श्री मद्भगवतगीता माहात्म्य सहित

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जय श्रीकृष्ण बंधु-बांधवोंबहुत समय उपरांत फिर एक लेख लेके आपके सम्मुख उपस्थित हूँ। आप सब के स्नेह की अभिलाषा है।बंधुओ मैन श्री मद्भगवतगीता जी को पढ़ा और मुझे ह्रदय से प्रेणा हुई कि इसको मैं लिखु और जैसे मैं इसके पूण्य और सद्कर्म भरे शब्दो से अनुग्रहित हुआ वैसे ही आप भी अनुग्रहित हो।?भगवान के 108 नाम?ॐ कन्हैया, कृष्ण, केशव, चक्रधारी, नन्दलाल, माधो, सुन्दरश्याम, मुरारी, राधावर, बंसीबजैया, रघुवीर, नटवर, नन्द नन्दन, गजाधर, अविनाशी, निरोत्तम, अर्जुनसखा, अमर-अजर, सांवरिया, सांवला, गोपाल, दामोदर, ब्रजनाथ, दयालु, दीनबन्धु, जगदीश, दीनानाथ, जगतपिता, नारायण, बावन, यशोदा लाल, बिहारी, मदन मोहन, कृपानिधान, सर्वरक्षक, ईश्वर, सर्व शक्तिमान, मन हरण,

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श्री मद्भगवतगीता माहात्म्य सहित (अध्याय-१)

जय श्रीकृष्ण बंधु-बांधवोंबहुत समय उपरांत फिर एक लेख लेके आपके सम्मुख उपस्थित हूँ। आप सब के स्नेह की अभिलाषा मैन श्री मद्भगवतगीता जी को पढ़ा और मुझे ह्रदय से प्रेणा हुई कि इसको मैं लिखु और जैसे मैं इसके पूण्य और सद्कर्म भरे शब्दो से अनुग्रहित हुआ वैसे ही आप भी अनुग्रहित हो।?भगवान के 108 नाम?ॐ कन्हैया, कृष्ण, केशव, चक्रधारी, नन्दलाल, माधो, सुन्दरश्याम, मुरारी, राधावर, बंसीबजैया, रघुवीर, नटवर, नन्द नन्दन, गजाधर, अविनाशी, निरोत्तम, अर्जुनसखा, अमर-अजर, सांवरिया, सांवला, गोपाल, दामोदर, ब्रजनाथ, दयालु, दीनबन्धु, जगदीश, दीनानाथ, जगतपिता, नारायण, बावन, यशोदा लाल, बिहारी, मदन मोहन, कृपानिधान, सर्वरक्षक, ईश्वर, सर्व शक्तिमान, मन हरण, ...Read More

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श्री मद्भगवतगीता माहात्म्य सहित (अध्याय-२)

जय श्रीकृष्ण बंधु! आज फिर आप सभी बंधु जनों का सस्नेह पाने की अभिलाषा आप सभी के सम्मुख उपस्थित हूँ 'श्रीगीताजी का दुसरा अध्याय और उसके महातम्य' के साथ । मेरी श्रीगीताजी और भगवान श्री कृष्ण से यही प्रार्थना है कि जो भी बंधु जन इस लेख को पढ़े सुने या फिर गलती से देखे भी भगवान उनकी सारी मनोकामनाएं सारे मनोरथ सारे काज पूरी करे साथ ही उन्हें इस आवागमन से मुक्ति प्रदान करे !~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~~ ?दूसरा अध्याय?संजय ने कहा- हे धृतराष्ट्र! अब श्रीकृष्ण दया से युक्त ...Read More

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श्री मद्भागवतगीता महात्म्य सहित (अध्याय-३)

जय श्रीकृष्ण बंधु! आज फिर एकबार आपसभी बंधुजनों के सम्मुख आप सभी स्वजनों का अन्तःकरण से प्रेम के लिए उपस्थित हुआ हूं । जैसे आप सभी बंधुजन मेरे सभी लेखों को अपने प्रेम भरे पालो से सिंचित करके अपना कीमती विचारो से मुझे कृतार्थ करते है वैसे ही लेख को पढ़ के मुझे अनुग्रहित करे तथा जैसे मैं श्रीगीता जी को पढ़ के लिख के सुनके कृतार्थ और भगवान श्रीकृष्ण का कृपापात्र हुआ हूं उसोतरः आप भी होव और आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो यही ईश्वर से प्राथना है।जय श्रीकृष्ण! ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्मय सहित (अध्याय- ४)

जय श्रीकृष्ण बंधुजन!भगवान श्रीकृष्ण की अपार कृपा से मैं आप सभी बंधुजनों के लिए श्रीमद्भगतगीता जी के चौथे अध्याय लेकर उपस्थित हूँ। आप सभी बंधु जन इस अध्याय को भी अपने प्रेम से सिंचित करके मेरा मनोबल बढ़ाये और आप सभी बंधु जन भी श्रीगीताजी के इस माहात्म्य का फल प्राप्त कर अपने आप को और अपनों को अनुग्रहित करे! श्री गीताजी और ईश्वर से यही कामना करता हूँ की ईश्वर आप सभी को ओ सारी खुशियां प्रदान करे जिनकी आपको अभिलाषे है।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?श्री मद्भावतगीता अध्याय -४?श्रीकृष्ण भगवान बोले- इस अविनाशी कर्म योग ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्म्य सहित (अध्याय-५)

जय श्री कृष्ण बंधुजन!भगवान श्रीकृष्ण जी की अशीम अनुकामप्पा से आज मैं श्रीगीताजिनके पांचवे अध्याय तथा उसके महातत्म्य के उपस्थित हु। आप सभी बंधुजन श्री गीता जी के अमृत शब्दो को पढ़कर अपने आप को तथा श्रीगीताजी को पढ़के सुना कर अपनो को भी कृतार्थ करे! ईश्वर आप सभी बंधुओ के जीवन को सुखमय बनाये।जय श्रीकृष्ण! ????? श्री मद्भगवतगीता (अध्याय-५)अर्जुन बोले- हे कृष्ण! आप पहले कर्मों का त्याग करने को कहा, फिर कर्म करने की प्रशंसा करते हो, इन दोनों में ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-६)

जय श्रीकृष्ण बंधुजन!आज फिर श्रीगीताजी के कृपा से श्रीगीताजी के छठे अध्याय और उसके महात्म्य के साथ आपके प्यार अभिलाषा के लिए उपस्थित हु। भगवान श्रीकृष्ण जी आप सभी बांधो के सभी मनोरथो को पूर्ण कर तथा आप सभी भी श्री गीता जी के इस अद्यस्य के अमृतमय शब्दो को पढ़कर अपने जीवन को सफल बनायें।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ श्रीमद्भगतगीता अध्याय-६श्री भगवान् जी बोले- हे अर्जुन! जिस की कर्मफल में आसक्ति नहीं और कर्मों को करता है वही सन्यासी और योगी है और जिसने हवनादिक लौकिक कर्म छोड़ दिए हैं वह योगी है। है ...Read More

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श्रीमद्भगतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-७)

जय श्रीकृष्ण बन्धुजन!भगवान श्रीकृष्ण के अशीम अनुकम्पा से आज श्री गीताजी के सातवें अध्याय को लेकर उपस्थित हूँ। आप बन्धुजन इस अध्याय के अमृतमय शब्दो को पढ़कर अपने आप को तथा इसको पढ़के अपनो को सुनाकर सभी का जीवन कृतार्थ करें।जय श्रीकृष्ण! ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-७?श्री कृष्ण जी बोले- है पार्थ! मुझमें मन लगा करके मेरे आश्रय होकर योगाभ्यास करते हुए मेरे स्वरूप का संसय रहित पूर्ण ज्ञान होगा सो सुनो। विज्ञान के रहित वह पूर्ण ज्ञान में तुम्हें सुनाता हूँ, जिसके जानने से तुमको इस लोक में और कुछ जानना शेष न रहेगा। सहस्त्रों मनुष्यों ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्त्म्य सहित (आठवा अध्याय)

जय श्रीकृष्ण बन्धुजन!श्रीगीताजी और प्रभु श्रीकृष्ण के कृपा से आज मैं श्रीगीताजी का आठवां अध्याय और उसके माहात्म्य के उपस्थित हूँ। आप सभी श्रेष्ठजन श्रीगीता जी के आठवें अध्याय के अमृतमय शब्दो को पढ़कर अपना जीवन कृतार्थ कर! तथा इसको और भी बंधुजनों को सुनाकर उनको भी जीवन की सच्चाई से अवगत कराके उनका भी इस आवागमन से मुक्ति के लिए मार्गप्रसस्थ करे। श्रीगीता जी की कृपा जैसे मुझपर बानी है वैसे ही आपसब श्रष्ठ बंधु जनों पर भी बनीं रहे।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-८?अर्जुन ने कहा- हे पुरुषोत्तम! ब्रम्हा क्या है? अध्यात्म किसको ...Read More

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श्रीमद्भगतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-९)

जय श्रीकृष्ण बंधुवर!आप सभी के सम्मुख श्रीगीताजी के नौवा अध्याय और उसके महात्त्म्य के साथ उपस्थित हूँ। श्री गीताजी कृपामय शब्दो को पढ़कर, श्रवण कर के, अपने आप को तथा अपने इस जन्म को कृतार्थ करे। श्रीगीताजी और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहे आप सब पर जैसे मुझ पर बनी है।जय श्रीकृष्ण! ?श्रीमद्भगतगीता अध्याय-९?श्रीकृष्ण बोले- हे अर्जुन! तुममे ईर्ष्या नहीं है, इसलिए अतिगुप्त शास्त्रीय ज्ञान और अनुभव तुमसे कहता हूँ, जानकर तुम्हारा अशुभ न होगा। यह ज्ञान सब विघाओं मे श्रेष्ठ तथा सब गोपनीयों में गुप्त एवं परम पवित्र उत्तम प्रत्यक्ष फल ...Read More

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श्रीमद्भगतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-१०)

जय श्रीकृष्ण बन्धुजन!भगवान श्रीकृष्ण और श्रीगीताजी की कृपा से आज मैं फिर से श्रीगीताजी के दसवें अध्याय को लेकर हूँ। आप सभी प्रियजन श्रीगीताजी के अमृतमय शब्दो को पढ़कर अपने जीवन को कृतार्थ करे। श्रीगीताजी आप सभी बंधुजनों की सारी महात्वाकांक्षाये पूरी कर।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-१०?श्री कृष्ण भगवान ने कहा- हे महाबाहो! और भी मेरे कल्याणकारक वचन सुनो। तुमपर मेरी अत्यंत प्रीति है अतएव तुम्हारे कल्याण के लिये कहता हूँ। मेरी उत्पत्ति का हाल न तो देव गण जानते हैं और न महर्षि लोग। मैं ही देवों और महर्षियों का आदि कारण हूँ। जो मुझे ...Read More

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श्रीमद्भगतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-११)

जय श्रीकृष्ण बन्धुवर!भगवान श्रीकृष्ण के असीम अनुकम्पा से आज फिर मैं श्रीगीताजी के ११ वें अध्याय को लेकर उपस्थित आप सभी बन्धुजन श्रीगीताजी के अमृतमय सब्दो को पढ़कर , सुनकर अपने जीवन को कृतार्थ करे। श्रीगीताजी और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा आप सभी श्रेष्ठ जनों पर बनी रहे।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-११?अर्जुन ने कहा -हे भगवन! मुझपर कृपा करके गुप्त अध्यात्म विषयक वचन जो आपने कहे उससे मेरा मोह दूर हो गया।हे कमलनेत्र! मैनें जीव की उत्पत्ति, नाश और आपका अक्षय महात्त्म्य आपके मुखारविंद से विस्तार पूर्वक सुना। हे पुरुषोत्तम! हे परमेश्वर! आपने जैसा वर्णन ...Read More

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श्रीमद्भगतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-१२)

जय श्रीकृष्ण बंधुवर!भगवान श्री कृष्ण के अशीम कृपा से श्रीमद्भगवतगीता जी के बारहवें अध्याय को लेकर उपस्थित हूँ। आप बंधुवर इस अध्याय के अमृतमय शब्दो को पढ़कर, सुनकर और सुनाकर अपना और अपनों का जन्म कृतार्थ करे। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा आप सभी बंधुवर पे बनी रहे।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-१२?अर्जुन ने पूछा- इस प्रकार जो भक्त सदैव योग युक्त होकर आपकी उपासना विधिपूर्वक करतें है और जो व्यक्ति परब्रम्हा को भजतें है, इन दोनों में मकां सा योगी श्रेष्ठ है? श्री भगवान बोले- जो मेरे विषय में मन लगाकर परम् श्रद्धा पूर्वक मुझको भजतें ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-१३)

जय श्रीकृष्ण बंधुवर!श्रीगीताजी और परमेश्वर की कृपा से गीता जी के तेरहवें अध्याय के साथ आपके सम्मुख उपस्थित हूँ। के अमृतमय शब्दो को पढ़कर अपने जीवन को कृतार्थ करे।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-१३?श्रीकृष्ण बोले- हे कौन्तेय! यह शरीर क्षेत्र कहलाता है और इसके जानने वालों को क्षेत्रज्ञ कहते हैं। सम्पूर्ण क्षेत्र में क्षेत्र मुझको जान। क्षेत्र और क्षेत्र का जो ज्ञान है मेरे मत से वही ज्ञान है। यह क्षेत्र कैसे रूप का है, इसमें कौन-२ से विकार होते हैं, उसको उत्पत्ति किस प्रकार से हुई और क्षेत्र का क्या ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-१४)

जय श्रीकृष्ण बन्धुवर!भगवान की अशीम अनुकम्पा से आज श्रीमद्भगवतगीता जी के चौदहवें अध्याय को लेकर उपस्थित हूँ। आपसभी बन्धुजन निवेदन है कि आप सभी बन्धुजन श्रीगीता जी के इस अध्याय के अमृतमय शब्दो को पढ़कर, सूनकर और सुनाकर अपने जीवन को कृतार्थ करे!जय श्रीकृष्ण! ~~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-१४?श्री भगवान ने कहा- फिर भी ज्ञानों में श्रेष्ठ ज्ञान तुमको बताता हूँ। जिसके जानने से सारे मुनिजन मोक्ष रूप परम् सिद्धि को प्राप्त हुए हैं। ज्ञान की सहायता से मेरे स्वरूप को प्राप्त हुए लोग दृष्टि के समय जन्मते नहीं और प्रलयकाल में ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-१५)

जय श्रीकृष्ण बंधुवर! श्रीगीता जी के अशीम अनुकम्पा से आज श्री गीताजी के १५ वें अध्याय को लेकर हूँ श्रीगीताजी के अमृतमय शब्दो को पढ़कर आप सभी अपने जीवन को कृतार्थ करे भगवान की कृपा आप सब बन्धुजनों पर बनी रहे।जय श्रीकृष्ण! ~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-१५?श्री भगवान बोले- संसार, अश्वत्थ(पीपल) के समान है, जिसका पुराना पुरुष रूप जड़ ऊपर है और चराचर शाखा नीचे है, वेद इसके पत्ते हैं, जो यह जानता है वही वेद का ज्ञाता है। इसकी शाखायें ऊपर फैली हुई हैं। सत्व, रजं तमोगुण इसकी रस वाहिनी नसें है इससे इनका ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-१६)

जय श्रीकृष्ण बंधुवर!भगवान श्री कृष्ण और श्रीगीताजी के अशीम अनुकम्पा से आज श्री गीताजी के १६वें अध्याय को लेकर हूँ। आप सभी प्रियजन श्रीगीताजी के अमृतमय शब्दो को पढ़कर, सुनकर तथा सुनाकर अपने आप को तथा सभी सुनने वाले बंधुओ के जीवन को कृतार्थ करे। श्री गीताजी की अशीम अनुकम्पा जैसे मुझपर बानी है वैसे ही आप सब पर भी बनी रहे।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-१६?श्री कृष्ण जी बोले- हे भारत! अभय, शुद्ध, सतोगुणी होना, ज्ञान-योग निष्ठा, दान, इन्द्रिय-दमन, यज्ञ करना, तप सरलता, अहिंसा, सत्य, क्रोध, त्याग, शांति, चुगली न करना, सब प्राणियों पर ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-१७)

जय श्रीकृष्ण बंधुवर!भगवान श्रीकृष्ण और श्रीगीताजी के अशीम अनुकंपा से आज श्री गीताजी के सत्रहवें अध्यायय को लेकर आया आप सभी बन्धुजन श्रीगीता जी अमृतय शब्दो को पढ़कर, सुनकर, सुनाकर अपना तथा उन सभी बन्धुजनों को इस जन्म-मरण के बंधन से छूटकारा दिलावें। ईश्वर की अशीम कृपा जैसे मुझपर बानी है तैसे आप सभी पर भी बनी रहे।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-१७?अर्जुन ने पूछा- है माधव! शास्त्र विधि को छोड़, जो श्रद्धा के साथ पूजन करतें है। उनकी निष्ठा किस प्रकार है, सात्विकी है, राजसी है अथवा तामसी। श्री कृष्ण बोले- प्राणियों के ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-१८)

जय श्रीकृष्ण भक्तजनों!ईश्वर के प्रिय आप सभी भक्त जनों के लिए श्रीगीताजी के सबसे फलदायी अध्यायय को लेकर उपस्थित । श्रीगीताजी के इस अध्यायय के नित्य पाठ करने से मनुष्य की जो इच्छा मृत्यु लोक में पूरी न हो सकी होती है वह स्वर्ग लोक में पूरी हो जाती है और साथ ही श्री नारायण जी के अशीम अनुकम्पा से मुक्ति प्राप्त होती है। श्री नारायण जी अशीम अनुकम्पा आप सब प्रियजनों पे बनी रहे। आप सभी भक्तजन श्रीगीताजी के इस अध्याय के अमृतमय शब्दो को पढ़कर, सुनकर तथा सुनाकर अपने तथा सभी भक्तजनों का जीवन कृतार्थ करे!जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ...Read More

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श्रीमद्भगवतगीता महात्त्म्य सहित 19 (आरती)

श्रीमद्भगवतगीता (आरती)~~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?आरती गीता जी की?करो आरती गीता जी की।।जग की तारण हार त्रिवेणी, स्वर्गधाम की सुगम नसेनी।अपरम्पार शक्ति की देनी, जय हो सदा पुनिता कीज्ञानदीन की दिव्य-ज्योतिमां, सकल जगत की तुम विभूति मां।महा निशातीत प्रभा पूर्णिमा, प्रबल शक्ति भी भीताकी।। करो.अर्जुन की तुम सिदा दुलारी, सखा कृष्ण की प्राण प्यारी।षोडश कला पूर्ण विस्तारी, छाया नम्र विनीता की।। करो..श्याम का हित करने वाली, मन का सब मल हरने वाली।नव उमंग नित भरनेवाली, परम प्रेरिका कान्हा की।। करो..~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?आरती श्री गणेश जी की?जय गणेश ...Read More

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श्री मद्भगवतगीता माहात्म्य सहित - 20 - (गर्भ गीता, स्त्रोतम् और नागलीला)

जय श्रीकृष्ण बंधुवर!भगवान श्रीकृष्ण और श्रीगीताजी के अशीम अनुकम्पा से (गर्भगीता) श्रीकृष्ण अर्जुन सम्वाद लेकर उपस्थित हूँ तथा ही स्त्रोतम् और नागलीला को भी लेकर उपस्थित हूँ ।आपसभी इसके अमृतमयी शब्दो को पढ़कर , समझकर ,अपने जीवन को कृतार्थ करे तथा साथ ही साथ जीवन के रहस्य को समझे। श्रीगीताजी की अशीम कृपा आप सब पर बनी रहे।जय श्रीकृष्ण!श्रीमद्भगवतगीता (गर्भ गीता), स्त्रोतम्, नागलीला ~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?श्री कृष्णाअर्जुन सम्वाद?श्री गणेशाय नमः। भगवान् श्री कृष्ण का वचन है कि जो प्राणी इस गर्भ गीता का विचार करता है जो पुरुष पुरुष फिर गर्भवास में नहीं ...Read More

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श्री मद्भगवतगीता माहात्म्य सहित - 21 (हनुमान चालीसा, हनुमानजी आरती और भजन)

जय श्रीकृष्ण भक्तजनों!आज भगवान श्रीकृष्ण और श्रीगीताजी के अशीम अनुकम्पा से हनुमान चालीसा और आरती के साथ भजन को आपके सम्मुख उपस्थित हूँ।आप सभी हनुमान चालीसा के अमृतमय शब्दो को पढ़कर सुनकर तथा आरती को गाकर और भजन को गाकर अपने चित्त को स्थिर करे और मन की शान्ति प्राप्त करे तथा अपने जीवन को कृतार्थ करे। हनुमान जी तथा भगवान श्रीकृष्ण जी अशीम अनुकम्पा आप सब पर बनी रहे है जैसे मुझपर बनी है।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~श्रीमद्भगवतगीता (हनुमान चालीसा आरती, और भजन)~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ? ~हनुमान चालीसा~?श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनुमुकुर ...Read More