध्ुकरशाह, इंन्द्रजीत शाह ...Read More
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 16
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 16 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 16 खजुराहो के ओरछा तिगैला तक आकर हम लोगों को अब बरूआसागर जाने के लिए खजुराहों छतरपुर धुबेला या निवाड़ी की दिशा में मुड़ना पड़ा । यहॉं से 16 किलोमीटर दूर था- बरूआ सागर ।यह गांव झांसी का प्रमुख गांव है। इसमें झांसी का जवाहर नवोदय विद्यालय भी है और कई प्रसिद्व बाग भी यहां है। शाम हो चली थी। पांच बजे थे। हमारी जीप बरूआसागर गावं को दांयी और छोड़ती हुई निवाडी की तरफ निकल गई लगभग आधा किलोमीटर ही चले थे कि रोड के बायीं ओर एक ...Read More
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 17
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 17 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 17 सुबह बच्चों से कि झांसी में क्या देखना चाहेगें तो एकमत होकर सबने कहा कि झांसी का किला । हम लोग आठ बजे जीप में बैठे और पुराने बस स्टेड के पास स्थ्ति ऐतिहासिक झांसी के किले को देखने जा पहंचे । यह किला भारत की आजादी की पहली लडाई में एक बड़ा केन्द्र बनकर उभरा था। यह किला एक उंची पहाडियां पर बनया गया था। कहते कि इसे ओरछा के बंुदेला राजा वीर सिंह देव ने बनवाया था। किले में सेना रहती थी । सरकारी दरबार और जेल बगैरह ...Read More
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 18
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 18 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 18 दोपहर के ग्यारह बज चुके थें। ग्वालियर रोड पर पांचवा किलोमीटर पार करते हमने देखा कि ग्वालियर की झांसी से दूरी 102 किलोमीटर है । झांसी से रेल द्वारा भी ग्वालियर पहॅुचा जा सकता है। दतिया स्टेशन भी गवालियर जाते समय रास्ते में मिलता है। दतिया यहॉ से 27 कि.मी. है । पंाचवे और छठवे किलोमीटर के बीच में हमने रोड पर एक बोर्ड लगा देखा जिसमें उनाव बालाजी के लिए जा रहे मार्ग का संकेत था। मुझे पता था कि भारतवर्श मे सुर्य के गिने चुने मंदिर है जिनमें ...Read More
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 19
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 19 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 19 आध घंटे मे दतिया पहॅुच गये। बस स्टेंड से एक रास्ता दतिया नगर के लिए तथा दुसरा रास्ता करणसागर तालाब के लिए जाता था। मैंने जीप को करण सागर की ओर मुड़वा दिया। यहॉं से आधा किलोमीटर दूर ही यह तालाब है । राजा शुभकरण बदेला ने सन 1737 ई. मे यह तालाब बनवाया था। तालाब किनारे से होकर यह रोड निकलती थी जिस पर हम बढ रह थे। यही रोड दतिया जिले की तहसील सेंवडा और भंाडेर को जाती थी। तालाब देखकर हम प्रसन्न हो उठे। करण सागर ...Read More
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 20
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 20 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 20 सुबह लॉज मालिक राजा सिंह यादव से पता लगा कि दतिया मध्यप्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है। पहले यह विंन्ध्यप्रदेश मे था। दतिया मे कलेक्टर, एस,पी और जिला न्यायाधीश के कार्यालय के लिए खूब बडी़ इमारत बनवायी गई हैं, लॉज मालिक ने बताया कि इस इमारत बनाने वाले ठेकेदार चाण्डी को इमारत बनाने का कोई मेहनताना ही नही मिला जिससे कि एक समय दतिया का सबसे धनाढय रहा यह ठेकेदार इन दिनों बेहद गरीबी में दिन काट रहा है और इंतजार कर रहा है कि उसे भुगतान मिले तो वह ...Read More
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 21
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 21 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 21 सोनागिरी गांव में प्रवेश के पहले हैं। इमे एक सरकारी रेस्ट हाउस और अस्पताल दिखाई दिया। गांवके बीचो.बीच स्थित, सोनागिरी मंदिरों के प्रवेश द्वार पर हमने जीप रोकी। सामने ही मंदिरो की पहाडी पर जाने का प्रवेश द्वार था। जीप मे जूते मौके उतार के हम लोग मंदिर वाली पहाड़ियांे के प्रवेष द्वार तरफ चले तो वहॉ। घूम रहे एक सज्जन ने हमे हाथ धोने का संकेत दिया। हैण्ड पंप चला कर पानी से हाथ पंाव धोकर हम आगे बढ़ लिए। पता लगा कि पहाडी पर ...Read More
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 22
चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 22 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 22 सुबह आठ बजे हम लोग दतिया से सेंवड़ा की और रवाना हुए। सेवडा यहॉं से 65 किलोमीटर है । सेवडा दतिया जिले की एक तहसील है । बताते है कि इस जगह पर फिल्म यतीम, डकैत और तीसरा पत्थर की शूटिंग भी हो चुकी है । साडे दस बजे हम लोग सेवड़ा पॅहुचें। बस स्टैंड से सीधा रास्ता बाजार होता हुआ सिंध नदी के लिए जाता था। हम उसी रास्ते पर आगे बढे। बाजार में प्रवेष करने के लिए भी एक ख्ूाब बड़ा दरवाजा था। भीतर दोनो और सजी ...Read More