लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' लहराता चाँद, (उपन्यास) सिर दर्द से फटा जा रहा था। आँखें भारी-भारी -सी लग रही थी। वह उठने की कोशिश कर रही थी पर उसकी पलकें हिलने से इनकार रहीं थीं। मुँह से पीड़ा भरी आवाज़ निकल रही थी। शरीर कष्ट से तड़प रहा था। आँखों से पानी निकलकर धूल में मिल रहा था। नाक से गरम साँसों के साथ पानी भी निकलने लगा था। आस-पास कहीं से एक अजीब सी दुर्गंध आ रही थी। वो दुर्गंध नाक से होकर फेफड़े पर असर कर रही थी, गाढ़े रसायन जैसी गंध थी वह। जैसे कि वह
Full Novel
लहराता चाँद - 1
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' लहराता चाँद, (उपन्यास) सिर दर्द से फटा जा रहा था। आँखें भारी-भारी -सी लग थी। वह उठने की कोशिश कर रही थी पर उसकी पलकें हिलने से इनकार रहीं थीं। मुँह से पीड़ा भरी आवाज़ निकल रही थी। शरीर कष्ट से तड़प रहा था। आँखों से पानी निकलकर धूल में मिल रहा था। नाक से गरम साँसों के साथ पानी भी निकलने लगा था। आस-पास कहीं से एक अजीब सी दुर्गंध आ रही थी। वो दुर्गंध नाक से होकर फेफड़े पर असर कर रही थी, गाढ़े रसायन जैसी गंध थी वह। जैसे कि वह ...Read More
लहराता चाँद - 2
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 2 शादी के 2 साल के बाद डॉ.संजय ने खुद का एक क्लिनिक खोला। और नशों के बड़े से बड़े ऑपरेशन बहुत ही सजगता और आसानी से कर देते। लोग उसकी बहुत इज्जत करते थे। लोगों का इलाज करने के साथ उसके नम्र व्यवहार और सृजनात्मक शैली से लोग प्रभावित होते थे। उसका सरल स्वभाव रोगियों से रिश्ता इस तरह जोड़ देते कि एक बार चिकित्सा के लिए आये रोगी उनकी एक स्पर्श से ही खुद को स्वस्थ महसूसने लगते थे। डॉ.संजय स्वतः एक कवि लेखक भी थे। 20 साल की उम्र में ही उनकी ...Read More
लहराता चाँद - 3
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 3 माथेरान से लौटने के बाद से संजय को रम्या में बहुत बदलाव महसूस कभी खोई-खोई नज़र आती तो कभी वह किसी भी छोटी-छोटी बातों से घबराने लगती। लोगों को डर और शक की नज़र से देखती। कभी खुद से बातें करने लगती जैसे कोई हर पल उसके साथ हों। कभी भय से काँप उठती और संजय का हाथ पकड़कर कहती संजय कोई मुझे तुमसे अलग करना चाहता है, कोई मुझे तुमसे छीन लेना चाहता है। जैसे खुद के चारों ओर कोई शिकारी जाल बिछाए बैठा हो, पलक झपकाने की देर उसे पकड़ ले ...Read More
लहराता चाँद - 4
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 4 संजय ने आँख पोंछी। उसकी नज़र काँच के दरवाज़े से बाहर बग़ीचा की थी। उस छोटी-सी बगिया में 8-10 साल की एक बच्ची उड़ती हुई एक तितली को पकड़ने की कोशिश कर रही थी। वह धीरे से तितली के पीछे जाती जैसे की उसे हाथ लगाने को हाथ बढ़ाती तितली उड़ जाती, लेकिन वह बच्ची हार न मानते हुए फिर से उसके पीछे दबे पाँव पीछा करती। ऐसी ही तो हैं मेरी बेटियाँ, अवन्तिका और अनन्या इतने कम उम्र में उनकी माँ की बीमारी से उनकी बचपन पर क्या असर पड़ेगा? न जाने ...Read More
लहराता चाँद - 5
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 5 अनन्या जब 14 साल की हुई तब संजय की गाड़ी दुर्घटना ग्रस्त हो गाड़ी की दुर्घटना से उसकी जिंदगी में जो भी कुछ खुशियाँ बची थी वह भी काँच के टुकड़े की तरह टूट कर बिखर गई। शायद संजय की जीवन में खुशियों के पल कुछ कम ही लिखे थे भगवान ने। उस दिन संजय सुबह उठते ही रम्या को पास न पाकर इधर-उधर देखा। यूँ तो रम्या रोज़ सुबह उठ जाती थी। बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना जो पड़ता था। लेकिन उस दिन रविवार था और संजय ने रात को ...Read More
लहराता चाँद - 6
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 6 रोज़ की तरह उस दिन भी घरेलू सामान खरीदने अनन्या बाजार गई। राशन सब्जियाँ लेकर लौट ही रही थी कि उसने देखा कुछ लोग भरी बाजार में एक दुकान में घुसकर उसके सामान की तोड़फोड़ कर दुकानदार से जबरन पैसे छीनने लगे। वे लोग सब्जी वालों से दुर्व्यवहार कर मार पीट करने लगे और चेयर टेबल तोड़ कर बक्से से पैसे निकाल लिए। वे लोग गरीब चायवालों तक नहीं छोड़े उनकी दिन भर की कमाई को छीनकर खुद के जेब भरे। जब कोई देने से इनकार करता तो उसकी दुकान के सामान बाहर ...Read More
लहराता चाँद - 7
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 7 रात के 10 बज ही थे। अनन्या ने अवन्तिका को खाना खिलाकर सुला और टेबल ऊपर रखी "बाबुल का आँगन" मासिक पत्रिका पलटने लगी। जिसमें संजय का एक आर्टिकल 'आरोग्य' छपा था। अनन्या उसे बहुत ध्यान से पढ़ने लगी। संजय क्लिनिक से लौटा नहीं था। कभी-कभी ऐन मौके पर इमरजेंसी आ जाने से उसे देर रात तक अस्पताल में रुकना पड़ता था। आखिर मनुष्य का शरीर है, कभी कैसी मुसीबत आन पड़ जाए किसे पता। भगवान तो शरीर का गठन करके धरती पर भेज देता है और उसके बाद उसकी रक्षा भी एक ...Read More
लहराता चाँद - 8
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 8 - साहिल .. साहिल..." अनन्या ने जाते हुए साहिल को पीछे से आवाज़ ऑफिस की गेट की तरफ जाते हुए साहिल, अनन्या की आवाज़ से पीछे मुड़कर देखा। अनन्या को देखकर वह हक्का-बक्का रह गया। वह गुलाबी रंग का लहंगा पहनी हुई थी। गुलाबी रंग की लहंगे पर आकाशी नीले रंग के धागे से सुंदर फूल पत्तियों से एम्ब्रॉयडरी की गई है। पीले रंग की चोली फिर गुलाब रंग के चुनरी अनन्या पर बहुत फब रही थी। जैसे कोई गुलाबी परी गुलाबों की बगिया से सज-धज कर निकली हो। गोरे -गोरे चेहरे के ...Read More
लहराता चाँद - 9
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 9 साहिल एक सामान्य परिवार से है। उसके पिताजी कॉलेज के प्रिंसिपल हैं और संगीत की विदुषी। उसकी एक छोटी बहन सूफी है। माँ शैलजा घर में ही एक संगीत इंस्टिट्यूट चलातीं हैं और वक्त-वक्त पर उनका गाना रेडियो और मंच पर प्रसारित होता रहता है। कुछ बच्चे उनसे संगीत सीखने उनके इंस्टिट्यूट में आते हैं। साहिल और सूफी उनको जान से ज्यादा प्यारे हैं। साहिल, सूफी से 8 साल बड़ा है। जब साहिल का जन्म हुआ तब उसके पिता अभिनव कॉलेज के प्रोफेसर थे। उनकी पत्नी शैलजा और अभिनव का प्रेम विवाह हुआ ...Read More
लहराता चाँद - 10
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 10 सूफी और अवन्तिका एक ही क्लास में पड़ते थे। पढ़ाई के लिए कभी सूफी के घर तो कभी सूफी को अनन्या के घर आना जाना रहता था। दोनों के घर के बीच की दूरी को देखते साहिल को कभी कभार अवन्तिका के घर छोड़ने के लिए तो कभी सूफी को घर लाने के लिए जाना पड़ता था। वह अनन्या का अच्छा दोस्त रहा है अबतक। पर समय कब किसे किससे मिला देता है कब किस से अलग कर देता है किसे मालूम। जब कभी अनन्या के बारे में सोचता है तो उसे लगता ...Read More
लहराता चाँद - 11
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 11 रम्या के देहान्त के बाद संजय ने अब तक अकेले ही जिंदगी गुजारी आस-पड़ोस और दोस्त ने दूसरी शादी करने के लिए प्रोत्साहित करने लगे लेकिन वह किसी की नहीं सुना। बिना किसी की सहायता लिए दोनों बच्चों की परवरिश की। दिन के ज्यादातर समय क्लिनिक में रोगियों के बीच गुजर जाता था इसलिए उसने कुछ समय के लिए घर के पास ही क्लिनिक खोला। ताकि जरूरत पड़ने पर वह तुरन्त घर पहुँच सके। जीवन में एक साथी की कमी तो हरदम महसूस होती है। पूरे दिन थकान के बाद रात को जब ...Read More
लहराता चाँद - 12
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 12 संजय जब घर पहुँचा अवन्तिका टेबल पर बैठकर पढ़ रही थी। अनन्या उससे करवा रही थी। अवन्तिका बीच-बीच में अनन्या को सवाल करती और अनन्या उसे समझने में मदद कर रही थी। संजय को देख अनन्या उठ खड़ी हुई, "डैड आप आ गए।" - हाँ बेटा, क्या कर रही हो? सूटकेस को अनन्या को बढ़ाते हुए पूछा। - अवन्तिका के कॉलेज में कल से परीक्षा है डैड उसी की तैयारी हो रही है। आप बैठिए मैं आप के लिए अदरकवाली चाय लेकर आती हूँ।" अनन्या ने डॉ.संजय के सूटकेस लेकर अंदर चली गई। ...Read More
लहराता चाँद - 13
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 13 अगले दिन जब अनन्या ऑफिस पहुँचकर बैग टेबल के ऊपर रखी, देखा गौरव में पानी लिए अपने कमरे से बाहर निकल रहा है। उसकी हालात काफी मज़ाकिया लग रही थी। जीभ को बाहर निकाल कर मुँह के अजीब भंगिमा देखने लायक था। - अरे क्या हुआ गौरव रो क्यों रहे हो ? " अनन्या आश्चर्य होकर हँसी को होंठों के बीच छिपाकर पूछी। गौरव मुँह पिचकाकर आँख में बड़े-बड़े आँसू से अनन्या की ओर देखा। जीभ को बाहर निकालकर अपने सीट पर जा बैठा। अनन्या ने उसकी अजीब सा ढंग देख कुछ और ...Read More
लहराता चाँद - 14
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 14 समय करीब डेढ़ बजने को था। संजय अपने कमरे में आराम चेयर पर बहुत दिनों बाद डायरी लिख रहा था। अपनी जिन्दगी के 48 साल गुजार दी है उसने। वह कभी अपनी जिन्दगी में फूल या खुशबू की तमन्ना नहीं रखी। अपने बच्चों और रम्या के ख़्यालों के अलावा उसकी कोई ख्वाहिश नहीं थी। अवन्तिका, अनन्या भी बड़े हो चुके हैं। वे खुद को सँभालने के काबिल बन गए हैं। सालों बाद अनन्या के बगैर घर सूना-सूना लग रहा था। अवन्तिका अपने कमरे में सो गई है और अनन्या दिल्ली में। आज अनन्या ...Read More
लहराता चाँद - 15
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 15 अगले दिन से अनन्या ने घर और ऑफिस में अपना काम सँभाल लिया। में अनन्या की कामयाबी से सभी ने उसको बधाई दी। दफ्तर पहुँचते ही रोज़ की तरह अनन्या अपने काम में डूब गई। इन दिनों की छुट्टी से टेबल पर फाइलें भर गई थीं। वह उन फाइलों को समेट कर एक एक कर ध्यान से देखने लगी। सौरभ और अंजली के तैयार किये हुए कागजों को पढ़ अगले दिन की रिपोर्ट तैयार करने में मग्न हो गई। तभी रामू काका गरमा गरम कॉफी ले कर आये। " बीबीजी कॉफ़ी ।" - ...Read More
लहराता चाँद - 16
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 16 अनन्या एक बंद कमरे में बँधी हुई थी। उसकी हाथ पैरोँ को रस्सी बाँधकर कमरे के एक कोने में रख दिया गया था। वह असह्य पीड़ा अनुभव कर रही थी। काश कि कोई आकर उसके हाथ पैर खोल दे। धूल मिट्टी में पड़े उसका शरीर दर्द से छटपटा रहा था। कई घंटों से वह उसी हाल में पड़ी रही। उसे कोई पूछने तक भी नहीं आया। न जाने कौन है जो उसे बंदी बनाए रखा है और कब तक रखेंगे ये लोग उसे? किस मकसद से अपहरण किया है वह भी पता नहीं। ...Read More
लहराता चाँद - 17
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 17 दूसरे दिन की सुबह के सूरज के साथ किरणें भी टूटी हुई खिड़की मध्य से कमरे के अंदर प्रवेश कर रही थी। पूरा कमरा धूल मिट्टी से भरा हुआ था। एक दिन बीत चुका था। उसे घर से निकले 48घंटे हो चुके थे। ऑफिस के लिए निकलकर वह फिर घर नहीं पहुँची। न जाने पिताजी और अवि के हालात क्या होंगे सोच ही नहीं पा रही थी। असहनीय धूल के कारण अनन्या की खाँसी रुक नहीं रही थी। रात भर उसकी आँखों में नींद नहीं थी। मच्छरों की तानाशाही और चूहों के इधर-उधर ...Read More
लहराता चाँद - 18
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 18 जब से अनन्या का किडनैप हुआ है तब से संजय ने अस्पताल जाना दिया। रात दिन पागलों की तरह बेटी की खोज में शहरों की गलियों में ढूँढ रहा है। इसी आशा से कि कहीं अनन्या उसे मिल जाए। न खाने-पीने का ख्याल रहा ना अस्पताल का। अंजली भी अस्पताल का काम खत्म कर अवन्तिका और संजय के लिए खाना बना देती और कुछ समय उसके साथ रहती थी। संजय बीच- बीच मे फ़ोन पर अवन्तिका से बात करता रहता था, मन में एक छोटी सी आशा कि कहीं से अनन्या का फ़ोन ...Read More
लहराता चाँद - 19
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 19 सुबह 10 बजे गौतम साहिल और क्षमा ऑफिस पहुँचे। अनन्या को लेकर चिंता को थी। क्षमा साहिल को अनन्या के बारे में पूछा, "अनन्या का कुछ पता चला।" "नहीं, भिंवडी बाजार की उसी जगह पर जाकर हमने हर एक को पूछा पर किसीने कोई जवाब नहीं दिया। हम कोशिश कर रहे हैं उन गुंडों में किसी एक का भी पता लग जाए हम बाकी का पता निकाल लेंगे। इस बार उन गुंडों को ऐसा सबक सिखाएँगे कि या तो अपाहिज हो जाएँगे या तो जिंदगी भर याद रखेंगे।" "क्या कहा लोगों ने?" क्षमा ...Read More
लहराता चाँद - 20
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 20 महुआ ने उसके दादू से मोबाइल फ़ोन चुराने की कोशिश की पर हासिल कर पाया। उसे क्या करना है समझ में नहीं आ रहा था दूसरी ओर अनन्या को किसी भी हाल में बचाना है ये वह समझता था। पर कैसे? सोचते हुए जब भटक रहा था उसे कूड़े में एक कागज़ का टुकुड़ा मिला। मिट्टी लगकर पीला पड़ गया था। उस कागज़ को कूड़े से निकाल कर उलटकर देखा। कागज ख़राब हो चुका था लेकिन एक आस बनी कि इस कागज़ से उस बेचारी लड़की की कोई मदद हो जाए। नहीं तो ...Read More
लहराता चाँद - 21
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 21 संजय को गौरव से कॉल आते ही वह तुरंत ही पुलिस स्टेशन फ़ोनकर बता दिया। अवन्तिका और क्षमा को बुलाकर दरवाज़ा अच्छे से बंद करने को कहा। दोनों को सँभलकर रहने को कहकर गाड़ी लेकर पुलिस स्टेशन की ओर निकल पड़ा। साहिल और गौरव बाइक को झाड़ियों के बीच छिपाकर वहाँ से पैदल ही जंगल की ओर चलने लगे। गौरव धीरे फुसफुसाते हुए पूछा, "साहिल तुझे क्या लगता है इतनी बड़ी जंगल में कहाँ ढूँढेंगे?" "चल देखते हैं। कुछ न कुछ तो पता चलेगा ही। "संभलकर चल बहुत अंधेरा है। बहुत ज्यादा जरूरत ...Read More
लहराता चाँद - 22
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 22 गौरव और साहिल खिड़की से अंदर झाँककर देखा। दीये की रोशनी में कुछ नहीं दिख रहा था। साहिल गौरव को रोक कर कहा, "गौरव, ऐसे नहीं हमें अंदर जाना होगा। तुम उस तरफ से देखो कोई है कि नहीं, अगर कोई आये तो इशारा करना। मैं अंदर जाकर देखता हूँ।" "ठीक है, मैं यहाँ रुकता हूँ। अगर किसी खतरे का आभास हो तो बुलाना।" "ओके।" साहिल ने अंदर प्रवेश किया। धूल मिटटी से भरा कमरा अँधेरे में डूबा हुआ था। एक कोने एक छोटा सा दिया लहलहा रहा था। साहिल ने ध्यान से ...Read More
लहराता चाँद - 23
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 23 साहिल जब घर पहुँचा शैलजा ने दरवाज़ा खोला। साहिल अंदर आकर सोफ़े पर शैलजा दरवाज़ा बंदकर साहिल के पास बैठी। साहिल अपनी माँ की गोद में सर रखकर सो गया। शैलजा ने उसकी सर पर हाथ फेरते हुए पूछा, "साहिल इतनी देर तक कहाँ रह गया बेटा मुझे तेरी बहुत फ़िक्र हो रही थी।" - माँ अनन्या का पता चल गया और आज वह घर भी आ गई।" शैलजा के प्रश्नों के बदले कहा। - ओह! शुक्र है, बच्ची मिल गई। दो दिन से कहाँ थी? कुछ पता चला?" - हाँ, माँ उसे ...Read More
लहराता चाँद - 24
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 24 साहिल ऑफिस पहुँचने ही वाला था, उसने देखा ऑफिस के गेट के सामने के लोग भीड़ लगाये खड़े थे। उन्हें देखकर वह कुछ दूरी पर अपनी बाइक रोक दी। एक दरख़्त के पीछे खड़े होकर ऑफिस में फ़ोन लगाया। चौकीदार के फ़ोन उठाते ही साहिल ने पूछा, "काका ऑफिस के सामने भीड़ कैसी?" चौकीदार ने बताया, "सर जी सुबह से मीडिया वाले भीड़ लगाये रखें है। आप सब का इंतज़ारकर रहे हैं।" - क्या कह रहे है?" - बार बार दुर्योधन सर्, अनन्या जी और आप के बारे में पूछ रहे हैं।" - ...Read More
लहराता चाँद - 25
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 25 साहिल जब घर पहुँचा शैलजा नाश्ता और चाय ले आई। रोज़ की तरह घर पर नहीं था। अभिनव की याद आते ही उस पर किसी और का साया साहिल को अंदर ही अंदर असहनीय महसूस करा रहा था। - माँ वो कहाँ है?" उसके पूछने के ढंग से उसकी नाराज़गी साफ़-साफ़ नज़र आ रही थी। - कौन ? पापा.. वह अभी तक नहीं आये। फ़ोन आया था कि देर होगी।" साहिल गुस्से में आकर तुरंत बाइक लेकर बाहर चलगया। जब वह कॉलेज पहुँचा कॉलेज बंद हो चुका था। वह वॉचमैन से पूछा, "पापा ...Read More
लहराता चाँद - 26
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 26 अनन्या कुछ दिन छुट्टी लेकर घर पर रही। उसकी खबर हर अखबार के पेज पर छपी थी। आसानी से किसी की नज़र से बच नहीं सकती थी। उसे पता था अगर घर से निकलेगी तो उसे पहले न्यूज़ रिपोर्टर्स का सामना करना होगा और वह इस के लिए तैयार नहीं थी। मामला जब ठंड़ा पड़ने लगा, अनन्या ने फिर से ऑफिस जाना शुरू किया। महुआ के पुलिस के गवाह बन जाने से पुलिस ने उसका स्टेटमेंट लेकर उसे रिमांड रूम में भेज दिया। अनन्या जब उससे मिलने गई तो वह रो पड़ा। - ...Read More
लहराता चाँद - 27
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 27 अनन्या की जिंदगी खौफ से निकल कर साधारण होने लगी थी। संजय और का जन्मदिन एक ही महीने में आता है। इसलिए दोनों का जन्मदिवस एक ही दिन मनाया जाता है। इसके लिए चार दिन पहले से ही तैयारियाँ शुरू हो गई। 8 महीने गुजर जाने के बाद भी अवन्तिका, अनन्या के साथ हुई हादसे से परेशान थी। उसके मन में डर इतना ज्यादा था कि वह अनन्या को एक पल भी अपने से दूर होने नहीं दे रही थी। अवन्तिका के अपनी माँ को खोने के बाद अनन्या से उसकी गहरी रिश्ता ...Read More
लहराता चाँद - 28
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 28 कुछ महीने बीत गए। अनन्या अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गई। अवन्तिका के में आखिरी साल भी खत्म हो चुका था। महुआ को 18 महीने कैद की सज़ा सुनाई गई। संजय अपने जीवन में फिर से व्यस्त हो गए। सूफी साहिल और शैलजा ने एक नयी जीवन की शुरुवात की। उन्हें खुद को सँभालने और फिर से अभिनव के बिना जीवन को पटरी पर लाने में कई महीने लग गए। जरूरत पड़ने पर अनन्या उनका ख्याल रखती। घर छोड़कर जाने के बाद उन्होंने अभिनव के बारे में कोई खबर जानने की कोशिश नहीं ...Read More
लहराता चाँद - 29
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 29 महुआ की स्टेटमेंट से गैंग के कई बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार कर गिरोहे के कुछ बदमाश लोग भाग निकले। महुआ को कई दिन तक पुलिस प्रोटेक्शन में रखा गया। फिर संजय ने अपने डिसपेंसरी में सहायक कर्मी के पद पर उसे रख लिया। महुआ स्टाफ के अन्य लोगों से धीरे-धीरे काम सीखने लगा। अवन्तिका ने नौकरी के लिए कई जगह फॉर्म दे रखा था। कुछ दिनों में उसे एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी मिल गई। सूफी ने भी काम करना शुरू कर दिया साथ ही घर बैठे ब्लॉगिंग भी करने लगी। ...Read More
लहराता चाँद - 30
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 30 अनन्या नहाकर नाइटी पहन वाशरूम से बाहर आई। सिर टॉवल से ढँकी हुई टेबल के सामने बैठ कर आईने को निहारने लगी। फिर बिंदी लगाकर गालों पर डिंपल को हाथ से सहलाते होंठों पर एक मुस्कान खिल गई। लाल रंग की लिपस्टिक के बीच से सफेद मोती से दाँत चमक उठे। उसने बालों को टॉवल से मुक्त कर काले गहरे बालों को टॉवल से पोंछ कर सिर से एक झटके से बालों को पीछे हटाया। उसके गीले बालों के पानी के कण वहीं बैठ कर ध्यान से देखती अवि के ऊपर जा गिरे। ...Read More
लहराता चाँद - 31
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 31 जब ड्राइवर अमर क्लिनिक पहुँचा अनुराधा ने डॉ.संजय से उसकी आने की खबर वे उसे अंदर बुलाकर बिठाए। - बोलो अमर कैसे आना हुआ? सब ठीक तो है? - सब ठीक है डॉ साहब। जेल की सज़ा को पूरा करने के बाद कुछ ही महीने पहले रिहा हुआ हूँ। आते ही आपसे मिलने चाहा मगर मेरी पत्नी का देहांत हो जाने से नहीं आ सका। मेरे अनुपस्थिति में मेरी पत्नी जो दमा की मरीज़ थी उसका इलाज से लेकर मेरे परिवार का पूरा ख्याल रखा है आपने। आप के कारण बेटा अभी अच्छी ...Read More
लहराता चाँद - 32
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 32 कुछ समय बाद संजय ने अवि के कमरे जाकर देखा। वह अवचेतन अवस्था थी। शरीर बुखार से तप रहा था। संजय अपने कमरे में जाकर दवा और इंजेक्शन ले आए। इंजेक्शन और दवा के साथ पानी पिलाकर वहाँ से बाहर कमरे में आ गए। उन्होंने पूरी रात सोफ़े पर ही गुजार दिया। अवि को अपनी माँ के लिए तड़पता देख वे अस्थिर हो उठे। संजय को समझमें नहीं आ रहा था कि कैसे समझाएँ अपनी बेटियों को। वे करते भी तो क्या? जबसे दुर्घटना हुई है तब से रम्या की कमी बाधित कर ...Read More
लहराता चाँद - 33
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 33 दूसरे दिन सुबह दुर्योधन संजय से मिलने आया। उसे पता था इस वक्त को हौसले की और बच्चों को सही सुझाव की जरूरत है। वरना इतने लंबी समय तक उसकी बच्चों के लिए की हुई कुर्बानी वृथा जाएगा और संजय का परिवार बिखर सकता है। दुर्योधन सीधे संजय के कमरे की ओर बढ़ गया। संजय अपने कमरे में सिगरेट पीते हुए गहरी सोच में कमरे में टहल रह था। दुर्योधन को देख संजय चुपचाप सोफे पर जा बैठा। दुर्योधन ने संजय के कँधे पर हाथ रखकर हिम्मत दी और पास बैठ कर पूछा, ...Read More
लहराता चाँद - 34
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 34 संजय ऊपर अपने कमरे के खिड़की पर खड़ा था। कोई भूमिका बिना ही कान सब कुछ सुन रहे थे। पहली बार उसे लगा अपनी बच्चियों की दिल की बात वह कभी समझ ही नहीं पाया। वह हमेशा यही समझता रहा कि वह अपने बच्चों के रहन सहन, खानापीना सभी सही तरीके से कर रहा है कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन आज वह ये समझ गया कि उसकी बच्चियों ने कभी अपने मन की बात उससे बाँटी ही नहीं। वे अपने आप में घुटते रहे मगर उससे कुछ कहा ही नहीं। तो क्या ...Read More
लहराता चाँद - 35
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 35 साहिल को अमेरिका जाकर छह महीने हो गए थे। सूफी भी एक अच्छी में लग गई थी। शैलजा अब पुरानी बातें भूलकर फिर से खुद को समेटने लगी थी। अब उसे साहिल और सूफी की शादीकर उन्हें रिश्तों के बंधन में बाँधकर अपनी जिम्मेदारी को पूरा करना चाहती थी। शैलजा संजय की तबियत के बारे में जानकर संजय, अनु और अवि से मिल आई। बहुत दिनों बाद अनन्या से मिलकर शैलजा को खुशी हुई। एक दिन सुबह शैलजा अंजली को फ़ोन लगाई। अंजली फ़ोन उठाते ही शैलजा ने बात शुरू की "अंजली जी ...Read More
लहराता चाँद - 36
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 36 अवन्तिका को नींद नहीं आ रही थी। तकिए को सीने में लगाए खुले में सपना देख रही थी। अनन्या की जिद्द से संजय की शादी अंजली से हो जाती है। अंजली, पहले संजय के कमरे पर कब्जाकर लेती है फिर संजय पर। संजय अंजली के सामने अनन्या अवन्तिका से बात करने से हिचकिचाने लगता है। धीरे-धीरे अंजली किचन और घर को भी अपने बस में ले लेती है। फिर अंजली जो कहे वही घर में सब को मानना पड़ता है। अनन्या और अवन्तिका अपने कमरे तक सीमित रह जाते हैं और अंजली पूरे ...Read More
लहराता चाँद - 37
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 37 साहिल हर रविवार को शैलजा से फ़ोन पर बात करता था। उस दिन साहिल ने फ़ोन किया। सूफी के बारे में पूछा। - सूफी बाहर गई है बेटा, आजकल उसको दोस्तों से मिलने का समय भी कहाँ मिलता है। पूरे दिन ऑफिस में फिर घर थककर आती है और सो जाती है। " - तुम कैसी हो माँ, समय पर दवा लेती हो कि नहीं? - हाँ लेती हूँ। तू बता कैसा है वहाँ? ठीक से खाना खा रहा है ना? - हाँ माँ कुछ भी खा लेता हूँ, तेरे हाथ का खाना ...Read More
लहराता चाँद - 38
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 38 सुबह के आठ बजे का समय है। ठंडी की शीतल लहर अब भी रही थी। आकाश कोहरे की चादर में सिमटा हुआ था। सूरज की हल्की सी किरणों को उस कोहरे ने अपने अंदर छुपा लिया था। डाइनिंग हॉल में संजय शॉल ओढ़े बैठे हुए थे। अनन्या और अवंतिका गरम कपड़े पहने बैठे हुए थे। बाहर कुत्ता 'मौजी' भोंक रहा था। अनन्या चिंतित होकर कहा, "पता नहीं आज मौजी क्यों ऐसे भोंक रहा है।" -"जाकर देख आओ महिआ ने उसे खाना दिया कि नहीं।" शॉल को अपने ऊपर खींचते अनमने संजय ने अनन्या ...Read More
लहराता चाँद - 39
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 39 साहिल विदेश से लौट आया। उसे एक tv चैनल में जॉर्नलिस्ट एंड रिपोर्टर नौकरी मिल गई। उसी के नाम से एक शो साहिल रिपोर्टिंग के नाम से शुरू होने वाला था। वह चैनल के लिए दस्तखत करने के बाद वह अपने पुराने ऑफिस पहुँचा। दुर्योधन से मिलकर आशीर्वाद लिया और अपने सहकर्मियों से जी भर के मिला। बहुत दिनों बाद उन्हें मिलकर वह बहुत खुश था। अनन्या भी साहिल को देख खुश हुई। एक दिन वह अनन्या के पापा संजय से मिलने उनके घर पहुँचा। संजय का हालचाल पूछकर कर वहाँ से निकल ...Read More
लहराता चाँद - 40 - अंतिम भाग
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 40 नए साल की पार्टी के बाद रात के 1बजे संजय अनन्या अवन्तिका घर अपने बैडरूम में पलँग पर धड़ल्ले से गिर कर अवन्तिका ने अनन्या से पूछा, "दी आज आप बहुत खुश लग रही हो। क्या बात है?" अवन्तिका ने अनन्या से पूछा। - खुश क्यों नहीं लगूँगी। आज नया साल भी है? पार्टी भी बहुत बढ़िया की थी साहिल ने। मैं हमेशा ऐसे ही रहती हूँ, क्यों तुम खुश नहीं हो।" चमकते आँखों से अनन्या ने उत्तर दिया। - " हाँ, खुश तो हूँ। पर मुझे पूछने वाला कौन था वहाँ? मगर ...Read More