मानसिक रोग

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प्रकृति का अद्भूत नियम है, "जिसनें जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है"। कहा जाता है कि इंसान हो या जानवर, "पैदा होने से पहले उसकी मृत्यु निश्चित कर दी जाती है। उसे कब कहाँ कैसे मरना है, सब लिखा होता है।" मृत्यु पर किसी का ज़ोर नहीं परंतु जब इंसान ज़िंदा होकर ही मर जाये या उसके पास जीने की वजह ही न रहे। ज़िंदा लाश जिसे कहा जाता है, उस इंसान की ज़िन्दगी कैसे गुज़र होगी? ऐसी ही एक कहानी है श्लोका की, आईये पढ़ते है श्लोका की कहानी। छोटे से शहर में रहने वाली श्लोका

Full Novel

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मानसिक रोग - 1

प्रकृति का अद्भूत नियम है, "जिसनें जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है"। कहा जाता है कि इंसान हो जानवर, "पैदा होने से पहले उसकी मृत्यु निश्चित कर दी जाती है। उसे कब कहाँ कैसे मरना है, सब लिखा होता है।" मृत्यु पर किसी का ज़ोर नहीं परंतु जब इंसान ज़िंदा होकर ही मर जाये या उसके पास जीने की वजह ही न रहे। ज़िंदा लाश जिसे कहा जाता है, उस इंसान की ज़िन्दगी कैसे गुज़र होगी? ऐसी ही एक कहानी है श्लोका की, आईये पढ़ते है श्लोका की कहानी। छोटे से शहर में रहने वाली श्लोका ...Read More

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मानसिक रोग - 2

हम पढ़ रहे थे श्लोका की कहानी, पिछले भाग में हमनें पढ़ा श्लोका को अनुमति मिल जाती है निजी में काम करने की पर एक शर्त के साथ। आइए पढ़ते है आगे की कहानी। श्लोका निजी कंपनी में नौकरी देखना शुरू करती है पर उसको उसकी पढ़ाई के अनुसार काम नहीं मिलता। कभी नौकरी सही नहीं लगती कभी आय तो कभी वातावरण। श्लोका हार नहीं मानती। इन सबसे परेशान होकर श्लोका ने एक बड़ी कंपनी में आवेदन किया परन्तु वहाँ के लोगों को देखा तो उसे लगने लगा कि ...Read More

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मानसिक रोग - 3

मानसिक रोग के दूसरे भाग में आपने पढ़ा कैसे श्लोका अस्पताल में भर्ती हुई। आइये जानते हैं आगे की जब माँ ने डॉक्टर को बताया श्लोका के बदले व्यवहार के बारे में, डॉक्टर सुनते ही समझ गए कि श्लोका मानसिक रूप से बीमार है। उन्होंने श्लोका के माता-पिता को ये बात बताई परन्तु हमेशा श्लोका का साथ निभाने वाले माँ-बाप ये बात समझ ही नहीं पा रहे थे। समाज में मानसिक रोग को रोग कहाँ समझा जाता, ये तो पागलपन है इसी नाम से जाना जाता है। हालाँकि दो दिन उपचार के बाद श्लोका को अस्पताल ...Read More

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मानसिक रोग - 4

बचपन से पढ़ाई-लिखाई में तेज श्लोका आज अपना आत्मविश्वास खो चुकी थी। उसने ठान तो लिया कि फिर से ठीक करेगी परन्तु प्रश्न था कैसे? उसने धीरे-धीरे खुद को सकारात्मक बनाने की कोशिश की। पहले जिसे हर चीज में ग़लत ही नज़र आता था, अब वह उनमें अच्छा खोजने लगी। ऐसा करने से श्लोका को थोड़ी हिम्मत तो मिल रही थी परंतु मन के ज़ख्म अब भी न भर रहे थे। ऐसे में उसने प्रतीत किया कि ज़िन्दगी के इस उतार चढ़ाव के कारण वह बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित हो गई। ...Read More

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मानसिक रोग - 5

पिछले भाग में आपने जाना श्लोका के पास दो रास्ते थे। आइये अब जानते है श्लोका ने कौनसा रास्ता और वह कितना सही थी अपना रास्ता चुनने में। अब श्लोका ने ठान लिया उसको पीछे मुड़कर नहीं देखना है। उसे अपने सपनों को साकार करना है। आत्मविश्वास से भरी श्लोका फिर उठ खड़ी हुई। उसने फिर से सब बातों को समझने का प्रयास किया। धीरे-धीरे वह अपने दोस्तों से भी बातें करने लगी, जिन सबसे वह दूर हो गई थी। वह अंदर से खुद को मजबूत करने लगी। श्लोका ने फिर से पढ़ना शुरू ...Read More

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मानसिक रोग - 6

अब तक आप श्लोका के बचपन से लेकर उसके मैनेजर बनने तक का सफ़र जान चुके है। अब हो है श्लोका की ज़िन्दगी की नई शुरआत। आइए पढ़ते हैं आगे की कहानी। श्लोका निश्चित कर चुकी थी वह किसी अनजान शख़्स के नाम अपनी पूरी ज़िंदगी नहीं करेगी किन्तु इस पर माता-पिता का सहयोग न था। श्लोका अपने माता-पिता से बहुत प्रेम करती थी। वह उनका दिल नहीं दुखाना चाहती थी परंतु वह अपनी ज़िंदगी के फैसले भी खुद करना चाहती थी। कितनी अजीब बात है ना ...Read More

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मानसिक रोग - 7

पिछले भाग में आपने जाना एक दिन ऑफिस से जाते वक्त आनन्द श्लोका को शादी के लिए पूछ ही है। अभी श्लोका ने आनन्द को जाना ही कितना था, पूरी ज़िन्दगी की बात थी। श्लोका सोचने के लिए वक़्त लेकर घर को निकल गई। घर जाकर श्लोका ने माँ को फोन किया और आनन्द के बारे में बताया। माँ ने सुझाव दिया कुछ समय लेकर देखो अगर तुम्हें ठीक लगता है तो आगे बढ़ना इस रिश्ते में नहीं तो आनन्द को साफ शब्दों में मना कर देना। जो भी हो हम तुम्हारे साथ हैं, तुम जो भी फ़ैसला लोगी ...Read More

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मानसिक रोग - 8

श्लोका के इज़हार से आनन्द बेहद खुश था। उसकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। बेइंतहा मोहब्बत जो था श्लोका से। दोनों बहुत खुश थे। श्लोका ने माँ को फ़ोन करके झट से सब बता दिया। आनन्द एक जिम्मेदार, सुलझा हुआ और बड़ो की इज्जत करने वाला युवक था। जल्द ही श्लोका ने आनन्द की बात अपने माता पिता से कराई। वह दोनों भी अपने बच्चों के लिए खुश थे। उनको आनन्द पसन्द भी आया वो जल्द से जल्द आनन्द से मिलना चाहते थे। वहीं आनन्द ने भी अपने परिवार में सबको ...Read More

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मानसिक रोग - 9

पिछले भाग में आपने पढ़ा आनन्द का पप्रोमोशन हो जाता है। घर के सब लोग असमंजस में आ जाते अभी तो सगाई की तारीख़ तय हुई है, श्लोका यहाँ है, आनन्द का परिवार भी यहाँ है। आनन्द को समझ नहीं आ रहा वह इस स्थिति में क्या करे। श्लोका और परिवार वालों ने आनन्द को प्रोत्साहन दिया कि वह अपने कैरियर में आगे बढे। और फिर आनन्द कुछ ही समय में दूसरे शहर में रहने लगा। शुरुआत में थोड़ा मुश्किल था। आनन्द कभी अपने परिवार से दूर नहीं रहा था और अब तो श्लोका का साथ भी उसे बेहद ...Read More

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मानसिक रोग - 10

आनन्द की देह को सामने देखकर श्लोका निरंक खड़ी रहती है। दूसरी ओर आनन्द के पिता अपने कलेजे पर रखकर उसके अंतिम संस्कार की तैयारी करते हैं। थोड़ी देर में आनन्द को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं। आनन्द की माँ बेजान सी हो जाती हैं। श्लोक की माँ आनन्द की माँ को सहारा देती है। आनन्द की बहन आनन्द की दादी को हौंसला दे रही होती हैं। श्लोका एक कोने में खड़े अपने सारे लम्हें याद कर रही होती है जो उसने आनन्द के साथ बिताए थे। अंतिम संस्कार की विधि पूरी ...Read More