अनकहा अहसास

(488)
  • 321.1k
  • 43
  • 138.4k

स्वर्णभूमि सोसायटी, रमा तीसरी मंजिल पर फ्लैट की बालकनी में बैठकर ऑफिस का कुछ काम निपटा रही थी। अभी-अभी सूर्योदय हुआ था। हल्की बौछार के बाद अचानक धूप के खिलने से मिट्टी की सौंधी खूशबू उसको आल्हादित कर रहीं थी कि अचानक पीछे से आवाज आई। दीदी चाय लाऊँ ? आँ !!! उसने शायद सुना नहीं । चाय लाऊँ क्या दीदी ? ये उसकी कुक थी जो रोज सुबह सात बजे आ जाती थी और उसका नाश्ता खाना टिफिन बनाकर आठ बजे तक चली जाती थी। ओ, हाँ रेवती ले आओ ? कितने बज गये हैं ? मुझे काम में ध्यान ही नहीं रहा। आठ बज गए हैं दीदी ! मेरा काम खत्म हो गया है और कुछ करवाना है तो बताईये नहीं तो मैं जाऊँगी। हाँ वो बाथरूम में गीजर चालू कर दे। मेरा गरम पानी से नहाने का मन कर रहा है। गरम पानी से नहाऊँगी तो अच्छा लगेगा। ठीक है दीदी मैं चालू करके जा रही हूँ कल आऊँगी। अच्छा ठीक है जा। अखबार पड़ा है क्या बाहर, देख और अंदर करती जा।

Full Novel

1

अनकहा अहसास - अध्याय - 1

अध्याय - 1स्वर्णभूमि सोसायटी, रमा तीसरी मंजिल पर फ्लैट की बालकनी में बैठकर ऑफिस का कुछ काम निपटा रही सूर्योदय हुआ था। हल्की बौछार के बाद अचानक धूप के खिलने से मिट्टी की सौंधी खूशबू उसको आल्हादित कर रहीं थी कि अचानक पीछे से आवाज आई।दीदी चाय लाऊँ ?आँ !!! उसने शायद सुना नहीं ।चाय लाऊँ क्या दीदी ? ये उसकी कुक थी जो रोज सुबह सात बजे आ जाती थी और उसका नाश्ता खाना टिफिन बनाकर आठ बजे तक चली जाती थी।ओ, हाँ रेवती ले आओ ? कितने बज गये हैं ? मुझे काम में ध्यान ही नहीं रहा। आठ ...Read More

2

अनकहा अहसास - अध्याय - 2

अध्याय -2लगभग ढाई वर्ष पूर्व रमा, अनुज और कॉलेज के कुछ और दोस्तों का कितना बढ़िया ग्रुप था। साथ एम.एस.सी. किए थे और लगभग हर शनिवार और रविवार को साथ में अपना अड्डा जमाते थे। सभी लोग रोजगार की तलाश में थे। तो अकसर उनका टॉपिक यही होता था।क्या भाई मनोज अब क्या करने का इरादा है ? अनुज ने पूछा। मैं तो सोच रहा हूँ कि आई.ए.एस. की तैयारी करूँगा। मेरे पापा तो मुझे दिल्ली भेजने के लिए तैयार भी हो गए हैं। तू बता तू क्या करने वाला है मैंने तो सोच लिया है भाई कि मैं पापा के ...Read More

3

अनकहा अहसास - अध्याय - 3

अध्याय - 3क्या लोगी रमा ? अनुज ने बैठते हुए पूछा। मतलब ?मतलब तुम्हे खाने में क्या पसंद है बुलाया है जो तुम्हे पसंद है वो खिलाओ।नहीं,नहीं। तुम बताओ ना क्या मगाऊँ ?कुछ भी मंगा लो जो यहाँ अच्छा मिलता हो। अच्छा ठीक है। भैया जरा यहाँ आईए। यहाँ क्या सबसे अच्छा मिलता है ?हैदराबादी पुलाव और कश्मीरी पुलाव बहुत अच्छा है आप चाहे तो ट्राई कर सकतें हैं।क्या बोलूँ रमा ?जो भी, अच्छा कश्मीरी पुलाव मंगालो।ठीक है भैया। यही ले आईये।वेटर आर्डर लेकर चला गया। अच्छा ये बताओ इतनी क्या आतुरता थी मुझे डिनर पर लाने की ? रमा नू पूछा।यूँ ...Read More

4

अनकहा अहसास - अध्याय - 4

अध्याय - 4अच्छा ठीक है अब कब मिलोगी। शादी के मंडप में और क्या ? रमा बोली।अरे यार ऐसी मत दो कम से कम फोन पर तो बात कर सकती हो।हाँ बिलकुल। पर जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता सिर्फ मैं फोन करूँगी।दिन में एक बार ?नहीं एक एक दिन के गैप में वरना तुम अपने काम पर ध्यान नहीं दोगे।चलो ठीक है मैं जल्दी ही अपने पापा से बात करूँगा।दोनों वहाँ से निकल गए। अब अनुज का एक ही लक्ष्य था। अपने पापा को बिजनेस में हाथ बटाना और उनके बिजनेस को बढ़ाना। वो काफी तेजी से ...Read More

5

अनकहा अहसास - अध्याय - 5

अध्याय - 5तो फिर क्या सोचा आप लोगों ने ? अनुज के पिता ने पूछा। मैं अनुज से मिलना हूँ। रमा के पिता ने कहा।अच्छा मैं उसको बुलाता हूँ कहकर उन्होंने अनुज को फोन कर अंदर आने को कहा।तभी एक स्मार्ट, गोरा चिट्टा, ऊँचा पूरा लड़का अंदर आते दिखा।आओ अनुज। अनुज के पिता ने कहा।अनुज आया और रमा के माता-पिता का पैर छुआ। बैठो बेटा। देखो आप दोनों की खुशी में ही हमारी खुशी है। इसलिए हम सभी इस रिश्ते से सहमत हैं। रमा के पिता ने कहा।अनुज ने रमा की ओर देखकर आँखें ऊचकाई। रमा शरमा गई। वो खुशी से ...Read More

6

अनकहा अहसास - अध्याय - 6

अध्याय - 6घर पहुँच कर पिता ने रमा से पूछा।उन्होंने क्या कहा बेटी ?उन्होने कहा कि यदि मैं अनुज शादी करूँगी तो वो अनुज को जायदाद से बेदखल करने के लिए कोर्ट में घसीटेगीं, और उसका परिवार बिखर जाएगा। पापा मैं ऐसा क्यूँ चाहूँगी कि मेरी वजह से उन दोनों के बीच टकराव हो, और अगर मैं अनुज को ये सब बताती हूँ तो वो एक मिनट में मेरे लिए सब कुछ छोड़ देगा, पर क्या ऐसा करना ऊचित होगा पापा कि अपने स्वार्थ के लिए मैं उससे सब कुछ छीन लूँ जो उसका अधिकार है।कह तो तुम ठीक ...Read More

7

अनकहा अहसास - अध्याय - 7

अध्याय - 7क्या बात है डियर, तू क्लास लेने नहीं गयी। माला ने अंदर आते ही पूछा।नहीं यार आज नहीं था। क्यों भला ?बस ऐसे ही मन नहीं कर रहा था। अच्छा मैंनेजमेंट चेंज हुआ इसलिए। हाँ ऐसा ही समझ ले। वो कितना हैंडसम है ना ?कौन वो ? अरे वही जो नया चेयरमेन आया है।अच्छा अनुज। अनुज तो ऐसे बोल रही है जैसे तेरी कोई पुरानी यारी हो उससे। रमा थोडा़ हड़बड़ा गई,नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है।हाँ तो फिर सर बोल। बॉस हैं तुम्हारे। माला बोली।तुझे बड़ी जलन हो रही है माला।मुझे तो एक ही नजर में भा गए यार। माला बोली।अच्छा तो ...Read More

8

अनकहा अहसास - अध्याय - 8

अध्याय - 8रमा पैदल चलते हुए अपने सोसाईटी पहुँच गई।आज उसका मन एकदम अस्थिर था। उसने सोचा इस तरह रोज चिकचिक होगी। इसलिए बेहतर होगा कि मैं इस्तीफा ही दे दूँ।वो बैठकर इस्तीफा लिखने लगी फिर उलट-पलट कर सोने की कोशिश करने लगी। पर उसकी नींद तो गायब हो गयी थी। वो सोच रही थी कि अनुज उसके जीवन में अचानक वापस कैसे आ गया। ये इत्तेफाक तो नहीं हो सकता और अगर उसकी शादी हो गई तो फिर मुझसे क्यों टकराव करने की कोशिश कर रहा है। मैं उसे चाहती हूँ यहाँ तक तो ठीक है पर क्या ...Read More

9

अनकहा अहसास - अध्याय - 9

अध्याय - 9अनुज को तुमसे इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी।रमा चुप थी। तुम्हे बुरा लगा तो उसकी से मैं सॉरी बोलता हूँ। शेखर ने कहा।अरे आप क्यों सॉरी बोल रहे हैं। वो है ही खड़़ूस। रमा बोली।नहीं रमा पहले वो ऐंसा नहीं था। पहले तो वो बहुत खुशमिजाज था और दूसरों को भी खुश करने वाला इंसान।फिर शायद कोई लड़की उसके जीवन में आई थी जिससे वो बहुत प्रेम करता था उसने उसे धोखा दे दिया।ये सुनते ही रमा ने सिर उठाकर शेखर की ओर देखा। पर वो उसका गुस्सा तुम पर निकालेगा ऐसा सोचा नहीं था।हाँ आप सही ...Read More

10

अनकहा अहसास - अध्याय - 10

अध्याय - 10घर पहुँचकर वो बेड में जाकर आँख बंद करके लेट गई। और सोचने लगीक्या अनुज मुझे आज प्यार करता है। मैं तो हैरान रह गई ये देखकर कि वो मेरी फिक्र कर रहा था पर उसकी पत्नि तो वही थी। फिर उसे मेरी चिंता क्यों हो रही थी। ये तो आश्चर्यजनक बात है, क्या उसके संबंध अपनी पत्नि के साथ ठीक नहीं हैं। इसी उधेड़बुन में शाम हो गई और उसे पता ही नहीं चला। अचानक उसने कालबेल की आवाज सुनी। उसने सोचा इतनी शाम को अभी कौन हो सकता है। वह उठकर धीरे-धीरे हॉल में आई और ...Read More

11

अनकहा अहसास - अध्याय - 11

अध्याय - 11उसने शेखर को फोन लगाया। हैलो शेखर।ओ हैलो अनुज। इतनी रात गए फोन कैसे किया। अरे यार काम रमा को बताना था। परंतु उसका फोन स्वीच ऑफ आ रहा है। तुम्हारी उससे कोई बात हुई क्या। नहीं तो। मेरी तो कोई बात नहीं हुई। पर इतनी हड़बड़ी क्या है कल बता देना। हाँ तुम ठीक बोल रहे हो। कल बता दूँगा। वो क्या है कि मुझे याद रहता नहीं है इसलिए सोचा अभी याद आया है तो अभी ही बता दूँ।नहीं यार मेरी तो कोई बात नहीं हुई। शेखर बोला ।अच्छा चल ठीक है। बाद में बात करता हूँ। गुड नाइट।अब वो ...Read More

12

अनकहा अहसास - अध्याय - 12

अध्याय - 12फिर सब लोगों ने रमा को उठाकर अनुज की गाड़ी में पहुँचाया और अनुज उसे स्वर्ण भूमि ले गया। अनुज ने बैग के साईड में ही पहले देखा तो उसे वहीं फ्लैट की चाबी मिल गई। उसने उसे ले जाकर बेड पर लिटाया और डॉक्टर को चेकअप करने दिया। डॉक्टर ने चेक अप करके ड्रिप चढ़ा दिया और अपने पास ही से कुछ दवाईयाँ दे दी। अनुज ने उनकी फीस अदा की फिर वो चले गए। अनुज किचन में जाकर पानी गरम करके लाया और नैपकीन हाथ में लेकर उसके चेहरे को साफ किया। चेहरा साफ करते वक्त वर्षों बाद उसने रमा ...Read More

13

अनकहा अहसास - अध्याय - 13

अध्याय - 13इधर अनुज ऑफिस में बैठकर काम कर रहा था कि अचानक उसका फोन बजा।हेलो अनुज। फोन पर माँ मिसेस अनीता थी।हेलो हाँ बताईये क्या बात है। अनुज बोला।देखो अनुज मैं देख रही हूँ कि तुम मुझसे दूर भागने की कोशिश लगातार कर रहे हो जो कि अच्छी बात नहीं है। मैं तुम्हारा बुरा थोड़ी चाहती हूँ। तुम सुन रहे हो कि नहीं। जी हाँ मैं सुन रहा हूँ।तो फिर जवाब क्यों नहीं देते। मैं तुमको बार-बार समझा रही हूँ कि मेरी सहेली की बेटी आभा तुम्हारे लिए अच्छी रहेगी पर तुम ध्यान ही नहीं देते। उससे शादी कर ...Read More

14

अनकहा अहसास - अध्याय - 14

अध्याय - 14दूसरे दिन गगन कालेज पहुँच गया। और सीधे ऑफिस में गया।शेखर अपने केबिन में था। मे आई इन सर ? गगन ने पूछा कम इन। प्लीज सीट। बताईये ? सर मेरा गगन है। ओ अच्छा आँटी ने फोन किया था। दिखाईये अपना बायोडाटा। गगन ने अपना बायोडाटा आगे बढ़ा दिया।ओ गुड। आपने तो पहले भी काम किया है कॉलेज में। ठीक है आप आज से ज्वाईन कर सकतें हैं मैं अपाईंटमेंट लेटर के लिए बोल देता हूँ।ठीक है सर। मैं बाहर रूकता हूँ।ठीक है। गगन बाहर निकल कर काऊँटर पर गया और सभी के बारे में पूछताछ करने लगा। हेलो मैडम। हेलो। आपका नाम क्या है ...Read More

15

अनकहा अहसास - अध्याय - 15

अध्याय - 15हेलो रमा। ओ हेलो मधु। कैसी हो तुम ?मैं तो ठीक हूँ रमा। ये बताओ तुम्हारी तबीयत है उस दिन के बाद से असल में तुमसे मुलाकात ही नहींहो पाई थी ना इसलिए पूछ रही हूँ।मैं तो एकदम ठीक हूँ मधु। बताओ कैसे फोन किया। भैया की तबीयत ठीक नहीं है रमा ?ओह !! क्या हुआ उसको ? बुखार है रमा वो भी काफी तेज मधु बोली ।तो डॉक्टर को फोन किया कि नहीं ?नहीं पहले मैंने तुमको फोन किया है।क्यों ? डॉक्टर को क्यों नहीं किया ? उनको ही पहले फोन करना चाहिए था ना मधु ?तुम भी ना ...Read More

16

अनकहा अहसास - अध्याय - 16

अध्याय - 16अनुज उसके जाते ही शांति से आँख बंद करके सो गया।दूसरे दिन अनुज को थोड़ा स्वस्थ फील रहा था। इसलिए तैयार होकर कॉलेज आ गया। आते ही उसे स्टोर को लेकर कुछ शिकायतें मिली तो उसने रमा को बुलवाया।मे आई कम इन सर। रमा ने पूछा।ओह !! अंदर आओ रमा और ये मुझे सर मत बुलाओ प्लीज। अब से मुझे अनुज ही कहा करो। बैठो।पर आप यहाँ मेरे बॉस हैं सर ।हाँ पर दोस्त पहले हूँ, हूँ कि नहीं हूँ ?रमा चुप थी।अच्छा शेखर तुम्हारा दोस्त हो सकता है मैं नहीं। ये तो अन्याय है रमा।ठीक है अनुज। ...Read More

17

अनकहा अहसास - अध्याय - 17

अध्याय - 17कौन सी नई लत लग गई उसको ? रमा आश्चर्य से पूछी।प्रेम की लत, रमा। प्रेम की वैसा। मतलब तुमको भी वही लत लग गई है। किससे ? बताओ ना किससे ?वो तो नहीं बताऊँगा, है एक लड़की अनुज के ही शहर की। मुझे बहुत पसंद है। हम दोनों परिचित है और मुझे लगता है वो भी मुझे पसंद करती है। अच्छा ये तो बहुत अच्छी बात है। रमा बोलीउसी वक्त गगन उसके कमरे में बात करने आने ही वाला था कि उनकी आवाज सुनकर बाहर ही रूक गया और छिपकर उनकी बात सुनने लगा।पर प्राबलम क्या है ...Read More

18

अनकहा अहसास - अध्याय - 18

अध्याय - 18दूसरे दिन वो टाईम पर कॉलेज पहुच गया था और इंतजार करने लगा कि कब 12 बजे।जब देखा कि 12 बज गए हैं तो वह उतावला होकर उठने लगा। सोचा अभी चल जाता हूँ क्या प्राॅबलम है। फिर उसने सोचा गगन ने पाँच मिनट बाद जाने को कहा था। 05 मिनट बाद की चलता हूँ। इतना अधीर होना ठीक नहीं है। वो घड़ी की ओर देखता रहा और जब 12 बजकर 5 मिनट बीत चुके तो उठा और कांफ्रैस रूम की ओर चल पड़ा जब वह कांफ्रैस रूम पहुँचा तो उसने गेट हल्का सा खुला देखा। पहले ...Read More

19

अनकहा अहसास - अध्याय - 19

अध्याय - 19घर पहुँचा तो दरवाजा मधु ने खोला।हेलो भैया। आज इतनी जल्दी ?अनुज ने कोई जवाब नहीं दिया।क्या ? आपने कोई जवाब नहीं दिया। कुछ प्राबलम है क्या ?अनुज अब भी कोई जवाब नहीं दिया।कुछ बताओगे भी क्या हुआ ?कुछ नहीं बस मेरा मूड ठीक नहीं है। क्यों ? कोई विशेष कारण। रमा के साथ झगड़ा हुआ क्या ?रमा का नाम सुनते ही अनुज एकदम उत्तेजित हो गया।नाम मत लो उस धोखेबाज का। यह कहते ही उसने बगल में रखे लाईट लैंप को उठाकर पटक दिया।मधु एकदम घबरा गई।क्या हुआ भैया ? वो घबराते हुए पूछी। मेरे नजदीक मत आओ ...Read More

20

अनकहा अहसास - अध्याय - 20

अध्याय - 20ओह !!! आप ???मधु की माँ मिसेस अनीता सामने खड़ी थी। क्या मैं अंदर आ सकती हूँ ? मिसेस अनीता ने कहा।हाँ आईए। रमा नहीं गेट को और खोलते हुए कहा।मसेस अनीता अंदर आ गई।बैठिए। मैं दो मिनट आती हूँ। कहकर वो गैलरी का लाईट चालू करने चली गई।मिसेस अनीता सोफे पर बैठकर पूरे घर को देखने लगी कही पर भी अनुज का कोई फोटो नजर नहीं आया।रमा गैलरी का लाईट जलाने की कोशिश की पर वो जला नहीं तो थक हारकर वापस लौट गई। अंदर आई तो देखा मिसेस अनीता आराम से सोफे पर बैठी हुई हैं।क्या तुम यहाँ ...Read More

21

अनकहा अहसास - अध्याय - 21

अध्याय - 21उधर अनीता देवी का आपरेशन चालू हो गया था और एक यूनिट खून लग चुका था तभी बाहर आई। मैडम एक यूनिट खून की और आवश्यकता है।देखिए अगर मेरी सारी रिपोर्ट नार्मल हो तो मैं दे दूँगी खून। वो नर्स रिपोर्ट देखने के बाद रमा को बुलाने आई।ठीक है मैडम। डॉक्टर साहब आपको अंदर बुला रहें हैं।रमा अंदर गई। उसने देखा अनीता देवी के सिर पर पट्टी बंधी थी उन्हें तिरछा लिटाया गया था और उनके कंधे का आपरेशन चल रहा था। क्या नाम है आपका ? डॉक्टर साहब ने पूछाजी रमा।आप इनकी बेटी हैं ?जी नहीं। तो रिश्तेदार हैं ?जी ...Read More

22

अनकहा अहसास - अध्याय - 22

अध्याय - 22रमा बाहर बेंच पर बैठी ही थी। अचानक उसके बाहर आने से रमा ने सिर उठाकर देखा।ओ अनुज। हाऊ आर यू ?मैं ठीक हूँ। बस तुम्हारा धन्यवाद करना चाहता हूँ कि तुमने मेरी माँ की जान बचाई।ओह !!! धन्यवाद की कोई बात नहीं अनुज। वो तो मेरा फर्ज़ था आखिर वो मेरी होने वाली सासु माँ जो हैं। रमा खुश होते हुए बोली। क्या कहा तुमने ? अनुज ने आँख गहरी करते हुए कहा।तुमने ठीक सुना। मैनें उन्हें सासु माँ कहा बीकाश आई लव यू। क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ। यह कहकर वो आगे बढ़ी और अनुज से ...Read More

23

अनकहा अहसास - अध्याय - 23

अध्याय - 23अब वो थोड़ी चितिंत हो गयी थी कि किस तरह अनुज को मनाएगी। वो तैयार हुई और के लिए निकल गयी। आज तो कॉलेज में उसके आने की संभावना ही नहीं क्योंकि उसकीं माँ हॉस्पिटलमें एडमिट थी, पर उसके बाद भी दो दिन तक अनुज जब कॉलेज में नहीं आया तो उसे चिंता होने लगी। उसने मधु को फोन लगाया। हेलो मधु कहाँ हो और आंटी कैसी हैं ?माँ ठीक हैं रमा और हम लोग अपने शहर आ गए हैं।और अनुज ? वो यहाँ है कि वहाँ है।वो भी यहीं है। पता नहीं कहाँ व्यस्त रहते है पर ...Read More

24

अनकहा अहसास - अध्याय - 24

अध्याय - 24तभी चपरासी दिखा।मैडम आप लोगो को भी कांफ्रेंस रूम में बुला रहे हैं। सब लोग आ गए वहाँ।ठीक है हम आते हैं तुम चलो।चपरासी चला गया।जब ये लोग वहाँ पहुंचे तो कांफ्रेंस रूम पूरे स्टाफ से भर गया था। रमा देखना चाह रही थी कि आखिर कौन है जो मुझसे मेरे अनुज को छिनना चाहती है। मैं भी तो देखूँ।अनुज तो रमा के आने को ही वेट कर रहा था। जब रमा हाँल के अंदर गई तो भीड़ के बीच से ही उस लड़की को देखा। उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।ओह ! ये तो आभा है ...Read More

25

अनकहा अहसास - अध्याय - 25

अध्याय - 25रमा पैर पटककर रह गयी।ओ ! रमा ! रमा, रमा ? अचानक माला पीछे से आकर लिपट तुझे क्या हुआ ? रमा पीछे पलटकर पूछी। मुझे पहले से ही अंदाज हो गया था कि तेरे और अनुज सर के बीच पक्का कोई लफड़ा है वो चहकते हुए बोली। जिस तरह तुम लोग एक दूसरे को देखते हो ना वैसे सिर्फ प्रेमी लोग एक दूसरे को देखते हैं। तू तो छुपी रूसतम निकली यार।दोनो अब आकर चेयर में बैठ गए थे।पर एक बात बता। जब तुम दोनो आपस में एक दूसरे को प्यार करते हो तो फिर अचानक ये ...Read More

26

अनकहा अहसास - अध्याय - 26

अध्याय - 26शेखर। ये नाम कुछ जाना पहचाना लगता है। कहीं ये हमारे शहर से तो नहीं है। आभा पूछाहाँ शायद मैं पहले नहीं जानती थी उसको। अनुज के माध्यम से ही जानी हूँ। अच्छा ? फिर, आभा ने पूछा वो एक लड़की को चाहता है और उसी को बोलने के लिए मेरे साथ बातचीत कर रहा था। अनुज को लगा कि वो मुझे शादी के लिए प्रपोज कर रहा है और उसका अविश्वास और बढ़ गया।ओह !!! तो ये बात है। देखो रमा। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। अगर तुम दोनों एक दूसरे को प्यार करते हो और एक दूसरे से ...Read More

27

अनकहा अहसास - अध्याय - 27

अध्याय - 27उसके बाहर निकलते ही रमा शेखर के ऊपर चिल्लाई ये क्या किया तुमने शेखर ?तुमने मेरी ओर देखा। तुमने उस लड़की का नाम क्यों नहीं बताया, और अगर नहीं बताना था तो अनुज को क्यों नहीं बताया कि मैं वो लड़की नहीं हूँ। तुम जानते हो शेखर इस एक गलती की सजा मुझे जीवन भर मिलने वाली है। कैसे रमा ? तुम क्या बोल रही हो मैं समझ नहीं पा रहा हूँ। अरे यार। उस दिन जब तुम कान्फ्रैंस रूम में मेरे साथ पै्रक्टिस कर रहे थे तब अनुज वहीं बाहर खड़ा होकर हमारी बातें सुन लिया था और ...Read More

28

अनकहा अहसास - अध्याय - 28

अध्याय - 28ओ हो !! ये तो पूरा मामला ही उलझ गया। मधु बोली।अब अगर अनुज को मैं या बताते हैं कि आभा ही वो लड़की है तो वो हमको गलत समझेगा क्योंकि आभा तो शेखर को प्यार ही नहीं करती। शेखर का प्यार अब भी एक तरफा ही है। बहुत परेशानी है मधु, मैं बीच में फंस गई हूँ। अब तुम ही बताओ क्या करूँ ? रमा बोली।शेखर को बोलो कि आभा को ये बात बताए। मधु बोली। बस मैं भी उसको यही बोली कि वो तुरंत आभा से बात करे परंतु वो अनुज के साथ निकल गई। रमा ...Read More

29

अनकहा अहसास - अध्याय - 29

अध्याय - 29दोनो विभाग से बाहर निकलकर छत की ओर चले गए।मधु ने आभा को छत की गेट पर दिया और वापस आ गई। छत पर पहुँचकर आभा ने देखा की शेखर सचमुच वहाँ पर बेंच के ऊपर बैठा था। वह नीचे की तरफ देख रहा था। हेलो शेखर। आभा सकुचाते हुए बोली।ओ, हेलो आभा। आओ बैठो। एक पल के लिए शेखर ने सिर उठाकर उसे देखा फिर सिर दुबारा नीचे कर लिया। बैठो ना ? शेखर ने फिर कहा। मैं ठीक हूँ शेखर। वो खड़ी ही रही। क्या तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो ? आभा थोड़ी आत्मविश्वास दिखाते हुए बोली। हाँ। कहना ...Read More

30

अनकहा अहसास - अध्याय - 30

अध्याय - 30हेलो। हाँ कौन ?मैं गगन बोल रहा हूँ, शेखर सर।ओ हाँ गगन सर बोलिए। किसे ढूँढ़ रहे आप ? आभा मैडम को ?हाँ पर तुम्हें कैसे मालूम ? शेखर आश्चर्यचकित था।क्योंकि वो मेरे पास है। उसकी आवाज खूँखार हो गई थी।कमीने !!! तेरी हिम्मत कैसे हुई आभा को छूने की। शेखर चिल्लाया। मधु और रमा एकदम शाक्ड थे। फोन स्पीकर पर करो शेखर रमा बोली। शेखर ने स्पीकर ऑन कर दिया। छूने की क्या बात है सर मैं तो बहुत कुछ कर सकता हूँ। गगन बोला।मैं तुझे जान से मार दूँगा कमीने। कहाँ है तू बता ? शेखर गुस्से ...Read More

31

अनकहा अहसास - अध्याय - 31

अध्याय - 31अब जाओ भी और मुझे भी जाने दो। कहकर वो मेन गेट से गाहर निकल गई।इधर मिल के एक कोने में आभा को उसने बाँध कर रखा था। वो बेहोशी में थी क्योंकि स्टोर से क्लोरोफार्म लेकर गगन ने उसे लगभग बेहोश कर दिया था। अब वो धीरे-धीरे होश में आ रही थी। गगन के अलावा वहाँ एक पंडित भी था और शादी की पूरी तैयारी कर रखी थी।आह। मैं कहां हूँ ? आभा होश में आते हुए बोली। आप मेरे साथ हो मैडम। गगन बोला।आप गगन हो ना। ये मेरे हाथ क्यों बाँध रखे हैं। आभा अपने ...Read More

32

अनकहा अहसास - अध्याय - 32

अध्याय -32बेटा मुझे लगा कि उसी के भाग्य की वजह से मेरे पति की जान चली गई और उसका मेरा और कुछ नुकसान ना करे करके मैनें उसे दूर जाने को कहा। मुझे माफ कर देना बेटा। मैने ही गगन को वहाँ भेजा था तुमको और रमा को अलग करने के लिए। वो काफ्रैंस रूम में जो हुआ था उसी बात को लेकर गगन ने अपना प्लान बनाया । उसको पहले से पता था कि कल दोनो प्रैक्टिस करने वाले हैं इसलिए उसने भूमिका बाँधकर तुम्हे फंसा दिया। असल में शेखर जिस लड़की को चाहता है वो आभा ही ...Read More

33

अनकहा अहसास - अध्याय - 33

अध्याय - 33ये अचानक कौन आ गया। तुमने तो किसी को इसके बारे में नहीं बताया रमा। बताओ वरना चला दूँगा।मैंने किसी को नहीं बताया जो भी आएगा उसी से पूछ लेना। तभी अनुज और मधु अंदर आते दिखे। वहीं रूक जाओ नहीं तो मैं गोली चला दूँगा। गगन जोर से चिल्लाया।मधु तुम गाड़ी में जाकर बैठो। अनुज बोला।ठीक है भैया। कहकर मधु गाड़ी में चली गई।गगन मुझे तुम्हारे कारनामों के बारे में पहले से ही शक था। स्टोर में तो तुम कितना कमीशन खा रहे थे मुझे पूरा आईडिया था, पर इतनी हद तक नीचे गिर जाओगे इसका आईडिया ...Read More

34

अनकहा अहसास - अध्याय - 34 - अंतिम भाग

अध्याय - 34रमा बेटा तुम ठीक हो। उसके पिता ने पूछा।हाँ पापा बहुत दर्द हो रहा है। रमा कराहते बोली।ठीक हो जाएगा बेटा, हम सब यहीं है। तुम सोने की कोशिश करो।जी पापा। वो कराह रही थी।एक बात कहूँ बेटा।जी...............।मुझे तुम पर गर्व है।रमा की आँखें भर गई और आँसू की एक बूँद लुढ़क कर आँख के कोने से नीचे गिर गई।सो जाओ बेटा। और वो सो गई।सुबह जब आँख खुली तो सामने स्टूल पर अनुज बैठा था। अब वो थोड़ा ठीक महसूस कर रही थी।अनुज उसे देखकर मुस्कुराया।रमा ने मुँह फेर लिया।नाराज हो मुझसे। अनुज ने पूछा।रमा ने ...Read More