जयगाथा ********* भारत के महान ग्रन्थ महाभारत की कहानियों पर आधारित है मेरी यह धारावाहिक कहानी 'जयगाथा'। इसके बारे में आप सबको कुछ बताता हूँ। मूल महाभारत एक महाकाव्य है....एक कथा जिसमें सार है- हम सबके जीवन का... निश्चित रूप से महाभारत की कथाएँ हम सब ने कभी न कभी अवश्य सुनी हैं...और कुछ सूक्ष्म कहानियाँ अनसुनी भी रह गईं हैं। तत्समय कुरुकुल का पारिवारिक संघर्ष और महायोगी श्रीकृष्ण की कथाएँ निश्चित ही पठनीय हैं। मेरा यह प्रयास है उस सनातन संस्कृति और धर्म की घटनाओं तक पहुँचने का...सफलता उस परमपिता के हाथ है। भारतीय सनातन संस्कृति का महान ग्रन्थ
New Episodes : : Every Friday
जयगाथा
जयगाथा ********* भारत के महान ग्रन्थ महाभारत की कहानियों पर आधारित है मेरी यह धारावाहिक कहानी 'जयगाथा'। इसके बारे आप सबको कुछ बताता हूँ। मूल महाभारत एक महाकाव्य है....एक कथा जिसमें सार है- हम सबके जीवन का... निश्चित रूप से महाभारत की कथाएँ हम सब ने कभी न कभी अवश्य सुनी हैं...और कुछ सूक्ष्म कहानियाँ अनसुनी भी रह गईं हैं। तत्समय कुरुकुल का पारिवारिक संघर्ष और महायोगी श्रीकृष्ण की कथाएँ निश्चित ही पठनीय हैं। मेरा यह प्रयास है उस सनातन संस्कृति और धर्म की घटनाओं तक पहुँचने का...सफलता उस परमपिता के हाथ है। भारतीय सनातन संस्कृति का महान ग्रन्थ ...Read More
जयगाथा 2
जयगाथा ( महाभारत की कथाओं पर आधारित उपन्यास ) ॐ श्रीगणेशाय नमः । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । आद्यन्तमङ्गलंजातसमानभाव- तमीशमजरामरमात्मदेवम् । पञ्चाननं प्रबलपञ्चविनोदशीलं सम्भावये मनसि शङ्करमम्बिकेशम्॥ (महाशिवपुराण/विद्येश्वर संहिता १/१) वह आदि से अंत तक नित्य तथा सदा ही मंगलमय हैं, जिनकी कोई भी समानता या तुलना अन्यत्र कहीं भी नहीं की जा सकती है, जो आत्मा के स्वरुप को प्रकाशमान करने वाले परमात्मा हैं, वह अपने पञ्चमुख से विनोद में ही पञ्च प्रबल कर्म-कृत्यों-सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की सृष्टि, पालन, संहार, तिरोभाव एवं अनुग्रह करने वाले हैं । ऐसे ही अनादि परमपिता परमेश्वर अम्बिकापति भगवान शिव-शंकर का मैं पुनः-पुनःमन ही मन ...Read More
जयगाथा - 3
गतांक से आगे.... देवताओं के गुरु थे ऋषि अंगिरा के परम तेजस्वी और विद्वान पुत्र बृहस्पति और दैत्यों के और पुरोहित थे संजीवनी विद्या जानने वाले परम प्रतापी शुक्राचार्य ।अमृत पीकर देवतागण अमर हो चुके थे । वे दानवों का वध कर देते । दानवों की संख्या कम होने लगी तब उन्होंने अपने गुरु शुक्राचार्य के निकट जाकर अपनी व्यथा कही-- दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने उनको सान्त्वना दी । “ चिंतित न हो शिष्यों ! मैं तुम सबको पुनः जीवित कर दूँगा ।” दैत्य प्रसन्न हो गए । शुक्राचार्य अपनी संजीवनी विद्या से उन सबको पुनर्जीवित कर देते थे, ...Read More