आधा आदमी

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आधा आदमी राजेश मलिक अध्‍याय-1 नंगी राजनीति: चिथड़ी सड़कें और बज़बज़ाती गलियां ज्ञानदीप ने दरवाजा खोला तो सामने लल्ला खड़ा था। ‘‘आइये ज़नाब, आज इधर का रास्ता कैसे भूल पड़े?‘‘ ‘‘क्या करुँ, जा रहा था पानी टंकी़ गलती से मेरी बाइ़क तेरे दरवाज़े की तरफ़ मुड़ गई.” लल्ला कुर्सी खींच कर बैठ गया। “साले, गलती से मुड़ गई अभी बताता हूँ“ ज्ञानदीप ने उसका कान पकड़ लिया। ‘‘ अच्छा बाबा, भूल हो गई अब तो छोड़ दें.‘‘ ‘‘ अब दोबारा ऐसी गुस्ताख़ी मत करना.‘‘ ‘‘ नहीं होगी मेरी जान.‘‘ ‘‘ अब उठ, बहुत हो गई तेरी नौटंकी ले चाय पी.‘‘

Full Novel

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आधा आदमी - 1

आधा आदमी राजेश मलिक अध्‍याय-1 नंगी राजनीति: चिथड़ी सड़कें और बज़बज़ाती गलियां ज्ञानदीप ने दरवाजा खोला तो सामने लल्ला था। ‘‘आइये ज़नाब, आज इधर का रास्ता कैसे भूल पड़े?‘‘ ‘‘क्या करुँ, जा रहा था पानी टंकी़ गलती से मेरी बाइ़क तेरे दरवाज़े की तरफ़ मुड़ गई.” लल्ला कुर्सी खींच कर बैठ गया। “साले, गलती से मुड़ गई अभी बताता हूँ“ ज्ञानदीप ने उसका कान पकड़ लिया। ‘‘ अच्छा बाबा, भूल हो गई अब तो छोड़ दें.‘‘ ‘‘ अब दोबारा ऐसी गुस्ताख़ी मत करना.‘‘ ‘‘ नहीं होगी मेरी जान.‘‘ ‘‘ अब उठ, बहुत हो गई तेरी नौटंकी ले चाय पी.‘‘ ...Read More

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आधा आदमी - 2

आधा आदमी अध्‍याय-2 अभव कहित हय सुधर जाव.‘‘ कुल्ली ने हाथ हिला कर कहा। ‘‘अरी जा पहिले अपनी सोच, आई हैं भविष्यवाणी माता बन के.‘‘ ‘‘अरी ऐ करमजलियों, ई डिग्गी (ढोलक) काहे बंद कर दी.‘‘ दीपिकामाई की आवाज़ हाल में गूँजी। यह सुनते ही कुल्ली ढोलक बजाने लगी। एक बार फिर बेसुरा संगीत छिड़ गया। दीपिकामाई ऊँचे से आसन पर आसीन थी। उनके चेहरे पर गाढ़ी मेकअप थी। पतली-पतली भौंहे काजल से बनी थीं। बालों पर डाई ऐसी जैसे किसी ने काले रंग से पेंट कर दिया हो। कान, नाक, गला, कलाईयां, उंगलियाँ सोने से चमक रही थी। अपनी ...Read More

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आधा आदमी - 3

आधा आदमी अध्‍याय-3 और याद आते ही बोली, ‘‘तुम लोगों ने झमकना (नाचना) क्यों बंद कर दिया। उठो और हो जाओं‘‘ सानिया और साहिबा एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नाचने लगी। दीपिकामाई बडी़ स्टाइल में गाने लगी- एक कहै मैं सोडा पीऊ एक कहै मैं लेमन पीऊ ज्ञानदीप बड़ी बारीकी से उनके किया-कलापों और हाव-भाव को देख रहा था। दीपिकामाई के कहते ही करिश्मा उठी और कमर पर दुपटटा बाँधकर नाचने लगी। लल्ली अम्मा के साथ-साथ सभी गाने लगी- अरी मैं तो ओढ़ चुनरिया जाऊगी मेले में ओ जी, मोरे बाँके सँवरिया मिलियो अकेले में।। अरी मैं तो........ मोटर गाड़ी ...Read More

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आधा आदमी - 4

आधा आदमी अध्‍याय-4 सिकंदर महान, ब्रिटिश गायक जार्ज माइकल, रॉक संगीतकार टाम राबिंसन, फैशन डिजाइनर जियानी बेरसास, अमेरिकी कवि मैन और जाने कितनी जानी मानी हस्तियों के समलैंगिक संबंध रहे.‘‘ वरूण का सेलफोन बजते ही उसने थोडी देर में पहुँचने का वादा किया। एक एक करके उन सबने ज्ञानदीप से इज़ाज़त ली। उन सबके जाते ही ज्ञानदीप के ज़हन में कई सवाल मचलने लगे, ‘क्यों न समलैंगिकता पर ही कुछ लिखूँ? तभी उसे याद आया कि इस मैटर पर 1924 में बेचन शर्मा ने ‘चॉकलेट‘ कहानी लिखी थी। और इस्मत चुग़ताई की कहानी ‘लिहाफ‘ भी थी। उसने इस सबजेक्ट ...Read More

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आधा आदमी - 5

आधा आदमी अध्‍याय-5 ज्ञानदीप उसे इस हालत में देख कर पीठ घुमाकर खड़ा हो गया। साहिबा को आभास हुआ कोई बरामदे में है। उसने पलटकर देखा, तो उसकी शंका सही थी। वह तेजी से कमरे की तरफ़ भागी। साहिबा को लिंग रहित देख कर ज्ञानदीप की चेतना के एक-एक तार हिल गए। पहली बार उसने किसी हिजड़े को निर्वस्त्र देखा था। वह लिंग जिससे संसार की उपज हुई। सल्तनत की सल्तनत तबाह हो गई। उसी लिंग का हिजडे़ समाज में कोई महत्व नहीं हैं? यह कैसा रहस्यमय समाज हैं? जहाँ हिजड़ा बनने के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती ...Read More

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आधा आदमी - 6

आधा आदमी अध्‍याय-6 ‘‘जो मज़ा हमरे में हय वे औरत में नाय.‘‘ ‘‘सही कह रही हव मेरी जान, अब जरा से तुमरी जलेबी का रस लई ली.‘‘ कहकर चाँद बाबू धीरे-धीरे पायल की गुदा को चाटने लगा। ‘‘अरी सो गई का? बाहर आ कर देख धोबी का टेपका (लड़का) आवा हय शस्त्रे (कपड़े) ले के. ‘‘ दीपिकामाई ने आवाज़ लगायी। ‘‘आई मइया.‘‘ पायल ने सलवार पहनते कहा। चाँदबाबू को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके मुँह से निवाला छीन लिया हो। वह गुस्से का घूँट पीकर रह गया। उसके भीतर का तूफान अब भी बाहर निकलने को मचल रहा ...Read More

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आधा आदमी - 7

आधा आदमी अध्‍याय-7 ‘‘अरी नंगी जय्यहें तो जादा भीड़ लगयहे, हिजड़ों को नंगी देखने की तमन्ना सबकी छाती में लेती हय। चलो-चलो निकलो री बच्चा जब बुढ़ा होई जइयहें तब पहुँचोगी का?‘‘ वे सब सलाम करती हुई चली गई। बिजली जनानी रिक्शे से आयी। वह तहमत और जॉकेट पहने थी। उसके साथ पाँच साल की लड़की थी। ड्राइवर ने शोभा से कुर्सी लाने को कहा। मगर वह हाथ धोने में मस्त थी। जबकि ड्राइवर बार-बार उससे कुर्सी लाने को कह रहा था। बिजली बैसाखी के सहारे खड़ी तो थी। मगर नशे में धुत थी। उसकी तिरछी निगाहें शोभा पर ...Read More

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आधा आदमी - 8

आधा आदमी अध्‍याय-8 ज्ञानदीप आगे की लाइनें पढ़ पाता कि दरवाजें पर दस्तक हुई। लगा जैसे खाने के बीच आ गया हो। उसने पन्ने उठाकर एक तरफ रखा और दरवाजा खोला। सामने अली खड़ा था। ‘‘भैंया, जल्दी चलिये अम्मी को दौरा पड़ा हैं.‘‘ अली हाँफता हुआ बोला। ज्ञानदीप दरवाजा बंद करके उसके साथ चला गया। लगभग तीन घँटे बाद ज्ञानदीप वापस आया। उसका चेहरा ऐसे पीला पड़ गया जैसे किसी ने उसके ज़िस्म से खून की एक-एक बूंद निचोड़ ली हो। कई सवाल उसके ज़ेहन में चुभ रहे थे, ‘गरीबी भी इंसान के लिए एक सज़ा ही हैं। जिसे ...Read More

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आधा आदमी - 9

आधा आदमी अध्‍याय-9 ज्ञानदीप का सेलफोन बजा। उसने कान से लगाकर हैलो कहा। फिर जी-जी करता बोला, ‘‘नहीं सर, कोई पत्रिका नहीं मिली। अगर मिली ही होती तो मैं पत्र के जरिये आप से क्यों पूछता? वैसे भी डाक व्यवस्था बहुत खराब हैं। मजबूरी में मुझे कोरियर करना पड़ता हैं। अगर आप दोबारा पत्रिका भेज देंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी.‘‘ ज्ञानदीप ने सेलफोन रख दिया। जबकि ज्ञानदीप ने कई बार पोस्टमैन से इस बात को लेकर चर्चा की थी, पर उसने यह कहकर अपनी बात खारिज़ कर दी, ‘‘बताइए मैं क्या करूँ? मुझे एक साथ कई एरियों के खत ...Read More

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आधा आदमी - 10

आधा आदमी अध्‍याय-10 दीपिकामाई की कहानी बीच मंझधार में आकर रूक गई। उन्होंने जो पन्नें दिए थे वह ज्ञानदीप पढ़ लिए। आगे दीपिकामाई के साथ क्या हुआ? यह उत्सुकता उसके ज़ेहन में एक जासूसी नॉवेल की तरह बनी थी। काश! वह भी महाभारत के संजय की तरह देख पाता कि आगे क्या हुआ। ज्ञानदीप, दीपिकामाई को लेकर बेहद चिन्तित था। इसी उधेड़ बुन में उसे यह भी याद नहीं रहा कि उसे टयूशन पढ़ाने जाना हैं। ज्ञानदीप सारी रात करवटें लेता रहा। चन्द्रमुखी छज्जे पै खड़ी सूरज की आँख खुलते ही कोहरे का वर्चस्व खत्म हो गया। धूप की ...Read More

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आधा आदमी - 11

आधा आदमी अध्‍याय-11 वह मुझे छोड़कर सन्नो को पीटने लगा। मैं मौका पाते ही पहरे के झुण्ड में घुस चाँदनी रात होने के कारण मुझे पहरे के अंदर से दिखाई पड़ रहा था। सन्नो जमीन पर औधे मुँह पड़ी सिसक रही थी। वह भीम जैसा आदमी उसे मारते खींच ले गया। मैं चाहकर भी उसे बचा न पाया। सुबह होने से पहले ही मैं पहरे से बाहर आ गया। और मर्दाना कपड़ा पहन कर, पैदल ही चल पड़ा। लगभग बीस किलोमीटर चलने के बाद मेरे पैरों में सूजन आ गया था। मेरी हिम्मत जवाब देने लगी थी। प्यास के ...Read More

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आधा आदमी - 12

आधा आदमी अध्‍याय-12 ज्ञानदीप पढ़ते-पढ़ते सो गया। जैसे कभी ओबामा पढ़ते-पढ़ते सो जाते थे। जैसे बर्नाड शा, मदर टेरेसा, देव, इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चन्द्र बोस। ज्ञानदीप लम्बी-लम्बी घरराहटे ले रहा था। जैसे कभी मुकेश अंबानी, बेजान दारूवाला, हेमा मालनी, सुभाष घई लिया करते थे। सुबह उठते ही ज्ञानदीप फ्रेश हुआ। जैसे ही दीपिकामाई की डायरी पढ़ने बैठा वैसे ही दरवाजे पर दस्तक हुई। ज्ञानदीप झल्ला कर उठा और इरफान खान की तरह फेश बनाता हुआ दरवाज खोला तो सामने कमली खड़ी थी। यह तो कहो कमली थी वरना कोई और होता तो वह फटकार लगाता कि ...Read More

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आधा आदमी - 13

आधा आदमी अध्‍याय-13 ज्ञानदीप का सेलफोन बजा। उसने उठकर हैलो कहा तो दूसरी तरफ़ से आवाज आई, ‘‘मैं इसराइल रहा हूँ.’’ ‘‘हाँ भाईजान बोलो.‘‘ ‘‘लो बात करो.‘‘ ‘‘नमस्ते माई.‘‘ ‘‘नमस्ते बेटा, कैसे हो और क्या हो रहा हैं?‘‘ ‘‘बस आप की डायरी में खोया था और बताइए सब खैरियत तो हैं?‘‘ ‘‘अपनी खैरियत का तो अल्लाह ही मालिक हैं। कई दिनों से तुम आए नहीं थे तो सोचा तुमारा हाल-चाल ले लूँ.‘‘ ‘‘यह बात हैं तो मैं अभी आप के दौलत खाने में हाज़िर होता हूँ.‘‘ ‘‘तो ठीक हैं बेटा, हम इंतजार करेगी.‘‘ ऐ जीजा हमका ताज़महल दिखाई देव ...Read More

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आधा आदमी - 14

आधा आदमी अध्‍याय-14 ‘‘अरे पहिले घूम तो लूँ फेर देखी जाईगी.‘‘ ‘‘जईसी तेरी मरजी.‘‘ जजमानी में मिलें बधाई के से बेटी अम्मा ने सभी के साथ-साथ मुझे भी बाँटा दिया। मैंने बाँटा लेकर उन्हें सलाम किया। खाना खाने के बाद बेटी अम्मा ने कहा, ‘‘जिसे लेटना-बैठना हय वे छत पैं चली जायें.‘‘ ‘‘का गुरू, इहाँ इत्ती जल्दी सब सोई जात हय?‘‘ मैंने धीरे से चंदा से पूछा। ‘‘नाय बहिनी, इहाँ का टेम दूसरा हय सात बजे के बाद सब खान्जरा करती हय.‘‘ ‘‘चलव गुरू, देखी ई लोग का करती हय.‘‘ ‘‘तुम देखव, हम्म तो चली खान्जरा करने.‘‘ सुबह हुई ...Read More

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आधा आदमी - 15

आधा आदमी अध्‍याय-15 मगर उन्होंने मेरी एक न सुनी। उलटा उन्होंने धमकी दे डाली, कि अगर तुमने शादी के हाँ नहीं की तो हम-दोनों का मरा मुँह देखोंगे। ‘‘तो ठीक हैं अगर आप लोगों की यही जिद् हैं तो कर दीजिए हमारी शादी, मगर बाद में यह मत कहना कि हमारी वजह से किसी और की जिंदगी बर्बाद हुई.‘‘ मेरी अम्मा का मायका नेपाल में था। वह लड़की देखने नेपाल चली गई थी। एक हफ्ते के बाद अम्मा ने हम-दोनों भाइयों को लड़की देखने नेपाल बुलाया। हम-दोनों भाई वहाँ पहुँचे। पहले से ही वहाँ दो लड़कियाँ मौजूद थी। अम्मा ...Read More

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आधा आदमी - 16

आधा आदमी अध्‍याय-16 ‘‘पर यह सब हुआ कब?‘‘ ‘‘कल रात.‘‘ ‘‘माई कहाँ है?‘‘ ‘‘वही गई हैं.‘‘ ‘‘तो ठीक हैं मै बाद में आता हूँ.‘‘ कहकर ज्ञानदीप ने सेलफोन रख दिया। एकाएक ज्ञानदीप को चाय पीने की तलब लगी। और वैसे भी उसका सिर भारी हो रहा था। उसने जैसे ही चाय का पानी चढ़ाया उसे अचानक याद आया कि न ही शक्कर हैं, न ही चायपत्ती। पर्स देखा तो वह भी खाली था। वह हर बार की तरह गूडडु की दुकान उधार सामान लेने पहुँच गया। गूडडु सामान देने में बिजी था। मौका पाते ही उसने पूछा, ‘‘क्या लिख ...Read More

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आधा आदमी - 17

आधा आदमी अध्‍याय-17 पीछे-पीछे टीकली अम्मा भी चली गयी। ‘‘लगता हैं नया-नया बिगड़ा हैं.‘‘ दुकान में बैठे एक सज्जन अपने बगल वाले से कहा। ‘‘कुछ भी कहो माल मस्त हैं.‘‘ उसने भी अपनी टिप्पणी व्यक्त की। ‘‘बड़ी टाइट होती होगी इन लोगों की?‘‘ ‘‘मैंने भी सुना हैं.‘‘ ‘‘सही बताना क्या कभी इनकी ली हैं.‘‘ ‘‘अबे लड़कियो से फुर्सत मिले तो इनकी सोचूँ.‘‘ ‘‘यही हाल तो अपना भी हैं। पर यार, सुना हैं जितना मजा इन हिजड़ो से पा जाओंगे उतना औरतों से नहीं पाओंगे.‘‘ ज्ञानदीप चाय का भुगतान करके रिपयेरिंग की दुकान पर आया और पैसे देकर साइकिल लेकर ...Read More

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आधा आदमी - 18

आधा आदमी अध्‍याय-18 ‘‘साफ-साफ क्यों नहीं कहती कि मैं गाँड़ मरवाता हूँ.‘‘ ‘‘जब करते हो तभी तो लोग कहते लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि तुम हिजड़ा हो.’’ ‘‘अगर मैं हिजड़ा हूँ तो बच्ची कहाँ से आई?‘‘ ‘‘यह तो तुम ही जानते हो यह कहाँ से और कैसे आई, मैं तो उस दिन को कोसती हूँ जिस दिन मैंने तुम्हारे साथ फेरे लिए.‘‘ ‘‘तब काहें इहाँ मरत हव चली काहे नाय जात हव.‘‘ ‘‘चली तो जाऊँगी ही, यहाँ तुम्हारे साथ घुट-घुट के मरना थोड़े ही हैं.’’ ‘‘मादरचोद हमार खात हय अउर हमईन का आँख दिखावत हय.’’ कहकर मैंने ...Read More

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आधा आदमी - 19

आधा आदमी अध्‍याय-19 ज्ञानदीप पढ़ते-पढ़ते रूक गया। न जाने दीपिकामाई की डायरी का अगला पेज कहा चला गया था। रह-रहकर अपने ऊपर क्रोध आ रहा था। उसने उठकर पानी पिया और खिड़की से बाहर की तरफ़ देखा, तो सरदार जी के आँगन में तेजी से नल बह रहा था। ज्ञानदीप से जब रहा नहीं गया तो उसने एक नहीं कई आवाज़ लगाई। पर उसे कोई जवाब नहीं मिला। वह बुदबुदाया, ”यहाँ मैं एक-एक बूँद पानी के लिए तरसता हूँ और इन लोगों को देखों कैसे पानी की बर्बादी कर रहे हैं। बड़े-बड़े शहरों में जाकर देखें तब पता चलें ...Read More

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आधा आदमी - 20

आधा आदमी अध्‍याय-20 मैंने बड़ी चतुराई से उसे जवाब दिया, ”ऐसा कुछ नहीं हैं.” ‘‘सुना हैं तुम्हारी शादी हो हैं.‘‘ ‘‘शादी भी हो गई हैं और एक बच्ची भी हैं.‘‘ ‘‘ठीक हैं मैं शाम को मिलने आऊँगा.‘‘ मैंने मन ही मन में सोचा, ‘अगर यह शाम को मिलने आएगा तो मैं इसराइल से क्या कहूँगा.‘ ‘‘क्या सोच रहे हो?‘‘ ‘‘कुछ नहीं, मैं शाम को तुमसे खुद मिलने आऊँगी.” मैं रात होते ही सबकी चोरी से ड्राइवर से मिलने बस स्टैण्ड पहुँच गया। पूरी रात उसके साथ रहने के बाद मैं सुबह होने से पहले वापस घर आ गया। और ...Read More

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आधा आदमी - 21

आधा आदमी अध्‍याय-21 ‘‘मैं तो यहीं कहूँगा माई, कि समाज के हर तबके को चाहिए वह आप लोगों के में आवाज उठाये.‘‘ ‘‘अरे छोड़ों बेटा! अब हम तुमसे क्या बताये, हम लोग तो इतने अभागे हैं कि नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद तक नही हें.....।‘‘ ‘‘क्यों? सामने तो मस्जिद हैं.... ...Read More

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आधा आदमी - 22

आधा आदमी अध्‍याय-22 ज्ञानदीप आगे की लाइनें पढ़ पाता कि सेलफोन बज उठा। उसने उठकर हैलो कहा तो पता कम्पनी वालों की काँल हैं। उसने बड़बड़ाते हुए सेलफोन रख दिया, ‘‘साले टाइम, बेटाइम काँल करते हैं ऐसी कंपनियों पर तो केस कर देना चाहिए। जिससे फिर दूसरी कंपनी ऐसी हिमाकत करने की कोशिश न करें.‘‘ ज्ञानदीप ने पानी पीकर अपना गुस्सा शांत किया और नेल्सन मंडेला की तरह लेट कर पढ़ने लगा- ‘‘कौन हैं आप बिना पूछे मेरे कमरे में कैसे आये?‘‘ ‘‘अरी बहिनी! हम्में नाय पहिचान पायेव, हम्म भी जनानी हय.‘‘ मैंने देखा उसकी देह-दशा मर्दाना थी, मगर ...Read More

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आधा आदमी - 23

आधा आदमी अध्‍याय-23 मगर शहजादे था जो एक ही रट लगाये था। मैंने जितनी दिल्लगी आपसे की हैं उतनी तक मैंने किसी से भी नहीं की। न जाने क्यों मुझे आप से इतना लगाव हो गया हैं। इसराइल की मौजुदगी के कारण मैं उसे जवाब तो नहीं दे सकी। मगर अफसोस की बात तो यह थी, कि मैंने उसकी मोहब्बत का मजाक बनाया था, ‘‘अब इतनी मोहब्बत मत दिखाओं की हम पागल हो जाए। लोग कहते हैं लैला की याद में मजनू पागल हुआ था। ऐसा न हो कहीं हम आपकी याद में पागल हो जाए.‘‘ सुबह छः बजे ...Read More

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आधा आदमी - 24

आधा आदमी अध्‍याय-24 छोटी के आते ही मैं लेट्रीन के बहाने उसे मैदान में ले गया और बड़ी चालाकी उससे बात उगलवाने लगा, ‘‘आय री, तैं कल रात में आई राहैं न?‘‘ ‘‘भागव बहिनी.‘‘ ‘‘भागव बहिनी नाय, हमका सब उ बताई दिहिस हय। हम्म रोज तुमरे हाथ की रोटी सब्जी खाइत हय तो का हम्म नाय जानित हय कि उ रोटी को बनाईस हय। हम जानित सब कुच्छ हय पर तुमरे मुँह से सुनना चाहित हय.‘‘ ‘‘तुमरे जाने के बाद उसने हम्में रोक लिया अउर रात भर खूब जौबन लगाया अउर सुबह होने से पहिले हम्में भेज दिया जिससे ...Read More

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आधा आदमी - 25

आधा आदमी अध्‍याय-25 मैंने पहले अपना क्वाटर बेचा और फिर सारा रूपया लाकर मैंने घर पर रख दिया। मकान छत खुलते ही मैंने पूजा-पाठ करा के घरवालों को गृह प्रवेश करवा दिया। मैं बहुत खुश था, कि क्योंकि मैंने पिताजी का सपना पूरा कर दिया था। पर कहीं न कहीं मैं बेहद दुखी भी था, कि जीते जी मैं अपने पिताजी को ला न सका। ड्राइवर को जब मेरे पिता जी के मरने की खबर मिली तो वह भागा-भागा मेरे पास आया। मैंने शुरू से लेकर अंत तक अपना दुखड़ा उसके सामने खोल के रख दिया। साथ-साथ मैंने यह ...Read More

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आधा आदमी - 26

आधा आदमी अध्‍याय-26 जैसे वह अभी गिर जाएगा। उसने अपने आप को संभालते हुए पूछा, ‘‘यह तुमने क्या कर ‘‘घबराओं नहीं, जो होना था वह तो हो चुका.‘‘ ‘‘यह सब करने की क्या जरूरत थी भैंया? तुम खुद डांसरी से इतना पैसा कमा रही थी। और वैसे भी मैं तुम्हें कमा के दे ही रहा था। फिर क्यों तुमने अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर ली.‘‘ कहकर इसराइल रोने लगा। ‘‘देखो रोने से कोई फायदा नहीं। मैंने बहुत सोच-समझ के कदम उठाया हैं। तुम ही बताओं डांसरी कई दिन की हैं? हुस्न हैं तो स्टेज प्रोग्राम वाले भी पूछेंगे और अगर ...Read More

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आधा आदमी - 27

आधा आदमी अध्‍याय-27 ‘‘यह मेरी रानी की फोटो हैं जब वह दसवी में थी तब की हैं.‘‘ ‘‘आप की भी आप ही की तरह खूबसूरत हैं.‘‘ ‘‘मेरी खूबसूरती क्या अगर तुम इसकी माँ को देखें होते तो देखते ही रह जाते। उसका नैन-नक्श जैसे ऊपर वाले ने बड़ी फुर्सत से बनाया था और वही खूबसूरती मेरी बेटी ने भी पाई हैं.‘‘ ‘‘पर माई! आप ने बताया नहीं कि आप की बेटी को हुआ क्या था?‘‘ ज्ञानदीप के पूछते ही दीपिकामाई सीरियस हो गयी और एकटक अपनी बेटी की तस्वीर को देखने लगी। उनके चेहरे पर दुख की रेखाएँ उभर ...Read More

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आधा आदमी - 28

आधा आदमी अध्‍याय-28 ‘‘तुम कितने बड़े कमीने हो मेरे इतना बड़ा यहाँ घाव हैं और चली तुम्हारे साथ गलत करने.‘‘ ‘‘घाव हैं तो क्या हुआ, तुम खाली धीरे से करवट हो जाना मैं अपना काम कर लूँगा.‘‘ ‘‘जादा अय्याशी करने का शौक है तो जा के अपनी माँ-बहन को लेटा लो। सलामती चाहते हो तो चुपचाप यहाँ से चले जाओं। वरना थाने में जाकर तुम्ही को फँसा दूँगी.‘‘ ‘‘तुम अपने को दूध की धोयी कहती हो। नौ सौ चूहे खाई के बिल्ली हज़ को चली.‘‘ ‘‘चल भाग भड़वे, जिदगी भर तो तुमने हमारे साथ गद्दारी-मक्कारी की, मुझे तो सिर्फ़ ...Read More

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आधा आदमी - 29

आधा आदमी अध्‍याय-29 यह सब देख कर मैं अपना आपा खो बैठी, ‘‘भौसड़ी के खिलवा टाक के गुरू के पर मुँह मारेगी.‘‘ कहकर मैं इसराइल की तरफ़ मुख़ातिब हुई, ‘‘भड़वे, तुमसे हमरा पेट नाय भरत हय जो तुम इधर-उधर मुँह मारत-फिरत हव.‘‘ यह सुनते ही इसराइल ने मेरे सिर पर लोटा दे मारा और भाग खड़ा हुआ। मैं बाका मार-मार कर रोने लगी। यह तो कहों ऐन वक्त पर कसगड़िन बाजी आ गई और उन्होंने मेरी मलहम पट्टी की। चारों तरफ़ से निराशा पाकर मैं कहीं न कहीं टूट गई थी। 12-12-1993 पूरे छः महीने के बाद ड्राइवर मेरे ...Read More

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आधा आदमी - 30

आधा आदमी अध्‍याय-30 मेरा इतना कहना क्या था कि ड्राइवर दनदनाते हुए बरामदे में आए और अपने दोस्तों लेकर गए। ड्राइवर के जाते इसराइल ने अपनी प्रतिक्रिया दी,‘‘ भइया! ई सब लफड़ा न पालव.‘‘ इसराइल का इतना कहना क्या था कि मैंने उसे टाइट किया, ‘‘तुम्हें क्या पता जब मैं छिबरी पड़ी थी। तब किसी और ने नहीं ड्राइवर ने मेरी मदद की थी। आज उसी की ही देन हैं जो मैं यहाँ बैठी हूँ। इसलिए तुम अपनी जगह पर हो ड्राइवर अपनी जगह पर, अपना-अपना स्थान याद रखों। हमारे लिए तुम दोनों ही बराबर हो.‘‘ ‘‘जैसी तुम्हारी मर्जी ...Read More

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आधा आदमी - 31

आधा आदमी अध्‍याय-31 ‘‘मैंने सबके पीछे अपनी जिंदगी खराब कर ली। पर मुझे कोई समझ नहीं पाया। क्या नहीं अपने घरवालों के लिए। देखों कोई अब झांकने तक नहीं आता कि मैं जिंदा भी हूँ या मर गई। जिस तरह से मैं अपनी जिंदगी काट रही हूँ कोई हिजड़ा होती तो अब तक मर खप जाती......।‘‘ मेरी बात से दोनों काफ़ी ग़मगीन हो गए थे। 6-3-1996 दोपहर में हम लोग खाना खाकर बैठे ही थे। कि ड्राइवर की बीबी आई और तुनक उठी, ‘‘सुनो ड्राइवर, तुम तो यहाँ आ के घुसे बैठ हो और वहाँ बिटिया को देखने लड़के ...Read More

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आधा आदमी - 32

आधा आदमी अध्‍याय-32 यह सुनते ही उसकी बीबी ने अपने ज़िस्म का सारा कपड़ा उतार के फेक दिया और लेकर ड्राइवर पर लपकी। सेलफोन के बजते ही ज्ञानदीप के पढ़ने का तारतम्य टूट गया। उसने काँल रिसीव करते पूछा, ‘‘और सुनाओं शेखर, क्या हाल-चाल हैं?‘‘ दूसरी तरफ से सेलफोन पर शेखर की आवाज आई, ‘‘हाल सब वैसे हैं। परसौ लखनऊ इन्टरव्यू था?‘‘ ‘‘काहे का इन्टरव्यू था?‘‘ ‘‘प्राइवेट में सेल्स मैनेजर की पोस्ट थी। इन्टरव्यू में मैंने क्वालीफाई किया और सर्विस मिल गई बडे़ बाप की औलाद को.’’ ‘‘अरे यार, बड़े बाप की औलादें हैं। पैंसों के बल पर डिग्रिया ...Read More

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आधा आदमी - 33

आधा आदमी अध्‍याय-33 ‘‘जो काम तुमने भइया के साथ किया हैं, उसे अल्लाह भी कभी माफ़ नहीं करेगा। और बात मेरी तो मैं भइया को कभी हिजड़ा बनने न देता। मैं खुद उन्हे कमा के खिलाता। मगर तुमने तो अपने स्वार्थ के लिए भइया की जिंदगी ब्रबाद कर दी.’’ इसराइल की बातें ज्ञानदीप के हदय को स्पर्श कर गई। उसके मन में आया कि उठे और ताली बजाकर कहे, ‘जहाँ तुम जैसे हमदर्द होगों वहाँ फिर कोई दूसरा दीपक से दीपिकामाई नहीं बन सकेगी.‘ बहस इस कदर दोनों में बढ़ गई कि नौबत मारपीट तक आ गई। इसराइल गुस्से ...Read More

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आधा आदमी - 34 - अतिम भाग

आधा आदमी अध्‍याय-34 ‘‘मैं तुम लोगों से बड़ा नंगा हूँ.‘‘ जब मुझसे बर्दास्त नहीं हुआ तो मैंने उसका ढोगल हाथ में लपेट लिया। ‘‘बहन जी छोड़ दीजिए.‘’ सज्जन ने आकर विनती की। मैंने कहा छोडूँगी तब जब 5100सौ लूँगी। दीपिकामाई ने ताली बजाई। लग रहा था जैसे वह एक्ंिटग नहीं नेचुरल में बधाई ले रही हैं। इसी बीच ज्ञानदीप का सेलफोन बजा। उसने उठकर हैलो कहा और सारी बात सुनने के बाद उसने आँधे घँटें में पहुँचने को कहा। सेलफोन रखते ही ज्ञानदीप ने डायरी के पन्ने निकालकर दीपिकामाई को दिए। ‘‘बस यही तक थी हमारे जीवन की कहानी ...Read More