‘उफ, क्या कहानी है’ – उमा जी ने उस पेज का कोना मोड़कर किताब बंद की और अपना चश्मा पास की मेज पर रखकर तकिये पर सिर रखते हुए अपने दोनों पैर पलंग पर पूरे फैला लिये। वे कुछ देर तक वैसे ही लेटी रहीं। कहानी को आगे पढ़ने से पहले वे कहानी के अब तक के घटनाक्रम को अपने मस्तिष्क में सिलसिलेवार लगा लेना चाहती थीं।
Full Novel
छूटा हुआ कुछ - 1
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 1. ‘उफ, क्या कहानी है’ – उमा जी ने उस पेज का कोना किताब बंद की और अपना चश्मा पास की मेज पर रखकर तकिये पर सिर रखते हुए अपने दोनों पैर पलंग पर पूरे फैला लिये। वे कुछ देर तक वैसे ही लेटी रहीं। कहानी को आगे पढ़ने से पहले वे कहानी के अब तक के घटनाक्रम को अपने मस्तिष्क में सिलसिलेवार लगा लेना चाहती थीं। किशोरावस्था की प्रेम कहानी थी वह। जिस मकान की पहली मंजिल पर वह किशोर (किरदार मैं) किराए पर रहता था, उसी मकान की दूसरी मंजिल पर ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 2
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 2. उमा जी को उनके पति ने आवाज दी तो उनकी तंद्रा टूटी। उठकर बाहर आईं तो काम में लगे उनके पति ने बिना उनकी ओर देखे कहा – “अर्जेंट काम बस खत्म होने को ही है, एक कप चाय बना दोगी।“ “हां, अभी बना कर लाती हूं। कुछ खाओगे उसके साथ?” “नहीं, मन नहीं कर रहा। अब तो सीधे खाना ही खाऊंगा।“ “ठीक है, मेरा भी सिर भारी हो रहा है, अपने लिए भी चाय बना लेती हूं।“ हां, बना लो।“ उमा जी इंतजार करती रह गईं कि शायद वे पूछ लें, ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 3
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 3. इन्हीं व्यस्तताओं में समय निकलता गया और उमा जी के पति के का समय आ गया। उनके रिटायरमेंट के दो साल बाद ही उमा जी भी रिटायर हो गईं। अब एक बिलकुल नई ज़िंदगी खड़ी थी उनके सामने। पति महोदय ने अपना समय काटने के लिए ड्राफ्टिंग का काम करना शुरू कर दिया और उनके पास इतना काम रहता कि उन्हें कुछ सोचने की फुरसत ही नहीं मिलती थी। उमा जी ने आसपास के बच्चों को गणित का ट्यूशन देना शुरू कर दिया। पर, इसके लिए बच्चे शाम को ही आते। उमा ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 4
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 4. उमा जी के मन में उथल-पुथल सी चल रही थी। इतने समय पुष्पा के वे शब्द उनके कानों में गूंज रहे थे – “तूने किसी से प्रेम नहीं किया, अगर किया होता तो मेरी भावनाओं को समझ पाती।“ उमा जी अब छप्पन साल की हो गई थीं और गृहस्थी तथा स्कूल की व्यस्तताओं से लगभग आजाद हो गई थीं। स्कूल में वे हिंदी पढ़ाती रही थीं। प्रेम संबंधी कविताओं की व्याख्या करती रही थीं, पर उन्होंने खुद ने तो कभी उस प्रेम का रसास्वादन नहीं किया था जिसकी हर बात में, यहां ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 5
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 5. प्रशांत को बड़ा करने और फिर उसके बाद स्कूल की व्यस्तताओं की से उमा जी को अपने बारे में ज्यादा कुछ सोचने का समय ही नहीं मिला। पतिदेव अपने काम में और भी ज्यादा व्यस्त होते गए। रिटायर होने के बाद तो उनके पति का काम पहले से भी ज्यादा बढ़ गया। घर पर वे लगभग सारा दिन अपने काम में डूबे रहते। जब तक प्रशांत यूएस नहीं गया था और उमा जी रिटायर नहीं हुई थीं, तब तक समय काटने की कोई समस्या नहीं थी। लेकिन, पढ़ाई के लिए प्रशांत के ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 6
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 6. चार दिन बीत चुके थे, गगन सर का फोन नहीं आया। इस लैंडलाइन फोन की दो-तीन बार घंटी बजी थी। उन्होंने तुरंत ही फोन उठाया, पर गगन सर का फोन नहीं होने की वजह से उन्हें निराशा ही हाथ लगी। एक बार किसी स्टूडेंट की मम्मी का फोन यह बताने के लिए आया था कि उनका बेटा उस दिन ट्यूशन के लिए नहीं आ पाएगा और दो बार तो रांग नंबर था, उन्हें झुंझलाहट होने लगी। इंतजार की इंतिहा में उन्हें यह सोचकर खुद पर हंसी आने लगी कि जिन गगन सर ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 7
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 7. उस दिन सुबह उमा जी ने अपना मोबाइल फोन उठाया तो उन्हें एक व्हाट्सएप मैसेज़ नजर आया। उन्होंने तुरंत खोलकर देखा, गगन सर का ही मैसेज था। लिखा था – ‘खूबसूरत उमा जी को खूबसूरत सुबह मुबारक हो।‘ उमा जी के चेहरे पर एक मुस्कान खेल गई। उन्होंने जवाब में लिखा – ‘खूबसूरत सुबह आपको भी मुबारक हो। पर, आपको अपनी आंखें चेक करा लेनी चाहिए। पता नहीं मैं आपको खूबसूरत कहां से नजर आ रही हूं।‘ थोड़ी देर में ही गगन सर का जवाब आ गया – ‘किसने कहा आप खूबसूरत ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 8
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 8. “गुडमार्निंग उमा जी। कैसी हैं आप?” – गगन सर का यह मैसेज उमा जी के दिमाग में वह सूत्र वाक्य घूम गया जो अभी कुछ दिन पहले ही उनकी नजरों से गुजरा था। उन्होंने जवाब में लिखा – “वैरी गुडमार्निंग गगन सर। सुबह-सुबह आपने हालचाल पूछा, अच्छा लगा। किसी का हालचाल पूछना उसके मन में सकारात्मक विचारों का उदय करना है, कोई अपना है, यह अहसास जीवन जीने की ताकत को मजबूती देता है। हाल पूछने से कौनसा हाल ठीक हो जाता है, बस तसल्ली हो जाती है कि भरी दुनिया में ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 9
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 9. आजकल उमा जी का टीवी खोलने का मन बिलकुल नहीं करता था। वे काम करते समय या पढ़ते समय रेडियो चला लेतीं। पुराने गाने सुनना उन्हें हमेशा से अच्छा लगता रहा था, पर अब ये गाने उन्हें और भी अच्छे लगने लगे थे। गाने तो वही थे, पर अब उनके अर्थ उमा जी को अच्छी तरह समझ में आने लगे थे। वे सोचतीं, जिन्होंने भी ये गाने लिखे हैं, भावनाओं में डूब कर लिखे हैं, तभी उनके बोल सुनने वाले के दिल के भीतर तक उतर जाते हैं। कभी-कभी वे स्वयं भी ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 10
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 10. रात हो चली थी। शुरू में गगन सर उन्हें हर रात गुडनाइट संदेश भेजते थे। उमा जी उनकी गुडनाइट का जवाब गुडनाइट से ही देकर सोने जातीं। उनके पतिदेव अर्जेंट काम निपटाने के लिए रात में भी काफी देर तक काम में लगे रहते। लेकिन, कभी-कभी उनके पास उस तरह का काम नहीं होता था तो वे जल्दी ही सोने के लिए कमरे में आ जाते। ऐसे समय गुडनाइट संदेशों का आदान-प्रदान मुश्किल हो जाता। एकबार तो पतिदेव ने पूछ भी लिया था – “इतनी रात गए मोबाइल फोन लिये बैठी हैं, ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 11
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 11. प्रशांत का फोन बहुत दिन बाद आया था। वह और फ्लोरा बहुत तक उनसे बातें करते रहे। उनका आग्रह था कि वे कुछ दिनों के लिए ही सही, एक बार यूएस आएं तो। उमा जी ने आवाज लगा कर पतिदेव को भी बुला लिया। प्रशांत और फ्लोरा से वे भी ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 12
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 12. सुबह उठते ही हाथ में मोबाइल उठाना उमा जी की आदत बन थी। उन्होंने देखा गगन सर का मैसेज मौजूद था – ‘सुप्रभात उमा जी। कई बार ज़िंदगी में मुश्किल पल आते हैं, इन्हें सहजता से लेना चाहिए। कड़ी परिस्थितियां हमें मजबूत बनाती हैं। खुद पर नियंत्रण रखना इसका सबसे अच्छा उपाय है। जैसी स्थिति हो वैसे ही उसका सामना करना आना चाहिए।‘ “मैं शायद कमजोर हूं अंदर से। आप तो बहुत मजबूत नजर आ रहे हैं” – उमा जी ने लिखा। “समझ नहीं पा रहा हूं उमा जी, परिस्थितिवश अगर कुछ ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 13
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 13. यूएस जाने की तैयारियों के बीच उमा जी को याद आया कि का समय बिलकुल नजदीक आ गया है, लेकिन अभी तक उन्होंने मां-बाबूजी को तो इसकी इत्तला दी ही नहीं है। उन्होंने हाथ के सारे काम छोड़े और मां को फोन लगा दिया। फोन बाबू जी ने उठाया और उमा जी की आवाज सुनते ही उन्होंने कहा – “उमा बिटिया, कितने दिन बाद तेरी आवाज सुन रहा हूं, सब ठीक तो है।“ “हां बाबूजी आपके और मां के आशीर्वाद से सब ठीक है। लगता है, फोन आपके कमरे में शिफ्ट हो ...Read More
छूटा हुआ कुछ - 14 - अंतिम भाग
छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 14. हवाई जहाज से उनकी यह पहली और लंबी यात्रा थी। प्लेन उड़ते उनका दिल भारी होने लगा, ऐसा लग रहा था जैसे बहुत कुछ पीछे छूट गया हो। पर, उन्होंने खुद को समझाया कि उन्हें किसके लिए और क्यों अपना दिल भारी करना चाहिए, ऐसा क्या छूट गया था पीछे? सच में, किसी से भी कोई अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। खुश होना चाहिए उन्हें, वे पहली बार यूएस जा रही थीं और अपने बेटे प्रशांत से लंबे अर्से बाद मिलने वाली थीं। उसके लिए उनके मन में ममता उमड़ने लगी। पता नहीं, ...Read More