मेरे लफ्ज़ मेरी कहानी

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कुछ अल्फ़ाज़ जो आपको अपने से लगेंगे ,नज़्म जो आपकी कहानी कहती हुई सी है

New Episodes : : Every Thursday

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मेरे लफ्ज़ मेरी कहानी - 1

कुछ अल्फ़ाज़ जो आपको अपने से लगेंगे ,नज़्म जो आपकी कहानी कहती हुई सी है ...Read More

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मेरे लफ़्ज़ मेरी कहानी - 2

अल्फ़ाज़ जो हर पल अपने से लगते हैं , जज़्बात जो महसूस होते हैं ...Read More

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मेरे लफ्ज़ मेरी कहानी - 3

मैं एक लेखिका हूँ इस नाते ये मेरा दायित्व है कि लोगों की सोच पर पड़ी हुई गर्द को अल्फ़ाज़ से साफ कर दूँ , हो सकता है ये गर्द पूरे तरीके से ना गिरे पर यक़ीनन कुछ तो साफ जरूर नज़र आएगा। मोनिका काकोड़िया "बेबाक शायरा" मैं क्या,बस एक मुफ़लिस सी शायरामेरे पास कुछ नहीं मेरे अल्फाज़ के सिवा️रास नहीं आता मुझे इस जहाँ का महशरअजीज है मुझको तेरे इश्क़ की ख़ामोशी️ये इल्म है मुझको तू महज़ सराब हैतुझे पाने की ख्वाहिश फिर भी नहीं मिटती️सदियाँ लगी थी हमको मरासिम बनाने मेंदो पल लगे नेता को ...Read More

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मेरे लफ्ज़ मेरी कहानी - 4

मैं एक लेखिका हूँ इस नाते ये मेरा दायित्व है कि लोगों की सोच पर पड़ी हुई गर्द को अल्फ़ाज़ से साफ कर दूँ , हो सकता है ये गर्द पूरे तरीके से ना गिरे पर यक़ीनन कुछ तो साफ जरूर नज़र आएगा। ©मोनिका काकोड़ियासोचती हूँ तुझे हर्फ़ दर हर्फ़ लिख दूँफिर सोचती हूँ,जाने कौन कौन पढ़ ले✍️जलती धूप में नंगे पांव सड़कों पर भागता बचपनसर्दी में ठिठुरता, बारिश में भीगता हुआ बचपनशायद गाड़ियों में अपना भगवान तलाशता है✍️बड़ा उल्लास था घर में महीनों सेआज क्यों इतनी ख़ामोसी आ पसरीलगता है फिर " लक्ष्मी" चली आयी✍️रहीने ...Read More