जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म एक सुबह मुँह अंधेरे अटल दा ने मुझे झकझोर कर जगा दिया। घर के सभी लोग अस्त—व्यस्त से कहीं जाने की तैयारी में लगे थे। कल देर रात तक हम सभी रहमान चाचा के घर के तहखाने में छिपे रहे, फिर जब उन्होंने हम लोगों को अपने फार्म हाउस में पहुँचा दिया तब सभी ने राहत की साँस ली। कस्बे में हो रहे उपद्रव से हम सभी भयभीत थे। सभी जागते रहे पर मैं पता नहीं कब सो गयी। पिछले आठ दिनों से दौलतपुर कस्बे की पूरी व्यवस्था हलकान थी। हमारा परिवार प्रतिष्ठित ही
Full Novel
जय हिन्द की सेना - 1
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म एक सुबह मुँह अंधेरे अटल दा ने मुझे झकझोर कर जगा दिया। घर सभी लोग अस्त—व्यस्त से कहीं जाने की तैयारी में लगे थे। कल देर रात तक हम सभी रहमान चाचा के घर के तहखाने में छिपे रहे, फिर जब उन्होंने हम लोगों को अपने फार्म हाउस में पहुँचा दिया तब सभी ने राहत की साँस ली। कस्बे में हो रहे उपद्रव से हम सभी भयभीत थे। सभी जागते रहे पर मैं पता नहीं कब सो गयी। पिछले आठ दिनों से दौलतपुर कस्बे की पूरी व्यवस्था हलकान थी। हमारा परिवार प्रतिष्ठित ही ...Read More
जय हिन्द की सेना - 2
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म दो जब मेरी बेहोशी टूटी, तब अचानक पहले के सभी दृश्य फिल्म की मेरे मस्तिष्क में घूम गये। दीदी की याद आते ही, मैंने झिरी से आँगन की ओर देखा। आँगन का वीभत्स दृश्य देख मेरे मुँह से तेज चीख निकल गयी। दीदी का शव खून से लथपथ तख ...Read More
जय हिन्द की सेना - 3
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म तीन पाँच दिसम्बर उन्नीस सौ इकहत्तर की यह कोहरे से ढँकी सुबह थी। थल सेना के जाट रेजीमेंट की पूरी एक कम्पनी के एक सौ पचास सैनिक एक वर्ग किलोमीटर के इस बीहड़ वाले इलाके में पैराशूट से उतरने लगे । इन्हीं एक सौ पचास सैनिकों में एक सैनिक है लेफ़्िटनेंट बलवीर सिंह जो पिछले माह ही सैकेंड लेफ़्िटनेंट से लेफ़्िटनेंट बना था। वह एक कुशल पैराट्रूपर (छाताधारी सैनिक) है। मात्र चोैबीस वर्ष में यह उसकी दूसरी सफलता थी। इसके पहले उसने राज्य स्तरीय परीक्षा पास कर डिप्टी कलेक्टरी ज्वाइन की थी, पर ...Read More
जय हिन्द की सेना - 4
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म चार हिटलर के बाद संसार का दूसरा सबसे बड़ा जीवित सैनिक तानाशाह की इस समय पाकिस्तानी राष्ट्रपति याह्या खॉ निभा रहा था। पूर्वी पाकिस्तान में शेख मुजीबुर्रहमान के समर्थकों का सफाया पश्चिमी पाकिस्तानी सैनिक बर्बरता के साथ कर रहे थे और इसी आड़ में मानवता को ताक पर रख हिन्दू परिवारों को चुन—चुन कर मार रहे थे। भारत को हिन्दू राष्ट्र समझने वाले इन पाकिस्तानियों ने निःसहाय हिन्दुओं को मारने और खदेड़कर भारत भेजने का निश्चय—सा कर लिया था। वे भूल चुके थे कि यह उनके देश की ही जनता है। मनुष्य के ...Read More
जय हिन्द की सेना - 5
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म पाँच जब अटल की बेहोशी टूटी तब सूरज सिर पर चढ़ आया था। अपने घायल शरीर को टटोला, उसे आश्चर्य हो रहा था कि वह जिन्दा है। आज की मनहूस सुबह का सारा घटनाक्रम उसके मन—मस्तिष्क में फिल्म—सा घूम गया। उसके मुँह से दर्द—पीड़ा की समवेत चीखें कराह बन निकल पड़ीं। उस समय जब उसके पूरे परिवार का कत्लेआम हो रहा था, तब वह वहाँ से भाग आया था। वह मर क्यों नहीं गया उन्हीं के साथ। अटल फूट—फूट कर रो पड़ा। उसकी बाईं बाँह में गोली लगी थी। उपद्रवियों ने उसे मरा ...Read More
जय हिन्द की सेना - 6
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म छः ढलान समाप्त हो रही थी। भानु ने गियर बदला, अब जीप हल्की पर चढ़ रही थी। नदी से पहले का ऊबड़—खाबड़ बीहड़ क्षेत्र। कुछ पल शांतमय बीते। अब जीप उसी नदी के पुल को पार कर रही थी जिस नदी को कल ठीक मुँह अंधेरे मोना छोटी नाव की मदद से पार करके इस ओर आयी थी। कल वह पूर्व से पश्चिम की ओर इस उम्मीद से नदी पार गयी थी कि वह अब कभी भी वापस नदी के उस ओर नहीं आयेगी। परन्तु ठीक चालीस घण्टे बाद ही वह नदी के ...Read More
जय हिन्द की सेना - 7
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म सात अटल सारी रात सो न सका। प्रेयसी ममता का विछोह जहाँ उसे के प्रति निराश कर रहा था, वहीं बहन मोना का आशा के विपरीत पुनर्मिलन जीवन के प्रति उम्मीद जगा रहा था। ममता इस तरह उसका साथ छोड़कर चली जायेगी, यह सोच उसे विचलित कर रही थी। उसे महसूस होता रहा कि ममता यहीं है, खुलना में, शीघ्र ही वह उससे मिलेगी। पर नहीं, तौसीफ झूठ नहीं बोल सकता। वह उसके साथ इतना बड़ा मज़ाक कभी नहीं कर सकता। तब क्या ममता उसे वास्तव में अकेला छोड़कर हमेशा—हमेशा के लिए उसके ...Read More
जय हिन्द की सेना - 8
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म आठ आठ दिसम्बर की प्रातः, आज पिछले दिनों की अपेक्षा कम कोहरा था। की बूँदें धरती पर कालीन—सी बिछी हरी घास पर पड़ रही सूर्य की स्वर्णिम किरणों से मोतियों की भाँति चमक रही थीं। भारतीय सेना के जवानों के मुँह से निकलती भाप ठंडक की अधिकता प्रकट कर रही थी। प्रकृति से जुड़ा व्यक्ति जब प्रकृति के विमुख जाता है, प्रकृति के सर्वमान्य तथ्या को झुठलाता है, तब उसकी स्थिति हास्यास्पद हो जाती है और जो प्रकृति के साथ सामंजस्य अपनाते हुए अपने कायोर्ं के प्रति रत रहते हैं, वही सफल हो ...Read More
जय हिन्द की सेना - 9
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म नौ बलवीर को रह—रहकर मोना की याद सता रही थी, मोना के साथ कुछ घण्टे उसे याद आ रहे थे। बलवीर को लग रहा था जैसे मोना उसके पास महीनों रह कर गयी हो, कुछ ही घण्टों में बहुत प्यार पाया था उसने मोना का। आज वह खुलना छोड़ देगा। साथ ही यह आशंका उसके मन में घर कर गयी थी कि पता नहीं वह पुनः मोना से मिल सकेगा या नहीं। युद्ध की विभीषका में जीवन का कोई भरोसा नहीं कि कब क्या हो जाये? एक अनिश्चित समय आगे पसरा हुआ था, ...Read More
जय हिन्द की सेना - 10
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म दस अपने पूर्व निर्धारित समय पर भारतीय जवानों की एक टुकड़ी जिसमें तीन सम्मिलित थीं, मेजर पाण्डेय के नेतृत्व में सेना के सोलह ट्रकों में गोला—बारूद, माल—असबाब सहित अग्रिम मोर्चे के लिए रवाना हुई। बलवीर, भानु, तौसीफ़, हम्माद व रहमान सभी एक ही ट्रक में थे। हिचकोले खाता ट्रक मध्यम गति से आगे बढ़ रहा था। ट्रक में कुछ जवान अपनी राइफलें लिए सतर्क खड़े थे। रहमान ने बांग्ला में एक राष्ट्रीय गीत सभी को सुनाना प्रारम्भ किया— ‘‘आमार सोनार बांग्ला आमार सोनार बांग्ला अमी तूमे भालोबासी चिरोदिन तोमार आकाश तोमार बाटाश आमार ...Read More
जय हिन्द की सेना - 11
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म ग्यारह नीले आकाश के नीचे अपने हवेलीनुमा घर की सबसे ऊँची छत पर साड़ी में दरी के ऊपर बैठी शृंगार रहित होने पर भी गौर वर्ण उमा साक्षात् परी लग रही थी। निकट से आकर ही कोई उसके दुर्भाग्य को जान सकता था। उसके चारों ओर दरी पर विभिन्न धार्मिक पुस्तकें रखी हुई थीं। इस समय उसकी गोद में ‘श्रीमद्भगवद् गीता' खुली रखी थी जिसके अध्ययन में तल्लीन उमा इस समय किसी शांत साध्वी से कम नहीं लग रही थी। विस्तृत छत पर दूर तक सूखने के लिए फैले गेंहूँ दिन भर सूर्य ...Read More
जय हिन्द की सेना - 12
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म ग्यारह नीले आकाश के नीचे अपने हवेलीनुमा घर की सबसे ऊँची छत पर साड़ी में दरी के ऊपर बैठी शृंगार रहित होने पर भी गौर वर्ण उमा साक्षात् परी लग रही थी। निकट से आकर ही कोई उसके दुर्भाग्य को जान सकता था। उसके चारों ओर दरी पर विभिन्न धार्मिक पुस्तकें रखी हुई थीं। इस समय उसकी गोद में ‘श्रीमद्भगवद् गीता' खुली रखी थी जिसके अध्ययन में तल्लीन उमा इस समय किसी शांत साध्वी से कम नहीं लग रही थी। विस्तृत छत पर दूर तक सूखने के लिए फैले गेंहूँ दिन भर सूर्य ...Read More
जय हिन्द की सेना - 13
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म तेरह ढाका में हम्माद अपने बड़े भाई अमजद के यहाँ तौसीफ के साथ जो सिंचाई विभाग में अधिशासी अभियन्ता के पद पर कार्यरत हैं। हम्माद की बड़ी बहन से भी पाँच वर्ष अधिक उम्र के थे उसके अमजद भाईजान। तौसीफ उनके रोबदार व्यक्तित्व के ...Read More
जय हिन्द की सेना - 14
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म चौदह बीस जनवरी, उन्नीस सौ बहत्तर की प्रातः आठ बजे पाँच सदस्यीय दल की पुरानी रियासत सूरजगढ़ पहुँचा। इस दल में एक मात्र मोना महिला सदस्य थी। शेष पुरुष अर्थात् बलवीर के अलावा अटल, तौसीफ एवं हम्माद भी भानु के गाँव आये थे। तौसीफ़ ने स्मृति के लिए खुलना में बनी भानु की समाधि के कुछ फोटो लिए थे जिन्हें वह अपने साथ लाया था। फोटोग्राफी उसने एक हॉवी के रूप में सीखी थी। बलवीर को स्वास्थ्य लाभ के लिए मेजर पाण्डेय की संस्तुति पर तीन माह का अवकाश मिल गया था। अटल ...Read More
जय हिन्द की सेना - 15
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म पन्द्रह प्रातः आठ बजे के समाचारों में भारतीय सैनिक पुरस्कारों को प्राप्त करने सैनिकों की सूची प्रसारित हो रही थी जिसे आँगन में धूप व नाश्ते का आनंद उठा रहे सभी कान लगाकर बड़े ध्यान से सुन रहे थे और तब सभी प्रसन्नता से झूम उठे जब शहीद लेफ़्िटनेंट भानु प्रताप को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किए जाने की घोषणा प्रसारित हुई। बलवीर भागकर अपनी माँ को यह शुभ समाचार देने जा ही रहा था कि उसके पैर ठिठके। अगला नाम उसी का लिया जा रहा था .....‘जाट रेजीमेंट के लेफ़्िटनेंट बलवीर ...Read More
जय हिन्द की सेना - 16
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म सोलह उमा अलबम देखने में खोई हुई थी। विगत दिनों नई दिल्ली, सूरजगढ़ स्थानों में तौसीफ भाई द्वारा खींचे गये ढेर सारे फोटोग्राफ्स्् अब उमा के लिए समय बिताने का बढ़िया साधन बन चुके थे। अधिकांश फोटो में अटल भी था। अटल के कुछ एकाकी फोटो भी अलबम में थे। गौरवर्ण ऊँचा पूरा सुन्दर अटल उसके साथ विवाह करने के लिए प्रस्तुत था जबकि उस जैसे आकर्षक नौजवान के लिए उससे भी सुन्दर लड़कियों की कमी न थी। उमा ने सोचा। पिछले कुछ दिनों से उमा अटल को लेकर विचारों में खोई रहती। ...Read More
जय हिन्द की सेना - 17 - अंतिम भाग
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म सत्रह आज प्रातः से ही ठाकुर रणवीर सिंह की कोठी में काफी चहल थी। कोठी के बाहर लॉन में पण्डाल आदि कल शाम को ही लगा लिए गए थे। किसी के पास बात करने का समय नहीं था, सभी किसी न किसी कार्य में व्यस्त थे। कोई भी कह सकता था कि आज यहाँ कोई समारोह सम्पन्न होने जा रहा है। ठाकुर रणवीर सिंह आमंत्रित मेहमानों की सूची को अंतिम बार देखकर अपने मातहत से पूछ रहे थे कि कोई बुलाने को रह तो नहीं गया। उमा—अटल का विवाह दिन में ही एक ...Read More