ट्रेनों की गड़गड़ाहट के बीच, स्टेशन के पिछले हिस्से की तरफ रेलवे ट्रैक पर बैठी सपना की आंखों से झर-झर आंसू बह रहे थे. उधर से निकलने वाले लोग बार-बार उसे रेलवे ट्रैक से हटने की बात कहकर आगे बढ़े जा रहे थे पर किसी ने भी उसके बहते हुए आंसू को देखकर उसकी परेशानी न जाननी चाही. सूरज भी दिनभर तपने के बाद अपनी मंदम रोशनी के साथ छिपने को तैयार था. शाम का सन्नाटा भी अपने पैर पसारने में जुटा था. सपना वही आखिरी पटरियों बैठी आती हुई ट्रेन की कंपन को महसूस कर रही थी. अपनों और
Full Novel
सपना - 1
ट्रेनों की गड़गड़ाहट के बीच, स्टेशन के पिछले हिस्से की तरफ रेलवे ट्रैक पर बैठी सपना की आंखों से आंसू बह रहे थे. उधर से निकलने वाले लोग बार-बार उसे रेलवे ट्रैक से हटने की बात कहकर आगे बढ़े जा रहे थे पर किसी ने भी उसके बहते हुए आंसू को देखकर उसकी परेशानी न जाननी चाही. सूरज भी दिनभर तपने के बाद अपनी मंदम रोशनी के साथ छिपने को तैयार था. शाम का सन्नाटा भी अपने पैर पसारने में जुटा था. सपना वही आखिरी पटरियों बैठी आती हुई ट्रेन की कंपन को महसूस कर रही थी. अपनों और ...Read More
सपना - 2
पारुल ने उसे गले लगा लिया फिर बोली "सपना तुम्हारी शादी तो हो चुकी थी, तुम्हारे पति भी तुम्हें प्यार करते थे. ससुराल वाले भी बहुत अच्छे पढ़े लिखे और समझदार थे, फिर ऐसा क्या हो गया.....???." "यही तो गम है पारुल कि इतना अच्छा घर-परिवार मिलने के बाद भी मैं उसमें शामिल नही हो पाई. मेरी खूबसूरती ही मेरी बर्बादी बन गयी." अपनी खूबसुरत पतली उंगली में चमक रही अँगूठी के नग को बेकदरी से देखते हुए बोली सपना. "शुरू शुरू में तो सब अच्छा था.... मयंक मुझे बहुत चाहते थे, बहुत ध्यान रखते थे. घुमाना-फिराना मेरी हर ...Read More
सपना - 3
अभी मेरी परेशानी खत्म नहीं हुई थी....बल्कि और बढ़ने वाली थी. पेशी पर जब भी मयंक मिलता तो हमेशा यही धमकी देता की न तो वो मुझे तलाक देगा और ना ही वापस अपनाएगा. मेरे चरित्र को दागदार कर देगा. आए दिन मुझे फोन करके परेशान करने लगा..... यहां तक कि भाभी को भी फोन करके मेरे बारे में उल्टी-सीधी बातें करता...... क्या?????" और वो सब सुन लेती थी?? थोड़ा ठहरते हुए सपना फिर बोली "धीरे-धीरे भाभी मुझ पर ही शक करने लगी, अब बात-बात पर ताने देती कि जरूर मेरा किसी और के साथ चक्कर है, तभी इतना ...Read More
सपना - 4
थोड़ी देर बाद सपना के मम्मी-पापा मदनलाल और शांति देवी घर आ गए. रोती हुई सपना को देख कर आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गई "बेटा कहां चली गई थी तुम, हम कितना परेशान हो गए थे....अपने आंसू पोछते हुए मदनलाल फिर बोले "हम तो पुलिस में जाने वाले थे. हर जगह फोन कर लिया पर कहीं भी तुम्हारी कोई खबर नही." सपना की मां शांति देवी सपना से लिपट कर रोने लगी. सपना कुछ भी नहीं बोली. बस चुपचाप लाल आंखों से जमीन को देखती रही. तभी मोहित भी कमरे में आ गया.... शायद मोहित को अपनी ...Read More
सपना - 5 - अंतिम भाग
शाम को मोहित सपना को लेकर कंप्यूटर सेंटर पहुंचा. किसी लड़के से पता चला कि सत्यम अभी किसी काम बाहर गए है....तभी मोहित ने सपना से उसके कार्ड वाले नम्बर पर कॉल करने को कहा. हेलो...सत्यम जी?? "जी.. मैं सत्यम बोल रहा हूँ, आप कौन??" 'मैं सपना...पारुल की दोस्त.' 'अरे सपना जी आप....क्या हुआ आप ठीक तो है.' परेशान होकर सत्यम बोला. 'मैं बिल्कुल ठीक हूं...हम और भैया आपके सेंटर आये है पर आप तो यहाँ है नही. आप कब तक मिल सकते है.' 'अच्छा... मैं थोड़ा काम से बाहर आया था. आप रुकिए, मैं अभी 15-20 मिनट में ...Read More