राशिफ़ल

(10)
  • 12.8k
  • 2
  • 4.8k

अखबार आते ही रोज़ की तरह दिन भर का भविष्य जानने के लिए,पेज पलटा।राशिफ़ल वाले कालम में अपनी राशि पर नज़र पड़ते ही आंखे फ़टी सी रह गई।कंही गलती से दूसरी राशि तो नही देख गए।यह भरम होते ही एक बार फिर से"मिथुन" राशि पर हमने नज़रे जमा दी ।हमारा भरम निर्मूल था।हमने अखबार में अपना राशिफ़ल ही देखा था।हमारे दिमाग मे बार बार हमारी राशि मेे लिखे शब्द ,सवारी से खतरा,घूम रहे थे।हम डयूटी पर रोज़ रिक्शे से जाते थे।बनिये की दुकान तो थी नही,जब मन मे आया खोली, मन मे नही आया तो छुट्टी कर दी।अपना राशिफ़ल देखते

Full Novel

1

राशिफ़ल - 1

अखबार आते ही रोज़ की तरह दिन भर का भविष्य जानने के लिए,पेज पलटा।राशिफ़ल वाले कालम में अपनी राशि नज़र पड़ते ही आंखे फ़टी सी रह गई।कंही गलती से दूसरी राशि तो नही देख गए।यह भरम होते ही एक बार फिर से"मिथुन" राशि पर हमने नज़रे जमा दी ।हमारा भरम निर्मूल था।हमने अखबार में अपना राशिफ़ल ही देखा था।हमारे दिमाग मे बार बार हमारी राशि मेे लिखे शब्द ,सवारी से खतरा,घूम रहे थे।हम डयूटी पर रोज़ रिक्शे से जाते थे।बनिये की दुकान तो थी नही,जब मन मे आया खोली, मन मे नही आया तो छुट्टी कर दी।अपना राशिफ़ल देखते ...Read More

2

राशिफ़ल(अंतिम भाग)

हम सोचते सोचते शाहगंज के चौराहे पर आ पहुँचे थे।चौराहे पर आकर लाइन लगाकर खड़े रिक्शो पर हमने नज़र थी।हम आज ऐसे रिक्शे में बैठना चाहते थे।जिसको चलाने वाला बीच की उम्र का हो। यानी न जवान हो,न बूढ़ा हो।हमे मालूम था,जवान रिक्शा चालक बहुत तेज़ रिक्शा चलाते थे।वह जल्दी से जल्दी नियत स्थान पर पहुचने के चक्कर मे कभी कभी किसी सवारी से टकरा जाते थे।ज्यादा उम्र का रिक्शेवाला बड़ी मुश्किल से हांफता हुआ मंज़िल तक पहुंच पाता था।बूढ़ा आदमी रिक्शा धीरे चलाता था,लेकिन टक्कर हो जाने पर रिक्शा नही सम्हाल सकता था।ज्यादा उम्र होने के कारण उसके ...Read More