क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और बाहर है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं | ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं | लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों के धरातल ने जन्म लिया | राजधानी से सटे उत्तरप्रदेश के पॉश सबर्ब नोएडा सेक्टर 71 में एक पॉश बिल्डिंग ने, नाम रखा क्राउन पैलेस। इस बिल्डिंग में ग्यारह फ्लोर हैं। हर फ्लोर पर दो फ्लैट। एक फ्लैट बिल्डर का है, बंद है। बाकि इक्कीस फ्लैटों में रिहाइश है। लॉकडाउन के दौरान क्या चल रहा है हर फ्लैट के अंदर? आइए, हर रोज एक नए लेखक के साथ लॉकडाउन मूड के अलग अलग फ्लैटों के अंदर क्या चल रहा है, पढ़ते हैं | हो सकता है किसी फ्लैट की कहानी आपको अपनी सी लगने लगे...हमको बताइयेगा जरुर..
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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 1
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों के धरातल ने जन्म लिया राजधानी से सटे उत्तरप्रदेश के पॉश सबर्ब नोएडा सेक्टर 71 में एक पॉश बिल्डिंग ने, नाम रखा क्राउन पैलेस। इस बिल्डिंग में ग्यारह फ्लोर हैं। हर फ्लोर पर दो फ्लैट। एक फ्लैट बिल्डर का है, बंद है। बाकि इक्कीस फ्लैटों में रिहाइश है। लॉकडाउन के दौरान क्या चल रहा है हर फ्लैट के अंदर? आइए, हर रोज एक नए लेखक के साथ लॉकडाउन मूड के अलग अलग फ्लैटों के अंदर क्या चल रहा है, पढ़ते हैं हो सकता है किसी फ्लैट की कहानी आपको अपनी सी लगने लगे...हमको बताइयेगा जरुर.. ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 2
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 2 लेखक: राजीव रंजन (अपने अपने लॉकडाउन) राजीव रंजन ‘सिर मुड़ाते ही ओले पड़े’, ये जिसने भी बनाई होगी, वह भी कभी जरूर शशांक की तरह ऐसी ही किसी स्थिति में फंस गया होगा। कहावतें जीवन के अनुभवों का ही तो निचोड़ हैं। शशांक बस दो दिन पहले ही नोएडा सेक्टर 71 की इस पॉश सोसाइटी में आया था। घर का सामान पूरी तरह सेट भी नहीं हो पाया था कि ये आफत गले पड़ गई। सामान के कई कार्टन तो अभी भी बंधे ही पड़े हैं। फ्लैट का पजेशन उसे कुछ हफ्ते पहले ही मिल गया ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 3
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों के धरातल ने जन्म लिया राजधानी से सटे उत्तरप्रदेश के पॉश सबर्ब नोएडा सेक्टर 71 में एक पॉश बिल्डिंग ने, नाम रखा क्राउन पैलेस। इस बिल्डिंग में ग्यारह फ्लोर हैं। हर फ्लोर पर दो फ्लैट। एक फ्लैट बिल्डर का है, बंद है। बाकि इक्कीस फ्लैटों में रिहाइश है। लॉकडाउन के दौरान क्या चल रहा है हर फ्लैट के अंदर? आइए, हर रोज एक नए लेखक के साथ लॉकडाउन मूड के अलग अलग फ्लैटों के अंदर क्या चल रहा है, पढ़ते हैं हो सकता है किसी फ्लैट की कहानी आपको अपनी सी लगने लगे...हमको बताइयेगा जरुर... मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 3 लेखिका: नीलिमा शर्मा टुकड़ा टुकड़ा ज़िन्दगी मम्मा इंडिया में तो लॉकडाउन सख्ती से लागू कर रहे हैं, अभी एयरपोर्ट पर विदेश से आने वाले सभी यात्रियों को रोका गया हैं उर्वशी ने दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री के इमीग्रेशन काउंटर के सामने लम्बी लाइन देखकर अपनी ममी को कॉल मिलाया उर्वशी एक सप्ताह बाद दुबई से लौट रही थी उसकी बड़ी बहन शताक्षी को शादी के तीन बरस बाद बेटा हुआ था पोस्ट डिलीवरी केयर के लिए उसकी ममी दो माह के लिए बड़ी बेटी के घर गयी थी ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 4
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं | ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं | लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 5
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं | ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं | लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 6
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 7
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 8
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं | ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं | लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 9
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 10
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं | ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं | लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 11.
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं | ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं | लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 12
क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं ऐसा समय इससे पहले हममें से किसी ने नहीं देखा है। मानसिक शारीरिक भावुक स्तर पर सब अपनी अपनी लडाई लड़ रहे हैं लॉकडाउन का यह वक्त अपने साथ कई संकटों के साथ-साथ कुछ मौके भी ले कर आया है। इनमें से एक मौका हमारे सामने आया: लॉकडाउन की कहानियां लिखने का। नीलिमा शर्मा और जयंती रंगनाथन की आपसी बातचीत के दौरान इन कहानियों ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 13
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 13 लेखिका शिल्पा शर्मा ज़िंदगी की ताल पे राग रस्साकशी ‘‘कहा था ना कि मत अब... अब मैं इतने लंबे समय तक अकेली रहूंगी उनके साथ? और तुम... और पापा... सब अकेले-अकेले... 21 दिनों तक? तुम मेरी बात सुनते ही नहीं कभी,’’ दूसरी मंज़िल की बालकनी में खड़े होकर अपना मोबाइल कान में लगाए इतनी ज़ोर-ज़ोर से चीखते हुए बात कर रही थी मीता कि नीचे खड़े वॉचमैन की नज़र भी ऊपर की ओर उठ गई कि कहीं उसे पुकारा तो नहीं जा रहा है। दूसरी ओर से राघव का शांत स्वर आया,‘‘थोड़ा धीरे बात ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 14
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 14 लेखिका: प्रतिष्ठा सिंह वे दिन वे दिन ... प्रतिष्ठा सिंह घर में कुछ भी नहीं था। सब कुछ वैसे ही जैसे पिछले हफ्ते मुम्बई जाने से पहले छोड़ कर गयी थी। रोहिणी और अमर ठाकुर उस घर का एक-एक कोना संवार कर रखते थे। शादी को अब चार साल होने आए थे और उन्हें लगता था कि बहुत समय बीत गया है! वो एक दूसरे के साथ ‘सेटल’ कर गए थे। दोनों दोस्त बन गए थे और एक दूसरे को बेहद पसंद करने लगे थे। अरेंज मैरिज में किस्मत अच्छी हो तो कभी-कभार ऐसा ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 15
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 15 लेखक: अमरेंद्र यादव बीमारी के दो दिन चाय की तलब उसे किचन में लाई. बड़े दिनों बाद इच्छा हुई थी, क्यों न उबली हुई चाय पी जाए. उबली चाय का मेघना कनेक्शन होने की वजह से उसने उसके जाने के बाद ग्रीन टी से नाता जोड़ लिया था. ख़ैर, उसने खौलते हुए पानी में चाय पत्ती डाली. फ्रिज में अदरक तलाशा. यहां-वहां देखने के बाद एक कोने में अदरक का डिब्बा दिखा. सूखा हुआ अदरक उबलते पानी में घिसकर डालने लगा. ‘साहब पौधों का ध्यान रखना. बड़े प्यार से हमने इन्हें बड़ा किया है.’ ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 16
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 16 लेखिका: रिंकी वैश अधूरी कहानियों के खंडहर “ज़िंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है जहाँपनाह, जिसे न आप बदल सकते हैं न मैं। हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं, जिनकी डोर ऊपर वाले की उँगलियों में बंधी है, कब, कौन, कैसे उठेगा, ये कोई नहीं बता सकता है. हाहाहा, हाहाहा.” निहारिका अपने 11 साल के बेटे अक्षर के साथ हिंदी फ़िल्मों के डॉयलॉग बोलने का गेम खेल रही थी। जब से लॉकडाउन शुरू हुआ था, उसने यह नया तरीका निकाला था अक्षर का मन लगाए रखने के लिए। वरना तो उसे मोबाइल ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 17
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 17 लेखिका: शुचिता मीतल उसकी बातें उसने मोबाइल पर टाइम देखा। सवा तीन। तीन बजे सिंड्रोम। रोज़ाना रात को तक़रीबन इसी वक़्त उसकी आंख खुल जाती है। फिर चार-पांच बजे तक करवटें बदलती, टहलती, कभी सोती-कभी जगती, फिर जो सोती है तो आठ बजे से पहले नहीं उठती। हां, आजकल लॉकडाउन में जल्दी उठना पड़ता है। सुबह को दो-तीन घंटे ही गेट खुलता है, तो दूध वग़ैरा लाने जाना पड़ता है। उसका ध्यान खिड़की से आती कुछ अलग रुहानी सी रोशनी पर गया। उसने उठकर परदा हटाकर झांका। खिड़की के पार दूर आसमान के माथे ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 18
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 18 लेखिका दिव्या विजय बियाबान उसकी शुरुआत नहीं थी, उसका अंत भी मालूम न था। जिस पल आया, उसी पल ख़त्म हो गया। तेज़ी से उसने झपट्टा मारा, अपने पंजों में शिकार कसा और उतनी ही तेज़ी से चला गया। उसी के साथ ख़त्म हो गया सब कुछ। क्षणिक तौर पर नहीं, लम्बे अंतराल के लिए। यह अंतराल कितने भी समय के लिए हो सकता था, इ सृष्टि के अंत तक भी। जीवन की गति, उद्दाम चाहनाएँ, छोटी इच्छाएँ, सह सुख, गहरे दुख औ उनका स्वामित्व रखते मनुष्य सब विलीन हो गए थे। संसार अब ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 19
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 19 ध्यानेन्द्र मणि त्रिपाठी मुट्ठी भर आसमां ये कैसे छलिया दिन हैं? वो छलावरण में है। गजब का बाज़ीगर, पल भर में माशा पल भर में तोला? नंदीप कैलकेरिया की हरी गझिन झाड़ियों में इस गिरगिट के जोड़े को बड़़ी देर से ताक रहा था। लॉकडाउन में बालकनी ही वो जगह है जहां थोड़ी देर के लिए या पूरे दिन भर भी मटरगश्ती की जा सकती है। गजब है कुदरत का करिश्मा, ये गिरगिट कितनी खूबसूरती से अपने को आसपास के रंगों में ढाल लेते हैं और इस जोड़े में ये हैन्डू नर अपने गलफड़ ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 20
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 20 लेखिका: अमृता ठाकुर आईना मैंने धीरे से रिसीवर रखा। गुस्से से आंखे अभी भी हुई थीं। पता नहीं अब भी जब अपना पक्ष रखने का समय आता है, ज़बान चुप हो जाती और आंखों से बूंदे टपकने लगती । ज़िदगी की आधी लड़ाइयों में तो इन आंखों की वज़ह से ही हथियार डालना पड़ा। कोफ्त होती है अपनी इस कमज़ोरी से। अम्मा सामने खड़ी मेरे चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थी। उनके चेहरे पर अजीब से भाव आ जा रहे थे। उन्हें अपनी तरफ देखता हुआ पा कर और गुस्सा आया। ‘आप ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 21
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 21 लेखिका: ज्योति द्विवेदी दास्तान-ए-पैनडेमिक ‘कभी किसी गिटारिस्ट को गिटार बजाते वक्त हंसते देखा है?’ न? उसने ऐसा किया नहीं कि लोग उससे पूछने लगेंगे, भाई तू इतना खुश क्यों है?’ ‘हां, अगर आप तबला बजा रहे हों, तो बात अलग हो जाती है, क्योंकि तब आप अपनी बदहाली पर हंस रहे होते हैं।‘ ‘धा गे न ती । न क धी न’ आठ साल लगे मुझे यह सीखने में! ‘धा गे न ती । न क धी न’ कोई लड़की कभी मुझे घास नहीं डालेगी! ‘धा गे न ती । न क धी न’ ...Read More
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - अनुभव
मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन अनुभव लॉकडाउन कहानियों का सफ़र क्या आप सब में से कभी किसी ने ऐसे दिनों की की थी कि सारी दुनिया ठहर जायेगी ? फरवरी में छुट पुट खबर सुन रही थी कि चीन में ऐसीअजीब बीमारी फैली हैं कि जिससे लोग तेजी से संक्रमित हो रहे हैं | सब लोगो को एक दूसरे से दूरी बनाकर रहने को कहा जा रहा हैं | भारत में इस बार होली भी बहुत फीकी फीकी सी रही | मार्च के तीसरे सप्ताह तक भारत में भी इस बीमारी का प्रकोप बढ़ने लगा था | केंद्र सरकार ने एक ...Read More