अरे, बिट्टू कब तक सोती रहेगी। 5:00 बज गए हैं शाम के। रश्मि के घर से कई बार तेरे लिए बुलावा आ चुका है। जाना नहीं है उसके मेहंदी पर!" यह सुनते ही बिट्टू झटपट उठ बैठी। " क्या मां तुमने उठाया क्यों नहीं मुझे! अब मैं कब तैयार होऊगी । सुनीता कितना बिगड़ेगी। बाप रे बाप! कैसे करूं सब कुछ इतनी जल्दी!" "कुछ मत कर महारानी बैठ जा! तेरी मां तैयार हो जाएगी तेरे नाम का। उसने ही तुझे सिर पर चढ़ा रखा है। ऊंट जितनी लंबी हो गई है लेकिन अक्ल घुटनों में ही है। " बिट्टू की
Full Novel
वो भूली दास्तां, भाग-१
अरे, बिट्टू कब तक सोती रहेगी। 5:00 बज गए हैं शाम के। रश्मि के घर से कई बार तेरे बुलावा आ चुका है। जाना नहीं है उसके मेहंदी पर! यह सुनते ही बिट्टू झटपट उठ बैठी। क्या मां तुमने उठाया क्यों नहीं मुझे! अब मैं कब तैयार होऊगी । सुनीता कितना बिगड़ेगी। बाप रे बाप! कैसे करूं सब कुछ इतनी जल्दी! कुछ मत कर महारानी बैठ जा! तेरी मां तैयार हो जाएगी तेरे नाम का। उसने ही तुझे सिर पर चढ़ा रखा है। ऊंट जितनी लंबी हो गई है लेकिन अक्ल घुटनों में ही है। बिट्टू की ...Read More
वो भूली दास्तां भाग-२
आज रश्मि की शादी थी । शाम होते ही चांदनी ने अपनी मां से कहा "मां मैं रश्मि के जा रही हूं । उसे तैयार करवाने पार्लर लेकर जाना है। चाची ने यह जिम्मेदारी मुझे सौंपी है। । आपको मैं शादी के पंडाल पर मिलूंगी। " "तू यही सूट पहनकर जाएगी क्या शादी में! वह साड़ी नहीं लेकर जाएगी जो तूने कल रात निकाली थी पहनने के लिए!' उसकी मां ने कहा। "अरे मैं तो जल्दी के चक्कर में भूल ही गई थी। सही रहा मां जो आपने याद दिला दिया।" चांदनी ने अपने माथे पर हाथ रखते हुए ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-३
चांदनी की मां उसे खाली हाथ देख बोली अरे तुम तो आइसक्रीम लेने गई थी। खाली हाथ आ गई और यह मुंह क्यों उतरा हुआ है तेरा! बस कुछ नहीं मां, भीड़ ज्यादा थी वहां । वो आइसक्रीम नहीं मिली ना इसलिए मूड खराब हो गया। पता नहीं सभी लोगों को आइसक्रीम आज ही खानी थी क्या! अरे इतनी बड़ी हो गई आइसक्रीम के लिए तेरी जीभ अभी भी उतने ही लप-लपाती है। कोई बात नहीं । अपना मूड सही कर और चल फेरों का समय हो गया। दोनों मां बेटी वहां पहुंच गई। उसकी मां तो बड़ी ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-४
आज चांदनी सुबह से ही खुश थी। हो भी क्यों ना कल ही रश्मि आज उससे मिलने जो रही थी। पूरे 25 दिन बाद! चांदनी ने सोच लिया था कि वह रश्मि को उस लड़के के बारे में जरूर बताएंगी । दोपहर को जैसे ही रश्मि उससे मिलने पहुंची, चांदनी उसे गले मिलते हुए बोली भूल गई ससुराल जाकर हमें तू तो.! याद नहीं आई! फोन तो कर देती एक। उस दिन भी अपने घर आई और मुझे बताया भी नहीं! अरे, बस कर आते ही एक साथ इतने सारे सवाल दाग दिए तूने तो! जरा बैठने दे सांस ...Read More
वो भूली दास्तां,भाग-५
आकाश को जब रश्मि ने चांदनी के दिल का हाल सुनाया तो वह खुश होते हुए बोला "भाभी जी खुशखबरी सुनाकर आपने मुझ पर कितना बड़ा अहसान किया है। बता नहीं सकता आपको!" उसकी बात सुन रश्मि ने कहा " भैया मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूं । जितना इनसे आपके बारे में सुना है कि आप एक अच्छे इंसान हो। अपनी तरफ से अभी मुझे आपको जाने का ज्यादा मौका नहीं मिला लेकिन मैं अपनी सहेली को व उसके परिवार को बचपन से जानती हूं। इसलिए आपसे कहना चाहती हूं कि बहुत ही सीधे सादे लोग हैं ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-६
आकाश का संदेशा लेकर रश्मि चांदनी के घर गई और जब उसने चांदनी की मां को सारी बातें बताई। उसे अपने कानों पर यकीन ना हुआ कि इतना अच्छा रिश्ता खुद चल कर उनके घर आया है। वह बार-बार रश्मि से यही कहती कि बिटिया तूने हमारे बारे में सब बता दिया है ना उन लोगों को। हां चाची मैंने खुलकर आकाश से सारी बात की थी। और अब एक हफ्ते की बात तो है वह खुद ही आकर देख लेंगे । आमने सामने बैठ कर दोनों परिवारों की बात हो जाएगी । वैसे भी रिश्ता लड़के वालों की ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-७
शादी की तारीख तय होते ही दोनों घरों में शादी की तैयारियां होनी शुरू हो गई थी। आकाश की के अरमान तो बहुत थे कि उसकी भी बहू दूसरी बहुओं की तरह उसके लिए गहने व खूब सुंदर कपड़े लत्ते लेकर आए, साथ ही मोटा दहेज। चांदनी के घर की हालत देखकर उसे लग नहीं रहा था कि वहां से ऐसा कुछ आने वाला है। खुलकर वह कुछ कह नहीं सकती थी क्योंकि उसे अपने बेटे के नाराज होने का डर था। फिर भी बातों ही बातों में उसने आकाश और उसके पापा के सामने अपनी बात रखते हुए ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-८
समय पंख लगा बीत रहा था । चांदनी की शादी को चार महीने हो गए थे लेकिन यह चार खुशियों से भरे व उसकी कल्पना से परे थे । हर दिन के साथ उनका प्यार और और गहरा होता जा रहा था। चांदनी की कमियों पर भी आकाश अपनी मां के सामने यह कहते हुए पर्दा डाल देता "मम्मी समय दो इसे। सीख जाएगी घर के तौर तरीके। सभी लड़कियां अपने घर में लाडली ही होती है और फिर आप हो ना इसे सिखाने के लिए ।" चांदनी जब भी अपनी पीहर जाती, आकाश की तारीफों के पुल बांधते ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-९
जल्दी से सब उसे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। होश आने पर चांदनी ने जब अपने आपको हॉस्पिटल में पाया तो की ओर प्रश्न भरी नजरों से देखा। तब आकाश ने उसे कहा "तुम काम करते हुए बेहोश हो गई थी।" "हम घर कब चलेगे!" उसने पूछा "अभी डॉक्टर ने कहा है दो-चार दिन तुम्हें यही रहना होगा। जिससे वह अच्छे से तुम्हारी बीमारी को पहचान, उस का इलाज कर सके।" "आकाश, दो-चार दिन मैं यहां कैसे रहूंगी। मुझे घर चलना है।। मैं अब ठीक हूं।" "नहीं चांदनी दो-चार दिन की बात है। यहीं रहकर तुम्हारा अच्छे से इलाज हो सकता ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-१०
आकाश हॉस्पिटल पहुंचते ही सीधा डॉक्टर के पास गया। उसे देखते ही डॉक्टर ने कहा आइए आकाश जी आपका ही इंतजार कर रहा था। डॉक्टर आज मैं भी हूं आपसे ही मिलने आया हूं। मुझे भी आपसे पूछना था कि आखिर चांदनी की बीमारी का पता क्यों नहीं लग पा रहा है !ऐसी क्या बीमारी है, जो इतने दिनों से पकड़ में नहीं आई। इतना बड़ा हॉस्पिटल, एक्सपीरियंस्ड डॉक्टर्स फिर क्या फायदा! मैं आज ही हॉस्पिटल बदल दूंगा। मुझे नहीं रखना यहां पर उसे। शांत हो जाइए आकाश जी। आपके परिवार से हमारे शुरू से ही अच्छे तालुकात ...Read More
वो भूली दास्तां भाग - ११
दूसरे हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद चांदनी के स्वास्थ्य में सुधार होने शुरू हो गया । डॉक्टरों ने कैंसर होने की संभावना से साफ इनकार किया। हां, उसे टीबी की शिकायत जरूर थी। चांदनी की मां और रश्मि को समझ नहीं आ रहा था कि जब चांदनी को कैंसर था ही नहीं तो डॉक्टरों ने क्यों इतना बड़ा झूठ बोला। रश्मि ने निश्चय कर लिया था कि वह आकाश से मिल, उसे सारी बातें जरूर बताएगी। बस एक बात का अफसोस था कि उस हॉस्पिटल वालों से कोई रिपोर्ट भी तो उन्हें नहीं दी, जिसके आधार पर वह ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-१२
यह सुनकर चांदनी व उसकी दादी एकदम से सकते में आ गए । चांदनी की दादी ने मीरा देवी कहा "बहन जी, तलाक यह आप क्या कह रही हैं। आप भी बेटी वाली हो। कुछ तो सोच समझकर बोलो। ऐसी क्या गलती हो गई हमारी बेटी से। अरे, बीमार ही तो हुई थी और अब सही भी हो गई । हमने तो आपको भी तंग नहीं किया। खुद ही उसकी तीमारदारी कर ली। जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ और मेरी पोती को लिवा लाओ। आपसे उम्र में बड़ी होकर भी हाथ जोड़ती हूं आपके। इस बुढ़ापे में यह ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-१३
रश्मि ने सारी बातें चांदनी की मम्मी को बताई तो वह बोली "बिटिया मैं तो पहले ही उसका असली देख चुकी हूं । सच्चाई तेरे सामने भी आ ही गई है लेकिन तेरी सहेली का क्या करूं! वह तो मानने को तैयार ही नहीं कि आकाश ऐसा भी कह सकता है। वह तो आस लगाए बैठी है कि वह जरूर आएगा। हमारी एक नहीं सुन रही है । किसी दिन समय निकालकर आ जा और इसे समझा दे। मैं समझती हूं कि तेरी भी नई नई गृहस्ती है और बार बार तेरा यहां आना तेरी सास को अच्छा ना ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-१४
जब से चांदनी ने आकाश से फोन पर बात की, तब से ही वह उदास रहने लगी थी। हंसना तो उसने कब का छोड़ दिया था । अब अपने को कमरे में बंद कर लिया था। इतनी बार उसकी दादी और भाई ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन जैसे उसने अपने आसपास एक अकेलेपन का घेरा बना लिया था। खाना पीना भी ना के बराबर ही हो गया था। कल जब पड़ोसन में आकर यह बताया कि सुना है आकाश अगले महीने शादी कर रहा है। तबसे चांदनी की मम्मी देख रही थी कि वह कुछ ज्यादा ही ...Read More
वो भूली दास्तां, भाग-१५
खाना तैयार होने के बाद वह पड़ोसन सबको बुलाने आई। सभी उनके साथ जाने लगे तो वह बोली "आपकी नहीं आ रही क्या !" चांदनी की मम्मी ने बहाना बनाते हुए कहा "बहन जी आज वह काम करते हुए थक गई है और तबीयत भी कुछ सही नहीं है उसकी इसलिए वह नहीं आ रही वह हमारे साथ। " "कोई नहीं उसे आराम करने दो। मैं उसका खाना पैक कर दूंगी।" "घर पर उनके बेटे ने सब का बहुत ही अच्छे से स्वागत किया। अपने बेटे से मिलवाते हुए वह बोली "बहन जी यह है मेरा बेटा विशाल और ...Read More
वो भूली दास्तां भाग-१६
विशाल की एनजीओ का नाम आश्रय था। यहां गरीब तबके के बच्चे पढ़ने आते थे। इसके अलावा यहां सिलाई कंप्यूटर आदि का फोर्स करवा उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाता था। चांदनी पहले दिन वहां पहुंची तो उन बच्चों के साथ उसका मन लगने लगा। साथ ही साथ सिलाई कढ़ाई सीखने आई कुछ लड़कियां उसकी हमउम्र ही थी ।उनसे बातचीत कर उसे अच्छा लगा। विशाल ने उसे पहले दिन 1 घंटे के लिए क्लास लेने के लिए कहा। जिससे की वह बच्चों से घुल मिल जाए और उनके बारे में जानकारी ले सके। चांदनी देख रही थी कि वहां के सभी ...Read More
वो भूली दास्तां भाग-१७
जब से चांदनी को विशाल की पिछली जिंदगी के बारे में पता चला था, तब से उसे अपने उस के लिए बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। जो अब तक वह विशाल के साथ करती आई थी। बिना उसके बारे में जाने समझे पता नहीं मन में क्या क्या गलत धारणा बना बैठी थी और एक वो था जो उसके इतने गलत बर्ताव के बाद भी कभी बुरा नहीं मानता था। उसका दुख तो मेरे दुख से कहीं ज्यादा था। फिर भी कैसे उसे सीने में छुपा दूसरों की जिंदगी संवारने व उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए ...Read More
वो भूली दास्तां - भाग-१८
शादी के लिए विशाल व चांदनी की रजामंदी मिलते ही दोनों परिवारों की खुशी का ठिकाना ना रहा। दोनों परिवारों में शादी की तैयारियां होने लगी और 1 महीने के अंदर ही चांदनी, विशाल की दुल्हन बन उसके घर आ गई। विशाल का असीम प्रेम और कल्याणी से मां सा स्नेह पाकर चांदनी का जीवन खुशियों से भर गया था। उसकी मां तो अपनी बेटी को इतना खुश देखकर भगवान को हमेशा शुकराना अदा करते ना थकती थी। विशाल और चांदनी के अथक परिश्रम से उनकी एनजीओ व उनके सामाजिक कार्यों को भी बहुत सराहना मिल रही थी। जिसके ...Read More
वो भूली दास्तां - भाग-१९ - अंतिम भाग
रश्मि के जाने के बाद चांदनी को चिंतित और परेशान देख विशाल ने इसका कारण जानना चाहा तो चांदनी उसे सारी बातें बता दी। सुनकर विशाल ने शांत भाव से कहा "चांदनी, रश्मि सही कह रही है। तुम्हें आकाश से मिलने जरूर जाना चाहिए।" विशाल के मुंह से ऐसी बात सुन चांदनी हैरान हो उसकी तरफ देखते हुए बोली " विशाल यह तुम कह रहे हो। तुम्हें बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा अगर मैं उससे मिलने जाऊं तो!" "चांदनी इसमें बुरा लगने वाली कौन सी बात है। माना आकाश से तुम्हारा अब कोई नाता नहीं लेकिन मानवता के नाते तुम्हारा ...Read More