छूना है आसमान

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“छूना है आसमान“, बाल उपन्यास कल्पना कम, हकीकत अधिक है। चेतना से मेरा परिचय किसी और नाम से हुआ था। चेतना उम्र में छोटी जरूर थी, लेकिन उसकी समझ, उसकी बातें और उसकी सोच बड़ों से कम नहीं थी। चेतना ने अपने दर्द, अपनी अकुलाहट को जिस तरह मुझसे साझा किया, उसने मेरे अन्तस को झझकोर दिया। यकीन नहीं हो रहा था कि एक माँ, जिसे पे्रम, स्नेह और ममता की पराकाश्ठा कहा जाता है, वह अपनी बच्ची के साथ दुव्र्यवहार भी कर सकती है। खैर! चेतना के मन को मैंने टटोला, तो मालूम हुआ, वह कुछ ऐसा करना चाहती है, जिससे वह आत्मनिर्भर हो सके। किसी पर बोझ बनकर न रहे। और उसकी इस सोच ने उसके लिए सफलता के द्वार खोले। उसने अपनी अपंगता को झुठलाया और एक अच्छी सिंगर बनी। चेतना ने ऐसा करके न सिर्फ अपनी मम्मी के नजरिये को बदल डाला, बल्कि अपने जैसे अपंग बच्चों के लिए मिसाल भी कायम की। यही वजह थी, जिसने मुझे ‘‘छूना है आसमान’’ लिखने के लिए प्रेरित किया। गुडविन मसीह

Full Novel

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छूना है आसमान - 1

उपन्यास के बारे में “छूना है आसमान“, बाल उपन्यास कल्पना कम, हकीकत अधिक है। चेतना से मेरा परिचय किसी नाम से हुआ था। चेतना उम्र में छोटी जरूर थी, लेकिन उसकी समझ, उसकी बातें और उसकी सोच बड़ों से कम नहीं थी। चेतना ने अपने दर्द, अपनी अकुलाहट को जिस तरह मुझसे साझा किया, उसने मेरे अन्तस को झझकोर दिया। यकीन नहीं हो रहा था कि एक माँ, जिसे पे्रम, स्नेह और ममता की पराकाश्ठा कहा जाता है, वह अपनी बच्ची के साथ दुव्र्यवहार भी कर सकती है। खैर! चेतना के मन को मैंने टटोला, तो मालूम हुआ, वह ...Read More

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छूना है आसमान - 2

छूना है आसमान अध्याय 2 खिड़की के पास व्हील चेयर पर बैठी चेतना चेयर पर बैठे-बैठे खूब ऊपर को रही है और जोर-जोर से ताली बजा-बजाकर कह रही है, ‘‘गिर पड़े....षेम......षेम......गिर पड़े......। उछलते-उछलते उसका संतुलन बिगड़ जाता है और वह कुर्सी से नीचे गिर जाती है। गिरते समय उसका हाथ मेज पर रखे काँच के गिलास से टकराता है, तो गिलास नीचे जमीन पर गिरकर टूट जाता है। गिलास के गिरने और टूटने की जोरदार आवाज होती है, उस आवाज को सुनकर उसके मम्मी-पापा व उसकी छोटी बहन अलका एकदम चैंक जाते हैं और जल्दी से उसके कमरे में ...Read More

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छूना है आसमान - 3

छूना है आसमान अध्याय 3 ‘‘दीदी......।’’ अलका ने जोर से कहा, ‘‘अरे अलका तुम......आओ......लगता है आज मम्मी घर में हैं ?’’ चेतना ने मुस्कुराते हुए कहा। ‘‘हाँ दीदी, आज मम्मी घर पर नहीं हैं वह बाजार गयी हैं, तभी तो मैं आपके पास आ गयी।’’ ‘‘तुम्हारे हाथ में क्या है अलका......?’’ चेतना ने अलका की बात को नजरअंदाज करते हुए कहा। ‘‘दीदी, मैं तुम्हारे लिये आइसक्रीम लेकर आयी हूँ, लो जल्दी से खा लो।’’ ‘‘नहीं अलका तुम खा लो।’’ ‘‘अच्छा चलो हम दोनों मिलकर खाते हैं।’’ अलका ने कहा। ‘‘हाँ, यह हुई न बात।’’ चेतना ने कहा और दोनों ...Read More

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छूना है आसमान - 4

छूना है आसमान अध्याय 4 रोनित के पूछने पर चेतना ने बताया, ‘‘कल वह पार्क में खेल रहे बच्चों देखकर उनमें इस कदर खो गयी कि उसे इस बात का जरा भी अहसास नहीं रहा कि वह अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती है और न ही चल-फिर सकती है। पार्क में काॅलोनी के बच्चों को खेलते हुए देखकर, वह ऐसा महसूस करने लगी, जैसे वह उन्हीं के साथ खेल रही हो। वह उनके साथ खूब तेज-तेज दौड़ रही हो......काॅलोनी के सारे बच्चे उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भाग रहे हों। वह कभी इस तरफ भाग रही ...Read More

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छूना है आसमान - 5

छूना है आसमान अध्याय 5 उसी समय भीड़ में से निकलकर एक आदमी ने उससे कहा, ‘‘बेटी, मैं हर नये साल पर अपनी कम्पनी की तरफ से लोगों को देने के लिए हजारों कलेण्डर छपवाता हूँ। मेरी हार्दिक इच्छा है कि अब से हर साल मेरे कलेण्डर का डिजाइन और कलाकृतियाँ तुम ही बनाया करो। बदले में तुम जितना पैसा चाहोगी, मैं तुम्हें दूँगा, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुम अपनी इस खूबसूरत कला को इस तरह रेत या जमीन पर बनाकर बर्बाद करो। उस वीडियो को देखकर चेतना इतनी भावुक हो गयी, इतनी भावुक हो गयी कि खुद ...Read More

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छूना है आसमान - 6

छूना है आसमान अध्याय 6 रात के ग्यारह बज रहे थे। चेतना के मम्मी-पापा और उसकी छोटी बहन अलका गहरी नींद में सोये हुए थे, लेकिन चेतना को नींद नहीं आ रही थी। वह कभी अरूणिमा सिन्हा के बारे में सोच रही थी, तो कभी उस लड़की के बारे में सोच रही थी, जो समुद्र के कि ...Read More

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छूना है आसमान - 7

छूना है आसमान अध्याय 7 रात के करीब दस बज रहे थे। चेतना ने देखा उसके पापा अकेले बैठे की रोषनी में अपने आॅफिस का काम कर रहे हैं। चेतना ने सोचा मौका अच्छा है, क्यों न पापा को आॅडिषन का फार्म दे दूँ। बस फिर क्या था चेतना जल्दी से अपने कमरे में गयी और फार्म लेकर अपने पापा के सामने मेज पर रख दिया। फार्म देखकर चेतना के पापा ने कहा, ‘‘यह क्या है......?’’ ‘‘पापा, यह आपका वो सपना है, जिसे देखकर आप खुषी से फूले नहीं समायेंगे।’’ चेतना ने खुष होते हुए कहा। ‘‘अच्छा, देखूं तो ...Read More

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छूना है आसमान - 8

छूना है आसमान अध्याय 8 रोनित के जिद् करके पूछने पर चेतना एकदम भावुक हो उठी, उसकी आँखों में भर आये, जिन्हें देखकर रोनित बोला, ‘‘देखा, मुझे मालूम था कि कोई-न-कोई बात जरूर है, वरना तुम इतनी जल्दी हिम्मत हारने वाली लड़की नहीं हो......जरूर तुम्हारी मम्मी ने तुमसे कुछ कहा होगा, क्यों यही बात है न......?’’ चेतना ने एकदम हाँ में अपनी गर्दन हिलायी तो रोनित ने कहा, ‘‘देखा, मुझे तो मालूम था कि कोई-न-कोई गड़बड़ जरूर है। ......क्या कहा तुम्हारी मम्मी ने......?’’ ‘‘जी, कल रात को मैंने पापा को अपना आॅडिषन फाॅर्म दिखाया और कहा, कि इसे कम्पलीट ...Read More

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छूना है आसमान - 9

छूना है आसमान अध्याय 9 ‘‘चेतना ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ......चेतना ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ’’ चेतना की ने चेतना को आवाज लगायी, लेकिन से आवाज का कोई उत्तर नहीं मिला तो वह अपने आपसे कहने लगीं, ‘‘अरे, ये चेतना बोल क्यों नहीं रही है......?’’ उन्होंने उसे दुबारा आवाज लगायी......‘‘चेतना ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ......चेतना ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ......चेतना की तरफ से फिर कोई उत्तर नहीं मिला। ......आखिर, ये चेतना कर क्या रही है......? इसे मेरी आवाज सुनायी नहीं दे रही है क्या......? कहती हुई चेतना की मम्मी उसके कमरे में आती हैं और उसे कमरे में ...Read More

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छूना है आसमान - 10

छूना है आसमान अध्याय 10 ‘‘बुरा मत मानिएगा अंकल, चेतना को इस तरह का फैसला लेने के लिए मजबूर लोगों ने ही किया है, क्योंकि आप जानते हैं बच्चा भावुक होता है, जरा-सी भी उपेक्षा मिलने पर उसका मनोबल टूट जाता है......और उनके मन में यह घर कर लेती है, कि वह बिल्कुल अकेला है, उसे कोई प्यार नहीं करता है......चेतना के साथ भी ऐसा ही हुआ है......उसकी उखड़ी-उखड़ी बातों से मुझे ऐसा लगता था, जैसे वह आप लोगों से नाराज रहने लगी हो......क्योंकि आप लोगों ने भी उसे एकदम अलग कर दिया था......बजाय उसका हौंसला बढ़ाने के उसकी ...Read More

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छूना है आसमान - 11 - अंतिम भाग

छूना है आसमान अध्याय 11 मुख्य अतिथि के मंच पर पहुँचते ही प्रेक्षागार एक बार फिर तालियों की आवाज गूँज उठता है। तालियों का शोर खत्म हो जाने के बाद उद्घोषक कहता है, ‘‘हमारे आने वाले सिंगिंग रियलिटी शो के लिए तीसरा स्थान पाया है......अंकित सिन्हा ने......। अंकित का नाम पुकारते ही हाॅल में तालियां बजने लगती हैं। अंकित सिन्हा मंच पर आकर मुख्य अतिथि से अपना पुरस्कार लेकर जाता है। उसके बाद ......उद्घोषक कहता है, और दूसरे नम्बर पर हमारे रियलिटी शो का हिस्सा बनी हैं, दीपिका......दीपिका अग्निहोत्री......। प्रेक्षागार में दीपिका के लिए तालियाँ बजती हैं। दीपिका मंच ...Read More