, बचपन के आँसूमैं आठ वर्ष की थी जब मेरे बाबा बीमार पड़ गए वे काम नहीं काम कर पाते थे ।क्योंकि वह चल नही पाते थे। और में भी काम नहीं कर पाती थी क्योंकि मैं तो बहुत छोटी थी। सिर्फ आठ वर्ष की ।। मैं हूँ ‘’ वंदना ”हूँ। मेरे बाबा कहते है जब मैं पैदा भी नहीं हुई थी ।उससे पहले से ही मेरी माँ ने मेरा नाम सोच कर रखा हुआ था। मेरी माँ तो मुझसे मेरे जन्म से ही दूर हो गई। इस बात की मैं जिम्मेदार ऐसा लोग कहते है। में बहुत बड़ी कलमुंही हूँ।
Full Novel
प्रेम - दर्द की खाई (भाग -1)
, बचपन के आँसूमैं आठ वर्ष की थी जब मेरे बाबा बीमार पड़ गए वे काम नहीं काम कर पाते थे ।क्योंकि वह चल नही पाते थे। और में भी काम नहीं कर पाती थी क्योंकि मैं तो बहुत छोटी थी। सिर्फ आठ वर्ष की ।। मैं हूँ ‘’ वंदना ”हूँ। मेरे बाबा कहते है जब मैं पैदा भी नहीं हुई थी ।उससे पहले से ही मेरी माँ ने मेरा नाम सोच कर रखा हुआ था। मेरी माँ तो मुझसे मेरे जन्म से ही दूर हो गई। इस बात की मैं जिम्मेदार ऐसा लोग कहते है। में बहुत बड़ी कलमुंही हूँ। ...Read More
प्रेम - दर्द की खाई (भाग-2)
दसवीं की सहेलीपापा मुझे पढ़ाने के लिए बहुत परेशानी से गुजर रहे है। मेरी कोशिश सिर्फ यही कि मैं अपने पापा की मेहनत को व्यर्थ न जाने दूँ। आज मेरी जिंदगी ने मुझे कुछ ऐसा प्रदान किया है। जो मुझे पूरा करता है। मेरी बहुत सी सहेलियां बनी मगर उनके साथ मेरी मित्रता कुछ समय तक ही रही। पता नहीं ऐसा क्यों होता था। मेरी जो भी मित्र बनते वो कुछ समय के लिए मुझमें रुचि लेते और फिर उनकी रुचि कम होने लगती। मैं बहुत अकेली महसूस करती थी। मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ जब भी ...Read More
प्रेम - दर्द की खाई (अध्याय 3)
वैसे तो मैंने हिमानी के साथ ही कालेज के सपने देखे थे। मगर मुझे क्या पता था। मेरी प्यारी मुझसे दूर हो जाएगी। हिमानी को खोने के बाद मुझे एहसास हुआ। जब कोई अपना दूर होता है तो कैसे लगता है । तीन साल बीत चुके है उस हादसे को। मगर हिमानी की यादें आज भी वैसी ही है। यादों को रोकना किसी भी इंसान के हाथ में नही है। अगर ऐसा सम्भव होता तो कोई भी इंसान पीड़ित न होता। मेरी पढ़ाई ही अब मेरा आखिर सपना है। पापा ने मुझे पढ़ाने के लिए बहुत तकलीफ सहन की ...Read More
प्रेम - दर्द की खाई ( भाग -4)
माँ की यादें वंदना को अपनी ज़िंदगी में खुश थी ।वो अपनी छोटी सी दुनिया आने पापा के खुश रहा करती थी कालेज की कुछ बातें भी वो अपने पापा आए बता दिया करती थी। कुछ दिनों से उसके पापा उदास थे। वंदना से बात से बात करते मगर वो चाहकर कर भी वंदना से अपने चेहरे की उदासी छुपा नहीं पाए। वंदना को उनकी ये उदासी अब नज़र आने लगी थी। एक दिन वंदना ने पापा से इस उदासी की वजह पूछनी चाही मगर ।वो पूछ ना पाई। कुछ दिन और बीत गए। अब तो जैसे वंदना से बर्दाश्त ...Read More
प्रेम - दर्द की खाई (भाग- 5,6,7,8,9)
5. दर्द की खाईमम्मी पापा ने रणवीर को अमेरिका (USA) भेज दिया। मगर रणवीर की जिंदगी जाकर ठीक होगी या नहीं इस बात का कोई गारंटी नहीं थी। मामा जी के घर जाने के बाद उसने एक दिन तो अच्छे से गुजारा ,दूसरा दिन उसने मैखाने में ही गुजारा ।प्यार से छुटकारा पाना अगर इतना आसान होता तो लोग आत्महत्या करना जरूरी नहीं समझते। रणवीर के पापा ने मामा जी के पास फ़ोन लगाया । हेलो, कैसे हो प्रेम। ठीक है जीजा जी । रणवीर पहुँच गया । सही सलामत आप फिक्र न ...Read More