अणु और मनु

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Copyright © Anil Sainger 2017 All rights reserved This is a work of fiction. Names, characters, places and incidents are either the product of the author’s imagination or are used fictitiously and any resemblance to any actual person, living or dead, events or locales is entirely coincidental. No part of this publication may be reproduced, transmitted, or stored in a retrieval system, in any form or by any means, electronic, mechnanical, photocopying, recording or otherwise, without the prior permission of the Author. *** अक्टूबर महीने का दूसरा सप्ताह चल रहा था | दिल्ली में ज्यादात्तर इस महीने से ठंड की

Full Novel

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अणु और मनु - भाग - 1

Copyright © Anil Sainger 2017 All rights reserved This is a work of fiction. Names, characters, places and incidents either the product of the author’s imagination or are used fictitiously and any resemblance to any actual person, living or dead, events or locales is entirely coincidental. No part of this publication may be reproduced, transmitted, or stored in a retrieval system, in any form or by any means, electronic, mechnanical, photocopying, recording or otherwise, without the prior permission of the Author. *** अक्टूबर महीने का दूसरा सप्ताह चल रहा था | दिल्ली में ज्यादात्तर इस महीने से ठंड की ...Read More

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अणु और मनु - भाग-2

बाहर धूप तेज थी लेकिन फिर भी हवा में हल्की नमी कि वजह से न तो ठण्ड महसूस हो थी और न ही गर्मी का एहसास हो रहा था | वैशाली और सिम्मी को कॉलेज के गेट के पास ही एक घने पेड़ के नीचे खड़ा देख गौरव रीना और कुणाल भी उसी ओर चल देते हैं | चलते हुए कुणाल गौरव को देख कर बोला “भाई इसका ड्रामा तो खत्म ही नहीं होता है | रोज कोई न कोई रोना या नया ड्रामा लेकर बैठ जाती है” | कुणाल की बात सुन कर गौरव मुस्कुराते हुए धीरे से ...Read More

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अणु और मनु - भाग-3

गौरव ने ब्रेक लगाते हुए जैसे ही गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी की तो सब एक साथ बोल उठे गया क्या” ? गौरव गाड़ी का इंजन बंद करते हुए बोला “हाँ” वैशाली जल्दी से गाड़ी का दरवाज़ा खोल कर उतरते हुए एक लम्बी साँस लेकर बोली “कुछ जल्दी नहीं आ गये” कुणाल मुस्कुराते हुए बोला “मैडम आप सो गईं थी, इसलिए आपको पता ही नहीं चला” सिम्मी उतर कर अंगड़ाई लेते हुए बोली “गौरव यहाँ तो गाड़ियों की लाइन लगी हुई है और तुम तो कह रहे थे कि..... ” गौरव कुछ बोल पाता इससे ...Read More

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अणु और मनु - भाग-4

“दोस्तों, आज हम एक बहुत ही गहन विषय पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए हैं| वह है हम कैसे अपनी ज़िन्दगी से तनाव (stress) को दूर करें | दोस्तों आपने इस विषय पर बहुत किताबें पढ़ी होंगी या फ़िल्में देखी होंगी | संत समागम या कथा-कीर्तन में इस विषय पर चर्चा सुनी होगी | हो सकता है कि आपने इस तनाव को दूर करने के लिए मेडिकल साइंस का भी सहारा लिया हो | क्या फिर भी आपकी जिन्दगी से तनाव दूर हुआ ? नहीं हुआ, क्यों आपने कभी सोचा ? आप सोच रहे होंगे कि मैं ऐसा ...Read More

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अणु और मनु - भाग -5

गौरव दोपहर का खाना खा कर अभी अपने कमरे में आ कर लेटा ही था कि उसके फोन की बज उठी | वह बेमन से फ़ोन उठा कर “हेल्लो”, बोलता है | दूसरी तरफ से रीना की आवाज सुन कर वह बेड पर तकिया लगा कर बैठ जाता है | रीना “गौरव तुम लाइन पर हो | मेरी आवाज आ रही है” | गौरव बोला “हाँ, हाँ बोलो” | “गौरव क्या बात है | आज तुम जल्दी कैसे चले गए | सब ठीक तो है न” | गौरव मुस्कुराते हुए बोला “क्या बात है मैडम आप ने कैसे फ़ोन ...Read More

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अणु और मनु -भाग -6

अक्षित पुलिस स्टेशन से काफी पहले ही सड़क किनारे एक पेड़ के नीचे अपनी गाड़ी खड़ी कर सोमेश के का इन्तजार करने लगता है | अभी चार-पाँच मिन्ट ही हुए थे कि अक्षित के फ़ोन की घंटी बज उठती है | अक्षित फ़ोन उठा कर “हेलो”, बोलता है | दूसरी तरफ से सोमेश बोला “दोस्त मुझे आने में दस मिन्ट और लगेंगे | मैं यहाँ ट्रैफिक में फंसा हुआ हूँ” | अक्षित यह कह कर फ़ोन रख देता है कि कोई बात नहीं भाई | मैं यहाँ आराम से गाड़ी में बैठा हूँ | अब जो समय लगना है ...Read More

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अणु और मनु - भाग-7

गौरव कॉलेज की कैंटीन के काउंटर से दो कॉफ़ी के कप लाकर मेज पर रखते हुए बोला “क्या बात रीना तुम्हारी तबियत तो ठीक है” | रीना अपने चेहरे से बाल हटाते हुए बोली “क्यों क्या हुआ” | गौरव रीना को एक बार फिर ध्यान से देखते हुए बोला “तुम आज पूरा समय चुप बैठी रहीं | कुछ बात तो है” | रीना अपने चेहरे पर नकली हँसी लाते हुए बोली “अरे नहीं बाबा ऐसी कोई ख़ास बात नहीं है | मैं तो बस वैसे ही....” | गौरव रीना की आँखों में आँखें डालते हुए बोला “मैडम आपकी कौन ...Read More

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अणु और मनु - भाग-8

अक्षित पुलिस हेडक्वाटर पहुँच कर कमिश्नर ऑफिस के बाहर बैठे स्टाफ को अपना परिचय देता है | महिला पुलिसकर्मी कर अक्षित का अभिवादन करती है और बड़े विनम्र भाव से आग्रह करती है कि वह स्वागतकक्ष में रखे सोफे पर बैठें | कुछ ही देर में वह महिला पुलिसकर्मी अक्षित के पास आकर बहुत ही अदब से बोली कि आइए सर, सर आपका ही इन्तजार कर रहे हैं, कह कर वह अक्षित का सोफे से उठने का इन्तजार करती है | अक्षित जैसे ही सोफे से उठता है वह पुलिसकर्मी अक्षित को लेकर कमिश्नर साहिब के कमरे का बहुत ...Read More

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अणु और मनु - भाग-9

“आइये सर, राकेश सर आगे वाले कमरे में बैठे हैं”, पुलिसकर्मी अक्षित को रास्ता दिखाते हुए बोला | कमरे अंदर आते ही राकेश कौल को देख कर अक्षित बोला “हेलो, कैसे हैं सर” | राकेश कौल अक्षित को देखते ही अपनी सीट से उठ कर हाथ मिलाते हुए बोला “सर आपने तो सर काफी समय लगा दिया”, कह कर वह अपने साथ बैठे ऑफिसर से बोला “ठीक है, जैसा मैंने समझाया है आप लोग वैसा ही करिए” | राकेश कौल के सामने बैठे सब ऑफिसर उठ कर सलूट करते हैं और कमरे से बाहर निकल जाते हैं | राकेश ...Read More

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अणु और मनु - भाग-10

अक्षित तालियों के बीच मंच पर लगे माइक को ठीक करते हुए बोला “दोस्तों आपने काफी रोचक विषयों पर आये प्रसिद्ध विचारकों से उनके विचार सुनें मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप उन विचारों को आत्मसात कर अपने जीवन में और बेहतर कार्यक्षमता से कार्य कर पायेंगे मैं आदरणीय कमिश्नर साहिब का बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने ऐसे प्रसिद्ध विचारकों के बीच मुझे भी अपने विचार रखने का मौका दिया है दोस्तों मैं आज आपको आपसे अवगत कराने और क़ानून व राजनीति के विशेषज्ञयों से कानून और सोच में बदलाव की माँग करने ...Read More

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अणु और मनु - भाग-11

गौरव, रीना के इशारा करने पर सोसाइटी के गेट के पास ही सड़क के किनारे कार रोक देता है कार को रुकते देख रीना बोली “मैंने कार रोकने के लिए नहीं कहा था | मैंने इस सोसाइटी के अंदर चलने का इशारा किया था | मेरा घर सोसाइटी के पीछे की तरफ़ है इसलिए आप कृपा कर गाड़ी अंदर ले चलें” | गौरव मुस्कुराते हुए गाड़ी फिर से स्टार्ट कर सोसाइटी के अंदर की ओर मोड़ देता है | थोड़ा आगे आने पर रीना इशारे से दायें मुड़ने को कहती है | “बस वो आगे काली गाड़ी के पीछे ...Read More

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अणु और मनु - भाग-12

कुणाल कैंटीन में चक्कर लगा कर वापिस बाहर आकर खड़ा हो जाता है | वैशाली कुणाल को बाहर खड़ा कर मुस्कुराते हुए बोली “कुणाल क्या बात है आज तुम्हें इतनी तमीज कैसे आ गई” | कुणाल हैरान हो कर बोला “क्यों क्या हुआ” | वैशाली इठलाती हुई बोली “तुम मेरा इन्तजार कर रहे थे न” | कुणाल वैशाली की बात सुन कर मुस्कुरा देता है कि ये महारानी सोच रही है मैं इसका स्वागत करने के लिए कैंटीन के बाहर खड़ा हूँ | जब कि मैं इसलिए खड़ा हूँ कि अंदर बैठने की जगह ही नहीं है | वैशाली ...Read More

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अणु और मनु - भाग-13

गौरव कुणाल के घर की बेल बजाता है | कुणाल की माँ दरवाज़ा खोलती हैं | गौरव पाँव छू बोला “आंटी कुणाल घर पर है” | वह मुस्कुरा कर बोलीं “हाँ बेटा, वह अपने कमरे में कुछ काम कर रहा है” | “ठीक है आंटी” कह कर वह कुणाल के कमरे की ओर बढ़ जाता है | गौरव कमरे का दरवाज़ा खोलता है और कुणाल को कमरे में न देख कर वहीं से बोलता है “आंटी वह तो कमरे में नहीं है” | कुणाल की माँ रसोई की तरफ़ जाते हुए बोली “बेटा तुम बैठो, वह शायद टॉयलेट में ...Read More

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अणु और मनु - भाग -14

“अप्पा मेरी गाड़ी ख़राब हो गई है | क्या आप मुझे कॉलेज छोड़ देंगे”, गौरव अपने अप्पा को अपनी में बैठ कर ऑफिस जाते देख कर बोला | “हाँ, हाँ क्यों नहीं”| “ठीक है | मैं अपनी गाड़ी से बैग लेकर आया”, कह कर गौरव भाग कर जाता है और बैग लेकर जैसे ही आकर बैठता है | अक्षित गाड़ी स्टार्ट कर चल देता है | कुछ देर की चुप्पी के बाद गाड़ी चलाते हुए अक्षित बोला “गौरव मैं तुमसे कुछ बात करने की सोच ही रहा था | अच्छा हुआ कि तुम्हारी गाड़ी खराब हो गई” | “क्या ...Read More

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अणु और मनु - भाग - 15

रात के दो बज रहे हैं | तेज हवा के साथ होती तेज बारिश अभी थोड़ी देर पहले ही है | तेज हवा की वजह से दिल्ली यूनिवर्सिटी में सड़क किनारे लगे खम्बों की लाइट बुझ गई थी | थोड़ी देर पहले आये तूफ़ान का अब नामोनिशान भी नहीं दिख रहा था | चारों तरफ पसरा अँधेरा और तूफ़ान से बाद की डरावनी शान्ति को चीरती कुत्तों के रुक-रुक कर रोने की आवाज वातावरण और भी भयावह बना रही थी | सड़कों के किनारे सोने वाले भिखारी तूफानी बारिश की वजह से सड़क किनारे बने बस स्टॉप की छत ...Read More

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अणु और मनु - भाग-16

जुलाई के पहले हफ्ते में सुबह से रुक-रुक कर हो रही बारिश मौसम को रंगीन बना रही थी | समय के लिए ही सही चिलचिलाती गर्मी से कुछ राहत तो मिली | यह सोचते हुए कुणाल कोल्ड कॉफ़ी का आखिरी घूंट पी कर गिलास को टेबल पर वापिस रख देता है | वह पिछले एक घंटे से इस रेस्टोरेंट में बैठा दूसरी बार कॉफ़ी पी रहा था | उसकी नजर बार-बार कांच की खिड़की से बाहर की ओर सड़क पर जा रही थी | वह एक बार फिर से तान्या का नंबर मिलाता है | इस बार भी पहले ...Read More

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अणु और मनु - भाग-17

शाम के छः बज चुके थे | कुणाल बाथरूम से नहा कर निकलता है और जल्दी से बेड पर कपड़े पहनने लगता है | वह शाम चार बजे थोड़ा आराम करने के लिए लेटा था लेकिन लेटते ही वह कब सो गया उसे पता ही नहीं लगा | वह मन ही मन धन्यवाद दे रहा था उस अनजान आदमी को जिसने बेल बजा कर उसे उठा दिया था | उस आदमी को पड़ोस में जाना था और गलती से उसने कुणाल के घर की बेल बजा दी थी | यह सोच कर कि अभी तो काफी टाइम है वह ...Read More

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अणु और मनु - भाग-18

रीना स्कूटी खड़ी कर कॉफ़ी शॉप के अंदर आकर चारों तरफ़ देखती है | कुणाल उसे कहीं नहीं दिखता तो कोने में खाली पड़ी टेबल के पास कुर्सी पर बैठ जाती है | वह अभी बैठती ही है कि आर्डर लेने के लिए एक सुंदर-सी लड़की आ जाती है | वह बहुत सलीके से बोली “गुड इवनिंग मैडम, आप क्या लेना पसंद करेंगी” | रीना उसे देख मुस्कुरा कर बोली “गुड इवनिंग | मैं अपने दोस्त का इन्तेजार कर रही हूँ | वह जैसे ही आएगा तो हम आर्डर कर देंगे | थैंक्स” | यह सुन कर वह लड़की ...Read More

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अणु और मनु - भाग-19

मैं बचपन से ही माँ-बाप के झगड़े देखता आ रहा था | जब बड़ा हुआ तो समझ में आने कि वह लगभग हर रोज एक ही बात पर झगड़ते थे और वह था पैसा और सिर्फ पैसा | आठ साल की उम्र में मुझे यह तो समझ में आता था कि पैसा क्या होता है लेकिन यह समझ में नहीं आता था कि ये दोनों पैसे के लिए लड़ते क्यों हैं ? माँ हमेशा रोते हुए यही कहती थी कि मेरे माँ-बाप ने तो मेरी जिन्दगी ही बर्बाद कर दी तुम से शादी करा कर | पापा इस बात ...Read More

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अणु और मनु - भाग-20

गौरव मीटिंग खत्म होने पर जल्दी से निकल कर हॉल से बाहर आता है | वह इधर-उधर देखता है कहाँ कॉफ़ी या चाय की मशीन लगी हुई है | जब उसे कहीं नहीं दिखती तो वह सामने खड़े सिक्यूरिटी गॉर्ड से पूछता है | गॉर्ड की बताई जगह से कॉफ़ी का कप लेकर गौरव हॉल के बाहर पड़े सोफ़े पर आ कर बैठ जाता है | हॉल से बाहर निकलते हुए अक्षरा की नज़र गौरव पर पड़ती है | वह तेज क़दमों से गौरव के पास पहुँच कर बोली “अरे वाह गौरव साहिब मैं आपको अंदर ढूंढ रही थी ...Read More

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अणु और मनु - अंतिम भाग

कुणाल अपनी जेब से फोन निकाल कर मैसेज खोलता है जोकि गौरव ने भेजा था | वह देखता है गौरव ने जो पता दिया था वह तो यही है लेकिन यहाँ तो ‘क्लीनक फॉर आल’ लिखा हुआ है | वह समझ नहीं पाता है कि यहाँ कहाँ गौरव मिलेगा और गौरव ने घर क्यों नहीं बुलाया | ‘आज लगभग दस महीने के बाद हम मिल रहे हैं और साले ने बुलाया भी तो क्लिनिक पर | साला पागल है क्या’, कुणाल क्लिनिक का बोर्ड देख अभी अपने आप से बात कर ही रहा था कि किसी ने उसके कंधे ...Read More