बस नमक ज़्यादा हो गया प्रदीप श्रीवास्तव भाग 1 उसके पेरेंट्स कभी नहीं चाहते थे कि वह स्कूल-कॉलेज या कहीं भी खेल में हिस्सा ले। लेकिन वह हिस्सा लेती, अच्छा परफॉर्म करके ट्रॉफी भी जीतती। और मां-बाप बधाई, आशीर्वाद देने के बजाय मुंह फुला कर बैठ जाते थे। कॉलेज पहुंची तो यह धमकी भी मिली कि पढ़ना हो तो ही कॉलेज जाओ, खेलना-कूदना हो तो घर पर ही बैठो। लेकिन वह कॉलेज में चुपचाप पढ़ती और खेलती भी रही। धमकी ज़्यादा मिली तो उसने भी मां से कह दिया कि, ‘कहो तो घर में रहूं या छोड़ दूं। दुनिया खेल
Full Novel
बस नमक ज़्यादा हो गया - 1
बस नमक ज़्यादा हो गया प्रदीप श्रीवास्तव भाग 1 उसके पेरेंट्स कभी नहीं चाहते थे कि वह स्कूल-कॉलेज या भी खेल में हिस्सा ले। लेकिन वह हिस्सा लेती, अच्छा परफॉर्म करके ट्रॉफी भी जीतती। और मां-बाप बधाई, आशीर्वाद देने के बजाय मुंह फुला कर बैठ जाते थे। कॉलेज पहुंची तो यह धमकी भी मिली कि पढ़ना हो तो ही कॉलेज जाओ, खेलना-कूदना हो तो घर पर ही बैठो। लेकिन वह कॉलेज में चुपचाप पढ़ती और खेलती भी रही। धमकी ज़्यादा मिली तो उसने भी मां से कह दिया कि, ‘कहो तो घर में रहूं या छोड़ दूं। दुनिया खेल ...Read More
बस नमक ज़्यादा हो गया - 2
बस नमक ज़्यादा हो गया प्रदीप श्रीवास्तव भाग 2 ऑरिषा ने सोचा घर पर यह बात अम्मा को पापा तो अच्छा होगा। देखते हैं वह खुश होती हैं, बधाई देती हैं, आशीर्वाद देती हैं या फिर पापा के ही पीछे-पीछे चलती हैं। लेकिन उसे घर पर बड़ी निराशा हाथ लगी। पापा ने इस बारे में कोई बात करना तो छोड़ो, वह इस तरह विहैव करते रहे, चाय-नाश्ता, खाना-पीना, टीवी देखने में व्यस्त रहे जैसे कि वह उसे लेने गए ही नहीं थे। वह उनके साथ आई ही नहीं। उन्हें कोच ने कुछ बताया ही नहीं उसे भी गुस्सा आ ...Read More
बस नमक ज़्यादा हो गया - 3
बस नमक ज़्यादा हो गया - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 थाने की हर महिला एम्प्लॉई को वह अपनी रखैल था। सबको उसने कोई ना कोई नाम दे रखा था। ऑरिषा को वह उसके गोरे रंग के कारण चुनौटी कहता था। हर समय लिमिट क्रॉस करने का प्रयास करता था। एक बार फिर से वह कॉलेज और प्रशिक्षण सेंटर की तरह यहां भी सभी लेडीज स्टॉफ की सिक्युरिटी सील्ड बन गई। इंस्पेक्टर उससे दोस्तों की तरह बात करता था। हंसी-मजाक के बहाने कभी-कभी बहुत ही आगे बढ़ने का प्रयास करता था। कहता, ‘तू मेरी चुनौटी, मैं तेरा सुर्ती, दोनों को ...Read More
बस नमक ज़्यादा हो गया - 4 - अंतिम भाग
बस नमक ज़्यादा हो गया - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 4 सादगी से शादी करने के उसके लाख आग्रह के उसके मां-बाप बड़े धूमधाम से शादी कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए थे। एक शानदार गेस्ट हाउस में शानदार सजावट, बारातियों के स्वागत की तैयारियां की थीं, और उसको यह सब बेवजह का तमाशा लग रहा था। होने वाले हस्बैंड से उसकी एंगेजमेंट के बाद से ही बात होती रहती थी। वह भी उसी के मूड का था। लेकिन उसका मानना था कि पेरेंट्स को उनके मन की करने देना चाहिए। हमें बीच में रुकावट नहीं बनना चाहिए। ...Read More