जननम भयंकर तूफान और घोर वर्षा में एक नदी में पूरी भरी हुई बस किसी गांव में बह जाती है। पर बस कहां की थी कहां से आई थी कहां जा रही थी कुछ भी पता नहीं चला। बस का बोर्ड भी नहीं मिला पता लगाते तो कैसे। कोशिश तो बहुत हुई पर पता ना लगा। किस एक्सीडेंट के 2 दिन बाद एक 20 बार 22 साल की युवा लड़की बेहोश नदी के किनारे मिली। गांव में एक बड़ा अस्पताल था उसको एक युवा डॉक्टर चला रहे थे। यह तन मन धन से ग्रामीणों की सेवा कर रहे थे। जब उनके
Full Novel
जननम - 1
जननम भयंकर तूफान और घोर वर्षा में एक नदी में पूरी भरी हुई बस किसी गांव में बह जाती पर बस कहां की थी कहां से आई थी कहां जा रही थी कुछ भी पता नहीं चला। बस का बोर्ड भी नहीं मिला पता लगाते तो कैसे। कोशिश तो बहुत हुई पर पता ना लगा। किस एक्सीडेंट के 2 दिन बाद एक 20 बार 22 साल की युवा लड़की बेहोश नदी के किनारे मिली। गांव में एक बड़ा अस्पताल था उसको एक युवा डॉक्टर चला रहे थे। यह तन मन धन से ग्रामीणों की सेवा कर रहे थे। जब उनके ...Read More
जननम - 2
जननम अध्याय 2 "हेलो !" वह धीरे से बोला। उडती सी उसने निगाह उस पर डाली फिर असमंजस में देखा। निर्दोष निग़ाहों से उसने देखा। फिर उसने चारों तरफ नजरें घुमाई। जया के ऊपर, फिर दीवार पर, खिड़कियों पर, बाहर दिखाई दे रही पेड़ों पर सब पर उसकी निगाहें चलती रही। वाह क्या आँखें हैं ! सफेद समुद्र में काले नीले रंग की मणि जैसे. …. इसे तमिल मालूम होगा ऐसा सोच उसने उससे पूछा। "आप कैसी हैं ?" उसका असमंजस ज्यादा हो गया ऐसा लगा। "क्या ?" "आप अब कैसी हैं ?" उसने उसे संशय से देखा। अजीब ...Read More
जननम - 3
जननम अध्याय 3 उन लोगों के अंदर घुसते ही उसने दरवाजे को बंद कर दिया। दीवार को देखते हुए लड़की लेटी हुई थी। "लावण्या !" धीरे से बोला आनंद। वह तुरंत पलटी। धर्मराजन और निर्मला आश्चर्य से उसे देखने लगे। "मैंने रखा है यह नाम" कहकर आनंद धीरे से हंसा। "लावण्या... यह हैं इस्पेक्टर धर्मराजन। आपसे कुछ प्रश्न पूछने आए हैं।" फिर से उसकी आंखें भर आई थोड़े डर और असमंजस में भी दिखी। "मैं क्या बोल सकती हूं ?" "कोशिश करिए।" धर्मराजन धीमी आवाज में बोले; "आप अच्छी तरह सोच कर जो याद आए वह बताइए। किसजगह से ...Read More
जननम - 4
जननम अध्याय 4 उसने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा। कोई आपको ढूंढने नहीं भी आए तो आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं। वह अंग्रेजी में बोला। पिछला समय याद नहीं है सोच कर फिक्र करने के बदले आने वाले समय में आपको क्या करना है उसके बारे में सोचिए। आपके लिए हम सब मदद करने लिए तैयार हैं। वह कुछ ना बोल कर दूर कहीं देखती हुई लेटी रही। लोग नए हैं गांव को नहीं जानती आप..... वह हंसी। मेरे लिए तो यह संसार ही नया है ? देट्स राइट वह बोला, हंसते हुए इसीलिए तो आप ...Read More
जननम - 5
जननम अध्याय 5 आनंद को उन्हें सहलाने की भावना तीव्रता से उठी। उनके हाथ को पकड़ कर हाथ हिलाने इच्छा हुई कि बहुत धन्यवाद बोले ऐसा लगा। वह लावण्या को देखकर एक मुस्कान दिखाकर और लोगों के साथ बाहर आ गया। मुझे बहुत दुख हो रहा है मिस्टर वेदनायकम ! ऐसा राजशेखर गंभीर मुद्रा में बोल रहे थे आप की भांजी जिंदा होगी इस विश्वास के साथ आप यहाँ आए थे.... अब वेदनायकम के प्रश्नों का जवाब देना दुख बढ़ाना ही है। उनके दुख का समाधान बोलना राज्य की ही जिम्मेदारी है ऐसा सोच कर उन दोनों को बाहर ...Read More
जननम - 6
जननम अध्याय 6 उसकी वजह से ही मेरे मन में एक संतुष्टी है ऐसा वह सोचती है। यदि इसकी नहीं होती तो अभी तक मैं पागल हो गई होती। कितने ही तरीके से उसने उसका समाधान किया ! उससे बड़ा सच्चा दोस्त कौन मिलेगा ? अस्पताल में रहते समय निर्मला और जया उस पर पागल जैसे छाई हुई रहती थीं इस बात को वह समझ गई। इससे जो लोग इसके बहुत निकट से रहते हैं उनका उससे संबंध तो नहीं हो जाएगा उसे ऐसा लगा था। फिर मन में एक धक्का सा लगा । मैंने इतनी जल्दी से ऐसा ...Read More
जननम - 7
जननम अध्याय 7 सब लोगों से अपने को छुड़वा कर कार से घर की ओर रवाना हुआ। हिंदी में तरह बात करना जानती है, वह उत्तर भारत के इलाके में पली-बड़ी होगी। यहां कहां आकर फंस गई ? उसके अंदर एक नया संदेह पैदा हुआ। उत्तर भारत के पेपर में भी इसके बारे में जानकारी देनी चाहिए थी ऐसा उसे लग रहा था। बहुत देर सोचने के बाद उसने अपने आप ही समाधान किया। वह कहीं से भी आई हो उसके घरवालों को वह नहीं मिली तो जरूर पूछताछ की होगी और उसे ढूंढा होगा ऐसा उसे लगा। हिंदू ...Read More
जननम - 8
जननम अध्याय 8 "आपके रहने से इस गांव को कैसा कष्ट ? मैं बार-बार कहता हूं लावण्या....! मरगथम, आज कौन आया था ?" "वह शोक्कलिंगम साहब आए थे।" आनंद का चेहरा एकदम लाल हो गया। 'दी ब्लडी रोग..…इस उमर में चुपचाप हे राम न कहकर ठहर.... मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।" "लावण्या ! यहां उससे क्या बात हुई ?" "ओह ! क्यों डॉक्टर यह सब ?" "मुझे सब मालूम होना ही चाहिए !" "इन सब बातों को दोहराने के बदले मेरा इस गांव से निकल कर जाना ही ठीक है लगता है।" उसे तेज गुस्सा आया। 'छी ! इस लड़की को विश्वास ...Read More
जननम - 9
जननम अध्याय 9 'लावण्या के बारे में क्या सोचती हो'ऐसा अम्मा से पूछने के लिए उसका मन हो रहा मां मुंह बंद करके बैठी रही। "अम्मा क्या सोच रही हो ?" उसने पूछा तो मंगलम धीरे से मुड़ कर उसे देख हंसी। "सब कुछ जैसे अविश्वसनीय कहानी जैसा है।" वह क्या वह पूछ ना सका । "उस लड़की का यहां आना पुरानी बातों को भूल जाना...." तुम्हारे मन को बदल देना ऐसे अम्मा ने नहीं कहा-परंतु सोचा होगा ऐसा लगता है। "कहानी सब सच की ही तो छाया होती है ? फिर सच और भी दिलचस्पी वाला नहीं होगा ...Read More
जननम - 10
जननम अध्याय 10 आनंद ने कुछ सोचते हुए पत्र को बंद किया। इस पत्र ने जो सदमा दिया है बाहर निकलना नहीं हो सकता उसे लगा। ऐसा एक सदमा ! अचानक ऊपर से एक नक्षत्र सिर के ऊपर गिरा जैसे ! अभी तक मैं थोड़ा पागलपन में भटक गया उसके समझ में आया। उसकी शादी हो गई हो सकता है मुझे यह बात क्यों नहीं समझ में आई ? शादी होने के कोई भी तो पारंपरिक चिन्ह उसके ना होने के कारण एक अज्ञानता में रह गया ? नदी के बाढ़ में उसका मंगलसूत्र गिर गया होगा। शायद किसी ने ...Read More
जननम - 11
जननम अध्याय 11 गुणों में कोई अंतर ही न हो तो जोड़ी बन सकती है क्या ? जहां तक पता है उमा में कोई भी कमी नहीं थी। बिना बोले अचानक गायब होने लायक कोई भी कमी मैंने भी नहीं रखी...... "रघु......!" जल्दी से वह अपने स्वयं की स्थिति में आया। कमरे के दरवाजे पर उसका दोस्त खड़ा था। "क्या है ?" "खाना खाने आ रहे हो क्या ?" "भूख नहीं है संपत......" संपत के नजर में एक सपना दिखाई दिया। "यह देखो रघु इतने दिनों इस तरह ठीक से खाना खाए बिना सोए रहोगे ? हमसे जितना बना ...Read More
जननम - 12
जननम अध्याय 12 श्री सभानायकम पहले से एक जानकार थे। किसी काम से उन्हें देखने आए। बातों ही बातों संपत ने उनसे पूछा "गांव में सब ठीक हैं ?" "अरे ऐसा क्यों पूछ रहे हो ! एक बड़ी दुर्घटना में हमारा पूरा परिवार ही चला गया !" "क्या... क्या बोले !" "हमारी बड़ी बहन, उसका पति उसकी बेटी सभी बस में गए थे वे सब दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गए।" "अरे ईश्वरा ! कब हुआ ?" "हुए चार महीना हो गया। उसमें खास बात यह है हमारे पास समाचार आने में भी चार दिन लग गए। मेरे भाई के गांव ...Read More
जननम - 13
जननम अध्याय 13 शोक्कलिंगम को 'सेरीब्रेल हेमरेज' हो गया उसने निश्चय किया। इसके अलावा भी उनको अनेकों बीमारियां हैं। वे छूट जाए ये बहुत मुश्किल की बात नजर आती है। नियंत्रण में रहकर 100 साल जीने के बदले सब कुछ भोग कर 65 साल में मर जाना ठीक मानते हैं......" उनके इस अनुभव ने सिर्फ उन्हीं को नहीं प्रभावित किया परंतु उनके आंख बंद करने से औरों को कितनी समस्या होगी उन्होंने नहीं सोचा। उन्होंने जो कड़वाहट पैदा की उसी के फलस्वरूप कडवाहट में उनका लड़का है | उसकी इच्छाएं, उसका जीवन, उसका कार्यक्रम सब कुछ इस कड़वाहट के ...Read More
जननम - 14
जननम अध्याय 14 रघुपति के पास से पत्र आया, और दो दिन में आ जाऊंगा। मुंबई से चेन्नई हवाई से आकर वहां से बस के द्वारा गुरुवार के दिन बाईस तारीख को आऊंगा ऐसा लिखा था। आज मंगलवार है- बीस तारीख और दो दिन हैं। अभी से उसके मन में एक खालीपन है ऐसा लगा। कहीं से कुछ निकल कर बाहर आ गया जैसे...... मुंबई के हवाई अड्डे पर रघुपति बहुत ही उत्साहित दिखा। संपत और कमला उसके साथ ही थे। "शादी की फोटो ले लिया साथ में ?" संपत ने पूछा। "ओ यस, भूला नहीं " वह विमान में ...Read More
जननम - 15
जननम अध्याय 15 वह अचानक रुक गया। पीपल का पेड़ दिखा। बहुत विशाल पेड़-उसके बाद बड़े बोर्ड पर मुंसिपल का नाम दिखाई दिया। पीपल के पेड़ के नीचे इधर देखते हुए कौन खड़ी है ? उमा ! उसका ह्रदय तेजी से धड़कने लगा। यह उमा ही है। यह उमा ही है। चार महीने से जिसके ना मिलने से वह परेशान था वही उमा। पहले से ज्यादा सुंदर, पहले से ज्यादा स्वस्थ्य, गालों में एक चमक के साथ... उसका गला बंद सा हुआ । शब्द निकलने में कठिनाई हुई | वह तुरंत मुड़कर देखी, उसने उसको गेट के सरिये पकड़कर खड़े ...Read More
जननम - 16 - अंतिम भाग
जननम अध्याय 16 वह उसके सामने आराम से बैठी हुई थी। बड़े सहज रूप से मुस्कुरा रही थी। कितनी तरह से मुस्कुराती है ! कितनी सुंदर! कितनी सौम्य । इस सौम्यता पर सिर्फ मेरा अधिकार है ऐसा सोचकर कितनी बार मैं बहुत खुश हुआ करता था। मुझे इस बात का कितना गर्व था। अभी कानून के अनुसार वह मेरी पत्नी है। इस को साबित करना पड़ेगा इसके पास मेरे साथ आने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है यह बात इसे महसूस करानी पड़ेगी। आनंद के साथ आप पढ़े हुए हो क्या ? ऊंम ? हां ! फिर, आप ...Read More