राहुल बारह बरस का हो चला था । सातवीं कक्षा का विद्यार्थी था । पढाई के साथ सभी गतिविधियों में औसत ही था । खाना खाने में भी उसके नखरे कम नहीं थे । काफी मानमनौव्वल के बाद दो निवाले खाकर माँ बाप पर अहसान कर देता था ।माँ के काफी ध्यान देने और टयूशन के बावजूद छमाही नतीजे में वह किसी तरह से पास हुआ था ।उसके पिताजी ने ऑफिस से आकर उसका परीक्षाफल देखते ही गुस्से में उसे एक तमाचा रसीद कर दिया था । साथ ही उसकी माँ को भी डांट पीलाते हुए राहुल का खेलना और
Full Novel
आजादी - भाग 1
राहुल बारह बरस का हो चला था । सातवीं कक्षा का विद्यार्थी था । पढाई के साथ सभी गतिविधियों औसत ही था । खाना खाने में भी उसके नखरे कम नहीं थे । काफी मानमनौव्वल के बाद दो निवाले खाकर माँ बाप पर अहसान कर देता था ।माँ के काफी ध्यान देने और टयूशन के बावजूद छमाही नतीजे में वह किसी तरह से पास हुआ था ।उसके पिताजी ने ऑफिस से आकर उसका परीक्षाफल देखते ही गुस्से में उसे एक तमाचा रसीद कर दिया था । साथ ही उसकी माँ को भी डांट पीलाते हुए राहुल का खेलना और ...Read More
आजादी - भाग 2
राहुल का भूख के मारे बुरा हाल हो रहा था । रह रह कर उसे स्कूल की याद आने । उसके दिमाग में घूम रहा था ‘ स्कूल में लंच की छुट्टी हुयी होगी । सब बच्चे अपना अपना लंच बॉक्स लेकर एक साथ बैठ कर लंच कर रहे होंगे । उसे अपने मित्र सोनू की बहुत याद आ रही थी । वही तो था जो जबरदस्ती उसकी टिफिन से सब्जी ले लेता था और चटखारे लेकर खाते हुए उसके माँ की बड़ी तारीफ करता ” वाह ! वाह ! आंटीजी के हाथों में तो गजब का जादू है ...Read More
आजादी - भाग 3
शीघ्र ही विनोद और कल्पना पुलिस स्टेशन पहुँच गए । पुलिस स्टेशन में कई पुलिस के अधिकारी आ जा थे । विनोद की समझ में नहीं आ रहा था किससे पूछे कहाँ शिकायत करे ? ‘ पूर्व में कभी भी पुलीस चौकी से पाला नहीं पड़ा था । इसी असमंजस में कल्पना भी थी । फिर भी हिम्मत करके बाहर नीकल रहे एक अधिकारी से कल्पना ने पूछ ही लिया ” साहब ! हमारा बेटा स्कूल से घर नहीं आया है । कहाँ शिकायत करें ? ”वह अधिकारी सज्जन था । एक माँ की तड़प को महसूस कर उसने ...Read More
आजादी - भाग 4
राहुल कुर्सी पर बैठे बैठे ही सो गया था । पता नहीं कितनी देर तक वह ऐसे ही सोया । अभी वह नींद में ही था कि तभी उसे ठण्ड का अहसास हुआ और कुर्सी पर बैठे बैठे ही उसने पैर ऊपर करके खुदको और सिकोड़ लिया और फिर से सोने का प्रयत्न करने लगा । लेकिन ठण्ड के मारे उसकी नींद उचट गयी थी । बड़ी देर तक वह वैसे ही पड़े पड़े सोने का प्रयत्न करता रहा लेकिन कामयाब नहीं हुआ । नींद उचटने की वजह से उसे रोना आ रहा था । उसके जेहन में कौंध ...Read More
आजादी - भाग 5
राहुल ने स्वतः ही सामने रखी बाल्टी उठा ली और बगल की दुकान के सामने लगी बोरिंग से पानी के लिए चल दिया । बोरिंग के हत्थे पर जोर लगाते हुए राहुल के मस्त्तिष्क में अभी कल ही गुजरी दिनचर्या किसी चलचित्र की भांति घुम गयी ।‘ ………………सुबह के आठ बज रहे थे । हमेशा की तरह राहुल अभी भी सोया हुआ ही था । तभी उसकी माँ ने कमरे में प्रवेश किया और उसको जगाते हुए बोली ” राहुल ! बेटा राहुल ! आठ बज गए हैं और तुम अभी तक सो रहे हो ? नहाना धोना , ...Read More
आजादी - 6
राहुल ने कई बाल्टी पानी लाकर भोजनालय के सामने रखा पानी का बड़ा ड्रम भर दिया । अब तक कई खेप पानी लाने के कारण राहुल बेहद थक गया था । बाल्टी ड्रम के पास रखके राहुल थोड़ी देर के लिए बाहर पड़ी एक कुर्सी पर बैठ गया ।अभी वह ठीक से बैठा भी नहीं था कि मालिक की कर्कश आवाज ने उसे उठने पर मजबुर कर दिया ” ज्यादा थक गया क्या ? कि शादी में आया है ? चल उठ के प्याज छिल डाल सब ! ”मरता क्या न करता ? राहुल उठ कर प्याज के ढेर ...Read More
आजादी - 7
राहुल को प्याज छिलते हुए काफी समय हो गया था । उसके साथ ही प्याज छिल रहे लडके ने प्याज काटना शुरू कर दिया था । राहुल की आँखों से अनवरत अश्रुओं की धार बह रही थी । वह प्याज छिले जा रहा था और साथ ही प्याज की वजह से रोये जा रहा था । उसकी आँखों में जलन हो रही थी और आँखें लाल भी हो गयी थी फिर भी उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह वहां से उठ जाये ।उसके बाद भी दोपहर तक वह किसी न किसी काम में लगा रहा । दोपहर ...Read More
आजादी - 8
विनोद और कल्पना शर्माजी के साथ घर पहुंचे । पुलीस चौकी में हवलदार के व्यवहार ने दोनों के दिमाग तनाव बढ़ा दिया था । शर्माजी उन्हें छोड़कर अपने घर चले गए थे ।विनोद ने घर पहुँच कर देखा उसके पिताजी बाहर बरामदे में बैठे उनका इंतजार कर रहे थे । साथ में उसकी माताजी भी थीं । उन्हें देखते ही कल्पना ने साडी का पल्लू अपने माथे पर रख लिया था और अपनी सास के कदमों में झुक गयी । विनोद ने भी आगे बढ़ कर पिताजी और माँ के चरण स्पर्श किये और घर का मुख्य दरवाजा खोलकर ...Read More
आजादी - 9
थोड़ी देर तक चारों सड़क के किनारे बने उस छोटे से खड्डे में दुबके पड़े रहे । पुलीस की सायरन बजाती धीरे धीरे उनके सामने से होते हुए स्टेशन की तरफ चली गयी । दुर जाती सायरन की आवाज से आश्वस्त होकर कि अब पुलीस की गाड़ी चली गयी है चारों उस खड्डे से बाहर निकले ।पुनः अलाव के गिर्द खड़े चारों अपने अपने हाथ आग में सेंक रहे थे । थोड़ी ही देर में ठण्ड उनपर हावी हो चुकी थी ।अपनी हथेलियों को जोर से रगड़ते हुए विजय ने बोला ” अब हम भले ही पुलीस को अपना ...Read More
आजादी - 10
” लेकिन भाई ! वह मोटर तो बहुत बड़ा होगा न ? फिर हम लोग उसको कैसे उठा पाएंगे ” सोहन ने अपनी शंका व्यक्त की थी ।विजय ने उसकी तरफ देखा और धीरे से उसके सर पर एक चपत लगाते हुए बोला ” अरे पागल ! तूझे मुझ पर भरोसा है कि नहीं ? मैं जो भी प्लान बनाता हूँ सब सोच समझ कर और हर पहलु पर गौर करके योजना बनाता हूँ । अब तुमने पूछ ही लिया है तो बता दूँ कि तुम ये भूल गए हो कि अब हम तीन के बदले चार हो गए ...Read More
आजादी - 11
सिपाही का झन्नाटेदार थप्पड़ विजय के लिए अप्रत्याशित ही था । उसकी आँखों के सामने तारे नाच उठे । हाथ से अपना गाल सहलाते हुए विजय ने सिपाही की तरफ रोष से देखते हुए उसके अगले सवाल का जवाब देने के लिए खुद को तैयार कर लिया । सिपाही ने उससे दूसरा सवाल पूछा जैसे कुछ हुआ ही न हो ” कहाँ रहता है ? ”विजय ने शांत स्वर में बताया ” बेघर हूँ साहब ! ये धरती मैया ही मेरा बिछौना और ये आसमान ही मेरा चद्दर है । ”” ठीक है । ठीक है । अब ज्यादा ...Read More
आजादी - 12
विजय ने कहना जारी रखा ” हाँ ! असलम भाई नाम है उनका लेकिन लोग उनको ‘ भाई ‘ ही बुलाते हैं । हमारी तरह से जितने भी छोटे मोटे जुर्म करनेवाले लोग इस शहर में रहते हैं असलम भाई उनके लिए किसी भगवान से कम नहीं । बाहर की दुनिया वालों की नजर में जितने भी जुर्म और अपराध से जुडी गतिविधियाँ होती हैं सबका संरक्षक अगर कोई है तो वह हैं अपने ‘ असलम भाई ‘ !कहते हैं उनकी किसी केन्द्रीय मंत्री से बहुत ही करीबी कारोबारी रिश्ते हैं इसीलिए यहाँ आसपास के शहरों में से कहीं ...Read More
आजादी - 13
बड़ी देर तक विनोद के पिताजी उसकी माँ के सामने उसके बारे में अनाप शनाप बयानबाजी करते रहे । सुन सुन कर कल्पना मन ही मन आहत होती रही । लेकिन विवश कल्पना ने खुद को रसोई में व्यस्त रखा और थोड़ी देर बाद जब नाश्ता तैयार हो गया तो विनोद की माँ से मुखातिब होते हुए धीमे स्वर में बोली ” माँ जी ! बाबूजी से कहिये नाश्ता तैयार है और आप भी नाश्ता कर लीजिये ! ”कल्पना को रुखा सा जवाब मिला ” वो तो ठीक है ! लेकिन हम नाश्ता करने के लिए ही यहाँ नहीं ...Read More
आजादी - 14
मन ही मन लगभग अपने आपको धिक्कारता हुआ राहुल उन तीनों के साथ चला जा रहा था । तीनों भरते आगे निकल जाते जबकि राहुल पीछे ही रह जाता । एक तो वह इतना ज्यादा पैदल चलने का अभ्यस्त नहीं था । ऊपर से वह रात भी काफी पैदल चलकर थका हुआ था ।थोड़ी ही देर में चारों शहर के दूसरे छोर पर बाहरी हिस्से में पहुँच गए थे । उस बुढिया की झोपड़ी भी बाहरी हिस्से में ही थी लेकिन यह लोग उसीके समानांतर दुसरी तरफ जा पहुंचे थे । यहाँ आस पास निर्जन इलाका था । बड़े ...Read More
आजादी - 15
थोड़ी देर की चुप्पी के बाद असलम भाई ने कहना जारी रखा ,” जिस तरह से हर काम धंधे कुछ उसूल होते हैं उसी तरह से गुनाह की दुनिया के भी कुछ उसूल होते हैं । जब हम शिक्षित होने के लिए स्कूल में दाखिला लेते हैं तब या तो पहली कक्षा में दाखिला मिलता है या फिर अगर हमारे पास कोई विशेष योग्यता का प्रमाणपत्र है तो उसके मुताबिक कक्षा में दाखिला मिलता है । वैसेही जुर्म की दुनिया के भी अपने नियम कायदे हैं । अपना पैमाना है लड़कों को परखने का । बहुत कम गुनहगार हैं ...Read More
आजादी - 16
विनोद स्नानादि से निबट कर हॉल में पहुंचा तब तक घडी की सुई दस बजे दिखा रही थी । देर तक बडबडाने के बाद विनोद की माँ खामोश हुयी थीं और कल्पना के बार बार आग्रह करने पर दोनों अभी अभी नाश्ता करके बैठे थे । विनोद कोे देखते ही उनके चेहरे पर नाराजगी के भाव गहरे हो गए थे । विनोद के लिए व्यंग्य के बाण हाजीर थे ” तो सुबह हो गयी बेटा ? ”अब विनोद क्या जवाब देता ? किसी भी हाल में बड़ों का सम्मान करना उसका धर्म जो था । चेहरे पर मुस्कराहट लाते ...Read More
आजादी - 18
राहुल बंद कमरे में पड़ा बड़ी देर तक अपने ख्याली घोड़े दौडाते रहा लेकिन उसके ख्याली घोड़े किसी मंजिल नहीं पहुंचे और इस दिमागी कसरत से थक हार कर राहुल वहीँ कमरे में बैठे बैठे ही निढाल हो गया । कहना जरुरी नहीं कि इसमें पिछली रात के रतजगे का भी खासा असर था । दुसरे बच्चे भी मन से बेचैन ही सही लेकिन ऊपर से निश्चिन्त हो आराम फरमा रहे थे ।पता नहीं कितनी देर तक राहुल ऐसे ही पड़ा रहा । भूख और हलकी ठण्ड के अहसास से उसकी नींद खुल गयी । उसने खुद को उन ...Read More
आजादी - 19
राहुल ने ध्यान से टीपू की पूरी बात सुनी । राहुल को पूरी कहानी सुनाते सुनाते टीपू की सिसकियाँ थम गयीं थीं इसका पता न तो राहुल को चला और न ही टीपू इसके बारे में समझ सका । जब उसकी बात समाप्त हुयी वह सामान्य हो चुका था । मानव मन भी कितना विचित्र होता है । कई बार वह चाह कर भी कुछ बयान करने से बचता है और जैसे ही उसे कोई अपना भरोसेमंद सुननेवाला मिल जाता है वह अपने मन का पूरा गुबार शब्दों के जरिये निकाल कर बड़ी राहत महसूस करता है । ऐसी ...Read More
आजादी - 17
बड़ी देर तक राहुल के कानों में मोहन के कहे शब्द गुंजते रहे ‘ ………..ये क्या करना चाह रहे कुछ पता नहीं चल रहा । ‘ राहुल के छोटे से दिमाग में मोहन के कहे शब्द बड़ी देर तक सरगोशी करते रहे । अचानक उसके दिमाग में एक विचार बिजली सी तेजी से कौंध गया ।जहां तक उसने इन अपराधियों के बारे में सुन रखा था इसकी वजह से वह भली भांति जानता था कि ये अपराधी किस्म के लोग कोई भी काम बेवजह नहीं करते । अब इन लोगों ने इन बच्चों को अगर पिछले पांच दिनों से ...Read More
आजादी - 20
राहुल उस कमरे में बड़ी देर तक यूँ ही पड़ा रहा । इस बीच एक एक कर बच्चे रहे और राहुल उन्हें हकिकत बता कर शांत करता रहा । अब सभी बच्चे अपनी बेहोशी त्याग कर पुरे होशोहवाश में थे । राहुल द्वारा वस्तुस्थिति से अवगत कराये जाने की वजह से उनका भय कुछ कम हुआ था और आनेवाले हालात का सामना करने के लिए सभी मानसिक रूप से तैयार हो रहे थे । सभी शांत चित्त लेटे हुए अपने अपने खयाली घोड़े दौड़ा रहे थे । अब आगे जाने क्या होनेवाला था ।लगभग दो घंटे बाद उस घर ...Read More
आजादी - 21
” लेकिन एक शंका है । ” ,अचानक मोहन की आवाज सुनकर राहुल उसकी तरफ घूम गया था ।” ! हाँ ! कहो ! क्या कहना चाहते हो ? “राहुल ने पूछा ।” मैं ये कहना चाह रहा था कि क्या यह जरुरी है कि हम जैसा अंदाजा लगा रहे हैं वैसा ही होगा ? ” मोहन ने अपने मन की आशंका व्यक्त की ।राहुल उसकी बात सुनकर हौले से मुस्कुराया और मोहन को समझाने वाले अंदाज में बोला ” तुम ठीक कह रहे हो ! यह भी हो सकता है कि जैसा हम सोच रहे हैं वैसा न ...Read More
आजादी - 22
रोहित की बातें सुनकर राहुल को कोई आश्चर्य नहीं हुआ । उसने जो बताया था इस बात का बखूबी भान था । उसे इस बात का अहसास था कि यह अच्छे लोग तो कतई नहीं थे । उसने धारावाहिकों में भी इस तरह की कहानियां देखी थी । रोहित को हिम्मत बंधाते हुए राहुल ने कहा ” बहुत अच्छा किया तुमने इनकी बात मानकर । अब कमसे कम तुम्हें खाना तो मिलेगा ही और कैद से भी निकल कर बाहर घूमने का मौका मिलेगा । और कुछ करते हुए यहाँ से निकलने के बारे में भी सोच सकते हो ...Read More
आजादी - 23
कालू ने दूसरे लडके को करीब बुलाया । पीछे पैसे गिननेवाले ने उसकी भी शिकायत की थी । कालू गिरीश नाम के उस दस वर्षीय लडके की तरफ देखा । गिरीश भी ढीठ ही दिखाई पड़ रहा था । बिना डरे बिना पलकें झुकाए कालू की तरफ देखता रहा । कालू ने पीछे खड़े गुंडे को आवाज दी ” अरे साजिद ! क्या हाल है रे इस जमूरे का ? ”साजिद ने आगे बढ़ कर तुरंत ही जवाब दिया ” भाई ! इस जमूरे की हरकतें अब बढ़ती ही जा रही हैं । कल कम रकम जमा कराया था ...Read More
आजादी - 24
साजिद अब पूरी बात समझ चुका था । अब उसके चेहरे पर इत्मीनान के भाव थे । कालू भाई फैसला भी उसे अब पसंद आ रहा था ।बाबा भोलानंद का आश्रम उसके लिए नया नहीं था । बाबा के भक्तों की बड़ी तादाद विदेशों में रहती है । आश्रम में आने पर बाबा के आह्वान पर ये लोग आश्रम के बाहर बैठे भिखारियों को दिल खोलकर दान देते हैं । यही बात आश्रम के लिए फायदेमंद थीं और अब सौदा हो जाने के बाद वो सारा फायदा कालू भाई को मिलनेवाला था ।अचानक कालू उठ खड़ा हुआ और साजिद ...Read More
आजादी - 25
राहुल जमीन पर पड़े पड़े ही सो गया था । कमोबेश सभी बच्चों की यही हालत थी । रात ठण्ड की वजह से ठिठुरते रहे थे । नींद पूरी हुई नहीं थी और अब इस कदर गहरी नींद सो गए थे कि उन्हें धूप का भी अहसास नहीं था । सुबह की गुदगुदाती धूप की किरणों के बाद ज़माने की तरह अब धूप ने भी उन मासूम बच्चों को अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया था । सुबह की गुनगुनाती किरणों की जगह जब दुपहर की तेज धूप ने उन मासूम बच्चों की त्वचा को जलाना शुरू कर ...Read More
आजादी - 26
राहुल के चेहरे पर विजयी मुस्कान फैली हुई थी । रोहित और उसके साथियों को अपनी बात समझाने में कामयाब हो गया था । उसके अपने साथी पूरी तरह से उसकी बात मानने के लिए तैयार बैठे थे । उनके पास और कोई चारा भी तो नहीं था । उसने रोहित को अपने करीब बुलाया और मनोज सहित सभी बच्चों को लक्ष्य करके बोलना शुरू किया ” हाँ ! तो मनोज मैं ये पूछ रहा था कि ऐसी ही शीशी तुमने असलम भाई के यहाँ देखी थी और तुम सब का जवाब हां में था । लेकिन मैंने ऐसा ...Read More
आजादी - 28
राहुल ने कहना जारी रखा ” हाँ ! तो मैं कह रहा था कि अब हमें अपने साथ घटने आगे की घटनाओं पर नजर रखनी चाहिए । और आगे की सोच कर ही मैं इस शीशी में हम सबकी रिहाई देख रहा हूँ । दरअसल तुम लोगों ने कालू की बातों पर ध्यान नहीं दिया इसीलिए कुछ समझ नहीं पाए थे । कालू ने अपने एक गुंडे को बताया था न कि उसने रामनगर में बाबा भोलानंद के आश्रम के सामने भीख मंगवाने का ठेका लिया है । उसने यह भी बताया था कि इसीलिए इस मंदी के माहौल ...Read More
आजादी - 27
राहुल को घर छोड़ कर भागे हुए आज पांचवां दिन था । विनोद अपने बाबूजी के साथ आज फिर चौकी आ पहुंचा था ।पिछले चार दिनों से दोनों लगातार किसी अपराधी की तरह से पुलिस चौकी पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए विवश थे । रोज आते और कुछ समय के इंतजार के बाद हवलदार के दो सांत्वना के शब्द सुनकर और ‘ राहुल को हम जल्द ही ढूंढ निकालेंगे‘ जैसा आसान सा आश्वासन पाकर दोनों वापस अपने घर चले जाते । घर पर कुछ नए समाचार की उम्मीद में कल्पना और उसकी सास ईश्वर से गुहार ...Read More
आजादी - 29
राहुल ने मुस्कुराते हुए टीपू के गालों को प्यार से थपथपाते हुए जवाब दिया ” तुमने सही सवाल किया टीपू ! हम बेहोश होंगे तो तब न जब हम यह दवाई मिला हुआ पानी पियेंगे । लेकिन मेरी योजना है कि हमें यह दवाई पीनी ही न पड़े और उसके लिए हमें अभी से इसका इंतजाम करना होगा । ” कहते हुए राहुल ने वह शीशी अपने हाथों में उठा ली । इत्मिनान से उसका ढक्कन खोला । शीशी में भरी हुयी पूरी दवाई राहुल ने एक कोने में ले जाकर जमीन पर उंडेल दिया । पूरी शीशी खाली ...Read More
आजादी - 30
राहुल ने रोहित को समझाने का प्रयास जारी रखा था ” लगता है तुमने उनकी बातचीत की तरफ कोई नहीं दिया था । लेकिन मेरा पूरा ध्यान उनकी बातचीत की ही तरफ था । कालू ने अपने गुर्गों को यह आदेश दे दिया है कि तुम चारों में से एक को लंगड़ा और दूसरे को अँधा बना दे । और तुम हो कि फिर भी अभी तक उन गुंडों के खौफ में ही जी रहे हो । मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि तुम जिसे नाराज नहीं करना चाहते वह बिना नाराज हुए भी तुम्हारे साथ ...Read More
आजादी - 32
विनोद को घर आये हुए अभी थोड़े ही समय बीते थे । उसके बाबूजी और माताजी अपने कमरे में फरमा रहे थे । विनोद के आने की आहट सुनकर तकिये में मुंह छिपाकर सिसक रही कल्पना ने जल्दी से अपने आंसू पोंछते हुए चेहरे पर जबरदस्ती मुस्कान लाने का प्रयत्न किया और कमरे से बाहर हॉल में चली आयी ।विनोद ने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और पलंग पर गिरकर निढाल हो गया । उसका जी कर रहा था कि वह भी खूब रोये और अपना जी हल्का कर ले । हालाँकि कल्पना की मनोस्थिति से वह नावाकिफ ...Read More
आजादी - 31
दूसरे गुंडे ने फोन पर किसी से बात किया और कुछ हूँ हाँ करने के बाद फोन जेब के करते हुए उसने पहले वाले गुंडे से कहा ” यार मुनीर ! तू भी न फ़ोकट का घबरा जाता है । अरे भाई लोग सब इंतजाम रखते हैं । इतना बड़ा धंदा ऐसे ही चलाते हैं क्या ? देख ! इन चूजों को ही पूछ ” अभी जो लोग एक साथ दूसरी जगह से आये हैं उनको अलग खड़ा होने को बोल और जो लोग पहले से ही इधर थे उनको अलग खड़ा होने को बोल । हो गया ! ...Read More
आजादी - 33
पुलिस की जीप तीव्र गति से रामनगर की तरफ दौड़ी जा रही थी । ड्राईवर काफी मुस्तैदी से गाडी रहा था लेकिन विनोद को ऐसा लग रहा था जैसे वह बहुत ही नाकारा चालक हो । गाड़ी नहीं बैलगाड़ी चला रहा हो । उसका मन कर रहा था ‘ ,काश ! उसके पंख होते तो वह कब का अपनी मर्जी से वहां रामनगर पहुँच गया होता । और थोड़ी ही देर में पूरा रामनगर छान लिया होता । कहीं न कहीं राहुल अवश्य उसे मिल जाता । बहरहाल समय अपनी चाल से चलता रहा और पुलिस की गाड़ी आंधी ...Read More
आजादी - 34
टेम्पो में बैठा राहुल टेम्पो के बायीं तरफ के पतरे में बने छोटे से छेद से बाहर की परिस्थितियों लगातार अवलोकन किये जा रहा था । अचानक गाड़ी की गति कम होने का अहसास करके उसके कान खड़े हो गए थे । और जैसे ही गाड़ी मुख्य सड़क छोड़कर ढाबे के सामने के उबड़ खाबड़ मैदान पर चलने लगी उसने स्वयं भी गाड़ी में लेटते हुए सभी बच्चों को भी सतर्कता से गाड़ी में लेट जाने का इशारा किया । इसके पीछे उसकी सोच यह थी कि यदि गुंडों ने उन्हें देखने या उनका हाल चाल लेना चाहा तो ...Read More
आजादी - 35
अब कुछ कहने की बारी राहुल की थी ” हाँ ! तो सच ये है अंकल ! कि हमने नहीं की है । हम लोग तो उलटे आपके पास आनेवाले थे इन गाड़ी वालों की शिकायत करने के लिए …….”अभी राहुल ने बात पूरी भी नहीं की थी कि तभी सिपाही रामसहाय ने उसकी बात काटते हुए कहना शुरू किया ” अच्छा बच्चू ! तो अब उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की निति पर तुम लोग चल रहे हो ! अब जबकि तुम लोग रंगे हाथों चोरी करते हुए पकडे गए हो तो किसी पर कुछ भी इल्जाम लगाने ...Read More
आजादी - 36
टेम्पो के करीब पहुंचा रामसहाय उस के करीब किसी को न पाकर टेम्पो के पीछे की तरफ एक फटकारते हुए ऊँची आवाज में चिल्लाया ” अरे कौन है भाई इस गाड़ी का ड्राईवर ? जल्दी से सामने आ जाओ नहीं तो हमको यह गाड़ी थाने लेकर जाना पड़ेगा । ”थोड़ी देर के इंतजार के बाद रामसहाय ने वही चेतावनी फिर दुहरायी । लेकिन फिर वही नतीजा । कोई जवाब नहीं । जबकि कमाल और मुनीर उसकी बोली स्पष्ट सुन रहे थे । मुनीर रामसहाय की चेतावनी से चिंतित तुरंत ही उसके पास जाना चाहता था लेकिन कमाल ने उसका ...Read More
आजादी - 37
कमाल के हाथों से लाइसेंस लेकर उसके पन्ने पलटते हुए दयाल ने सरसरी निगाहों से उसका निरिक्षण करते हुए अपनी जेब के हवाले कर दिया । लाइसेंस जेब में रखते ही कमाल एक तरह से तड़प ही उठा था । विनती भरे स्वर में दयाल की खुशामद करते हुए बोल उठा ” साहब ! मेरा लाइसेंस ! सब ठीक तो है न ? ”उसकी तड़प को अच्छी तरह महसूस करते हुए दयाल ने बिना रुके ही उसे जवाब दिया ” कमाल भाई क्यों फिकर कर रहे हो ? सब तुम्हें वापस मिल जायेगा बस जरा हमारी छानबीन पूरी हो ...Read More
आजादी - 38
दरोगा दयाल ने पीछे मुड़कर देखा और वह दृश्य देखकर वह भी आश्चर्यचकित रह गया । पल भर लिए उसे भी कुछ समझ में नहीं आया था कि यह अचानक क्या हुआ है ? राहुल की अचानक चीख से वह भी चौंक गया । दरअसल राहुल ने ढाबे में प्रवेश करते हुए विनोद को पहले ही देख लिया था और ” पापा !” जोर से चीत्कार करते हुए राहुल आकर विनोद से लिपट गया । यही आवाज सुनकर दयाल पीछे मुड़ा और राहुल को विनोद से लिपटे देखकर कुछ ही पलों में उसे सारा माजरा समझ में आ गया ...Read More
आजादी - 39
दारोगा दयाल एक कुशल चालक भी था और इस समय वह अपनी पूरी कुशलता से जीप को उसकी क्षमता अनुसार पूरी गति से भगाए जा रहा था । उसकी पैनी निगाहें गाड़ी से भी तेज दौड़ रही थीं । एक के बाद एक कई गाड़ियों को वह ओवरटेक कर चुका था फिर भी उसे वह सफ़ेद टेम्पो कहीं नजर नहीं आ रहा था । जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही थीं । उसका अंदाजा था कुछ ही देर में कमाल पकड़ा जायेगा लेकिन अब दूर दूर तक उसका ...Read More
आजादी - 40
बच्चों की बात सुनकर विनोद को राहुल की समझदारी का अहसास हुआ और साथ ही यह भी अहसास हुआ सभी बच्चे अपराध के अँधेरे में गुम होने से बाल बाल बचे थे । मन ही मन भगवान को धन्यवाद देते हुए अचानक जैसे विनोद को कुछ याद आया । जेब से फोन निकाल कर विनोद ने कल्पना का नंबर मिलाया । फोन कल्पना ने ही उठाया था । व्यग्रता और उत्सुकता का अजीब सा मेल लिए हुए उसकी आवाज आई ” , क्या हुआ ? राहुल कहाँ है ? ”” ईश्वर की बड़ी मेहरबानी है कल्पना ! उसने रामनगर ...Read More
आजादी - 41 ( समापन किश्त )
विनोद की मनुहार से आनंदित दरोगा दयाल ने आगे कहना शुरू किया ” विनोद जी ! सबसे पहले मैं आपको मुबारकबाद देना चाहुंगा कि भगवान ने आपके इस होनहार बेटे को आप तक सही सलामत पहुंचा दिया । इसी विषय में मेरा आपसे यह कहना है कि एक संतान की जुदाई का दर्द आप अनुभव कर चुके हैं और हम चाहेंगे कि आपके इस होनहार बेटे की मदद से हम कुछ और पालकों के अधरों पर मुस्कान ले आयें । हमें अब राहुल के मदद की दरकार है और हमें पूरी उम्मीद है कि आप मना नहीं करेंगे । ...Read More