अरमान दुल्हन के भाग -1नई नई दुल्हन ढे़रों अरमान लिए ससुराल में आई। सोच रही थी कि माता -पिता,भाई-बहनों को छोड़ कर जा रही हूं तो क्या वहां भी सास -ससुर मेरे माता-पिता के समान होंगे।बहन-भाईयों की जगह ननद,देवर, जेठ होंगे। अपनों को छोड़ने का गम जरूर था किंतु नये रिश्ते में बंधने की खुशी भी तो थी। मायके से विदा हो ससुराल के सपने बुनती रही रास्ते भर। आजतक देखा था नई दुल्हन के आगमन पर कैसा खुशी का माहौल होता है।सास उतारने आती है औरतें के झुरमुट के साथ और लोकगीतों की मिठास कितनी प्यारी लगती है ।आज वो
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अरमान दुल्हन के - 1
अरमान दुल्हन के भाग -1नई नई दुल्हन ढे़रों अरमान लिए ससुराल में आई। सोच रही थी कि माता -पिता,भाई-बहनों छोड़ कर जा रही हूं तो क्या वहां भी सास -ससुर मेरे माता-पिता के समान होंगे।बहन-भाईयों की जगह ननद,देवर, जेठ होंगे। अपनों को छोड़ने का गम जरूर था किंतु नये रिश्ते में बंधने की खुशी भी तो थी। मायके से विदा हो ससुराल के सपने बुनती रही रास्ते भर। आजतक देखा था नई दुल्हन के आगमन पर कैसा खुशी का माहौल होता है।सास उतारने आती है औरतें के झुरमुट के साथ और लोकगीतों की मिठास कितनी प्यारी लगती है ।आज वो ...Read More
अरमान दुल्हन के - 2
अरमान दुल्हन के भाग -2हम सब बहन भाई भी नई नवेली भाभी को कितनी देर तक घेरकर बैठे उटपटांग किये जा रहे थे ।भाभी भी चार-पांच घंटे का सफर करके आई थीं और थकी हुई थी ।फिर भी हमारे साथ जबरन मुस्कुरा रही थीं।तभी मां ने आकर हम सबको कित्ती जोर से डांट दिया था। तभी किसी के पास बैठने आहट से वह वर्तमान में लौटी। सरजू पास आकर बैठ गए थे और धीरे से फुसफुसाते हुए पूछा- "तन्नै कुछ खाया पीया सै के न्हीं।"(तुमने कुछ खाया पीया है या नहीं) नई दुल्हन कुछ जवाब देती उससे पहले ही एक दनदनाती हुई ...Read More
अरमान दुल्हन के - 3
अरमान दुल्हन के भाग-3"ए छोरियो थम्मै इस बहू नै भूखी मारोगी के, टैम देख्या सै ग्यारा (ग्यारह)बज्जण नै होरे ना रोटी इसनै कोडबै (कब )की खा राख्खी सैं?जिम्माओ(खाना खिलाओ) इसनै।"बूआ नै भतीजियों को डांटते हुए कहा।"ए बूआ तैं खुवा दे हाम्म के ठाली (फ्री) बैठी सां" एक सुंदर सी लड़की ने नाक सुकोड़ते हुए बोली और मुंह पिचकाकर बाहर चली गई।दुल्हन का किसी के साथ कोई परिचय नहीं हुआ था।सरजू के जरिए बूआ का पता चल चुका था कि ये इकलौती बूआ हैं और सब पर रौब भी जमा रही हैं।हां बाकी सबके वार्तालाप से पता चल रहा था ...Read More
अरमान दुल्हन के - 4
अरमान दुल्हन के भाग 4कविता बिस्तर से उठकर खड़ी हो जाती है। सरजू उसे बैठने के लिए कहता है। फिर भी सकुचाई सी खड़ी रहती है मानो उसे कुछ सुनाई ही न दिया हो। सरजू हाथ पकड़ कर खींच लेता है और उसे अपने पास बैठा लेता है।कविता सरजू से थोड़ी दूर सरक कर असहज सी बैठ जाती है।थोड़ी देर कमरे में खामोशी छाई रहती है। घड़ी की टिक टिक रात की खामोशी को चीरकर दो बजने का इशारा दे रही है।सरजू भी बेहद थका हुआ है क्योंकि घर का इकलौता पुत्र होने नाते सारी जिम्मेदारी उसी पर तो ...Read More
अरमान दुल्हन के - 5
अरमान दुल्हन के भाग 5सरजू कविता से बहुत सारी बात कर लेना चाहता था मगर तभी भाभी चाय लेकर आ गयी। सब लोग चाय पीने लगे। कविता ने भाभी से जाने की इजाजत मांगी। सरजू का मन कर रहा था कि कविता थोड़ी देर और बैठ जाये। तभी कविता की बूआ ने आकर कविता को पुकारा -"मीनू ..ए मीनू , कित्त मरग्गी ( कहाँ चली गयी) ए।""हां बूआ""बेटी मन्नै एक काम सै, जाके आऊं सूं मैं, अर घरां कोय कोनी तेरा जी (मन)ना लागैगा ऐकली का। तेरी भाभी धोरै ए बतळा (बातें करना) लिये।""ठीक सै बूआ""आपका नाम मीनू सै, या ...Read More
अरमान दुल्हन के - 6
अरमान दुल्हन के भाग-6दूसरी तरफ कविता की हालात भी अच्छी नहीं थी। वह भी ठीक से खाना नहीं खा थी और नींद भी आंखों से कोसों दूर थी।बिस्तर पर भी चैन नहीं पड़ रहा था।उठकर इधर उधर टहलने लगी। बार बार सरजू की बारे में ही ख्याल आ रहे थे। उसके बोले शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे।" मेरे गैल ब्याह करले तेरे सारे सुपने पूरे कर दयूंगा ।"बार बार वही शब्द कानों से टकरा रहे थे। उसने सहेलियों से सुना था कि जब हमें किसी से प्यार हो जाता है तो न नींद आती है और न भूख ...Read More
अरमान दुल्हन के - 7
अरमान दुल्हन के भाग 7"ए ढ़ेरली तैं कद आग्गी? किसकै गलै (साथ) आई थी?" बड़े भाई सुरेश ने घर प्रवेश करते ही कविता की चुटिया खींचते हुए पूछा।सुरेश कविता को प्यार से नित नये नाम से बुलाता था। दोनों बहन भाई जितना लड़ते थे उतना ही दोनों में प्यार भी प्रगाढ़ था। वह अपनी बहन पर जान छिड़कता था। बहन भी अपने भाई से हर बात शेयर कर लेती थी। वह नाइट ड्यूटी से लौटा था और कविता के बूआ के घर से लौटने से पहले ड्यूटी पर चला गया था।चुटिया खींचते ही कविता दर्द से कराह उठी।और उसे मारने ...Read More
अरमान दुल्हन के - 8
अरमान दुल्हन के भाग 8सरजू ने डरते डरते भाभी से कहा -"भाभी वा (वो)कविता सै नै( है ना) ?""कोण कविता ?""वा बूआ संतो की भतीजी""हां, फेर के(फिर क्या) था?""भाभी गुस्सा मत ना होईये। वा मन्नै घणी आच्छी लागै सै। मेरा ब्याह करवादे उसकी गैल(साथ) ।कसम तैं तेरे गुण कदे न्हीं भूलूँगा।""तैं मन्नै पिटवावैगा!!!""भाभी प्लीज़ ।"और भाभी के पांव पकड़ कर बूरी तरह से रोने लगता है। भाभी उसे चुप करवाती है और वादा करती है कि मैं कोशिश करूंगी।तुम्हारे भईया को आने दो उनसे बात करके देखती हूँ।शाम को सत्ते घर लौटता है तो सरजू की भाभी उन्हें खाना ...Read More
अरमान दुल्हन के - 9
अरमान दुल्हन के भाग 9सरजू को खबर मिलती है कि कविता के पापा रिश्ते के लिए मान गए हैं, सत्ते भाई से कहता है कि भाई तुम मां से बात कर लो । सत्ते की अपनी मामी के साथ कम बनती है। वह सरजू को कहता है कि मामी मेरी बात कभी नहीं मानेगी । लेकिन सरजू कहता है कि आप एक बार बात करके तो देखो।आखिरकार जिसका डर था वही हुआ।सत्ते अपनी मामी से रिश्ते का जिक्र करता है तो मामी गुस्से में बिफर पड़ती है।"आच्छया तैं करावैगा रिश्ता? तन्नै सोच किसतरां लेई अक(कि) मैं तेरा ल्याया होया ...Read More
अरमान दुल्हन के - 10
अरमान दुल्हन के भाग 10शादी की सभी रस्में निबटने के बाद कविता को पगफेरे की रस्म के लिए मायके जाना था।रज्जो कविता के लिए खाना ले आई और साथ खुद भी खाने लगी।बुआ ने कविता को समझाते हुए कहा- "ए सरजू की बहू सुण!या तेरी सासु कोनी इसनै मां ए समझिये, अर इसकी खूब सेवा करिए।"कविता ने हां में गर्दन हिलाई।"ढंग तैं रहवैगी तो ठीक सै, ना मैं तो न्यारे भांडे धरदयूंगी (अलग करना) इसके!"पार्वती ने एक झटके में ही बोल दिया था।कविता को अपनी सास से ये तो बिल्कुल अपेक्षा नहीं थी।रोटी उसके हलक में फंस सी गई। ...Read More
अरमान दुल्हन के - 11
अरमान दुल्हन के भाग 11रमेश ने सोचा कुछ लोगों का स्वभाव ही अकड़ वाला होता है ।शायद मौसी का भी ऐसा ही हो। कविता चाय बना लाई और रमेश से बातें करने लगी।शाम को खाना खाकर रमेश ने सोचा मौसी से थोड़ी बातचीत कर लूं और पूछ लेता हूँ कितने दिन बहन को भेजते हैं । वैसे तो सावन में एक महीना तो भेजेंगे ही। सावन में तो लड़कियां मायके में ही रहती हैं। सरजू, कविता, पार्वती और रमेश सभी बाहर आंगन में कुलर के आगे बैठे थे।"मौसी कविता नै कितणे दिन भेजोगे?" "मन्नै ना बेरा (मुझे नहीं पता) , ...Read More
अरमान दुल्हन के - 12
अरमान दुल्हन के भाग-12सुरेश पार्वती से कविता को ले जाने की इजाज़त मांगता है। पार्वती चाहती थी कि सरजू को भेज दे तो ठीक रहेगा। ताकि वह एक बार फिर सरजू और कविता पर ऊंगली उठा सके। मगर सरजू भी कोई ऐसा काम करना नहीं चाहता था जिससे मां को नाराज होने का मौका मिले। सरजू ने सुरेश से स्पष्ट कह दिया था । मैं मां की मर्जी के बिना कविता को जाने की इजाज़त नहीं दे सकता। अंतिम फैसला मां का या स्वयं कविता का होगा। मैं कविता को भी रूकने के लिए बाध्य नहीं करूंगा। पार्वती के लिए ...Read More
अरमान दुल्हन के - 13
अरमान दुल्हन के भाग 13कविता दस दिन बाद मायके से वापस लौटी। उसकी सबसे बड़ी ननद आई हुई थी। सास के चरण छूने के लिए झुकी।"रहणदे घणी संस्कारी बणननै, कोय जरूरत ना सै मेरै पैरां कै हाथ लगाण की।" सास ने गुस्सा दिखाते हुए फट पड़ी।"के होग्या मां !" सुशीला ने मां से प्रश्न किया।"बेटी दोनू आपणी ए मर्जी चलावै सै। वो तो था ए ईस्सा।या बी अपणी ए मर्जी तैं गाम जाण लागैगी।" पार्वती ने सुशीला को नमक मिर्च लगाकर बहुत सी गलतियां कविता की निकाल डाली। सुशीला भी भला बूरा सुनाने लगी। कविता कुछ कहना चाहती थी ...Read More
अरमान दुल्हन के - 14
अरमान दुल्हन के भाग-14सरजू एक सप्ताह बाद अलग कमरा लेकर कविता को ले आया। हालांकि सैलरी कम थी बहनों की शादी में बैंक से लॉन लिया था। बैंक की किस्त कट जाती और कमरे का किराया दे देते। जितने रुपये बचते थे उसमें राशन पानी आ जाता। समय समय पर चिकित्सक से भी परामर्श लेता रहता। कविता ने भी कम पैसे में घर चलाना सीख लिया था। जिस कोठी में कमरा लिया था वहां कोठी के पीछे खाली प्लॉट भी था। कविता ने मकान मालिक इजाजत लेकर वहां टमाटर, बैंगन और पुदीना लगा दिया था।ताकि सब्जियों के पैसे बचा ...Read More
अरमान दुल्हन के - 15
अरमान दुल्हन के भाग-15सुशीला उसका गला दबा रही थी ।दम घुटने लगा तो हड़बड़ाकर उठ बैठी।"ओह सुपना था, ओफ् इनतैं तो बचके रहणा पड़ैगा, कोय भरोसा ना सै इणका!उसने लंबी लंबी सांस लेकर अपने आपको तरोताजा करने का प्रयास किया। सिर दर्द से फट रहा था। तभी मकान मालिक के बच्चे खेलने आ गए।उनकी कविता के साथ खेलने की रूटीन बन चुकी थी।शाम को चार बजे करैम बोर्ड लेकर पहुंच जाते और सरजू के आते ही भाग जाते।आज कविता का खेलने का मूड नहीं था। "बच्चों आज मन नहीं है कल आना।""क्या हुआ आंटी? आप उदास क्यों हो? अंकल ने ...Read More
अरमान दुल्हन के - 16
अरमान दुल्हन के भाग 16सरजू अगले ही दिन कविता को मायके छोड़ आया और खुद गांव चला गया। पार्वती खूब हु हल्ला किया। "मां तैं चाहवै के सै (आप क्या चाहती हैं)? जी लेण दे हमनै! " सरजू फफक-फफक कर रो पड़ा था।"तेरै कुणबे आळे जीण ना देते मन्नै!न्यु कहवैं थे बेटा काढ़ (निकाल)दिया इसनै घर तैं। जिब ल्याई सूं (तब लेके आई हूँ)थम्मनै! अर उनै कित (उसको कहाँ)छोड़ आया?""उनै उणकै घरां छोड़ आया।" सरजू बे मुश्किल से बोल पाया था।"ठीक सै ओड़ै ए(वहीं) बिठाए राखिए उसनै!" पार्वती ने नाक- भौं सिकोड़कर कहा।"और के करदा (क्या करता) ? इस सुशी ...Read More
अरमान दुल्हन के - 17
अरमान दुल्हन के-17सरजू हैरान था अपनी मां की चालाकी से।"मां आप,...... आप इस तरियां न्ही कर सकती। कविता की बेबे हर होती फेर(कविता की जगह मेरी कोई बहन होती तो) बी तैं न्युए (आप ऐसा ही) करदी।" "ओये घणा ना बोलै, वा मेरी छोरियाँ की होड (बराबरी) करैगी!"सरजू बिन बोले ही उठकर चला आया और अपने फूफा जी को सारी बात बताई। फूफा जी ने जाकर पार्वती को बहुत सुनाया तब जाकर वह वापस आई।अब भी उसके दिमाग में प्लानिंग चल रही थी। कविता से मीठा मीठा बोलती और सरजू के साथ भी बढिया व्यवहार करने लगी थी।एक दिन ...Read More
अरमान दुल्हन के - 18
अरमान दुल्हन के-18समय बीतता जा रहा था और दूसरी तरफ सास का प्यार भी बढ़ता जा रहा था। कविता आठवां मास लग चुका था। उसे अब काम करने में भी परेशानी होने लगी थी। मगर फिर भी सासू मां नाराज न हो जाये इसलिए लगी रहती।और फिर एक दिन सुशीला आ धमकी। कविता का जरा भी मन नहीं था सुशीला से बात करने का। मगर सासु मां की खातिर उसे सुशीला की आवभगत करनी पड़ी। उस दिन सरजू की बूआ भी आ गई थी। सुशीला मौका तलाश रही थी लड़ने का।और वह मौका जल्द ही मिल गया। कविता ने ...Read More
अरमान दुल्हन के - 19
अरमान दुल्हन के 19"पापा मैं आपकै साथ चालूंगी। " कह कर जोर जोर से रोने लगी।" ए के होया हुआ) बेटी!क्यातैं (क्यों )रोई?" सुखीराम ने चिंतित होते हुए पूछा।"पापा के( क्या) बताऊँ थमनै ईब्ब (आपको अब) , के के (क्या क्या) न्हीं होया इस घरमै मेरै साथ। मेरी सासु घणी कळिहारी (परेशान करने वाली) सै। अर मेरी नणद वा सुशीला उसनै तो मेरी घेटी( गला) ए पकड़ ली थी।" कविता ने सारा वृतांत कह सुनाया। सुखी राम का गुस्सा सातवें आसमान पर था। पहले सरजू के ताऊ से बात करना बेहतर समझा। ताऊ ने साफ शब्दों में कह दिया।"देख ...Read More
अरमान दुल्हन के - 20
अरमान दुल्हन के 20इधर सरजू घर आया, इधर -उधर नजर दौड़ाई।कविता कहीं नजर न आई। आखिर मां से पूछ लिया - "मां कविता कोन्या दिखी! कित्त सै ( कहाँ है)? " वा गई आपकै घरां । न्यु कह थी(ऐसे कह रही थी) अक (कि)तलाक ल्यूंगी।" "मां तन्नै फेर किम्मे (कुछ) कही होग्गी कविता तईं (से) । न्यु तो ना जा वा(ऐसे तो नहीं जाती वो)। किम्मे नै किम्मे बात तो जरूर सै?" सरजू को मां पर शक होने लगा था । मां ने बहुत सफाई से सरजू को अपने जाल में फांसने की कोशिश की। ...Read More
अरमान दुल्हन के - 21
अरमान दुल्हन के सरजू को पत्र मिलता है। वह पुरी तन्मयता से पढ़ता है। उसका दिल और दिमाग करना बंद कर देते हैं। इस धोखेबाज दुनिया में किस पर यकीन करूँ? मां सही है या मीनू? हे ईश्वर मुझे रास्ता दिखा। क्या करूँ? वह असमंजस में अपने सिर को खुजलाता है। वह पछताता है कि मीनू से बात सुननी चाहिए थी मुझे? तभी ऑफिस का चपरासी आता है और कहता है"बाबूजी आपका फोन है।" "मीनू का फोन हो सकता है ! चलो उससे माफी मांग लूंगा। " सरजू सोचते हुए फोन की तरफ लपकता है। दूसरी तरफ कविता के भाई ने ...Read More