मंथन रचनाकाल- 1977 ई. उपन्यास रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 एक सूर्य की सुखद किरणें धरती का आलिंगन करने के लिए धरती की ओर दौड़ती आ रही थीं। घर के सभी लोग यह सोचते हुए उठ गए थे कि आज रवि की बरात लौट रही है। सुबह की गाड़ी से आ जाएगी। जब बरात लौटने को होती है तो दहेज के बारे में जानने की उत्कंठा
Full Novel
मंथन 1
मंथन रचनाकाल- 1977 ई. उपन्यास रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 एक सूर्य की सुखद किरणें धरती का आलिंगन करने के लिए धरती की ओर दौड़ती आ रही थीं। घर के सभी लोग यह सोचते हुए उठ गए थे कि आज रवि की बरात लौट रही है। सुबह की गाड़ी से आ जाएगी। जब बरात लौटने को होती है तो दहेज के बारे में जानने की उत्कंठा ...Read More
मंथन 2
मंथन 2 दो जब रवि कान्ती बाबू के यहाँ से लौटा, आठ बज चुके थे। आज रवि ने अस्पताल नहीं खोला था, इसलिए वह सीधे ही घर चला आया। घर में जैसे ही प्रवेश किया, बशीर साहब उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। रवि ने मुस्करा कर उनका अभिवादन किया। बशीर साहब अभिवादन स्वीकार करते हुए बोले, ‘डॉक्टर, मैंने सोचा मैं बरात में तो जा नहीं पाया। चलकर शादी की मुबारकवाद ही दे आऊं !‘ ‘आप बरात में क्यों नहीं चल पाये, इसकी सजा तो आपको भुगतना ही पड़ेगी !‘ ‘भई सजा भुगतने को तो तैयार हूँ, ...Read More
मंथन 3
मंथन 3 तीन अमावस्या की रात्रि का अन्धकार गाँव को अपने आंचल में समेटे हुए रात्रि के दस बजे तक तो गाँव के सारे दीपक बन्द हो गए। लोग अपने-अपने बिस्तर पर पहंुच चुके थे। गाँव के पटेल रंगाराम के यहाँ विशुना ने दस्तक दी। दरवाजा खटखटाया, धीमे से आवाज दी, पटेल आवाज पहचान गए। विशुना उनके कान के पास जाकर फुसफुसाया। तब व बोले, ‘रे विशुना, जा बखत पंचायत के लिए कौन आ जावेगो?‘ ‘तो आप जानें कक्का ! बाद में मोय दोष मत दियो।‘ अब पटेल रंगाराम झट से विशुना से बोले, ‘तो ...Read More
मंथन 4
मंथन 4 चार देश में अस्थिरता के नाम पर आपात काल लगा दिया गया। परिवार नियोजन का कार्यक्रम और तेज कर दिया गया। शासकीय कर्मचारियों का परिवार नियोजन कराना आवश्यकत घोषित कर दिया गया। परिवार नियोजन के नाम पर सारे देश में भय व्याप्त हो गया। जनसाधारण से लेकर बड़े-बड़े लोग परिवार नियोजन से डरने लगे। एक दिन इस गाँव की ओर एक जीप आती दिखी। क्षण-भर में यह हवा सारे गाँव में फैल गई। बस फिर क्या था ? सभी युवा, वृद्ध गाँव छोड़कर भागने लगे। जब वह जीप गाँव में पहुँची। गाँव में रह कयीं ...Read More
मंथन 5
मंथन 5 राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश पर अध्यादेश जारी किए जा रहे थे। आज के रेडियो पर भी एक अध्यादेश जारी किया गया। जिसके तहत हरजिनों व छोटे किसानों को ऋण से ंछूट दे दी गई थी। जो ग्रामीण साहूकार ऋण दिये थे उन्हें अपना पैसा डूबते दिखा। जो ऋण लिये थे उन्हें लगने लगा अब हमें पैसा क्यों देना है। देना तो कानून में से हट गया है तो हम क्यों देवें ! अब लोगों को, दूसरों को अपनी चीजें देने में भी संकोच होने लगा। हरिजन ...Read More
मंथन 6
मंथन 6 छः फाल्गुन का महीना बीत गया था। दिन बड़े होने लगे थे। अनाज कटकर खलिहानों में आ गया था। किसान लोग चैन की सांस ले रहे थे। गाँव के सभी लोगों में एक नई स्फूर्ति आ गई थी। गाँव के किसानों ने गेहूँ के लॉक को अपने-अपने खलिहानों में सम्भालकर इस प्रकार रखा था, जिस प्रकार कुशल गृहणी अपने घर में वस्तुओं को रखती है। खलिहानों में सजाये लॉंक के ढेर के ढेर ऐसे लगते मानो छोटे-छोटे किलों ने इस गाँव की घेराबंदी कर दी हो। लोग उन ...Read More
मंथन 7
मंथन 7 सात सरकार ने चुनाव कराने की घोशणा कर दी। आपातकाल में जो लोग जेल भेज दिये गये थे, वे राजनैतिक बन्दी रिहा किए जाने लगे। सम्पूर्ण देश में तानाशाही के खिलाफ विद्रोह फैल गया। सत्ता परिवर्तन की संभावनाएं स्पश्ट दृश्टिगोचर होने लगीं। यह हवा तत्काल सारे गाँव में भी फैल गई कि बशीर साहब भी आने वाले हैं। डा0 रवि और रश्मि उनकी प्रतीक्षा में थे। बशीर साहब गाँव में आये कि सीधे डा0 रवि के यहाँ पहंुचे। रवि और रश्मि ने बशीर साहब की अगवानी करते हुए स्वागत किया। गाँव के सभी ...Read More
मंथन 8
मंथन 8 आठ आपातकाल समाप्त हो गया। लोक सभा के चुनाव बीत गये। दिल्ली में नई सरकार बन गई। विधान सभा क चुनावों में बशीर साहब को भी तमाम प्रयत्नों के बाद भी किसी पार्टी से चुनाव लड़ने का टिकिट नहीं मिल पाया। बशीर साहब को निराश होकर घर बैठ जाना पड़ा। अब तो रवि उनसे कई बार कह चुका कि आप इस पार्टी को छोड़ दो। रश्मि भी बार-बार यही कहती-‘जो पार्टी ईमानदार लोगों की कद्र करना नहीं जानती है, वह देश का क्या हित करेगी ?‘ लेकिन बशीर साहब हर बार यह कहकर टाल देते हैं- ...Read More
मंथन 9
मंथन 9 नौ सुबह का समय था। कुछ लड़के दौड़ते हुए जा रहे थे। रवि ने उनसे पूछा ‘क्यों दौड़ रहे हो ?‘ वे दौड़ते में ही बोले- ‘गाँव में अंग्रेज क्यों आये हैं?‘ यह बात सुनकर रवि ने सोचा-मुझे भी वहाँ चलना चाहिये। यही सोचकर वह भी चल दिया। जब स्कँूूल पर पहुँचा, दो अंग्रेज वहाँ रूके हुए थे। उन्हें देखने गाँव के लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। कोई विदेशी इस गाँव में पहली बार ं ं ं ? सभी को आश्चर्य हो रहा था। रवि के मन में इस प्रश्न का समाधान आया ...Read More
मंथन 10
मंथन 10 सोचते-सोचते पांच दिन व्यतीत हो गये, पर मुर्तियाँ नहीं मिलीं। रश्मि, रवि और बशीर मियां की बैठक शुरू हुई। गाँव के भी कुछ लोगों को बुलवा लिया गया। रवि पटेल रंगाराम से बोला-‘पटेल, मेरे मन में तो एक बात आ रही है।‘ ‘कहो कहा बात ?‘ ‘ये मुर्तियाँ मिलनी चाहिए।‘ पटेल रंगाराम बोला-‘जामें अपनो कहा जोर।‘ बशीर जोश में आते हुए बोले, ‘जोर क्यों नहीं, हम आन्दोलन छेड़ देते हैं। पुलिस अपराधियों को पकड़ने का प्रयास तेज कर देगी।‘ बात पर प्रश्न रवि ने कर दिया-‘चाचाजी, आन्दोलन कैसे करेंगे ...Read More
मंथन 11 अन्त
मंथन 11 रश्मि घर लौट आई थी। रवि और रश्मि बैडरूम में मन से बातें कर रहे थे। ‘रश्मि अब तुम्हारे ऊपर अधिक भार आ गया है।‘ ‘हाँ।‘ ‘रश्मि एक बात कहूँ।‘ ‘कहो।‘ ‘तुमने अपने जीवन की घटनाओं को बशीर साहब को तो बता दिया था।‘ ‘हाँ, बेटी बाप को सब कुछ कह सकती है जिन्हें पति से छुपाती है।‘ ‘वह तो मैं भी समझ रहा हूँ। तभी तो मरते वक्त वह मुझे समझा गए हैं कि कहीं कभी खाई न बन जाए।‘ ‘लेकिन अब यह तो बता ...Read More